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यूक्रेन के अस्तित्व को लेकर बाइडेन की बढ़ती घबराहट!

"आखिरकार रहस्य उजागर हो गया है-अमेरिका अपनी वैश्विक दादागिरी को बरकरार रखने के लिए यूक्रेन में लड़ रहा है।"
ukraine

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन क्रिसमस मास के दौरान, कैथेड्रल चर्च, क्रेमलिन, मास्को, में 7 जनवरी, 2023 को भाग लेते हुए।

संयुक्त राज्य अमेरिका के 'अपरिहार्य' विश्व शक्ति होने के नाते, बेल्टवे में द्विदलीय सहमति के लिए आमतौर पर नव- रूढ़िवादी या न्यू-कंजरवेटिवस को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जो 1970 के दशक से लगातार प्रशासन में अमेरिकी विदेश और सुरक्षा नीति की प्रेरक शक्ति रहे हैं।

शनिवार को वाशिंगटन पोस्ट में छपे एक लेख (ऑप-एड) में, जिसका शीर्षक ‘टाइम इज़ नॉट ऑन यूक्रेन्स साइड’ है और जिसके सह-लेखक जॉर्ज डब्ल्यू बुश के दौरान विदेश मंत्री रही कोंडोलीज़ा राइस और रक्षा सचिव रॉबर्ट गेट्स (जिन्होंने बुश और बराक ओबामा दोनों के अधीन काम किया था) हैं और उन्होने उक्त मिसाल पर प्रकाश डाला है।

राइस और गेट्स शीत युद्ध के मजबूत योद्धा रहे हैं, जो रूस के खिलाफ नाटो-युद्ध को लेकर बड़े उत्साहित हैं। लेकिन उनकी शिकायत यह है कि राष्ट्रपति बाइडेन को यूक्रेन में 'नाटकीय' रूप से कदम उठाने चाहिए।

लेख(ऑप-एड) उन दो विश्व युद्धों की याद दिलाता है, जिन्होंने विश्व शक्ति के रूप में अमेरिका के वर्चस्व को चिह्नित किया और चेतावनी दी थी कि 1990 के बाद से अमरीका के नेतृत्व वाली 'नियम-आधारित व्यवस्था' जो अमरीका के वैश्विक वर्चस्व का कोड वर्ड है - यदि बाइडेन यूक्रेन में विफल हो जाते हैं तो यह वर्चस्व संकट में आ जाएगा।

राइस और गेट्स अप्रत्यक्ष रूप से इस बात को स्वीकार करते हैं कि अब तक यूक्रेन में विजयी होने के पश्चिमी नैरेटिव के विपरीत, रूस जीत की दहलीज़ पर नज़र आ रहा है। ज़ाहिर है, आगे रूस के अधिक आक्रामक होने की चुनौती से उनकी नसों में लहू तेज़ दौड़ने लगा है।

स्पष्ट रूप से, यह लेख(ऑप-एड), अमरीकी राजनीति के लिए प्रासंगिक है। सदन के अध्यक्ष को लेकर उत्पन्न गतिरोध और उसके नाटकीय परिणाम, और रिपब्लिकन के बीच खुली राजनीतिक लड़ाई, अब और 2024 के चुनाव के बीच एक निष्क्रिय कांग्रेस का पूर्वाभास कराती है।

केविन मैककार्थी, जिन्हे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का समर्थन हासिल था, वे अंततः जीत गए हैं, लेकिन यह जीत जीओपी की लोकलुभावन विंग को कई रियायतें देने के बाद आई है, जिसने उनके अधिकार को कमज़ोर किया है। एपी ने रिपोर्ट किया है कि, "उंगलियां उठाई गईं, शब्दों का आदान-प्रदान हुआ और हिंसा, गनीमत है कि स्पष्ट रूप से बस टल गई.....यह एक कड़वे गतिरोध का अंत था जिसने अमरीकी लोकतंत्र की ताकत और कमज़ोरी दोनों को दिखाया है।"

क्रेमलिन के एक वरिष्ठ राजनेता ने पहले ही इस पर टिप्पणी की थी। नए सदन के अध्यक्ष के रूप में चुनाव के बाद मैककार्थी ने खुद अपने बयान में एक मजबूत अर्थव्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता, मैक्सिकन सीमा के माध्यम से अवैध आप्रवासन का मुकाबला करने और चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने की अपनी प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध किया है, लेकिन यूक्रेन की स्थिति या कीव को धन उपलब्ध कराने के किसी भी संदर्भ का ज़िक्र नहीं किया है।

दरअसल, इससे पहले नवंबर में, उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि सदन में रिपब्लिकन, यूक्रेन को दी जा रही असीमित और अनुचित वित्तीय सहायता का विरोध करेंगे।

