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दिल्ली: बाढ़ के बाद डेंगू के ख़तरे के बीच DBC कर्मचारी हड़ताल पर जाने को तैयार

“कर्मचारियों को हड़ताल में झोंकने के लिए निगम प्रशासन ज़िम्मेदार है। डीबीसी कर्मचारी जानलेवा बीमारियों की रोकथाम के लिए घर-घर जाकर काम करते हैं लेकिन उन्हें दरकिनार किया जाता है।”
DCB Workers
फाइल फ़ोटो

बीते दिनों दिल्ली में बाढ़ आने की वजह से कई इलाकों में पानी भर गया था जिसके बाद शहर में मच्छर से पैदा होने वाली कई बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। दिल्ली में इसकी रोकथाम करने वाले डोमेस्टिक ब्रीडिंग चैकर्स (डीबीसी) कर्मचारियों ने 31 जुलाई से हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। ये कर्मचारी कई सालों से अपने कई मुद्दों को लेकर संघर्ष करते रहे हैं लेकिन आरोप है कि सरकारों ने कभी इनका समाधान नहीं किया। इससे पहले भी कई बार इन कर्मचारियों ने हड़ताल और विरोध प्रदर्शन किए हैं लेकिन हर बार इन्हें आश्वासन ही मिला है।

दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के लोग कई दिनों से बाढ़ के बाद होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए बैठकें कर रहे हैं लेकिन जिन कर्मचारियों की सहायता से ये काम किया जाना है वे कर्मचारी हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं। आपको बता दें, 1996 से कार्यरत डीबीसी कर्मचारी डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और कोविड-19 जैसी घातक बीमारियों के रोकथाम के लिए अपना पूरी ताकत लगाते हैं।

डीबीसी कर्मचारी घर-घर जाकर जांच करते हैं और पता लगाते हैं कि डेंगू और मलेरिया के मच्छर कहां पनप रहे हैं। अगर कहीं पैदा हो रहे हैं तो वे, उसकी रोकथाम के लिए भी कार्य करते हैं। अभी वर्तमान में दिल्ली में कई जगह जल जमाव होने से इस तरह के मच्छरों के पैदा होने का खतरा बढ़ गया है।

डीबीसी कर्मचारियों की यूनियन 'एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन' के अध्यक्ष देवानंद ने कहा, "कर्मचारियों को हड़ताल में झोंकने के लिए निगम प्रशासन बहुत बड़ा ज़िम्मेदार है। डीबीसी कर्मचारी जानलेवा बीमारियों की रोकथाम के लिए घर-घर जाकर काम करते हैं और साथ-साथ टैक्स कलेक्शन में भी हाथ बटाते हैं, लेकिन उन्हें दरकिनार किया जाता है।"

यूनियन ने कहा कि "कई सालो से वो अपने पदनाम के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कई सालो के संघर्ष के बाद निगम प्रशासन ने उन्हें मल्टी टास्किंग स्टॉफ (MTS) का पद देने का लिखित वादा किया है। इसे लेकर ऑफ़िस ऑर्डर भी हुए हैं लेकिन उसे लागू नहीं किया जा रहा है।"

देवानंद कहते हैं, “9 मार्च 2022 व 9 नवंबर 2022 को जारी कार्यालय आदेश का इंप्लीमेंटेशन नहीं हो रहा है। इस बात से कर्मचारियों में भारी रोष है। लगातार निगम अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों पर काम का दबाव भी बनाया जा रहा है।”

यूनियन नेताओं ने कहा कि "सैलरी मिले भी लगभग 3 महीने हो चुके हैं। तनख्वाह समय पर नहीं मिलती। तनख्वाह से काटे गए फंड का पता नहीं चलता। इसके अलावा इलाज की सुविधा भी नहीं मिलती और परिवार या अपने जीवन की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। ऐसे माहौल में कर्मचारियों के लिए काम करना एक सज़ा बन चुकी है।

कर्मचारियों का कहना है कि वे कई बार लिखित व मौखिक रूप से गुज़ारिश कर चुके हैं। यूनियन ने बताया कि "हमने जनवरी से अब तक पत्राचार द्वारा 10 पत्र भेजे हैं जिसके माध्यम से मेयर साहिबा और कमिश्नर साहब एंव संबंधित अधिकारियों को हालात के बारे में सूचित किया है। लेकिन हमारी सुनवाई पिछले कई वर्षों से नहीं हो रही है। अब हमने अंतिम पत्र देकर फैसला किया है की अगर सभी समस्याओं को लेकर यूनियन से बातचीत कर कार्रवाई नहीं की जाती है तो मजबूरी में दिल्ली में कार्यरत लगभग 3200 डीबीसी कर्मचारी काम बंद कर हड़ताल पर जाएंगे।"

यूनियन अध्यक्ष देवानंद ने कहा, "हम कर्मचारियों की समस्याओं के लिए उचित कार्रवाई ना कर के निगम प्रशासन ने स्वयं ही कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर कर दिया है। इसके लिए निगम प्रशासन ही ज़िम्मेदार है। हमारी दुविधा को समझते हुए निगम इस पर संज्ञान ले यही हमारी मांग है।"

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