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विश्लेषण: अपने लक्ष्य से बहुत पीछे है प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच 19 हजार से अधिक गांवों में कुल जारी किये फंड का महज 16 फ़ीसदी ही खर्च हुआ है। उसके कारण योजना के अंतर्गत लगभग सभी मानक लक्ष्य से कहीं पीछे हैं।
PMAGY

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है क्योंकि इसमें कल्याणकारी योजना का फोकस व्यक्तियों पर केंद्रित ना रख कर अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों/गावों में सामूहिक तौर पर समेकित विकास की भावना के अंतर्गत रखा गया हैं।

इस योजना में अन्य मंत्रालयों विभागों के साथ मिलकर सभी ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर, सामाजिक-आर्थिक इंडीकेटर्स में बढ़ोत्तरी करना है, जिसके लिए योजना में अनुसूचित जाति बाहुल्य गांवों में 10 डोमेन के अंतर्गत 50 संकेतकों पर काम होना तय हैं, इन संकेतकों में पेयजल, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण, सामाजिक सुरक्षा, सड़क व आवास, विद्युत व स्वच्छ ईंधन, कृषि पद्धतियां, वित्तीय समावेशन व जीवन यापन, कौशल विकास शामिल हैं।

साथ ही इन गांवों में सामाजिक आर्थिक संकेतकों में भी सुधार होगा ताकि अनुसूचित जाति और गैर अनुसूचित जाति जनसंख्या में असमानता समाप्त कर राष्ट्रीय औसत बढ़ाया जा सके। ऐसे में देश में प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) जैसी योजनाओं की उपयोगिता कही अधिक हो जाती हैं और यह जरुरी हो जाता है कि सरकारें इस तरह की योजनाओं पर विशेष ध्यान दें।

लेकिन योजना के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को और बेहतर बनाने की इस बजाए योजना को लगातार कमजोर करने का काम किया हैं, जिस पर इस लेख में विस्तार से चर्चा करेंगे।

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) एक सेंट्रल स्पॉन्सर्ड योजना है जोकि अनुसूचित जाति बहुल गावों के विकास के लिए पायलट स्तर पर 1000 गावों में 2009-10 में प्रारम्भ हुई थी, उसके बाद वर्ष 2014-15 में इस योजना को 1500 गांव तक विस्तारित किया गया और उसके बाद वर्ष 2018-19 से नई गाइडलाइन के साथ प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) का सतत क्रियान्वयन किया जा रहा हैं, जिसके अंतर्गत 2024-25 तक 27 हजार गांवों को शामिल करना तय किया गया हैं और प्रत्येक गांव को विभिन्न मानकों को पूरा करने के लिए 21 लाख रुपये देना तय हैं | परन्तु यह योजना जब तक निश्चित समय सीमा में अपने उद्देश्य को प्राप्त कर पाती उससे पहले ही वर्ष 2021-22 के बजट में प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) को दो अन्य स्कीम (Special Central Assistance to Scheduled Caste Sub Plan (SCA to SCSP) और Babu Jagjivan Ram Chhatrawas Yojana (BJRCY)) के साथ विलय कर, प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (PM-AJAY) नई योजना का गठन कर दिया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार लगातार अपनी योजनाओं के सफल संचालन के लिए खुद को शाबासी देती नजर आ रही हैं और हाल हीं में केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान केंद्र सरकार के 8 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में 8 साल बेमिसाल कार्यक्रम का आयोजन किया हैं, जिसमे दावा किया गया है कि जन आकांक्षाओं को पूरा करते हुए सभी योजनाओं का सफल आयोजन किया गया हैं | परन्तु केंद्र सरकार का यह दावा कितना हकीकत भरा हैं यह तो योजनाओं के विश्लेषण करने से ही ज्ञात होगा जिससे यह ज्ञात होगा की क्या वाकई देश में हाशिये पर जिंदगी गुजर बसर कर रहे, वंचित एवं पिछड़े लोग सरकारी योजनाओं से लाभान्वित हो रहे है कि नहीं?

