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आदिवासियों के लिए 'सरना' धर्म कोड पर फ़ैसला केंद्र के पास लंबित: सोरेन

“प्रधानमंत्री का झारखंड में स्वागत है। हम उन्हें - आदिवासियों के लिए अलग 'सरना' धर्म कोड की मांग से संबंधित - सभी काग़ज़ात पहले ही भेज चुके हैं। अब उन्हें इस पर निर्णय लेना है।”
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फ़ोटो : PTI

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राज्य में स्वागत है, लेकिन आदिवासियों के लिए 'सरना' धर्म कोड को मान्यता देने का फैसला केंद्र के पास लंबित है।

प्रधानमंत्री मोदी का 15 नवंबर को खूंटी जिले में आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के गांव उलिहातु का दौरा करने का कार्यक्रम है। दरअसल, राज्य में 15 नवंबर का दिन 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मनाया जाता है और यह झारखंड का स्थापना दिवस भी है।

सोरेन ने बृहस्पतिवार को कहा, ''प्रधानमंत्री का झारखंड में स्वागत है। हम उन्हें (आदिवासियों के लिए अलग 'सरना' धर्म कोड की मांग से संबंधित) सभी कागजात पहले ही भेज चुके हैं। अब उन्हें इस पर निर्णय लेना है।''

उन्होंने कहा कि 'सरना' धर्म कोड आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही इस बात को मान्यता देने के लिए बहुत ही जरूरी है कि वे अन्य धर्मों के अनुयायियों से अलग हैं।

प्रधानमंत्री को सितंबर में लिखे एक पत्र में सोरेन ने आदिवासियों के धार्मिक अस्तित्व और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए 'सरना' कोड को मान्यता देने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि पिछले आठ दशकों में क्षेत्र में आदिवासी आबादी 38 फीसदी से घटकर 26 फीसदी हो गई है।

सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने आरोप लगाया कि मोदी के उलिहातु दौरे का मकसद आदिवासी मतदाताओं को लुभाना है।

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