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बिहार में माकपा विधायक अजय कुमार पर दूसरी बार जानलेवा हमला

विधायक अजय कुमार पर एक ही महीने में हुए दूसरे जानलेवा हमले के खिलाफ़ और दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग को ले कर माकपा ने सोमवार को बिहार में राज्यव्याप की घोषणा की है।
बिहार में माकपा विधायक अजय कुमार पर दूसरी बार जानलेवा हमला

पटना: शनिवार को विभूतिपुर से भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) माकपा के विधायक अजय कुमार पर एक माह के अंदर दूसरी बार जानलेवा हमला हुआ। रात करीब 11 बजे लगभग एक दर्जन से अधिक मोटरसाइकिल सवार अपराधियों ने माकपा के समस्तीपुर दफ्तर पर हमला कर दिया। हमले में अंगरक्षक की सूझबूझ से अजय कुमार किसी प्रकार बच गए लेकिन खुद उसे गंभीर चोटें आईं हैं। माकपा दफ्तर में खड़े वाहन को भी अपराधियों ने बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है।

बिहार विधानसभा में माकपा विधायक दल के नेता अजय कुमार ने घटना का विवरण देते हुए बताया, "मैं रोज अपनी गाड़ी, जिला पार्टी दफ्तर में लगाकर नजदीक स्थित अपने घर पैदल चला जाता था। 29 मई को उस दिन शाम 6 बजे पार्टी ऑफिस आया तो देर तक यहीं रह गया। रात होने पर मैंने घर फोन कर दिया कि आज ऑफिस में ही खाकर सो जाएंगे। परन्तु रात 10.30 बजे के करीब दर्जनों अपराधी ऑफिस का गेट जोर-जोर से पीटने लगे। जब मेरे अंगरक्षक ने यह सब देखा तो मुझे किसी तरह बचाया। उन लोगों का इरादा ऑफिस से घर जाने के दौरान घात लगाकर हमला करने का रहा होगा, लेकिन संयोग से मैं पार्टी दफ्तर में ही रुक गया अतः अपराधियों ने ढूंढते हुए यहीं आकर हमला कर दिया।"

विधायक के गार्ड अनिल राम ने बताया है कि "लगभग 12 से 15 की संख्या में लोग विधायक अजय कुमार के पार्टी कार्यालय पर पहुंचे और बाहर खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। जब उन्होंने रोकने का प्रयास किया तो अपराधियों ने उनके साथ भी मारपीट की। अपराधी विधायक को निशाना बनाने का प्रयास कर रहे थे। सीपीआई (एम ) के विधायक अजय कुमार उस वक्त, स्टेशन रोड स्थित, पार्टी कार्यालय में ही मौजूद थे।"

ज्ञातव्य हो कि अजय कुमार पर इसी माह के प्रारंभ में 2 मई को मोटर सवार गुंडों ने हमला किया था। उस वक्त भी अजय कुमार बाल-बाल बचे निकले थे। उस दिन उन पर उजियारपुर थाना क्षेत्र के गांव योगीपुर चौक के पास हमला हुआ था। उस समय विधायक अपने विधायकी क्षेत्र विभूतिपुर से दलसिंहसराय होते हुए समस्तीपुर आ रहे थे। उस वक्त हमले के मामले में माकपा का एक प्रतिनिधिमंडल समस्तीपुर के एसपी ( सुप्रिडेण्टेन्ट ऑफ पुलिस) मानवजीत सिंह ढिल्लो से मिला था। प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं ने उजियारपुर में बाइक सवार बदमाशों की पहचान कर गिरफ्तारी की मांग की थी। एसपी ने माकपा नेताओं की मांग पर उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया था। 

परन्तु, इस हमले के 10 दिनों में ही दोबारा एक और बड़ा जानलेवा हमला हो गया। समस्तीपुर जिला कमिटी ने अपने बयान में कहा "माकपा और अजय कुमार जिले में बढ़ते अपराध, भ्रष्टाचार, गरीबों को बसाने के लिए व अन्य ज्वलंत मुद्दों पर एक तरफ संघर्ष हो रहे हैं तो दूसरी ओर सामंती जमींदार अपराधी गठजोड़ खुलेआम नंगानृत्य कर रहा है। इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।"

माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य अरुण कुमार मिश्रा ने घटना की तीव्र शब्दों में निंदा करते हुए कहा, “समस्तीपुर जिला ऑफिस पर राजनीतिक विरोधियों और निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा बाइक सवार गुंडों का उपयोग कर माकपा विधायक अजय कुमार की हत्या का प्रयास कर रही है। अजय कुमार अपने क्षेत्र में मौजूद व्यापक भ्रष्टाचार के खिलाफ निरन्तर आवाज उठाते रहने की के कारण विभूतिपुर और उसके नजदीकी प्रखंडों के भ्रष्ट तत्वों के निशाने पर काफी समय से हैं।" 