केंद्र सरकार की योजनाएं किस हद तक समाज की अंतिम पंक्ति में हाशिये पर जिंदगी गुजर बसर कर रहे लोगों को लाभ पंहुचा रही हैं इसका जायजा प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) के विश्लेषण में देख सकते हैं।

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) का विलय

प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (PM-AJAY) के अंतर्गत केंद्र सरकार ने यह विलय, वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में ही कर दिया था जबकि विलय की सहमति का सर्कुलर 06 जून 2022 को जारी किया गया। तीनों योजनाओं का यह विलय अपने आप में चौंकाने वाला है क्योंकि यह तीनों स्कीम अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है और तीनों की योजनाओं का पृथक-पृथक क्षेत्र और लाभार्थी हैं, ऐसे में जब पहले से ही ये योजनाएं अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पा रही हैं और ऐसे में तीन योजनाओं का एक साथ विलय करने पर बजटीय खर्चे और प्रगति की मॉनिटरिंग सुचारु रूप से कैसे हो पायेगी यह एक महत्वपूर्ण सवाल हैं, इसी मसले पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी द्वारा भी गंभीरता व्यक्त की गयी है और कहा गया है कि “The Committee are also concerned about the performance of each of the Schemes after their merger since there is unified allocation of funds for these three Schemes unless performance is quantified, the success/performance cannot be assessed. The Committee would, therefore like the Department to ensure that all three Schemes are given equal weightage as they are equally important for the welfare of Scheduled Castes. In case there are less proposals under one Scheme, funds should not be utilized on other Scheme rather necessary steps should be taken to ensure that the scheme lagging behind is suitably attended to”.- Page no. 111, Thirty First Report, STANDING COMMITTEE ON SOCIAL JUSTICE ANDEMPOWERMENT (2021-22). हालाँकि प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (PM-AJAY) के अंतर्गत जारी दिशा निर्देशों में बताया गया है कि आदर्श ग्राम योजना पहले से स्वीकृत गाइडलाइन के अनुसार ही संचालित होगी और यह PM-AJAY “आदर्श ग्राम” कॉम्पोनेन्ट के रूप में रहेगी ।

क़रीब 20 हज़ार गांव योजना से बाहर

वर्ष 2011 जनगणना के अनुसार 25 राज्यों के 570 जिलों के करीब 47 हजार ऐसे गांव जिनमें अनुसूचित जाति की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक हैं, और ऐसे गाँवों की संख्या जिनमें 40 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति के लोग निवास करते है उनकी संख्या 76 हजार हैं | इतनी बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति बहुल गांव होने के बावजूद, केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के 500 या उससे अधिक निवास वाले 27 हजार गांवों को वर्ष 2024-25 तक शामिल किया हैं | ऐसे में करीब 20 हजार अनुसूचित जाति बहुल गांव योजना में शामिल होने से रह गए हैं, जबकि उन गांवों में 50 फ़ीसदी तो अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं। कई सरकारी रिपोर्ट, NFHS सर्वेक्षण के आंकड़े और अन्य रिसर्च स्टडी बताती है कि अनुसूचित जाति के वाले गांवों में रहने वाली जनसँख्या का बड़ा हिस्सा रहन-सहन के स्तर, विभिन्न स्वास्थ्य मानकों में, आर्थिकी स्तर और अन्य सामाजिक मानकों में अन्य समुदायों से काफी नीचे है और इतना ही नहीं कल्याणकारी योजनाओं से इनकी पहुँच दूर हैं | इसलिए यह जरूरी है कि केंद्र सरकार गैर ज़रूरी मानकों को बीच में लाकर हाशिये पर जीवन यापन कर रहे लोगों के विकास से उपेक्षा ना करे।

योजना में बजटीय कटौती

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) के पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक 24 राज्यों के कुल 19,270 गांव को शामिल किया गया हैं, जिसमें से 4,158 गांव 2018-19 में, 5,417 गांव 2019-20 में, 3,640 2020-21 में तथा 6,055 गांव 2021-22 में योजना के अंतर्गत चयनित किये गए हैं। प्रत्येक गांव के लिए गाइडलाइन के मुताबिक 21 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गयी है|

स्रोत- प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) पोर्टल पर दिए गए आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण

जिसके हिसाब से वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक, तय मानकों के अनुसार प्रत्येक गांव के लिए 21 लाख रुपये के हिसाब से योजना के अंतर्गत 4,047 करोड़ रूपये जारी किये जाने थे, परन्तु केंद्र सरकार ने इस समयवधि में मात्र 2,345 करोड़ रुपये ही जारी किये, जोकि अपेक्षित फण्ड से 1,702 करोड़ रुपये कम हैं, जारी की गयी धनराशि का वर्षवार विवरण हम यहां दिए गए चार्ट में देख सकते हैं।

