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उपचुनाव: 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर घमासान… INDIA और NDA दोनों की परीक्षा?

उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा समेत देश की 7 विधानसभा सीटों पर 5 सितंबर को उपचुनाव होना है। जिनके नतीजे 8 सितंबर को आएंगे। ये नतीजे बताएंगे कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा के लिए ‘इंडिया’ और 'एनडीए' कितना तैयार हैं।
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‘इंडिया’ या 'एनडीए’.. 2024 में कौन? इस सवाल का जवाब अपने पक्ष में पाने के लिए देश के सियासी दलों को अभी कई पड़ाव पार करने हैं। जिसमें इसी साल होने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम राज्यों के चुनाव शामिल हैं। लेकिन उससे भी पहले देश के 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव ये बताएंगे कि किस दल की तैयारी कितनी है।

त्रिपुरा की दो और केरल, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की एक-एक सीट पर 5 सितंबर यानी मंगलवार को वोट डाले जाएंगे। इसके नतीजे 8 सितंबर को आएंगे। जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं:

घोसी (उत्तर प्रदेश)

डुमरी (झारखंड)

पुथुपल्ली (केरल)

बॉक्सनगर(त्रिपुरा)

धनपुर(त्रिपुरा)

धूपगुड़ी (पश्चिम बंगाल)

बागेश्वर (उत्तराखंड)

इन सभी विधानसभा सीटों में सबसे ज़्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश के घोसी सीट की है, क्योंकि ये सीट जीतने के बाद राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 80 सीटों पर अपना दावा मज़बूती से रख सकेंगे, और यही कारण है कि इस एक सीट के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर अखिलेश यादव तक मैदान में उतर आए हैं। वहीं कांग्रेस ने इसी उपचुनाव से ‘इंडिया’ गठबंधन की एकता का संदेश देना शुरू कर दिया है, और ऐलान कर दिया है कि वो अपना प्रत्याशी उतारने की बजाय समाजवादी पार्टी को समर्थन देंगे।

साल 2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी फागू चौहान ने माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को हराकर चुनाव जीता था। इसके बाद फागू बिहार के राज्यपाल बनाए गए और इस्तीफा देने से खाली हुई सीट पर 2019 में उपचुनाव हुआ। इसमें भाजपा प्रत्याशी के रूप मे विजय राजभर ने सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को हरा दिया। इसके बाद साल 2022 में भाजपा से इस्तीफा देकर पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान सपा में शामिल हुए। जब विधानसभा चुनाव हुए तब दारा सिंह चौहान सपा की ओर से घोसी विधानसभा सीट पर विजय राजभर के सामने प्रत्याशी बनाए गए, और जीत हासिल कर ली। लेकिन प्रदेश में सरकार भाजपा की बनी तो दारा सिंह चौहान ने एक साल पूरे होते-होते फिर से पाला बदल दिया और विधायकी के साथ-साथ सपा से इस्तीफा देकर फिर से भाजपा में शामिल हो गए। यही कारण है कि इस सीट पर उपचुनाव होने जा रहे हैं।

यानी अब दारा सिंह चौहान फिर से घोसी सीट से प्रत्याशी होंगे लेकिन भाजपा की ओर से और इनका मुकाबला सपा के सुधाकर सिंह से होगा।

जिन जातियों का समीकरण बिठाकर दोनों दल चुनाव लड़ने के लिए इतना ज़ोर लगा रहे हैं, मऊ की घोसी विधानसभा के बारे में वो समीकरण क्या कहता है?

इस सीट पर दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं, कुल 4 लाख 70 हजार की आबादी वाले घोसी विधानसभा में करीब 1 लाख की आबादी दलितों की है। दलितों के बाद यहां मुसलमानों की संख्या करीब 60 हजार की है। समाजवादी पार्टी का मजबूत स्तंभ कहे जानें वाला यादव वोट बैंक 40 हजार के आसपास है। 40 हजार राजभर हैं, निषाद करीब 15 हजार, चौहान (लोनिया) करीब 43 हजार, राजपूत करीब 15 हजार और कुर्मी करीब 5500 हैं। हालांकि, इसके अलावा भी कई जातियां निर्णायक भूमिका में हैं।

इन सब में एक नाम ओम प्रकाश राजभर का ज़िक्र कर देना बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि भाजपा में भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का सियासी भविष्य भी इसी चुनाव से तय हो जाएगा। घोसी सीट पर राजभर वोट लगभग 40 हजार हैं, ओमप्रकाश राजभर के मुताबिक पिछले चुनाव में वो सपा के साथ थे, इसलिए सपा घोसी जीतने में कामयाब रही थी। ओमप्रकाश पिछड़ी जाति से आते हैं, घोसी सीट पर वो अपनी मजबूत पकड़ की दावेदारी करते हैं, उपचुनाव की जीत हार ओमप्रकाश राजभर का दावा कितना मजबूत है यह तय कर देगी और साथ ही ओमप्रकाश का भाजपा गठबंधन में कद भी तय करेगी।

इसके बाद बात झारखंड की डुमरी विधानसभा की...