अब, राइस और गेट्स ने ट्रम्प के नज़दीक चलने से इंकार कर दिया है। जबकि, एक हारे हुए खिलाड़ी ट्रम्प, अभी भी एक सक्रिय खिलाड़ी बने हुए हैं। अमरीकी राजनीति में उनकी एक बड़ी उपस्थिति है और उनका कार्यात्मक नियंत्रण है और वे आज भी रिपब्लिकन पार्टी में अब तक की सबसे बड़ी आवाज़ बने हुए है। यकीनन, जो आज जीओपी को परिभाषित करता है वह ट्रम्प है। इसलिए, मैक्कार्थी को उनका समर्थन नतीजों से भरपूर होने वाला है।

बाइडेन इस बात को समझते हैं। स्पष्ट रूप से, राइस-गेट्स के लेख(ऑप-एड), व्हाइट हाउस और अमरीकी सुरक्षा प्रतिष्ठान की सहमति से आया है और नव-रूढ़िवादियों ने इसे लिपिबद्ध किया है। ये लेख(ऑप-एड) बाइडेन और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ के 5 जनवरी के संयुक्त बयान के अगले दिन यूक्रेन के साथ उनकी 'अटूट एकजुटता' को रेखांकित करते हुए दिखाई दिया।

बाइडेन के अत्यधिक दबाव में, पिछले हफ्ते, जर्मनी और फ्रांस यूक्रेन को इन्फैंट्री फाइटिंग व्हीकल्स प्रदान करने के लिए झुक गए। शोल्ज़ इस बात पर भी सहमत हुए कि जर्मनी, यूक्रेन को एक अतिरिक्त पैट्रियट वायु रक्षा बैटरी की आपूर्ति करेगा। (बर्लिन में एसपीडी के एक शीर्ष नेता ने तब से इस पर आपत्ति जताई है।)

उसी दिन जब लेख(ओप-एड) छपा, पेंटागन ने असामान्य रूप से शनिवार को लौरा कूपर, जो रूस, यूक्रेन, यूरेशिया के लिए अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के उप-सहायक सचिव हैं, ने एक प्रेस ब्रीफिंग की। कूपर ने स्पष्ट रूप से कहा कि यूक्रेन में युद्ध से अमरीका की वैश्विक स्थिति को खतरा है :

"समग्र सामरिक दृष्टिकोण के आधार पर, यदि पुतिन को यूक्रेन पर कब्ज़ा करने के अपने उद्देश्य को हासिल करने में सफल होना था, तो विनाशकारी परिणामों पर ज़ोर देना कठिन है। यह अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को एक तरह से फिर से बनाएगा जिसे हमने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से नहीं देखा है। इन लाभों को पलटने, एक राष्ट्र की संप्रभुता का समर्थन करने और उसके साथ खड़े होने की हमारी क्षमता कुछ ऐसी है जो न केवल यूरोप में, बल्कि पूरे विश्व में गूंजती है।"

आखिरकार, रहस्य उजागर हो गया है –अब अमरीका अपने वैश्विक वर्चस्व को बनाए रखने के लिए यूक्रेन में लड़ रहा है। यह संयोग है या नहीं, कीव में एक सनसनीखेज़ साक्षात्कार में, यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने भी सप्ताहांत में कहा था कि कीव जानबूझकर खुद को नाटो के मामले में मास्को के साथ उलझ कर व्यापक संघर्ष में फंस गया है!

उसे उद्धृत करते हुए, “मैड्रिड में (जून 2022) नाटो शिखर सम्मेलन में, स्पष्ट रूप से यह बात कही गई थी कि आने वाले दशक में, गठबंधन के लिए प्रमुख खतरा रूसी संघ होगा। आज यूक्रेन इस खतरे को खत्म कर रहा है। हम आज नाटो के मिशन को अंजाम दे रहे हैं। वे अपना खून नहीं बहा रहे हैं बल्कि हम अपना बहा रहे हैं। इसलिए उन्हें हमें हथियारों की आपूर्ति जारी रखने की ज़रूरत है।"

सोवियत सेना के एक पूर्व अधिकारी रेज़निकोव ने दावा किया है कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से इस प्रभाव से, पश्चिमी रक्षा मंत्रियों से छुट्टी के ग्रीटिंग कार्ड और टेक्स्ट संदेश प्राप्त हुए हैं। रेज़निकोव ने भी जोर देकर कहा कि यूक्रेन की नाटो सदस्यता पक्की है। और दांव इससे ऊंचा नही हो सकता है

दरअसल, शनिवार को पेंटागन ने यूक्रेन को  बाइडेन प्रशासन के 'राष्ट्रपति ड्रॉडाउन' से अब तक के सबसे बड़े सुरक्षा सहायता पैकेज की घोषणा की है। ज़ाहिर है, बाइडेन प्रशासन सभी पड़ावों को पार कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक और बैठक 13 जनवरी को निर्धारित की गई है।

लेकिन पुतिन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि "रूस एक गंभीर बातचीत के मामले में अभी भी खुलेतौर पर तैयार है - इस शर्त के साथ कि कीव के अधिकारी उन मांगों को पूरा करें जिन्हे बार-बार दोहराया गया है, और वे नई क्षेत्रीय वास्तविकताओं को पहचानें।"

