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सावधान: पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो और ऑनलाइन ठगी-फ़रेब

ऑनलाइन ग्राहकों और सेवाएं लेने वाले उपभोक्ताओं को अनेकों तरह से ठगा जाता है। फोटो कुछ और डिलिवरी कुछ और जैसे मामले आपने सुने होंगे। आज हम बात करेंगे इस डिजिटल ठगी-फ़रेब में पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो की भूमिका बारे में।
सावधान: पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो और ऑनलाइन ठगी-फ़रेब

डिजिटल युग में ठगी और फरेब भी डिजिटल हो गये हैं। ऑनलाइन ग्राहकों और सेवाएं लेने वाले उपभोक्ताओं को अनेकों तरह से ठगा जाता है। फोटो कुछ और डिलिवरी कुछ और जैसे मामले आपने सुने होंगे। फ़र्ज़ी वेबसाइट बनाकर वीज़ा, पासपोर्ट और लोन आदि का झांसा देकर ठगने वाले उदाहरण आपने सुने होंगे। इन सबको संभव बनाने में फोटो की बड़ी भूमिका है। आज हम बात करेंगे इस डिजिटल ठगी-फरेब में पासपोर्ट साइज़ फोटो की भूमिका बारे में।

आमतौर पर जब आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो उसकी रेटिंग और रिव्यू पढ़ते हैं। अगर किसी कंपनी से सेवाएं ले रहे हैं तो उपभोक्ताओं का फीडबैक और टेस्टीमनी पढ़ते हैं कि कंपनी के साथ उनका क्या अनुभव रहा है। ठीक यहीं पर पासपोर्ट साइज़ फोटो की भूमिका आ जाती है। ये कंपनियां अपनी वेबसाइट पर झूठी टेस्टीमनी और फीडबैक लगाती हैं और इन्हें प्रामाणिक और सत्य दिखाने के लिये पासपोर्ट साइज़ फोटो का इस्तेमाल करती है। इसे उदाहरण के जरिये समझते है। उदाहरण के लिये हम ये दो फोटो लेते हैं जो नीचे दिये गये हैं। इन दो पासपोर्ट साइज़ फोटो से ऑनलाइन क्या-क्या खेल किये गये है और इन फोटो की खुद की कहानी क्या है? आइये, देखते हैं।

पहले फोटो की कहानी

करियर काउंसलर वेबसाइट पर लड़की का नाम मुस्कान बताया गया है। ये इनकी इंजीनियरिंग की छात्रा रही है और हैप्पी स्टुडेंट्स की लिस्ट में शामिल है। Adeyl.com ऑनलाइन एजुकेशन वेबसाइटट में इन्हें नफीसा हकीम बताया है और ये इनकी ए ग्रेड स्टुडेंट है। academic wordpress वेबसाइट पर इन्हें अफ़रोज़ा बताया गया है ये इनकी दसवीं कक्षा की छात्रा है। कानून की शिक्षा दे रहे एक कोचिंग सेंटर की वेबसाइट पर ये फोटो पूर्वा गुप्ता के नाम से मौजूद है। डीटीसी मूवर्स एंड पैकर्स वेबसाइट पर ये फोटो सीमा मिश्रा के नाम से मौजूद हैं और इन्होंने कंपनी की सेवाओं बारे अपना फीडबैक दिया है। विदेश में पढ़ाई का सपना दिखा रही एजुकेशन कंसलटेंसी वेबसाइट स्टडी युरोप की वेबसाइट पर ये फोटो अलफिया मलिक के नाम से दर्ज है और ये जॉर्जिया में पढ़ रही है। अगर आपको हर दूसरी एजुकेशन वेबसाइट पर ये फोटो मिल जाए तो हैरान मत होना।

अब बात करते हैं इस फोटो की वास्तविकता की कि आखिर ये फोटो है किसका। freelancer.com वेबसाइट पर पासपोर्ट साइज़ फोटो की एक प्रतियोगिता की गई थी जिसमें इस फोटो की प्रविष्टि बांग्लादेश से हुई थी। इसे अच्युत कुमार मित्रा नाम के फ्रीलांस फोटोग्राफर ने अपलोड किया था। ये फोटो कॉपीराइट फ्री है।

