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द वायर के संपादकों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण 'बिना हैश वैल्यू प्रदान किए' ज़ब्त किए गए

समाचार पोर्टल ने छापे के बाद जारी एक बयान में आरोप लगाया कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को "बिना किसी हैश वैल्यू–डिवाइस और उसके डेटा की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक अद्वितीय संख्यात्मक मान” की जानकारी दिए जब्त किया गया है।
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय द्वारा दर्ज एफआईआर के बाद द वायर के संस्थापक-संपादक सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु और सिद्धार्थ भाटिया, उप संपादक जाह्नवी सेन और प्रोडक्ट व व्यापार प्रमुख मिथुन किदांबी के घरों पर सोमवार को दिल्ली पुलिस ने छापा मारा और उनके लैपटॉप और फोन जब्त कर लिए।

समाचार पोर्टल ने छापे के बाद जारी एक बयान में आरोप लगाया कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को "बिना किसी हैश वैल्यू–डिवाइस और उसके डेटा की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक अद्वितीय संख्यात्मक मान” की जानकारी दिए जब्त किया गया है।

मालवीय ने यह प्राथमिकी तब दर्ज कराई थी जब द वायर ने हाल ही में यह दावा किया था कि व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम की मूल कंपनी मेटा ने उन्हें कुछ विशेषाधिकार दिए हैं जिनका उपयोग वह उन पोस्टों को हटाने के लिए करते हैं जो उनके मुताबिक भाजपा के लिए आलोचनात्मक हैं । बाद में इस विशेष जांच स्टोरी द वायर ने वापस ले ली और अपनी वेबसाइट से भी हटा दी। मालवीय ने प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि समाचार पोर्टल ने उनकी प्रतिष्ठा को खराब करने और धूमिल करने के लिए जाली दस्तावेज तैयार किए हैं।

बयान में द वायर ने कहा है कि “आज, दिल्ली पुलिस अपराध शाखा ने भाजपा नेता अमित मालवीय द्वारा दर्ज प्राथमिकी के संबंध में हमारे संस्थापक संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु, सिद्धार्थ भाटिया, उप संपादक जाह्नवी सेन और उत्पाद-सह-व्यापार प्रमुख मिथुन किदांबी के खिलाफ़ धारा 91 का नोटिस जारी किया और दिल्ली और मुंबई में पुलिस ने अपने कर्मियों की एक बड़ी टुकड़ी को इनके घरों में तैनात कर तलाशी ली।

“सभी पांचों ने सहयोग किया और मांगे गए उपकरणों को दे दिया। किदांबी से जब्ती सुबह 2:30 बजे शुरू हुई और सुबह 5 बजे तक चली। हमने जब्त किए गए फोन, कंप्यूटर और आईपैड के हैश वैल्यू और जब्त किए गए उपकरणों की क्लोन प्रतियों को तटस्थ स्थान पर रखने की अपनी मांग को भी रिकॉर्ड में रखा है। हैश वैल्यू एक अद्वितीय संख्यात्मक मान है जिसका उपयोग किसी डिवाइस और उसके डेटा की अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।"

समाचार पोर्टल ने आगे कहा: "इस सहयोग के बावजूद, दिल्ली में भगत सिंह मार्केट में द वायर के कार्यालय की भी तलाशी ली गई और हमारे एक वकील को उस साइट पर अधिकारियों द्वारा बल प्रयोग के जरिए बाहर कर दिया गया। इसके बाद क्राइम ब्रांच पार्टी ने हमारे अकाउंट स्टाफ द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दो कंप्यूटरों की बिना किसी हैश वैल्यू का उल्लेख किए या हमें एक क्लोन कॉपी प्रदान किए बिना हार्ड डिस्क को ले लिया। यह उन कंप्युटरों की हार्ड डिस्क हैं, जो सामान्य वित्तीय कार्य, दिन-प्रतिदिन के कामकाज के लिए केंद्रीय हैं, जिनकी मदद से कोई मीडिया संगठन निर्बाध रूप से काम करता है।"

मीडिया संगठनों ने द वायर के साथ एकजुटता प्रकट की

मीडिया संगठनों ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अमित मालवीय की शिकायत के आधार पर न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ के कार्यालयों और उसके संपादकों के घरों की दिल्ली पुलिस द्वारा ली गई तलाशी की निंदा की।

प्रेस एसोसिएशन, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन सहित सात मीडिया निकायों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि जिस तरह से दिल्ली पुलिस ने भाजपा प्रवक्ता की शिकायत पर कार्रवाई की है, उसमें से "सरासर प्रतिशोध की बू आती है।’’

बयान में कहा गया, ‘‘यह आश्चर्य की बात है कि समाचार पोर्टल द्वारा संपादकीय चूक के लिए खबर वापस लेने के संबंध में एक विस्तृत बयान जारी करने और उसे सार्वजनिक करने बावजूद दिल्ली पुलिस ने भाजपा नेता की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की और मामले की जांच तेज गति से करने का फैसला किया। उस शिकायत में भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक धाराओं में आरोप लगाये गए हैं।’’

दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, वर्किंग न्यूज कैमरामैन एसोसिएशन, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने भी बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।

इससे पहले, ‘डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन’ ने एक बयान में दावा किया कि छापे ‘‘मुख्यत: भारत में पत्रकारिता के पेशे के खिलाफ अपराधीकरण और अभिव्यक्ति की आवाज को दबाने के उद्देश्य की पूर्ति’’ करते हैं।

बयान में कहा गया है, ‘‘झूठी रिपोर्ट छापने वाले पत्रकार या मीडिया संगठन को उसके साथियों तथा नागरिक समाज द्वारा जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। लेकिन पुलिस द्वारा सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ता की ओर से दाखिल मानहानि की निजी शिकायत के आधार पर मीडिया हाउस के कार्यालय तथा उसके संपादकों के घरों पर फौरन और मनमाने तरीके से छापे मारने से दुर्भावनापूर्ण इरादों की बू आती है।’’

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