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30 प्रतिशत प्रजातियों पर पड़ सकता है जलवायु परिवर्तन का प्रभाव : अध्ययन

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि यदि धरती के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होती है, तो जिन 15 प्रतिशत प्रजातियों का उन्होंने अध्ययन किया है, उनके लिए एक ही दशक में अपनी मौजूदा भौगोलिक सीमा के कम से कम 30 प्रतिशत दायरे में गर्म तापमान का सामना करने का जोखिम होगा।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। गूगल

नयी दिल्ली: हाल में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अचानक 30 प्रतिशत प्रजातियों पर प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि उनकी भौगोलिक सीमा अप्रत्याशित तापमान वृद्धि की जद में आ सकती है।

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि यदि धरती के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होती है, तो जिन 15 प्रतिशत प्रजातियों का उन्होंने अध्ययन किया है, उनके लिए एक ही दशक में अपनी मौजूदा भौगोलिक सीमा के कम से कम 30 प्रतिशत दायरे में गर्म तापमान का सामना करने का जोखिम होगा।

हालांकि, तापमान में 2.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि पर यह आंकड़ा दोगुना होकर 30 प्रतिशत हो जाएगा।

पत्रिका ‘नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन’ में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में स्तनधारियों, उभयचरों, सरीसृपों, पक्षियों, कोरल, मछली, सेफलोपोड और प्लैंकटन सहित प्राणियों की 35,000 से अधिक प्रजातियों तथा हर महाद्वीप और महासागर से समुद्री घास और वर्ष 2100 तक के जलवायु अनुमान का विश्लेषण किया गया।

अध्ययन के प्रमुख लेखक एवं ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) से संबद्ध एलेक्स पिगोट ने कहा, ‘यह संभावना नहीं है कि जलवायु परिवर्तन धीरे-धीरे पर्यावरण को प्राणियों के जीवित रहने के लिए और अधिक कठिन बना देगा। इसके बजाय, अनेक जानवरों के लिए, उनकी भौगोलिक सीमा के बड़े हिस्से के गर्म होने की संभावना है…।’

पिगोट ने एक बयान में कहा, ‘हालांकि कुछ जानवर उच्च तापमान में जीवित रहने में सक्षम हो सकते हैं, कई अन्य जानवरों को ठंडे क्षेत्रों में जाने या अनुकूलन करने की आवश्यकता होगी, जो कि वे इतने कम समय में नहीं कर सकते।’

पिगोट ने कहा, ‘हमारा अध्ययन इस बात का एक और उदाहरण है कि हमें जानवरों और पौधों पर जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों को कम करने और बड़े पैमाने पर विलुप्ति के संकट से बचने के लिए कार्बन उत्सर्जन को तत्काल कम करने की आवश्यकता क्यों है।’

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