इस सीट पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की उम्मीदवार बेबी देवी का सीधा मुकाबला एनडीए की उम्मीदवार यशोदा देवी से है। ‘इंडिया’ में शामिल पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी झामुमो के इस दावे के बीच कि ‘इंडिया’ अपनी जीत की यात्रा डुमरी से शुरू करेगा, यह सीट दोनों गठबंधनों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई है। वहीं, एनडीए ने विश्वास जताया है कि वह झामुमो से सीट छीनने के लिए पूरी तरह तैयार है।

आपको बता दें कि अप्रैल में पूर्व शिक्षा मंत्री और झामुमो विधायक जगरनाथ महतो की मृत्यु के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी है। महतो 2004 से ही इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। झामुमो ने महतो की पत्नी बेबी देवी को ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है। जबकि ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन यानी आजसू पार्टी ने यशोदा देवी को एनडीए का उम्मीदवार बनाया है।

केरल की पुथुपल्ली विधानसभा

केरल की पुथुपल्ली विधानसभा सीट पर मुकाबला वाम दलों वाले गठबंधन एलडीएफ, कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन यूडीएफ और भाजपा के बीच है। एलडीएफ की ओर से जैक सी थॉमस मैदान में हैं, यूडीएफ ने चांडी ओमन को उम्मीदवार बनाया है। वह पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत नेता ओमन चांडी के बेटे हैं।भाजपा की ओर से जी लिजिन लाल उम्मीदवार हैं।

आपको बता दें कि कांग्रेस के दिग्गज नेता ओमन चांडी के निधन के कारण दक्षिणी राज्य की पुथुपल्ली सीट पर चुनाव होना है।

इस सीट पर जीत के लिए कांग्रेस के लिए दिग्गजों ने प्रचार किया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और पार्टी सांसद शशि थरूर जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के अलावा इसकी राज्य इकाई के प्रमुख के सुधाकरन, विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन और रमेश चेन्निथला ने अहम भूमिका निभाई।

त्रिपुरा की बॉक्सनगर और धनपुर विधानसभा

त्रिपुरा में टिपरा मोथा पार्टी का कहना है कि यहां उपचुनाव के लिए वह किसी भी राजनीतिक दल को कोई समर्थन नहीं कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि मौजूदा विधायक समसुल हक के निधन और प्रतिमा भौमिक के इस्तीफे के रहते त्रिपुरा में बॉक्सानगर और धनपुर सीटों पर उपचुनाव होगा।

बात बॉक्सानगर निर्वाचन क्षेत्र की करें तो ये सीपीआई (एम) का गढ़ माना जाता है। यहां भाजपा के तफज्जल हुसैन का मुकाबला लेफ्ट पार्टी के मिजान हुसैन से होगा। मिज़ान बॉक्सनगर सीपीआई (एम) विधायक हक के बेटे हैं जिनका निधन हो गया है।

वहीं कभी कम्युनिस्टों का मजबूत गढ़ रहे धनपुर में भाजपा की बिंदू देबनाथ और सीपीआई (एम) के कौशिक देबनाथ के बीच कड़ा मुकाबला होगा। इस सीट से दो निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड़ेंगे। सिपाहीजला जिला मजिस्ट्रेट के अनुसार दोनों सीटों पर कुल 110 बूथों में से 34 को संवेदनशील के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहां अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल की धूपगुड़ी विधानसभा

इंडिया गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता बना रहा है, लेकिन राज्य में स्थिति अलग है। यहां पर ‘इंडिया’ का महत्वपूर्ण घटक दल तृणमूल कांग्रेस, भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस और माकपा के गठजोड़ के खिलाफ भी चुनाव लड़ रहा है।

इस सीट पर उम्मीदवारों की बात करें तो टीएमसी की ओर से निर्मल चंद्र रॉय मैदान में हैं। वहीं, भाजपा नेता और उम्मीदवार तापसी रॉय कंधों पर सीट बचाए रखने की ज़िम्मेदारी होगी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की ने ईश्वर चंद्र रॉय उम्मीदवार बनाया है।

इसी साल की शुरुआत में भाजपा विधायक विष्णुपद राय का निधन हो गया था, तभी से ये धूपगुड़ी विधानसभा सीट खाली पड़ी है। चाय बागानो के लिए प्रसिद्ध जलपाईगुड़ी जिले की यह सीट कृषकों का क्षेत्र है। जहां राजबंशी और मतुआ समुदायों की काफी आबादी है, जिन्होंने 2021 के चुनावों में भाजपा को वोट दिया था। इस निर्वाचन क्षेत्र में करीब 15 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी है।

उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा सीट

26 अप्रैल को कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास के निधन के बाद बागेश्वर विधानसभा सीट खाली हुई थी। बागेश्वर विधानसभा आरक्षित सीट है। इस सीट से चंदन रामदास लगातार चार बार चुनाव जीते थे। धामी सरकार में पहली बार उन्हें परिवहन और समाज कल्याण विभाग का मंत्री बनाया गया था। मंत्री बनने के दौरान से ही चंदन रामदास बीमार चल रहे थे। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर है।

भाजपा की ओर से उम्मीदवार बनाई गईं पार्वती दास के सामने अपने दिवंगत पति चंदन रामदास की सीट बरकरार रखने की चुनौती है। जबकि कांग्रेस ने इस उपचुनाव के लिए बसंत कुमार को मैदान में उतारा है। बसंत कुमार पहले आम आदमी पार्टी में थे और उम्मीदवार घोषित होने से कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए थे।

इन सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव के बाद जब 8 सितंबर को नतीजे आएंगे, तब ‘इंडिया’ गठबंधन की अंदरूनी एकता का पता चलेगा, साथ में उत्तर प्रदेश की घोसी सीट के नतीजे ये भी बता देंगे कि गठबंधन में अखिलेश यादव का कद क्या रहने वाला है। इसके अलावा एनडीए भी अपने गठबंधन साथियों के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करेगा। ताकि ये संदेश दिया जा सके, जनता का विश्वास अब भी एनडीए पर कायम है।

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