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बाइडेन को रूस से संबंध का पूर्वानुमान

रूसी और चीनी रणनीतियों में समानताएं हैं और संभवतः उनमें परस्पर एक समन्वय भी है। 
Georgia
18 अक्टूबर, 2021 को त्बिलिसी में जॉर्जिया रक्षा और प्रतिरोध संवर्धन पहल को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर करते जॉर्जियाई रक्षा मंत्री जुआनशेर बर्चुलडेज़ (दाएं) और अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन (बाएं)। 

रूस के विदेश मंत्रालय की इस घोषणा के साथ कि वह 1 नवंबर से नाटो सैन्य संपर्क मिशन को निलंबित कर देगा, मॉस्को ने पुराने और भव्य ट्रान्साटलांटिक एलायंस को सोमवार को समाप्त कर दिया। इसके साथ ही, उसने आठ रूसी राजनयिकों की मान्यता वापस लेने के नाटो के फैसले के जवाब में अपने इन कर्मचारियों को वापस बुला लिया है। 

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, "अगर नाटो के पास (विचार के लिए) कुछ जरूरी मामले होंगे, तो वह बेल्जियम में हमारे राजदूत से संपर्क कर सकता है।" 

मैड्रिड में 29-30 जून को अगले नाटो शिखर सम्मेलन के लिए बहस शुरू हो गई है। नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने मैड्रिड की एक हालिया यात्रा के दौरान कहा कि मैड्रिड शिखर सम्मेलन नाटो की अगली रणनीतिक अवधारणा को अपनाएगा "जो नए सुरक्षा वातावरण को प्रतिबिंबित करेगा" और ट्रान्स-अटलांटिक गठबंधन के 2030 के एजेंडे का उद्देश्य रूस के "आक्रामक व्यवहार में बढ़ोतरी" एवं चीन के "अपनी आर्थिक शक्ति के जरिए दूसरों को डराने, उन्हें अपने पक्ष में झुकाने" से "अधिक अप्रत्याशित और खतरनाक होती दुनिया" को बचाने और मध्य-पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और साहेल में अस्थिरता को फैलने से रोकना है। 

नाटो की योजना अफ़ग़ानिस्तान में मिली शिकस्त से पैदा हुई मौजूदा उदासी को दूर कर इससे आगे बढ़ने की है। रही रूस की बात तो, नाटो के साथ उसकी बातचीत की संवेदनात्मक तरलता इस गंभीर क्षण के आने के बहुत पहले ही सूख चुकी थी। नाटो-रूस संस्थापना अधिनियम 1977 से ही मृतप्रायः है, जब मास्को और पश्चिम के बीच संबंधों में एक गहरा ठंडापन आ गया था। 

लेकिन ऐसी स्थितियों में हमेशा एक टिपिंग पॉइंट होता है, जब छोटे-छोटे बदलाव मिल कर बड़े परिवर्तन लाते हैं। अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन का ब्रसेल्स (अक्टूबर 21-22-) में नाटो मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने जाने के रास्ते में जॉर्जिया, यूक्रेन और रोमानिया का क्षेत्रीय दौरा निश्चित रूप से ऐसे ही हुआ है। 

ऑस्टिन की टिप्पणियों ने सुझाव दिया कि रूस को घेराव में लेने के एक नए चाप में ट्रांसकेशिया (यानी दक्षिण काकेशस। यह पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया की सीमा पर स्थित एक भौगोलिक क्षेत्र है, जो दक्षिणी काकेशस पहाड़ों में फैला हुआ है। दक्षिण काकेशस में मोटे तौर पर आधुनिक आर्मेनिया, जॉर्जिया और अजरबैजान देश शामिल किए जाते हैं और इन्हें कोकेशियान राज्य के रूप में भी जाना जाता है। दक्षिण काकेशस और उत्तरी काकेशस मिलकर बड़े काकेशस भौगोलिक क्षेत्र बनाते हैं, जो यूरेशिया को विभाजित करता है।) को भी शामिल करने का प्लान है। ऑस्टिन ने दावा किया कि “रूसी आक्रामकता” से उन्हें हमेशा परहेज था। रोमानिया में अपने दौरे के अंतिम चरण में, ऑस्टिन ने दावा किया, "काला सागर की सुरक्षा और स्थिरता अमेरिका के राष्ट्रीय हित में है और नाटो के पूर्वी हिस्से की सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है।" वहीं पेंटागन ने कहा कि ऑस्टिन का दौरा "रूसी आक्रमण के बरअक्स अमेरिका के अपने सहयोगियों और भागीदारों को उनकी अपनी संप्रभुता के प्रति आश्वस्त करने की अमेरिकी प्रतिबद्धता यह एक तरीका है।" शक्ति की गत्यात्मकता बदल रही है। 

