कोलकाता: वाम-कांग्रेस ब्रिगेड रैली की बड़ी तैयारी
दुर्गापुर / कोलकाता: दुर्गापुर स्टील प्लांट (DSP) में अपूर्वा चौधरी और मोहम्मद निषाद, दोनों संविदा कर्मचारी थे। प्लांट ने प्रक्रियाओं के फिर से किये जा रहे विभाजन और कारखाना परिसर में स्लैग (स्क्रैप) की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए कारखाने को बंद कर दिया था और फिर इन दोनों की नौकरी चली गयी थी।
ये दोनों डीएसपी के कारखाने के फाटक के सामने धरने पर बैठते रहे हैं और अब दोनों 28 फ़रवरी को उस ब्रिगेड रैली में भागीदारी को लेकर दूसरे कारखानों और उद्योगों के श्रमिकों को शामिल करने की योजना बना रहे हैं, जिसे वाम मोर्चा और कांग्रेस ने शुक्रवार को घोषित विधानसभा चुनावों के ठीक दो दिन बाद बुलाया है।
पिछले 50 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि वामपंथी और कांग्रेस ने कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में किसी रैली के लिए एक संयुक्त आह्वान किया हो और आयोजकों को उम्मीद है कि उस रैली में दस लाख से ज़्यादा की भीड़ जुटने जा रही है।
इस बीच रैली के लिए ज़बरदस्त भीड़ जुटाने की तैयारियां ज़ोंरों पर हैं,जहां चुनाव पूर्व गठबंधन के ज़रिये सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जगह वाम-कांग्रेस को "लोगों के विकल्प" की तरह पेश किये जाने की उम्मीद है।
इस ब्रिगेड रैली के आयोजकों में से कुछ का कहना है लगातार चल रहे अभियानों, नुक्कड़ सभाओं, कारखानों के गेट के सामने हो रही बैठकों, जनसभाओं,गाये जा रहे बेशुमार गानों और नौकरी और शिक्षा की मांग करने वाले नौजवानों और छात्र का नबना (नबना हावड़ा ज़िले में स्थित वह इमारत है, जहां पश्चिम बंगाल का अस्थायी राज्य सचिवालय है) की ओर किये गये मार्च के बाद मनोबल ऊंचा है।
इस अभियान में जो एक रंग और जुड़ गया है,वह हिट रैप गीत (टम्पा) का है। यह गीत असल में निचले तबके की संस्कृति की बात करती वह पैरोडी है,जो वायरल हो गया है। इस पैरोडी में लोगों को सब कुछ छोड़कर इस ब्रिगेड रैली में आने का आह्वान किया गया है।
इसके साथ ही इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) के पारंपरिक गाने भी लोगों के साथ गूंज रहे हैं, इन्हीं गानों में से एक गाना वह भी है,जिसे समकालीन संगीतकार की जोड़ी-राहुल और नीलाब्जा ने निचले तबके में इस्तेमाल होने वाले बंगाली शब्दों का इस्तेमाल करते हुए "झुग्गी में रहने वालों और नौजवानों के बीच” जादू पैदा कर दिया है और यह गीत सही मायने में राज्य और केंद्र की क्रमश: टीएमसी और बीजेपी के कुशासन की पैरोडी बन गया है।
इस रैली के कुछ प्रमुख आयोजकों के मुताबिक़,पहले ही राज्य भर में एक हज़ार से ज़्यादा सभायें हो चुकी हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों को ब्रिगेड ग्राउंड तक लोकल ट्रेनों, बसों और अन्य वाहनों से लाने की योजना है।
उत्साहित मनोदेशा
पिछले साल की ब्रिगेड रैली वाम मोर्चा की तरफ़ से बुलायी गयी थी, उस रैली में परिसर के भीतर तक़रीबन रिकॉर्ड 3 लाख रुपये की किताबें बिक गयी थीं। इस साल तो आयोजकों को और भी बड़ी भीड़ जुटने की उम्मीद है।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के कोलकाता ज़िला सचिव कल्लोल मजूमदार ने बताया, "इस साल ब्रिगेड के पूरे इलाक़े में 675 से ज़्यादा माइक लगाये जायेंगे।"
यू-ट्यूब चैनलों और अन्य सोशल मीडिया पर युवा कलाकारों की तरफ़ से इस ब्रिगेड रैली के बारे में सूचना देने वाले 20 गीत पहले से ही प्रदर्शित किये जा चुके हैं।
इस ब्रिगेड परेड ग्राउंड का ज़िक़्र करते हुए माकपा नेता,सुजन चक्रवर्ती कहते हैं कि भारत में कोई भी ऐसा महानगर नहीं है,जिसके बीचोबीच इतनी शानदार खुली-खुली जगह हो। वह कहते हैं कि यह ग्राउंड औपनिवेशिक समय का "शिल्पगत चमत्कार" है।
बुनियादी तौर पर सैन्यदलों के अभ्यास और जुलूस के लिए इस्तेमाल होने वाले इस ग्राउंड की संरक्षक भारतीय सेना है और सभी राजनीतिक दलों को अपनी-अपनी रैलियों के लिए इस जगह का इस्तेमाल करने के लिए सेना से इस शर्त के साथ इजाज़त लेने की ज़रूरत होती है कि सेना को इस ब्रिगेड परेड ग्राउंड को वापस सौंपते समय सभी कूड़े-कचरे साफ़ कर दिये जायेंगे।
बुल्गानिन से मुजीबुर्रहमान तक
कोलकाता का यह ब्रिगेड परेड ग्राउंड कई ऐतिहासिक मौक़ों का गवाह रहा है, मसलन, 1957 में जब तत्कालीन सोवियत राष्ट्रपति निकोलाई बुल्गानिन आये थे, तो रिकॉर्ड के मुताबिक़ इस जगह पर पचास लाख से ज़्यादा लोग जुटे थे। कहा जाता है कि यह रैली भारत में अब तक की सबसे बड़ी रैली है।
इसके अलावा,1971 में इसी ब्रिगेड ग्राउंड में बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश के गठन के बाद भारत को खुले दिल से धन्यवाद दिया था। उस रैली में उनके साथ तब की भारतीय प्रधानमंत्री (दिवंगत) इंदिरा गांधी भी थीं।
उसके बाद से वाम मोर्चे की होती रही रैलियां ही शायद इस ब्रिगेड ग्राउंड में आयोजित होने वाली सबसे बड़ी रैलियां रही हैं।
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री, दिवंगत ज्योति बसु की तरफ़ से ऐसी कई विशाल रैलियां आयोजित की गयी थीं, कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि बसु के भाषणों में "जादू का ताना-बाना" होता था।
2019 की रैली वाम मोर्चा की तरफ़ से आयोजित आख़िरी ब्रिगेड रैली थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की एक झलक देखी गयी थी, मगर बीमार होने की वजह से वह मंच तक नहीं पहुंच पाये थे।
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Big Time Preparations on for Left-Congress Brigade Rally on Feb 28
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