जहाँ तक युद्ध की बात है, डोनबास से ख़बरें बेहद चिंताजनक हैं। 'सोलेडर' रूसी हाथों में है और वैगनर लड़ाके बखमुत  के आसपास फंदा कस रहे हैं जोकि डोनबास में एक रणनीतिक संचार केंद्र और यूक्रेनी तैनाती के लिंचपिन  है।

दूसरी ओर, उम्मीदों के विपरीत, मास्को रूस के अंदर छिटपुट नाटकीय यूक्रेनी ड्रोन हमलों को लेकर बेपरवाह है। रूसी जनता पुतिन का दृढ़ता से समर्थन करती है।

रूसी सेना के कमांडर, जनरल सर्गेई सुरोविकिन ने तथाकथित 'संपर्क रेखा' की किलेबंदी को प्राथमिकता दी है, जो यूक्रेनी पलटवारों के खिलाफ प्रभावी भी साबित हो रहा है।

पेंटागन 'सुरोविकिन ' की भविष्य की रणनीति को लेकर आश्वस्त नही हैं। 2016 में सीरिया के 'अलेप्पो' से नाटो अधिकारियों को बेदखल करने में उनकी शानदार सफलता के बारे में वे जानते हैं, घेराबंदी और संघर्षण युद्ध सुरोविकिन की विशेषता है। लेकिन यह कोई कभी नहीं जानता है कि बेलारूस में एक टिकाऊ रूसी बिल्ड-अप या सेना की तैनाती चल रही है। वहां एस-400 और इस्कंदर मिसाइल सिस्टम तैनात किए गए हैं। बेलारूस पर नाटो (पोलिश) का हमला अब यथार्थवादी नहीं है।

4 जनवरी को, पुतिन ने दुर्जेय फ्रिगेट एडमिरल गोर्शकोव के साथ "अत्याधुनिक ज़िरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली, जिसका कोई एनालॉग नहीं है," और इसके साथ ही "अटलांटिक और भारतीय महासागरों में एक लंबी दूरी की नौसैनिक मिशन" के साथ नए साल की शुरुआत की है।"

एक सप्ताह पहले, बोरेई-ए क्लास(Borei-A class) की छठी मिसाइल ले जाने वाली रणनीतिक परमाणु-संचालित पनडुब्बी, द जनरलिसिमस सुवोरोव, रूसी नौसेना में शामिल हो गई है। ऐसी पनडुब्बियां 16 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल 'बुलावा' को ले जाने में सक्षम हैं।

युद्ध के कोहरे ने रूसी इरादों को ढँक दिया है। राइस और गेट्स ने चेतावनी दी है कि समय रूस के पक्ष में काम कर रहा है: "यूक्रेन की सैन्य क्षमता और अर्थव्यवस्था अब लगभग पूरी तरह से पश्चिम - मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका पर निर्भर है। एक और बड़ी यूक्रेनी सफलता और रूसी सेना के खिलाफ सफलता के अभाव में, युद्धविराम पर बातचीत करने के लिए यूक्रेन पर पश्चिमी दबाव सैन्य गतिरोध के महीनों के बीतने के साथ और बढ़ेगा। मौजूदा परिस्थितियों में, किसी भी तरह की बातचीत से संघर्ष विराम रूसी सेना को मजबूत स्थिति प्रदान करेगा। "

यह एक दोटूक और स्पष्ट मूल्यांकन है। शुक्रवार को 'शोल्ज़' को बाइडेन द्वारा किए गए फोन से उनके मन के भीतर की घबराहट और गुस्सा नज़र आता है। अमेरिका के भीतर राजनीतिक वर्ग में विखंडन के साथ, बाइडेन अपनी संगठित एकता में भी दरार को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।

मज़े की बात यह है कि 2 हफ्ते पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दैनिक ग्लोबल टाइम्स में एक शीर्ष रूसी पंडित एंड्री कोर्तुनोव के एक लेख में मुख्य ज़ोर इस बात पर था कि अमरीकी घरेलू संकट यूक्रेन को अमरीकी सार्वजनिक चर्चा से अलग कर सकता है।

कोर्तुनोव ने लिखा : "भावनाओं को एक तरफ रखकर, किसी को यह स्वीकार करना होगा कि संघर्ष पहले से ही यूक्रेन और रूस के लिए ही नहीं, बल्कि अमरीका के लिए भी अस्तित्व का खतरा पैदा किया है : बाइडेन प्रशासन अमेरिका के प्रति बड़े नकारात्मक प्रभाव का सामना किए बिना और दुनिया भर में अपनी स्थिति के चलते यूक्रेन में हार को स्वीकार नहीं कर सकता है।"

कोर्तुनोव, राइस और गेट्स द्वारा समान मेटाफिज़िकल परसेप्शन प्राप्त करने से लगभग 2 हफ्ते पहले लिख रहे थे। लेकिन नव-रूढ़िवादी अभी तक यह स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं कि विकल्प वास्तव में उन्हें घूर रहा है-बाइडेन, पुतिन के साथ एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की तरफ तैर रहे हैं या संकट में डूब रहे हैं।

(एम॰के॰ भद्रकुमार पूर्व राजनयिक हैं। वे उज्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।)

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Biden’s Existential Angst in Ukraine

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