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बेलूर कॉलेज ने संस्कृत विभाग में मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति की

रमजान अली ने मंगलवार से बेलूर कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा ‘‘प्राचार्य स्वामी शास्त्राज्ञानदाजी महाराज तथा अन्य सभी ने मेरा स्वागत किया... महाराज ने कहा कि मेरी धार्मिक पहचान का कोई मतलब नहीं है। कुछ मायने रखता है तो वह है भाषा पर मेरी पकड़, उसे लेकर मेरा ज्ञान और इस ज्ञान को छात्रों के साथ साझा करने की मेरी क्षमता।’’
ramzan ali
फोटो साभार : Times of India

कोलकाता : कोलकाता के बाहरी क्षेत्र में स्थित एक कॉलेज ने संस्कृत विभाग में एक मुस्लिम व्यक्ति को सहायक प्राध्यापक के रूप में नियुक्त किया है। यह नियुक्ति ऐसे वक्त की गई है, जब उत्तर प्रदेश स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में संस्कृत के एक अध्यापक की धार्मिक पहचान को लेकर विवाद चल रहा है।

रमजान अली नाम के व्यक्ति की नियुक्ति बेलूर के रामकृष्ण मिशन विद्यामंदिर में की गई है। उनके पास उत्तर बंगाल के एक कॉलेज में नौ वर्ष अध्यापन करने का अनुभव है।

अली ने कहा कि छात्रों और संकाय सदस्यों की ओर से किए गए गर्मजोशी भरे स्वागत से वह अभिभूत हैं।

अली ने मंगलवार से बेलूर कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘प्राचार्य स्वामी शास्त्राज्ञानदाजी महाराज तथा अन्य सभी ने मेरा स्वागत किया... महाराज ने कहा कि मेरी धार्मिक पहचान का कोई मतलब नहीं है। कुछ मायने रखता है तो वह है भाषा पर मेरी पकड़, उसे लेकर मेरा ज्ञान और इस ज्ञान को छात्रों के साथ साझा करने की मेरी क्षमता।’’

बीएचयू में चल रहे विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि संस्कृत भारत की समावेशी प्रवृत्ति, समृद्ध परंपरा को परिलक्षित करती है। यह मत भूलिए कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। कोई भी व्यक्ति दूसरे धर्म के लोगों को संस्कृत के पठन-पाठन से कैसे रोक सकता है?’’

उल्लेखनीय है कि बीएचयू के कुछ छात्र संस्कृत विभाग में फिरोज खान नाम के व्यक्ति की सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, बीएचयू के अधिकारी उनके (खान के) समर्थन में हैं फिर भी वह अभी तक कक्षा नहीं ले सके हैं।

रामकृष्ण मिशन विद्यामंदिर में संस्कृत विभाग के एक छात्र ने कहा कि किसी भी शिक्षक की धार्मिक पहचान पर सवाल उठाना अनुचित है।
बहरहाल, इस विषय पर टिप्पणी के लिये कॉलेज के प्राचार्य से संपर्क नहीं हो पाया।

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