अरुण मिश्रा ने अजय कुमार की हत्या में उच्च स्तर पर रची जा रही साजिश की ओर इशारा करते हुए कहा "भाड़े के गुंडों द्वारा किये गए ये हमले इस बात की ओर इशारा करते हैं कि उच्च स्तर पर साजिश रची जा रही है और इसकी समुचित जांच होनी चाहिए। अजय कुमार के सुरक्षाकर्मी ने बहादुरी से मुकाबला करते हुए अजय कुमार की जान बचाई।" 

माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने भी हमले की निंदा करते हुए कहा" माकपा राज्य सचिव मंडल के सदस्य तथा विधायक दल के नेता पर जानलेवा हमला निंदनीय है। कुछ सप्ताहों के अंदर ये दूसरा हमला है। हमलावरों की अविवम्ब गिरफ्तारी हो और उनके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएं। राज्य सरकार अजय कुमार और बेहतर सुरक्षा मुहैया कराकर इस बात की जांच कराए की इस किस्म की घटनाओं की क्यों बार-बार पुनरावृत्ति हो रही है।"

हमले के अगले दिन समस्तीपुर SP का घेराव माकपा द्वारा किया गया। घेराव में माकपा के बिहार राज्य सचिव अवधेश कुमार, केन्द्रीय कमिटी सदस्य अरुण कुमार मिश्रा, माकपा राज्य सचिव मंडल सदस्य ललन चौधरी, श्याम भारती, राज्य कमिटी सदस्य मनोज प्रसाद सुनील सरीखे माकपा नेताओं के अलावा सीपीआई के बखरी विधायक सूर्यकांत पासवान ने भी हिस्सा लिया। इस घेराव के पश्चात समस्तीपुर एस. पी ने प्रतिनिधिमंडल को 48 घंटे का समय कार्रवाई के लिये माँगा है। 

समस्तीपुर जिला भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी) के सबसे मजबूत इलाकों में रहा है। विभूतिपुर सामंती तत्वों के विरुद्ध लंबे संघर्षों का केंद्र रहा है। दर्जनों कार्यकर्ताओं व नेताओं की हत्या हुई है। बिहार में लगभग चार दशकों से भी अधिक वक्त तक यहां भूमि, मजदूरी, सामंती जुल्म के खिलाफ संघर्ष चलता रहा है। इन्हीं वजहों से माकपा लगातार यहां से विधानसभा के लिए जीत हासिल करती रही है। संघर्ष के इस इलाके से माकपा का विधायक 10 सालों बाद चुना गया है। उससे पूर्व में भी 1990 से 2010 तक लगातार माकपा का प्रतिनिधि विधानसभा के लिए विजयी होता रहा है। भूमि संघर्षों को रोकने के लिए सामन्तो की गुंडा वाहिनी लंबे समय से सक्रिय रही हैं और उसने न सिर्फ कार्यकर्ताओं को बल्कि माकपा के बड़े नेताओं की भी हत्या की गई है। 

13 जून 1978 को पंचायत चुनाव के दौरान उदय शंकर सिंह की हत्या का से जो सिलसिला शुरू हुआ वह आज तक जारी है। अजय कुमार हमला उसी की नवीनतम कड़ी है। मारे गए बड़े नेताओं में रामनाथ महतो, गुणेश्वर सिंह उर्फ गुना सिंह, वीरेंद्र सिंह प्रमुख हैं। उसके बाद सरीखे नेता व सैंकड़ो कार्यकर्ताओं की हत्या के गई। 

विभुतिपुर इलाके से आने वाले सामाजिक कार्यकर्ता कुलभूषण के अनुसार "सीपीआई(एम) ने गुंडों का मुकाबला बड़ी कठिन परिस्थितियों में किया है। अपराधियों व हत्यारों से सुरक्षा के लिए एक हाथ में हथियार तो दूसरे में लेनिन की किताब लेकर उसने संघर्ष किया है। इन्हीं वजहों से आज तक पार्टी इस इलाके में तमाम दमन, उत्पीड़न के बाद टिकी हुई है। अपराधियों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे।"

विधायक अजय कुमार पर हमले की निंदा तमाम वामपंथी व लोकतांत्रिक दलों जिसमें सीपीआई, सीपीआई (एमएल-लिबरेशन), सीपीआई (एमएल- रेडस्टार) के अलावा, एस. यू.सी.आई ( कम्युनिस्ट), राष्ट्रीय जनता दल ने की।

वाम दलों पर नजर रखने वाले रत्नेश कुमार ने कहा "विभूतिपुर तथा आसपास में सी.पी.एम. ने जमीन की लंबी लड़ाई लड़ी है। विधायक बनने के बाद कॉमरेड अजय लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। इस इलाके के सारे भ्रष्ट लोग उनको हटाने के लिए एकजुट होकर हमले कर रहे हैं। सी.पी.एम. की राज्य इकाई ने पहले भी कॉमरेड अजय पर हमले की आशंका के तहत उनके सुरक्षा की मांग नीतीश कुमार से की थी। नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार को ऐसा फैलाया है कि जो भी बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलेगा उसपर खतरा आना ही आना है। "

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