दूसरी तरफ, रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने बुधवार को आरोप लगाया कि अमेरिकी सेना ने "यूरोप में नाटो सहयोगियों को पूर्ण समर्थन देने के साथ ही सामरिक परमाणु हथियारों और उनके भंडारण स्थलों के आधुनिकीकरण का काम तेज कर दिया है।" उन्होंने कहा कि "रूस की विशेष चिंता का एक कारण ब्लॉक के गैर-परमाणु सदस्य देशों के पायलटों को सामरिक परमाणु हथियारों को नियोजित करने के अभ्यास में शामिल कराना है। हम इसे परमाणु हथियार अप्रसार संधि का सीधा उल्लंघन मानते हैं।" 

यह तय है कि रूस जवाबी कार्रवाई करेगा। शोइगू ने उपरोक्त टिप्पणी उस समय की जब ईरानी सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ के प्रमुख जनरल मोहम्मद हुसैन बघेरी 4 दिवसीय हाई-प्रोफाइल यात्रा पर रूस आए हुए थे। शोइगु ने बघेरी को बताया कि रूस ईरान के साथ "गतिशील और बहुमुखी" सैन्य सहयोग बनाए रखने के लिए तैयार है।  उन्होंने अन्य बातों के साथ-साथ अफगानिस्तान में एवं "पड़ोसी राज्यों के क्षेत्र में सीरिया-शैली के सहयोग का एक प्रस्ताव भी रखा।" 

शोइगु और रूसी जनरल स्टाफ के प्रमुख वालेरी गेरासिमोव के साथ बातचीत करने एवं सेंट पीटर्सबर्ग में रूसी नौसेना के मुख्यालय और क्रोनस्टाट में सैन्य प्रतिष्ठानों के दौरे के बाद, बघेरी ने संतोष व्यक्त किया कि "निकट भविष्य में हथियारों के समझौते और उनके कार्यान्वयन के परिणाम हमारे संबंधों को गहराई देंगे।" 

रूस को घेरने की अमेरिकी रणनीति नई नहीं है। यह तात्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में नाटो विस्तार की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से बहुत सुसंगत रूप में चली आ रही है। हाल ही में सावर्जनिक की गई पश्चिमी अभिलेखीय सामग्री मास्को के इस दावे की पुष्टि करती है कि तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री जेम्स बेकर और जर्मन चांसलर हेल्मुट कोहल ने सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाच्योव को तब मौखिक रूप से आश्वस्त किया था कि शीत युद्ध बाद नाटो पूरब में अपने ढांचे में "एक इंच" का भी विस्तार नहीं करेगा। 

क्लिंटन के बाद, राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 2003 आते-आते एकतरफा फैसला लेते हुए एबीएम संधि से अमेरिका को बाहर कर लिया, जबकि (सोवियत संघ के साथ 1972 में किए गए यह एंटी बैलास्टिक मिसाइल) संधि वैश्विक सुरक्षा की एक आधारशिला थी, जो संभावित प्रतिद्वंद्वी की परमाणु क्षमता को निष्क्रिय करके उसकी एवज में सामरिक लाभ प्राप्त करने की जटिल सुरक्षा मैट्रिक्स पर आधारित है। 

जार्ज बुश के परवर्त्ती राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूस के पश्चिमी सैन्य जिले की ठीक परिधि पर रोमानिया और पोलैंड में मिसाइल शील्ड की तैनाती की योजना बनाई। ओबामा 2012 में तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव से किए अपने इस वादे से मुकर गए कि वे अपने दूसरे कार्यकाल के लिए चुन कर आने के बाद मास्को के साथ मिसाइल रक्षा तैनाती पर आम सहमति पर पहुंचेंगे। 

