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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्व सेवा संघ की याचिका सुनने से किया इनकार, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे पदाधिकारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका रिजेक्ट होने के बाद महात्मा गांधी के अनुयायियों ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है।
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उत्तर प्रदेश के सर्व सेवा संघ भवन के खिलाफ ध्वस्तीकरण के मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका नहीं सुनी जा सकी। जस्टिस एमसी त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत की पीठ ने इस मामले को सुनने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं को निचली अदालत में जाने को कहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका रिजेक्ट होने के बाद महात्मा गांधी के अनुयायियों ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। उम्मीद है कि चार जुलाई 2023 को वहां इस मामले में सुनवाई हो सकती है।

सर्व सेवा संघ को उम्मीद थी कि इस हाई प्रोफाइल मामले में हाईकोर्ट उनके पक्ष में कोई फैसला जरूर सुनाएगा, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच के जस्टिस एमसी त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत की पीठ ने इस मामले को सुनने से साफ इनकार कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ताओं को निचली अदालत में जाने का निर्देश दिया। सर्व सेवा संघ के पदाधिकारियों और गांधी के समर्थकों को उम्मीद थी कि हाईकोर्ट उनकी याचिका पर सुनवाई जरूर करेगा, लेकिन कोर्ट के रुख से उन्हें काफी निराशा हुई है। संघ के पदाधिकारियों ने इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की योजना बनाई है।

गांधी की विरासत है संघ

सर्व सेवा संघ भवन महात्मा गांधी, जय प्रकाश नारायण और संत विनोबा की विरासत है। इस संगठन की स्थापना देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की थी। महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी ने इसे बचाने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। वहीं, प्रियंका गांधी ने इस पर कहा है कि जनता कभी इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।

बिहार में जदयू के राज्यसभा सांसद अनिल हेगड़े पिछले चार दिनों से सर्व सेवा संघ परिसर में डटे हुए हैं। उन्होंने न्यूजक्लिक से कहा, "उत्तर रेलवे और प्रशासन की कार्रवाई देश और समाज को शर्मसार करने वाली है। बीजेपी सरकार की शह पर प्रशासन और उत्तर रेलवे के अधिकारी कानून को ताक पर रखकर फैसले सुना रहे हैं। सर्व सेवा संघ पर मंडरा रहे बुल्डोजर के खतरे को नाकाम करने के लिए गांधी के समर्थक लामबंद हो गए हैं। हमारा आंदोलन अब जनआंदोलन के रूप में परिवर्तित हो चुका है।"

उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के कार्यालय प्रभारी सौरभ सिंह ने न्यूजक्लिक से कहा, "सर्व सेवा संघ ने मार्च 1948 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में गांधी विचार के राष्ट्रीय विकास को संघ की मुख्य धारा बनाने के मकसद से स्थापित किया गया था। इस संस्था का उद्देश्य सामाजिक न्याय, मानवाधिकार, सामाजिक विकास और गरीबी मुक्ति के माध्यम से नए भारत का निर्माण करना था। इसके तहत, संघ ने विभिन्न क्षेत्रों में कई प्रोग्राम और कार्यक्रम शुरू किए थे, जिनसे समाज का हर वर्ग लाभान्वित हो रहा था।"

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मालिकाना हक पर विवाद

सर्व सेवा संघ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर चल रहे विवाद के मामले में जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने अपना फैसला दिया था, जिसे गांधी समर्थकों ने एकतरफा बताया था। जिलाधिकारी ने सर्व सेवा संघ के सभी भवनों को अवैध बताते हुए समूची संपत्ति को उत्तर रेलवे की संपत्ति माना है। उत्तर रेलवे ने 27 जून 2023 को सर्व सेवा संघ भवन को ध्वस्त करने के लिए उत्तर रेलवे प्रशासन ने 30 जून 2023 की मियाद तय की थी। इस फैसले के खिलाफ सर्व सेवा संघ के पदाधिकारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने इस याचिका को पहले तो स्वीकार किया और आज जब सुनवाई हुई तो लोअर कोर्ट में जाने का निर्देश दिया।

हाल ही में, सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच जमीन के मालिकाना हक पर विवाद उठा है। इस विवाद का मुख्य कारण यह है कि सर्व सेवा संघ द्वारा किए गए निर्माण को अवैध करार देते हुए समूची संपत्ति को उत्तर रेलवे की संपत्ति माना है। साथ ही भवनों को ध्वस्त करने का निर्णय लिया है। सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए महात्मा गांधी के अनुयायी पूरे देश में आंदोलन और प्रदर्शन कर रहे हैं।

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बनारस के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ के भवन और जमीन को बचाने के लिए महात्मा गांधी के अनुयायी लगातार सत्याग्रह कर रहे हैं। लगातार पांचवें दिन सर्व सेवा संघ परिसर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया गया। साथ ही राजघाट पर मानव श्रृंखला भी बनाई गई। गांधी, विनोबा और जयप्रकाश के अनुयायियों ने गंगा जल लेकर सर्व सेवा संघ को बचाने का संकल्प लिया।

बनारस में आयोजित मानव श्रृंखला और सत्याग्रह में सोमवार को गाजीपुर, जौनपुर, प्रयागराज, दिल्ली, राजस्थान, ओडिशा, बिहार और छत्तीसगढ़ से आए गांधी के अनुयायी शामिल हुए। दिन भर सर्व सेवा संघ परिसर में गांधीवादियों का तांता लगा रहा। स्टूडेंट्स किसान, प्रोफेसर, महिलाएं, बुद्धिजीवी और साहित्यकारों ने भी सर्व सेवा संघ को अपना समर्थन दिया। सभी ने एक स्वर से कहा कि गांधी की विरासत को बचाने के लिए वह हर तरह से तैयार हैं। इसके लिए जो भी कुर्बानी देनी पड़ेगी पीछे नहीं हटेंगे।

सर्व सेवा संघ में तीन जुलाई को आंदोलन-प्रदर्शन में प्रो. आनंद कुमार, राज्यसभा सांसद अनिल हेगडे़, अरविंद सिंह, चंदन पाल, नंदलाल मास्टर, रंजू सिंह, फादर जयंत, ईश्वरचंद, आशा बोथरा आदि मौजूद रहे। गांधी के अनुयायियों ने गांधी की विरासत को बचाने के लिए सोमवार को महाराष्ट्र और यूपी के राज्यपालों को ज्ञापन सौंपा।

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैंं)

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