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बीएचयू आईआईटी के रिसर्च स्कालर ने की ख़ुदकुशी, उठे कई सवाल

बनारस के भेलूपुर सर्किल के एसीपी प्रवीण कुमार सिंह के मुताबिक, छात्र के कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस सुसाइड की वजह जानने की कोशिश कर रही है। परिजनों को सूचना दे दी गई है।
BHU
फ़ोटो : PTI

वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में आईआईटी के एक शोध छात्र कुलदीप ने खुदकुशी कर ली। सुसाइड करने की वजह अभी तक साफ नहीं हो सकी है। करीब सात महीने पहले ही कुलदीप की शादी हुई थी। अगले महीने उसकी फेलोशिप बंद होने वाली थी, क्योंकि उसका शोध कार्य जल्द ही पूरा होने वाला था। नौकरी नहीं मिलने की वजह से वह काफी दिनों से परेशान था।

मुजफ्फरनगर जिले के खखेड़ी गांव का मूल निवासी और दिल्ली के सागरपुर, दुर्गा पार्क का रहने वाला कुलदीप सिंह (32) बीएचयू आईआईटी के एसएन बोस हॉस्टल के कमरा नंबर-88 में रहता था। तनाव के चलते वह 25 जून 2023 की रात गले में फंदा पंखे से झूल गया। हॉस्टल के छात्रों की सूचना पर लंका थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस के सामने छात्रों ने कमरे का दरवाजा तोड़ा और शव को फंदे से नीचे उतारा गया। कुलदीप के सुसाइड करने की वजह साफ नहीं हो सकी है। पुलिस का अनुमान है अवसाद के चलते उसने फांसी लगाई होगी।

एसएन बोस हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के मुताबिक कुलदीप आईआईटी के गणित विज्ञान विभाग का शोधार्थी था। हॉस्टल के छात्रों ने उसके कमरे का दरवाजा शाम छह बजे के बाद खुलते हुए नहीं देखा। कमरे की लाइट भी नहीं जल रही थी। रात करीब 10 बजे कुलदीप का रूम पार्टनर यशवीर किसी काम से आया और काफी खटखटाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला। इस पर यशवीर और अन्य छात्रों को शंका हुई। छात्रों ने अपने वार्डेन के साथ ही पुलिस को भी सूचना दी।

लंका थाने की पुलिस के आने पर छात्र कुलदीप के कमरे का दरवाजा तोड़ कर अंदर घुसे तो वह गमछे और रस्सी से बने फंदे के सहारे पंखे से लटका हुआ था। बनारस के भेलूपुर सर्किल के एसीपी प्रवीण कुमार सिंह के मुताबिक, ''छात्र के कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस सुसाइड की वजह जानने की कोशिश कर रही है। परिजनों को सूचना दे दी गई है। उनके आने पर ही शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा।''

हॉस्टल के छात्रों के मुताबिक, ''पिछले साल नवंबर महीने में कुलदीप की शादी हुई थी। शोधकार्य आखिरी चरण में होने की वजह से उसकी फेलोशिप अगले माह बंद होने वाली थी, जिसके चलते वह आर्थिक संकट से घिरा हुआ था।'' कुलदीप बेहद मेधावी और मिलनसार युवक था। उसने आत्महत्या क्यों की, यह सवाल अभी अनुत्तरित है। पुलिस उसके मोबाइल का कॉल डिटेल खंगाने की कोशिश में जुटी है।

उल्लेखनीय है कि करीब एक साल पहले आईआईटी बीएचयू के छात्र भगवान सिंह ने विश्वेश्वरैया हॉस्टल में पंखे से लटकर आत्महत्या कर ली थी। वह हाथरस में पिछौती गांव का रहने वाला था। उसके किसान पिता कृष्ण कुमार सिंह ने बताया था कि ''दो दिन पहले प्लेसमेंट का रिजल्ट घोषित हुआ था। उसमें बेटे का सेलेक्शन नहीं हुआ था। इस वजह से वह काफी टेंशन में आ गया था। वह काफी परेशान था।'' जबकि साथी छात्रों ने कहा, ''प्लेसमेंट हुआ था, मगर कंपनी और पैकेज मन मुताबिक नहीं मिला।''

कोटा, दिल्ली से लेकर बनारस तक होनहार छात्रों का इस तरह ख़ुदकुशी करना हमारे समाज, शिक्षा व्यवस्था और प्रशासन सभी के लिए चिंता और चुनौती का विषय बन गया है।

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