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बिहार : ऐपवा ने बच्ची से दरिंदगी करने वाले सभी आरोपियों को जल्द गिरफ़्तार करने की मांग की

ऐपवा की बिहार इकाई ने मांग की है कि बच्ची से दरिंदगी करने वाले सभी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ़्तार किया जाए और न्याय सुनिश्चित करने के लिए मामले को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए।
aipwa

बिहार के बेगूसराय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन 8 मार्च को एक मासूम बच्ची से दरिंदगी का मामला सामने आया था। इस घटना में एक अन्य बच्ची के साथ बुरी तरह मारपीट की गई थी। इसको लेकर ऐपवा की बिहारी इकाई ने पीड़ित बच्चियों से बेगूसराय के अस्पताल में मुलाकात की और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की।

ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर राधिका मेनन, समस्तीपुर की ऐपवा नेता वंदना व किरण आदि के नेतृत्व में ऐपवा की एक उच्चस्तरीय टीम ने 12 मार्च 2023 को बेगूसराय के सदर अस्पताल का दौरा कर उन दो बच्चियों से मुलाकात की जिनके साथ विगत 8 मार्च को सामूहिक बलात्कार की क्रूरतम घटना को अंजाम दिया गया था।

बेगूसराय से लौटने के बाद जांच टीम ने सोमवार को पटना में संवाददाता सम्मेलन में पूरे मामले पर अपनी रिपोर्ट पेश की। इस सम्मेलन में शशि यादव व राधिका मेनन के साथ ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे भी उपस्थित थीं।

ऐपवा की टीम ने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में बताया कि पीड़िता के माता-पिता और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ टीम ने घटना को लेकर चर्चा की। टीम ने पाया कि "घटना के बाद इलाके में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के भी प्रयास किए गए, जिसे सामाजिक कार्यकर्ताओं की त्वरित कार्रवाई के जरिए नाकाम कर दिया गया। 8 मार्च को जब पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा था और दोपहर बाद जब होली समारोह समाप्त हो रहा था तब बेगूसराय के साहेबपुर कमाल ब्लॉक में दो छोटी बच्चियों के साथ चौंकाने वाली क्रूरता को अंजाम दिया गया। 6 वर्षीय खुशबू (बदला हुआ नाम) और 9 वर्षीय समीरा (बदला हुआ नाम) हर दिन की तरह, राजकीय मध्य विद्यालय के खेल के मैदान में झूला झूल रही थी। तभी एक व्यक्ति जिसकी पहचान छोटू के रूप में की गई उसने बबलू कुमार और दो अन्य लोगों के साथ उन बच्चियों को खेल के मैदान में पकड़ लिया और उनके साथ मारपीट शुरू कर दी। उनके चेहरे दीवार से टकरा गए थे। समीरा ने बचाव में हमलावरों से लड़ना शुरू कर दिया। उसके सिर पर हमला किया गया और उसकी गाल को तब तक चीरा गया जब तक कि उसके दांत बाहर नहीं निकल आए। वह चीखते हुए किसी तरह भाग निकली। बोल पाने में अक्षम खुशबू इन घटनाओं को देखकर हैरान थी। वह विरोध करने में असमर्थ थी। उसे स्कूल के शौचालय में घसीट कर ले जाया गया और उसके साथ क्रूरता की गई।”

ऐपवा की टीम ने बताया कि जब टीम सदर अस्पताल में उन पीड़ितों से मुलाकात की तो समीरा के चेहरे और सिर पर पट्टी बंधी हुई थी। उसके साथ उनकी मां और दादा थे। मां बीड़ी बनाकर अपने घर का खर्च चलाती हैं। वहीं दादा बेरोजगार हैं। समीरा के 8 अन्य भाई-बहन हैं। उसके पिता ड्राइवर हैं। अस्पताल में दूसरे बिस्तर पर खुशबू लेटी हुई थी। उसकी दोनों आंखें खून से सनी हुई थी और उसका माथा उस जगह पर उभरा हुआ था जहां उसे मारा गया था। 8 मार्च की दोपहर 3 बजे हुई घटना के बाद से उसने बोलना बंद कर दिया है। उसके 6 अन्य भाई-बहन हैं, जिनमें से चार विकलांग हैं। उसकी मां, उसके साथ थी। मां को उसके पति ने छोड़ दिया है। वह अपने गरीब परिवार को पड़ोसियों से प्राप्त भोजन के तौर पर मिलने वाली मदद से चलाती हैं।

