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‘फ्री द प्रेस’: न्यूज़क्लिक के समर्थन में बिहार में सिटिज़न्स फोरम का प्रतिवाद मार्च

बिहार के पटना में 6 अक्टूबर को सिटिज़न्स फोरम की ओर से न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ प्रतिवाद मार्च का आयोजन किया गया।
Bihar March

पटना: 6 अक्टूबर को सिटिज़न्स फोरम (नागरिक सरोकारों जनतांत्रिक अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध) की ओर से न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ प्रतिवाद मार्च का आयोजन किया गया। यह प्रतिवाद मार्च जीपीओ गोलंबर से बुद्धा स्मृति पार्क तक निकला गया। मार्च के दौरान 'प्रेस पर हमला बंद करो' और 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बंद करो' जैसे नारे लगाए गए। मार्च में चल रहे लोगों ने 'फ्री द प्रेस' यानी 'प्रेस को स्वतंत्र करो' का बैज लगाया हुआ था।

बुद्धा स्मृति पार्क में यह मार्च एक सभा में तब्दील हो गया। इस दौरान एक पर्चा भी आम लोगों के बीच वितरित किया जा रहा था। सभा में बड़ी संख्या में पटना के नागरिक और विभिन्न संगठनों से जुड़े सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के लोग मौजूद थे। प्रतिरोध सभा का संचालन फोरम की सह संयोजक प्रीति सिन्हा ने किया।

सबसे पहले फोरम के संयोजक अनीश अंकुर ने कहा, "न्यूज़क्लिक को पिछले दो तीन सालों में बार-बार  परेशान किया जा रहा है। पहले ईडी का छापा मारा गया, जब कुछ नहीं मिला तो न्यूज़क्लिक और उससे जुड़े पत्रकारों पर इस तरह की कार्रवाई की गई, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि वह सच दिखाता है। न्यूज़क्लिक के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को ग़लत आरोपों में गिरफ्तार किया गया। प्रेस की आज़ादी पर अंकुश लगाया जा रहा है।"

सामाजिक कार्यकर्ता अरुण मिश्रा ने कहा, "जबसे मोदी सरकार आई है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बोलने की आज़ादी पर अंकुश लगाया जा रहा है। जब आंदोलन से जुड़ी सच्ची ख़बरें कोई अपने वेबसाइट पर दिखाता है तो सत्ताधारियों को परेशानी होने लगती है। प्रबीर पुरकायस्थ को इमरजेंसी के काले दिनों में एक राजनीतिक कैदी के रूप में जेल में रहना पड़ा था, आज भी उनके साथ इसी तरह व्यवहार किया जा रहा है।"

रंगकर्मी मोना झा ने अपने संबोधन में कहा, "दरअसल, इस वेबसाइट द्वारा दिल्ली दंगों, किसानों के विरोध प्रदर्शन आदि पर ज़मीनी रिपोर्ट के कारण सरकार बौखला गई है। वर्तमान कार्रवाई दिल्ली पुलिस के दुर्भावनापूर्ण इरादे को प्रदर्शित करती है।"

सीपीआई के राज्य सचिव मंडल सदस्य रामलला सिंह कहते हैं, "यह समाचार साइट अपने पाठकों और दर्शकों को, अपनी ग्राउंड रिपोर्टिंग और विश्लेषण के ज़रिए, देश-दुनिया में हो रही घटनाओं, आंदोलनों एवं संघर्षों से परिचित कराती है। न्यूज़क्लिक नियमित रूप से भारत भर के विभिन्न मुद्दों पर आलोचनात्मक रिपोर्टिंग करता है। इसके अलावा यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भी गंभीर और विस्तृत कवरेज करता है। न्यूज़क्लिक को 2021 से ही भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा लगातार ऐसी कार्रवाईयों से टारगेट किया गया है।"

सभा को संबोधित करते हुए संजय श्याम ने कहा, "यह कदम इस सरकार के द्वारा अघोषित आपातकाल की ओर इशारा करता है। यह सरकार द्वारा न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार और डराने-धमकाने का एक राज्य-निर्मित मैकार्थी अभियान है जो किसी ज़माने में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका में देखा गया था। वैसे भी वर्ल्ड प्रेस फ़्रीडम इंडेक्स में 180 देशों में भारत का स्थान 161 वां है।"

एआईपीएफ के कमलेश शर्मा ने सभा को संबोधित करते हुए न्यूज़क्लिक के बयान दोहराते हुए कहा, "न्यूज़क्लिक को 2021 से ही भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा कार्रवाइयों की एक श्रृंखला द्वारा टारगेट किया गया है। इसके कार्यालयों और अधिकारियों के आवासों पर प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और आयकर विभाग द्वारा छापे मारे गए हैं। पहले भी सभी उपकरण, लैपटॉप, गैजेट, फोन आदि जब्त कर लिए गए थे। सभी ईमेल और संचार का बारीकी से विश्लेषण किया गया। पिछले कई वर्षों में न्यूज़क्लिक द्वारा प्राप्त सभी बैंक विवरण, चालान, किए गए खर्च और प्राप्त धन के स्रोतों की समय-समय पर सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा जांच की गई है। विभिन्न निदेशकों और अन्य सम्बंधित व्यक्तियों ने कई अवसरों पर इन सरकारी एजेंसियों द्वारा पूछताछ में अनगिनत घंटे बिताए हैं। फिर भी, पिछले दो से अधिक वर्षों में, प्रवर्तन निदेशालय न्यूज़क्लिक पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज नहीं कर पाया है।"

चक्रवर्ती अशोक प्रियदर्शी के अनुसार, "सरकार की नीतियों से मज़दूर, किसान, छात्र, नौजवान, महिला, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक आदि सभी वर्ग सभी त्रस्त हैं और देश के विभिन हिस्सों में आदोलनरत हैं। देश को फिर से गुमराह करने के लिए इस बार चीन का शिगूफा छोड़ा गया है। पूर्व में भी सरकार ने कई निष्पक्ष स्वतंत्र मीडिया ग्रुप्स पर अंकुश लगाने की कोशिश की है जो सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना करते रहे हैं।"

पटना विश्विद्यालय में इतिहास के प्राध्यापक प्रो. सतीश कुमार ने कहा, "यह सरकार लोकतंत्र की सभी संस्थाओं को खत्म करने की कोशिश कर रही है। बहुत दुर्भाग्य की बात है कि न्यूज़क्लिक जैसी स्वतंत्र समाचार संस्था के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती जो शारीरिक रूप से डिसेबल्ड हैं, उन पर यूएपीए जैसी गंभीर धारा लगाई गई है, यह बेहद निंदनीय है।"

इसके अलावा सभा में शामिल जनगायक प्रमोद यादव ने जनगीत भी गाये और जनकवि आदित्य कमल ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ किया।

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