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'द वायर' के संपादकों के घर क्राइम ब्रांच की छापेमारी, मीडिया संस्थाओं ने जताया विरोध

पुलिस ने शनिवार को मालवीय की एक शिकायत पर समाचार पोर्टल और उसके संपादकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें समाचार पोर्टल पर "धोखाधड़ी और जालसाजी करने" और उनकी (मालवीय की) प्रतिष्ठा को "धूमिल" करने का आरोप लगाया गया है।
The Wire

दिल्ली पुलिस ने ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और उप संपादक एम के वेणु के आवासों की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय से संबंधित खबर के सिलसिले में सोमवार को तलाशी ली। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।

मालवीय से संबंधित खबर को द वायर ने  वापस ले लिया है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समाचार पोर्टल के कार्यालय की भी तलाशी ली गई है और जांच के लिए प्रासंगिक सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया गया है। अधिकारी ने कहा कि मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

पुलिस ने शनिवार को मालवीय की एक शिकायत पर समाचार पोर्टल और उसके संपादकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें समाचार पोर्टल पर "धोखाधड़ी और जालसाजी करने" और उनकी (मालवीय की) प्रतिष्ठा को "धूमिल" करने का आरोप लगाया गया है।

इस बीच, सिद्धार्थ के भाई टुंकू वरदराजन ने ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मेरे भाई सिद्धार्थ वरदराजन के घर की तलाशी ली और उनका फोन और लैपटॉप जब्त कर लिया। जब उनके प्रकाशन ने गलती स्वीकार कर ली है तो इन्हें जब्त क्यों किया गया? यह जब्ती एक लोकतंत्र में प्रतिकूल है। भारतीयों को जोरदार ढंग से आवाज उठानी चाहिए।’’

मालवीय ने शुक्रवार को कहा था कि वह ‘द वायर’ की खबरों (जिन्हें अब वापस ले लिया गया है) को लेकर पोर्टल के खिलाफ दीवानी और फौजदारी मामले चलाएंगे। पोर्टल ने अपनी खबरों में कथित तौर पर कहा था कि भाजपा नेता को मेटा प्लेटफार्म पर विशेष सुविधा हासिल है और वह भाजपा के हित के खिलाफ समझे जाने वाले किसी भी पोस्ट को हटवा सकते हैं।

मालवीय ने अपनी शिकायत दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (अपराध) को दी थी। भाजपा नेता ने अपनी तहरीर में ‘द वायर’, उसके संस्थापक संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया और डिप्टी एडिटर एम. के. वेणु और एक्जीक्यूटिव न्यूज प्रोड्यूसर जाह्नवी सेन, फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म और अन्य अज्ञात लोगों का नाम दिया है।

द वायर ने अपने पूर्व सलाहकार देवेश कुमार के खिलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई

समाचार पोर्टल ‘द वायर’ ने भाजपा के सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग प्रमुख अमित मालवीय से जुड़ी खबर के सिलसिले में अपने पूर्व सलाहकार देवेश कुमार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

समाचार पोर्टल ‘द वायर’ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग प्रमुख अमित मालवीय से जुड़ी ‘‘मनगढ़ंत’’ खबर के सिलसिले में अपने पूर्व सलाहकार देवेश कुमार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि पोर्टल ने शनिवार देर रात ई-मेल के जरिये यह शिकायत दी। अधिकारी ने कहा, ‘‘मामला दर्ज किया गया है। जांच शुरू कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।’’

शिकायत में आरोप लगाया गया कि कुमार ‘द वायर’, उसके संपादकों और कर्मचारियों के प्रति ‘‘दुर्भावनापूर्ण’’ रहे हैं और उन्होंने पोर्टल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के मद्देनजर ‘‘दस्तावेजों, ई-मेल और वीडियो जैसी अन्य सामग्री को गढ़ा और उपलब्ध कराया।’’

वहीं, ‘द वायर’ ने पिछले सप्ताह बाहरी विशेषज्ञों की मदद से इस्तेमाल की गई तकनीकी स्रोत सामग्री की आंतरिक समीक्षा करने के बाद संबंधित खबरों को औपचारिक रूप से वापस ले लिया था और इसके लिए खेद भी जताया था।

‘द वायर’ ने बृहस्पतिवार शाम एक बयान में कहा था कि पत्रकार खबरों के लिए सूत्रों पर भरोसा करते हैं और उन्हें प्राप्त होने वाली सामग्री को सत्यापित करने का भरसक प्रयास करते हैं।

डिजिटल समाचार मीडिया संगठनों के एक समूह डिजीपब न्यूज़ इंडिया फाउंडेशन ने  पुलिस कार्रवाई के खिलाफ के बयान जारी कर कहा, "यदि कोई  पत्रकार या  मीडिया संगठन कुछ झूठी रिपोर्ट प्रकाशित करता है, तो उसके लिए पत्रकार साथी या नागरिक समाज उसकी जवाबदेह तय कर सकता है। लेकिन पुलिस द्वारा मीडिया हाउस के कार्यालय और उसके संपादकों के घरों की मनमानी तलाशी लेना, वो भी पूरी तरह से सत्ताधारी पार्टी के एक प्रवक्ता द्वारा दायर मानहानि की एक निजी शिकायत के आधार पर, सरकार के दुर्भावनापूर्ण इरादे दिखती है।

संगठन ने आगे कहा कि, "किसी भी निष्पक्ष जांच को कानून के शासन का पालन करना चाहिए। पुलिस कार्रवाई को भारत में पत्रकारिता की पहले से ही खराब स्थिति को खराब करने का एक उपकरण नहीं बनाया जाना चाहिए। हमने हाल के ऐसे कई उदाहरण देखे हैं जहां पुलिस द्वारा आपराधिक मुकदमा चलाने और उत्पीड़न के जरिए पत्रकारों को अपना काम करने से धमकाया और रोका जा रहा है।"

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