ओबामा के उत्तराधिकारी डोनाल्ड ट्रम्प ने इंटरमीडिएट रेंज की मिसाइलों पर प्रतिबंध लगाने वाली आइएनएफ (INF) संधि से अमेरिका को बाहर कर लिया। टूटे वादों के इस मलबे का सर्वेक्षण करते हुए, आज अमेरिका-रूस संबंधों का विरोधाभास यह है कि जहां वर्तमान राष्ट्रपति जोए बाइडेन रूस के साथ चुनिंदा जुड़ाव से संतुष्ट हैं और "पूर्वानुमान" की तलाश में हैं, वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन अमेरिकी नीति को इसके संभावित विषैलेपन में भी अत्यधिक अनुमेय मानते हैं लेकिन वे बातचीत को रचनात्मक मान कर प्रसन्न भी हैं। 

पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शायद यहां एक ही पृष्ठ पर हैं। दिलचस्प बात यह है कि पुतिन ने हाल ही में चीन पर कुछ लंबी बात की थी। पिछले हफ्ते रूसी एनर्जी वीक इंटरनेशनल फोरम में पुतिन ने कहा, "जहां तक मैं चीनी दर्शन को समझ सका हूं, उसमें राज्य निर्माण और शासन की प्रक्रिया तो शामिल है, लेकिन इसमें बल प्रयोग की बात नहीं है। 

पुतिन ने कहा, "मेरा मानना है कि चीन को बल प्रयोग करने की जरूरत भी नहीं है। चीन एक विशाल और शक्तिशाली अर्थव्यवस्था है। वह अपनी क्रय शक्ति समानता के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए आज दुनिया की सिरमौर अर्थव्यवस्था बन गई है। चीन इस क्षमता का निर्माण करके अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम है, और मुझे यहां कोई खतरा नहीं दिख रहा है।" पुतिन ताइवान का जिक्र कर रहे थे। 

दक्षिण चीन सागर के बारे में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि जहां कहीं भी "मिश्रित हितों के खेल खेला जा रहा है, उस क्षेत्र के प्रत्येक देश को गैर-क्षेत्रीय शक्तियों के हस्तक्षेप के बिना सभी विवादास्पद मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय कानून और बातचीत के बुनियादी नियम-कायदों के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से हल करने का मौका दिया जाना चाहिए। मेरा मानना है कि इसकी पूरी की पूरी संभावना है और इसका पूरी तरह से दोहन नहीं किया जा सका है।”

रूसी और चीनी रणनीतियों में समानताएं हैं-और, संभवतः, समन्वय में भी एकरूपता है। इसलिए ही, व्हाइट हाउस में एक नया मंत्र "जिम्मेदार प्रतिस्पर्धा" उच्चरित हो रहा है। बाइडेन को अपने घरेलू एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, जो उनके 2024 में अपने दूसरा कार्यकाल हासिल करने के लिहाज से निर्णायक है। 

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बृहस्पतिवार को खुलासा किया कि अमेरिका के राजनीतिक मामलों के विदेश मंत्री विक्टोरिया नुलैंड, जिन्होंने हाल ही में मास्को का दौरा किया था, उन्होंने पुतिन-बाइडेन की एक और शिखर बैठक के लिए "विभिन्न विकल्पों और कुछ साझा समझ पर पहुंचने" को लेकर चर्चा की। 

यह पूछे जाने पर कि क्या इस साल पुतिन-बाइडेन की एक और बैठक की संभवना है, पेसकोव ने कहा, "यह एक या किसी अन्य प्रारूप के लिहाज से यथार्थवादी है" और फिर कहा कि क्रेमलिन सहयोगी यूरी उशाकोव और नुलैंड निकट भविष्य में शीर्ष स्तर पर आगे के संवाद की संभावनाओं के संदर्भ में कुछ समझदारी पर पहुंचे हैं।” 

(एमके भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वे उज्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत थे। आलेख में व्यक्त विचार उनके निजी हैं।) 

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 
Biden Gets Predictability in Russia Ties

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