डीयू : हॉस्टल कर्फ़्यू, शोषण और वॉर्डन की मॉरल पुलिसिंग के ख़िलाफ़ छात्राओं का प्रदर्शन
दिल्ली विश्वविद्यालय के गर्ल्स हॉस्टल की छात्राएँ हॉस्टल टाइमिंग के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही हैं। छात्राओं ने 27 फ़रवरी की शाम से डीयू गर्ल्स हॉस्टल के मेन गेट पर अपना अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू कर दिया जिसका आज दूसरा दिन है। छात्राओं ने कर्फ़्यू टाइमिंग के ख़िलाफ़ हमेशा से प्रदर्शन किया है लेकिन यह पहली बार है जब 6 में 5 हॉस्टल की छात्राएँ एक साथ धरने पर हैं। इस प्रदर्शन में - अंडरग्रेजुएट हॉस्टल फॉर गर्ल्स, अंबेडकर गांगुली स्टूडेंट्स हाउस फॉर विमेन, नॉर्थ ईस्टर्न स्टूडेंट्स हाउस फॉर विमेन, राजीव गांधी हॉस्टल फॉर गर्ल्स और यूनिवर्सिटी हॉस्टल फॉर विमेन शामिल हैं।
हॉस्टल में छात्राओं के लिए जारी वक़्त की पाबंदी के अलावा अंबेडकर गांगुली हॉस्टल की छात्राएँ उनके साथ होने वाले शोषण और मॉरल पुलिसिंग के ख़िलाफ़ भी प्रदर्शन कर रही हैं।
क्या है पूरा मामला?
विश्वविद्यालय में हर साल एक हॉस्टल नाइट होती है। अंबेडकर गांगुली हॉस्टल की छात्रा मनीषा ने न्यूज़क्लिक को बताया, "हॉस्टल में वॉर्डन के रत्नाबाली की वजह से पिछले कई समय से नैतिक पुलिसिंग और छात्राओं का शोषण जारी है। 4 दिन पहले जब हम अपनी सालाना हॉस्टल नाइट के लिए तैयारी कर रहे थे, तब वॉर्डन की तरफ़ से छात्राओं को बताया गया कि उन्हें क्या कपड़े पहनने हैं।" हॉस्टल की छात्राओं ने बताया है कि एक छात्रा के डांस को देख कर वॉर्डन के. रत्नाबाली ने कहा कि इस तरह के अश्लील डांस से दर्शकों को असहज महसूस होगा, इसलिए यह डांस नहीं होना चाहिए। इसके अलावा छात्राओं ने यह भी बताया कि जब कुछ लड़कियों ने स्लीवलेस ब्लाउज़ के साथ साड़ी पहनी तो वॉर्डन ने उस पर आपत्ति जताई। वॉर्डन ने कहा, "ठीक है अगर तुम्हें एक बूब (स्तन) दिखा कर रहना है या नंगा नाचना है तो अंदर करो बाहर नहीं। जहाँ मर्द हैं वहाँ मत दिखाओ।"
वॉर्डन के इस बयान पर छात्राओं में ग़ुस्सा है। उन्होंने इल्ज़ाम लगाया है कि वॉर्डन की सोच पितृसत्तात्मक है और यह बयान सेक्सिस्ट हैं।
मनीषा ने आगे कहा, वॉर्डन के यह बयान बेहद अपमानजनक हैं। उनके मुताबिक वार्डेन ने कहा, "लड़की का बदन एक रहस्य है, और इसे छुपा के रखना चाहिए।"
मनीषा ने बताया कि हॉस्टल नाइट में कुछ ऐसे डांस परफॉर्मेंस थे जिसमें महिलाओं की पितृसत्ता से आज़ादी की बात हो रही थी। वॉर्डन ने उस पर भी आपत्ति जताई और कहा कि यह आज़ादी नहीं है। इस सब को लेकर छात्राओं ने प्रदर्शन किया लेकिन उसके बावजूद वॉर्डन अपने विचारों पर क़ायम रहीं और कहा कि छात्राओं को उनके विचारों की इज़्ज़त करनी चाहिए।
छात्राओं की मांगें
