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‘ठेका प्रथा ख़त्म करो’ : राजस्थान में कई जगह एम्बुलेंस सेवा ठप, कर्मचारी हड़ताल पर!

हड़ताल पर गए एम्बुलेंस कर्मचारियों का आरोप है कि संचालक कंपनी प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का अल्टीमेटम देकर नई भर्तियां करने की जुगत में लगी है।
Rajasthan Ambulance Service

राजस्थान में बीते 12 दिनों से एम्बुलेंस कर्मी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। पूरे प्रदेश की दो प्रमुख एम्बुलेंस सेवाएं 104 (मातृत्व सुविधा एम्बुलेंस) और 108 (आपातकालीन एम्बुलेंस) 1 सितंबर की आधी रात से ठप पड़ी हैं। हड़ताल कर रहे एम्बुलेंस कर्मी बीते लंबे समय से ठेका प्रथा समाप्त कर खुद को सरकार से संविदा सेवा नियम 2022 में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जिसे लेकर पिछले एक महीने में इन कर्मचारियों ने प्रदेश के सभी जिलों में ज्ञापन भी दिए लेकिन इनका कहना है कि अब तक इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है। बल्कि इसके विपरीत, ये कर्मचारी आरोप लगाते हैं कि, एम्बुलेंस संचालक कंपनी हड़ताली कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का अल्टीमेटम देकर नई भर्तियां करने की जुगत में लगी है।

बता दें कि राजस्थान एम्बुलेंस कर्मचारी संघर्ष समिति के बैनर तले जारी इस आंदोलन में करीब छ: हज़ार एम्बुलेंस चालक और उनके साथ सेवाएं दे रहा नर्सिंग स्टाफ शामिल है, जो पहले सवाई मान सिंह अस्पताल के सामने धरने पर बैठे थे लेकिन बाद में उन्हें शहीद स्मारक शिफ्ट कर दिया गया। इनमें से कई कर्मचारियों पर पुलिस कार्रवाई होने की बात भी सामने आ रही है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, राजस्थान की गहलोत सरकार ने बीते दिनों सरकारी विभागों में ठेका प्रथा समाप्त करने की घोषणा के साथ ही संविदा सेवा नियम 2022 को कर्मचारियों के सामने रखा। सीएम की इस घोषणा के बाद एम्बुलेंस कर्मियों को पूरी उम्मीद थी कि उन्हें भी इस नए सेवा नियम में जगह मिलेगी लेकिन आपात सेवाओं में तैनात इन नर्सिंगकर्मी व वाहन चालकों को इस नए सेवा नियम में शामिल नहीं किया गया। इसके बाद सरकार से गुहार लगाते हुए एम्बुलेंस कर्मी संघ ने ज्ञापन, धरना प्रर्दशन और अन्य माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाई लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिला, जिसके बाद अब इन कर्मचारियों ने अपनी सेवाएं ठप कर दी है।

आपातकालीन सेवा ठप होने के बाद मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट हरकत में आया और उसने सख्ती दिखाते हुए एम्बुलेंस का संचालन कर रही कंपनी ग्रीन हेल्थ सर्विसेज (GVK) प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधन को चेतावनी जारी की है। इस चेतावनी में जल्द से जल्द सेवाएं सुचारू करने के लिए कहा है और ऐसा नहीं होने पर टेंडर शर्तों के मुताबिक कार्रवाई करने की बात भी कही है। इधर कंपनी पर आरोप लग रहा है कि वह अपने कर्मचारियों की बात सुनने के बजाय सख्त एक्शन लेने का काम कर रही है जिसके तहत पुराने आंदोलनकारी कर्मचारियों की नौकरी से छुट्टी की बात सामने आ रही है।

केवल संविदाकर्मी घोषित करने की मांग

राजस्थान एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुजाराम सारण ने मीडिया को बताया कि "ये सभी कर्मचारी सरकार से केवल संविदाकर्मी घोषित करने की मांग कर रहे हैं, ये मांग कर रहे हैं कि ठेका प्रथा ख़त्म करो लेकिन सरकार इनकी सुनवाई नहीं कर रही। इस कारण मजबूरी में इन्हें आंदोलन करना पड़ रहा है जिसके चलते मरीज़ों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। इन सब के लिए सरकार और ठेका कंपनी ज़िम्मेदार है।"

सारण ने कहा कि "मुख्यमंत्री ने कर्मचारी हितों की बहुत सारी घोषणाएं की थीं। इनमें ठेका प्रथा समाप्ती की महत्वपूर्ण घोषणा भी शामिल थी, लेकिन मुख्यमंत्री खुद अपने वादे पर अमल करने से पीछे हट रहे हैं।"

ध्यान रहे कि राजस्थान के एम्बुलेंस कर्मी पिछले करीब एक दशक से ठेका प्रथा बंद करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को स्थाईकरण का लाभ मिलता है लेकिन एम्बुलेंस कर्मियों को आज भी बेहद कम वेतन में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

"ठेका कंपनी का शोषण और सरकार की अनदेखी"

आंदोलनकारी एम्बुलेंस कर्मियों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि उन्हें इस महत्वपूर्ण आपात सेवा के लिए महज़ 8 से 10 हज़ार रूपये प्रति महीने मिलते हैं, जो आज की महंगाई के हिसाब से घर चलाने के लिए बहुत कम है। इनका ये भी कहना है कि राजस्थान UTB यानी अर्जेंट टेंपरेरी बेसिस कर्मचारियों के समान ही इनका काम है लेकिन इनके मानदेय में ज़मीन-आसमान का अंतर है। यूटीबी में लगे लोगों की सैलरी सरकार ने बढ़ाकर 37 हज़ार कर दी है, जबकि इन्हें वही 8-10 हज़ार पर संघर्ष करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि राजस्थान में ‘104' और ‘108' एक एक जीवनदायनी इमरजेंसी सेवा है, जिस पर लोग आपातकालीन स्थिति में एम्बुलेंस की सुविधा के लिए कॉल कर सकते हैं। यह सर्विस सरकार द्वारा चलाई जाती है लेकिन इसे निजी कंपनियों द्वारा अनुबंध के जरिए संचालित किया जाता है। इसका प्रदेश के हेल्थ केयर सिस्टम के इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा अहम रोल है। एम्बुलेंस कर्मियों के संगठन के मुताबिक "प्रदेश में 6200 एम्बुलेंस कर्मी हैं, जो 108 और 104 की 900 एम्बुलेंस में सेवा प्रदान करते हैं। लेकिन इनकी खुद की सेवा, सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। ठेका कंपनी इनका लगातार शोषण कर रही है, तो वहीं सरकार अनदेखी। ऐसे में इनके पास हड़ताल के अलावा अब कोई रास्ता नहीं बचा।" हालांकि इस हड़ताल का असर मरीज़ों एवं सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को भुगतना पड़ रहा है लेकिन एम्बुलेंस कर्मियों का कहना है कि इसकी पूरी ज़िम्मेदारी सरकार है।

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