अब यदि हम राज्यों द्वारा वास्तविक खर्चे की स्थिति को देखे तो पाते है कि 2018-19 से 2021-22 की अवधि में योजना के पोर्टल पर दी गयी जानकारी के मुताबिक राज्यों द्वारा मात्र 373.5 करोड़ रूपये के उपयोगिता प्रमाण पत्र दिए गए हैं, और बाकी जारी कि गयी धनराशि में से शेष 1,971.42 करोड़ रुपये राज्यों के पास उपलब्ध, जिनके खर्चे का कोई विवरण पोर्टल पर नहीं दिया गया है। उपयोगिता प्रमाण पत्र में खर्चे की जिस धनराशि का विवरण दिया गया है वह 19,270 गांवों के लिए अपेक्षित फण्ड का महज 9 प्रतिशत हैं और जारी किये गए कुल बजट का 16 प्रतिशत।

इस संदर्भ में सही जानकारी प्राप्त करने के लिए न्यूज़क्लिक द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत RTI फाइल कर जानकरी मांगी गयी, जिसके तहत विभाग ने 17 मई 2022 को बताया कि राज्यों को 2014-15 से 2022-23 तक 2,710 करोड़ रुपये जारी किये गए जिसमें से राज्यों द्वारा 2014-15 से 2022-23 तक 849 करोड़ रूपये खर्च किये हैं, इस धनराशि में योजना के पहले चरण में किये गए खर्चे भी शामिल हैं।

RTI में खर्च की गयी धनराशि का वर्षवार वर्गीकरण नहीं दिया गया है, जिसके चलते वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक की अवधि में खर्चे की स्थिति योजना के पोर्टल पर दिए गए आंकड़ों से ही ज्ञात हो सकती है जो कि 373.5 करोड़ रुपये है।

लक्ष्यों को प्राप्त कर, आदर्श गांव बनना कोसों दूर

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) के अंतर्गत मुख्य उद्देश्य है कि, विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक इंडीकेटर्स को दुरुस्त कर अनुसूचित जाति एवं अन्य समुदाय के बीच असामनता को और विभिन्न मानकों को बेहतर कर राष्ट्रीय औसत तक लाया जाए, जिसके लिए योजना के अंतर्गत 10 डोमेन के अंतर्गत 50 संकेतकों पर काम करके गांव को आदर्श गांव के रूप में स्थापित किया जाये। विभाग द्वारा 09 जून 2022 को जारी सर्कुलर के अनुसार आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत दस हजार आदर्श गांवों को स्थापित करने का लक्ष्य दिया है, जिसको सभी राज्यों द्वारा लागू किया जाना है, अब यह देखना होगा की अगले दो माह में 10 हजार आदर्श गांवों को कैसे स्थापित किया जायेगा, क्योंकि योजना के अंतर्गत करीब 19 हजार गांवों हैं और जिसमें से 10 जून 2022 तक की स्थिति के अनुसार 13,439 गांवों में ही Need Assessment शुरू हुआ है और जब तक यह अस्सेस्मेंट सभी गांवों का पूर्ण नहीं होगा तब तक मानकों और संकेतकों की सही स्थिति का पता नहीं चल सकता है |

योजना के पोर्टल विभिन्न मानकों और संकेतकों का विवरण दिया हैं, जिसको आप यहां देख सकते हैं

स्रोत- https://pmagy.gov.in/

आपको यहां बता दें कि संकेतकों के जो लक्ष्य यह दिए गए हैं वो अभी 13,439 गांवों के असेस्मेंट के आधार पर हैं, सभी चयनित गांवों का असेसमेंट होने पर लक्ष्यों में बढ़ोतरी हो सकती है।

सकेंतकों के नवीनतम लक्ष्यों और उपलब्धियों को देखने से ज्ञात होता है कि, अभी अधिकांश संकेतक लक्ष्यों से कही पीछे हैं, और वर्तमान स्थिति को देख यह नहीं लगता कि 15 अगस्त 2022 तक दस हजार आदर्श गांवों के स्थापित करने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता हैं |

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) एक बेहतर योजना साबित हो सकती है यदि उसके क्रियान्वयन को केंद्र सरकार गंभीरता से ले, उसके लिए जरुरी है की प्रत्येक गांव के लिए तय मानकों के हिसाब से बजट जारी किया जाए और बजट में कटौती नहीं की जाए, सभी गांवों का असेसमेंट जल्द ही पूर्ण कराया जाए ताकि मानकों और संकेतकों की वास्तविक स्थिति का जायजा लग सके और जरूरत के हिसाब से सही योजना के साथ मानकों को दुरुस्त किया जा सके।

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