दूसरी तस्वीर की कहानी

पहली तस्वीर की ही तरह दूसरी तस्वीर भी अलग-अलग वेबसाइट पर अलग-अलग नाम के साथ मौजूद है और उत्पादों और सेवाओं बारे फीडबैक दे रही है। digivelocityindia डिजिटल मार्केटिंग कंपनी की वेबसाइट पर ये तस्वीर रवि के नाम से मौजूद है। Areena Group कंसल्टेंसी कंपनी की वेबसाइट पर ये तस्वीर संजीव साहा आइटी मैनेज़र के नाम से है और इन्होंने कंपनी की सेवाओं बारे अपनी फीडबैक दिया है। सैम्को लैब की वेबसाइट पर ये फोटो रोहित शर्मा के नाम से मौजूद है। वीकेएमसी यानी विद्याकिरन मेडि कंसल्टेंट वेबसाइट पर ये तस्वीर रोहित यादव के नाम से मौजूद हैं। इन्होंने अपना फीडबैक दिया है और एयर एंबुलेंस की सेवाएं लेने का अनुभव सांझा किया है। कृष्णा डेंटा क्योर दांतों का हस्पताल है। उनकी वेबसाइट पर ये तस्वीर रजत सिंह के नाम से मौजूद है। इन्होंने डॉक्टरों और नर्सों के व्यवहार की तारीफ की है। Royal Movers and Packers की वेबसाइट पर सुमित कुमार के नाम से ये तस्वीर मौजूद है और इन्होंने कंपनी की सेवाओं बारे अपना फीडबैक दिया है। नक्षत्र अकेडमी ने तो कमाल ही कर दिया है। अकेडमी ने उन विद्यार्थियों को बधाई दी है जिन्होंने इस अकेडमी से कोचिंग ली और यूपीएससी पास किया। इस सूची में ये तस्वीर भी है।

इस तस्वीर के बारे में खोज करने पर पिंटरेस्ट पर Khawajazad नाम से एक अकाउंट मिला। जिस पर ये तस्वीर मौजूद है। इस अकाउंट पर इसी व्यक्ति की और तस्वीरें भी हैं और प्रोफाइल में भी इसी व्यक्ति की फोटो है। तो प्रतीत होता है कि वास्तविक तस्वीर इसी व्यक्ति की है और यहीं से ली गई है।

मामला बस यहीं तक सीमित नहीं है

अगर आप सिर्फ रेटिंग और फीडबैक देखकर किसी कंपनी के बारे में निर्णय ले रहे हैं तो सावधान रहने की ज़रूरत है। मामला सिर्फ फर्ज़ी फीडबैक तक ही सीमित नहीं है बल्कि इन तस्वीरों का इस्तेमाल पैसे की ठगी में भी हो रहा है। आपको लोन, वीज़ा, पासपोर्ट, लॉटरी आदि के फोन आते होंगे। ये आपको बताते हैं कि आपका लोन अप्रूव हो गया है और प्रोसेस शुरु करने के लिए आपसे कुछ दस्तावेज़ और फीस मांगते हैं। आपको कंपनी या बैंक असली लगे और आपको लगे की आप किसी वास्तविक और प्रामाणिक कर्मचारी से बात कर रहे हैं, इसके लिए ये आपको अपना कंपनी का पहचान-पत्र भेजते हैं। इन पहचान-पत्रों में इसी तरह के कॉपिराइट फ्री पासपोर्ट साइज़ फोटो का इस्तेमाल किया जाता है। पहचान-पत्र देखकर आप पैसे दे देते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं। उदाहरण के लिए नीचे दिये गये दो पहचान- पत्र देखिये जिन्होंने लोन बाज़ार के फ़र्ज़ी पहचान-पत्र बनाकर, एक उपभोक्ता को लोन का झांसा देकर 28 हज़ार से ज्यादा ठग लिये हैं। इन पहचान-पत्रों में इन्हीं दो तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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