ऐपवा ने रिपोर्ट में बताया कि, "नामजद उपरोक्त दोनों अपराधी स्कूल के पास ही चाय और पान की दुकानें चलाते हैं। बच्चों के परिजन और गांव वाले उन्हें लुम्पेन के रूप में जानते रहे हैं जो गुंडों के साथ घुमते थे और नशीले पदार्थ बेचते थे। ऐसी भी खबरें थीं कि बबलू के पिता ने दावा किया कि उनका बेटा बजरंग दल का कार्यकर्ता और मीडिया का आदमी था। दो अन्य आरोपी फरार है। इनका नाम समीरा नहीं जानती है, लेकिन उन्हें पहचान सकती है।"

क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा बताए गए घटनाओं के क्रम से संकेत मिलता है कि खुशबू हमलावरों के चंगुल से छूटने के बाद वहां से भागी और ग्रामीणों को इसकी जानकारी दी। जब ग्रामीणों ने खुशबू को देखा तो उसके सिर और कूल्हों के आसपास खून बह रहा था। उसे संभवतः हमलावरों द्वारा मृत मान लिया गया था।

टीम की रिपोर्ट के अनुसार, "आक्रोशित भीड़ ने गुंडों के अड्डे को तहस-नहस कर दिया। हालांकि, सामाजिक कार्यकर्ताओं के हस्तक्षेप से सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की कोशिश टल गई। शांति समितियों का गठन किया गया और पीड़ितों के लिए न्याय पर ध्यान केंद्रित किया गया। स्थानीय विरोध के कारण प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी। इसके बाद से अस्पताल में परिवार को पुलिस सुरक्षा दी गई है। विरोध करने पर जिला अस्पताल प्रशासन ने भी कार्रवाई करते हुए बच्चियों का इलाज कराया। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने यह भी उल्लेख किया कि इस तरह की दो और घटनाएं पहले भी गांव में हो चुकी हैं।"

ऐपवा की मांग है कि :

1. दोनों फरार बलात्कारियों की तत्काल तलाश कर गिरफ्तारी की जाए।

2. बिना देर किए न्याय सुनिश्चित करने के लिए मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए।

3. बच्चियों की सुरक्षा, शिक्षा सुनिश्चित की जाए।

4. स्कूल के स्थानों को सुरक्षित बनाएं और आसपास की गतिविधियों को ऐसी गतिविधियों से मुक्त करें जिनसे बच्चों को खतरा हो।

6. स्कूल के पास नशीले पदार्थों का ठिकाना चलाने के लिए अपराधियों को दिए जा रहे राजनीतिक संरक्षण और नौकरशाही संरक्षण की जांच की जाए।

7. सांप्रदायिक घृणा फैलाने के लिए बजरंग दल पर आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए जिसने संभवतः बच्चों तक के खिलाफ घृणा का माहौल बनाने की कोशिश की।

8. बच्चियों के परिवारों को पुनर्वास के लिए मुआवजे के रूप में 25 लाख रुपये प्रदान करें।

9. बच्चियों के ठीक होने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए सर्वोत्तम स्वास्थ्य देखभाल और पोस्ट ट्रॉमा परामर्श की सुविधा हो।

ऐपवा का मानना है कि समाज की सुरक्षा समाज के सबसे गरीब और सबसे कमजोर बच्चियों की सुरक्षा से ही निर्धारित होती है। भविष्य की त्रासदियों को टालने के लिए प्रशासन को उपरोक्त मांगों को पूरा करना चाहिए।

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