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छत्तीसगढ़ : यात्री ट्रेनों के रद्द होने से नाराज़गी, 12 और 13 सितम्बर को 'रेल रोको आंदोलन'

छत्तीसगढ़ नागरिक सुरक्षा मंच उसलापुर रेलवे स्टेशन पर 12 को रेल रोको आंदोलन करेगा, तो वहीं 13 सितम्बर को कांग्रेस प्रदेश के सभी 33 ज़िलों में रेल रोको आंदोलन करेगी।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : flicker

छत्तीसगढ़ में यात्री ट्रेनों के लगातार निरस्तीकरण और लेट- लतीफ से परेशान आम लोगों के हक़ के लिए नागरिक सुरक्षा मंच और कांग्रेस ने रेल मंत्रालय के खिलाफ आंदोलन कर मोर्चा खोलने का ऐलान किया है। आगामी मंगलवार, 12 सितंबर को छत्तीसगढ़ नागरिक सुरक्षा मंच बिलासपुर जोन के उसलापुर रेलवे स्टेशन पर रेल रोको आंदोलन करेगा, तो वहीं बुधवार, 13 सितंबर को कांग्रेस प्रदेश के सभी 33 जिलों में रेल रोको आंदोलन करने की घोषणा कर चुकी है। नागरिक संगठन और कांग्रेस पार्टी का कहना है कि रेल प्रशासन छत्तीसगढ़ के लोगों से भेदभावपूर्ण बर्ताव कर रहा है। आए दिन यात्री गाड़ियों को रोककर माल गाड़ियों को पास किया जाता है, इसके अलावा अक्सर कोई न कोई गाड़ी कैंसल हो जाती है, जिससे आम लोगों काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है।


बता दें कि आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला की एक आरटीआई का हवाला देते हुए कांग्रेस ने दावा किया है कि बीते साढ़े तीन सालों में छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली 67 हजार से अधिक ट्रेनें कैंसिल की गई हैं। केंद्र सरकार पैसेंजर ट्रेनों की जगह मालगाड़ी चला रही और ये रेलवे को निजी हाथ में सौंपने का षड्यंत्र है। इस आरटीआई के मुताबिक साल 2020 में 32757 ट्रेनें निरस्त की गई, साल 2021 में 32151 ट्रेनें रद्द हुईं, साल 2022 में 2474 ट्रेनें कैंसिल की गईं, साल 2023 में (अप्रैल माह तक) 208 ट्रेनें निरस्त की गई हैं। जबकि बीते महीने अगस्त में 24 ट्रेनें रद्द की गई है। ये सभी ट्रेन छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली ट्रेनें है और तीज़-त्यौहार के येन मौके पर कैंसल कर दी गई हैं।

क्या है पूरा मामला?

छत्तीसगढ़ नागरिक मंच द्वारा आयोजित एक प्रेस वार्ता में संगठन के संयोजक अमित तिवारी ने बताया कि पिछले कई सालों से यात्री गाड़ियों को निरस्त किया जाना, ट्रेनों की घंटो तक लेट-लतीफ यात्रियों के साथ अन्याय है। बीते साल 21 सितंबर, 2022 को भी नागरिक सुरक्षा मंच द्वारा जनता की इन कठिनाइयों को संज्ञान में लेते हुए महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव किया गया था। इस दौरान रेलवे के उच्चाधिकारी ने अनियमितताओं को स्वीकार कर, एक माह के अंदर इन समस्याओं के निराकरण किए जाने का आश्वासन दिया था। लेकिन अब 1 साल बीत जाने के बाद भी रेलवे प्रशासन की कानों में जूं नहीं रेंग रही। ऐसे में जब रेलवे को आमजन की तकलीफों से कोई सरोकार नहीं है तो अब बिलासपुर की जनता को ही बड़े आंदोलन के लिए निर्णय लेना पड़ेगा।

अमित तिवारी ने आगे कहा कि रेल आम जनता के लिए सर्वाधिक किफायती और सुविधाजनक यातायात माध्यम है, जिसे रेलवे ने अपनी आय बढ़ाने और चंद व्यवसायियों को लाभ पहुंचाने की नियत से माल ढुलाई को ज्यादा प्राथमिकता दे रहा है। माल गाड़ी को क्लीयरेंस देने के लिए यात्री गाड़ियों को घंटो-घंटो तक एक स्थान पर रोक दिया जाता है जो रेल यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। इसलिए नागरिक सुरक्षा मंच ने रेल प्रशासन के तुगलकी निर्णय का विरोध करने का निर्णय लिया है। जिसके तहत 12 सितंबर को दोपहर 12 बजे रेल रोको आंदोलन किया जाएगा। इसके बाद भी रेल प्रशासन के रवैये में सुधार नहीं आया तो एक साथ 12 स्टेशनों पर रेल रोको आंदोलन किया जाएगा और जिसके लिए रेल प्रशासन पूर्ण रूप से जिम्मेदार होगा।

रेलवे के ख़िलाफ़ कांग्रेस करेगी चरणबद्ध आंदोलन

वहीं कांग्रेस भी अब चुनाव से पहले इस मुद्दे को बिल्कुल अनदेखा करने के मूड में नहीं है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभय नारायण राय ने एक बयान में कहा कि रेलवे के खिलाफ यह आंदोलन चरणबद्ध चलेगा। सभी प्रभारी अपने-अपने जिलों में प्रेसवार्ता लेंगे, इसमें केन्द्र सरकार की यात्री विरोधी रवैए की जानकारी आम लोगों को दी जाएगी, फिर 10,11 व 12 सितंबर को पम्पलेट, पोस्टर के जरिए जन जागरण अभियान चलाया जाएगा। 13 सितंबर को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय और रेलवे स्टेशनों में रेल रोको आंदोलन कर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाया जाएगा।

कांग्रेस का दावा है कि छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली ट्रेनों के लगातार कैंसिल होने के पीछे बीजेपी की साजिश है। कभी कोयले के आपूर्ति के नाम पर, कभी कोई और कारण बता कर ये लोग विश्वसनीय यात्री सेवा भारतीय रेल को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि लोग रेलवे से ऊब जाएं और पिर इसका आसानी से नीजिकरण किया जा सके। कांग्रेस का ये भी आरोप है कि मोदी सरकार रेलवे की यात्री सुविधाओं को समाप्त कर इसे सिर्फ मालवाहक बनाना चाहती है, क्योंकि यात्री ट्रेनों की अपेक्षा माल भाड़े से रेलवे को 300 से 400 प्रतिशत ज्यादा मुनाफा मिलता है।

गौरतलब है कि प्रदेश में इससे पहले भी यात्री ट्रेनों के निस्तीकरण को लेकर कई प्रदर्शन हो चुके हैं, बावजूद इसके सेवाओं में कोई सुधार नज़र नहीं आता। एक ओर बीजेपी ट्रेन कैंसिल होने के पीछे मेन्टेनेंस और रेलवे लाइन को अपडेट करने का दावा करती है, तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि राज्य में कोयले का प्रचुर भंडार है, जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि ट्रेन मेन्टेनेंस के कारण जिन रुट पर यात्री ट्रेनों को रद्द किया जाता है, वहीं उसी रेलवे ट्रेक पर सवारी ट्रेन से 50 गुना ज्यादा वजनी मालगाड़ियों का परिचालन धडल्ले से किया जा रहा है। जाहिर है पहले बिलासा एयरपोर्ट और अब ट्रेन छत्तीसगढ़ की जनता लगातार केंद्र और राज्य सरकार की राजनीति में फंसती नज़र आती है।

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