प्रदर्शन कर रही छात्राओं ने अपनी मांगें बताई हैं जिनमें वॉर्डन का इस्तीफ़ा, हॉस्टल कर्फ़्यू को ख़त्म करना, मॉरल पुलिसिंग को ख़त्म करने के साथ एक और मांग शामिल है जिसके तहत छात्राओं ने मांग की है कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान होने वाले हॉस्टल इंटरव्यू को भी ख़त्म किया जाए। एक छात्रा ने इल्ज़ाम लगाया है कि, "गर्मी की छुट्टियों में हॉस्टल में पुनः प्रवेश पाने के लिए जो 'इंटरव्यू' लिए जाते हैं, उसके ज़रिये छात्राओं का शोषण किया जाता है। आधे घंटे से ज़्यादा चलने वाले इस इंटरव्यू में छात्राओं से 'तुम इतनी रातों को हॉस्टल नहीं आती हो, किसके साथ बाहर जाती हो' जैसे सवाल किए जाते हैं। इस इंटरव्यू में कुछ नहीं होता सिर्फ़ छात्राओं का शोषण किया जाता है। हमारी मांग है कि इस इंटरव्यू के कान्सैप्ट को भी ख़त्म किया जाए।"
27 फ़रवरी की शाम से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू कर चुकी छात्राओं ने कहा नुक्कड़ नाटक, गीत, नारे और पोस्टर के साथ अपने प्रदर्शन को ज़ाहिर किया है। वॉर्डन के इस्तीफ़े की मांग करते हुए छात्राओं ने एक पोस्टर पर लिखा है, "गर्ल्स हॉस्टल का वॉर्डन एक मर्द नहीं हो सकता।" छात्राओं की डांस परफॉर्मेंस पर आपत्ति जताते हुए वॉर्डन के. रत्नाबाली ने कहा था, "मैं मर्द हूँ इसलिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ।"
The warden of DU's Ambedkar hostel mad objectionable comments and said: "I am a man and I can do anything."#DelhiUniversity #UGC @duforequality pic.twitter.com/2OQGqgP1uu
— Sushmita Panda (@SushmitaPanda) February 27, 2020
हमने इस सिलसिले में वॉर्डन के. रत्नाबाली से बात करने की कोशिश की। कई बार फोन किया लेकिन उनका फोन नहीं उठा।
छात्राओं ने 28 फरवरी को डीयू के डीन को एक लेटर लिख कर तत्काल बैठक करने की मांग की है।
हॉस्टल 'कर्फ़्यू' टाइमिंग
दिल्ली विश्वविद्यालय के हॉस्टल में अंडरग्रेजुएट की छात्राओं के लिए हॉस्टल गेट बंद होने का समय शाम 7:30 है और पोस्टग्रेजुएट की छात्राओं के लिए यह समय रात 10 बजे का है। डीयू में लंबे समय से महिलाओं ने हॉस्टल में लागू वक़्त की पाबंदी के ख़िलाफ़ बड़े-बड़े आंदोलन किए हैं। छात्र और छात्राओं में हो रहे इस भेदभाव को लेकर छात्राएँ लगातार विरोध करती रही हैं। छात्राएँ इस भेदभाव को पितृसत्तात्मक सोच क़रार देती हैं।
नियम क्या कहते हैं?
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन(यूजीसी) और सक्षम कमेटी द्वारा 2 मई 2016 को जारी हुए आदेश में कहा गया है कि छात्राओं पर किसी भी तरह के नियंत्रण जायज़ नहीं हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि महिला सुरक्षा के नाम पर किसी भी तरह की पाबंदी या महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। आदेश में लिखा था, "कैम्पस की नीतियों में छात्राओं या महिला कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए और किसी भी तरह की पाबंदी नहीं होनी चाहिए।"
छात्राओं की मांग है कि तत्काल प्रभाव से दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी हॉस्टल और प्राइवेट हॉस्टल में भी यह नियम लागू किए जाएँ।
छात्राएँ शोषण, भेदभाव और नैतिक पुलिसिंग के ख़िलाफ़ प्रदर्शन जारी रखते हुए कह रही है कि वो तब तक पीछे नहीं हटेंगी जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं।
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