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''तुम्हें साफ़ हवा भूल जानी पड़ेगी'' : दिल्‍ली की ख़राब हवा पर बनी क़व्‍वाली वायरल

गैस चैंबर बनी दिल्ली NCR की ज़हरीली हवा पर फरीदाबाद के दो युवाओं निर्भय गर्ग और वासु शर्मा ने मिलकर ह्यूमर में डूबा एक Spoof song बना डाला।
delhi
फ़ोटो : PTI

पिछले क़रीब 15-16 दिन से दिल्ली की हवा में ऐसा प्रदूषण घुला है कि ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। बीच में एक दिन बारिश ने भले ही कुछ राहत दी लेकिन फिर से हालत बिगड़ गए। शुक्रवार को दिल्ली की हवा 'Severe Plus' मतलब गंभीर से भी एक क़दम आगे बढ़ गई। 

दुनिया भर में भले ही कोई भी मौसम चल रहा हो लेकिन दिल्ली-NCR में इस वक़्त प्रदूषण का मौसम चल रहा है। साफ हवा के लिए जूझते दिल्ली वालों के लिए ये अब बातचीत का मुद्दा बन गया है। बेशक ये गंभीर मुद्दा है जिस पर सुबह सैर पर ना जा पाने वाले लोगों से लेकर सोशल मीडिया तक पर चर्चा हो रही है। 

गैस चैंबर बनी दिल्ली की ज़हरीली हवा पर फरीदाबाद के दो युवाओं निर्भय गर्ग और वासु शर्मा ने मिलकर ह्यूमर में डूबा एक Spoof song बना डाला। 

''यहां ब्रिदिंग नहीं आसां

बस इतना समझ लीजे,

एक स्मॉग का दरिया है 

और डूब के जाना है'' 

(जिगर मुरादाबादी के शेर ‘ये इश्क़ नहीं आसां’ की पैरोडी)

इन दोनों युवाओं ने मिलकर गायक नुसरत फतेह अली ख़ान की एक फेमस क़व्वाली (पुरनम इलाहाबादी का क़लाम) को ही दिल्ली-NCR की साफ हवा की ख्वाहिश की बंदिशों में बांध कुछ यूं पेश किया कि उनका गाना वायरल हो गया। 

हर दिन बिगड़ती दिल्ली की एयर क्वालिटी को देखते हुए लग रहा है कि कुछ दिन बाद दिल्ली में साफ हवा भी एक लग्जरी हो जाएगी।

इन दो युवाओं ने एक तीख़े व्यंग का इस्तेमाल करते हुए अपने गाने के माध्यम से संदेश देने की कोशिश की है कि दिल्ली के लिए साफ हवा कितनी ज़रूरी है वे गाते हैं 

'' तुम्हें साफ़ हवा भूल जानी पड़ेगी, दिल्ली-NCR में आके तो देखो'' 

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दिल्ली-NCR की ज़हरीली हवा पर लिखा गाना वायरल 

इस गाने को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर अब तक 4.5 मिलियन व्यूज़ मिल चुके हैं और जो लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस गाने पर लोगों ने बहुत ही दिलचस्प कमेंट भी किए जबकि कई लोगों ने उन्हें ट्रोल भी किया लेकिन ट्रोल करने वालों से ज़्यादा लाइक करने वाले हैं। 

हमने इन दोनों से बात की, निर्भय और वासु दोनों ने ही संगीत की शिक्षा ली है, इसके अलावा निर्भय एक वकील हैं और वासु ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और फिलहाल फुल टाइम म्यूजिक प्रोड्यूसर हैं। हमने इन दोनों से गाने के बनने के पीछे की कहानी पूछी जिसके जवाब में वासु बताते हैं कि 

''दो तीन हफ्ते पहले मैं हिमाचल गया था वहां मैं हफ़्ता दस दिन रहा तो बहुत अच्छा मोटिवेशनल मूड लेकर आया लेकिन जैसे ही सुबह 6 बजे दिल्ली में घुसा मेरी बस आई मजनूं का टीला पर और मैंने यहां पर जो दृश्य देखा, पूरा स्मॉग और कुछ दिख नहीं रहा था। फिर आते ही खांसी, आंखों में से पानी सिर में दर्द शुरू हो गया।  तो कहीं ना कहीं वो मोटिवेशनल वाली इंस्पिरेशन काम आई और सोचा कुछ बनाना है मैंने एक छोटी सी कविता लिखी पॉल्यूशन के ऊपर और मैंने निर्भय को दिखाई और निर्भय ने बोला इसपर गाना बनाते हैं तो वो  क़व्वाली की शक्ल में निकल कर आई''।

वासु और निर्भय ने इस गाने को छत पर शूट किया जहां पीछे दूर तक प्रदूषण की चादर दिखाई देती है, चारपाई पर बैठे दोनों ने बग़ल में हुक्का भी रखा है जिसके बारे में वे बताते हैं कि  '' इस गाने में हमने उस हिप्पोक्रेसी को भी दिखाया जिसमें एक तरफ लोग धूम्रपान कर रहे हैं और साथ ही पॉल्यूशन पर भी बात कर रहे हैं, इस गाने में हमने पॉलिटिशियन से लेकर आम आदमी तक की बात की है''

''कला समाज का दर्पण है''

जिस दौर में ह्यूमर और व्यंग्य लिखना एक मुश्किल काम बन गया है उस वक़्त इन दोनों युवाओं ने दिल्ली-NCR की एक बड़ी परेशानी पर कुछ कहने की हिम्मत दिखाई,  हमने उनसे पूछा कि ''क्या गाना बनाते वक़्त उनके दिमाग में ट्रोल हो जाने का डर था''?  निर्भय कहते हैं कि '' एक वकील होने के नाते मैं सारे पक्षों को अपने ध्यान में रखने की कोशिश करता हूं मैं कोशिश करता हूं कि कोई पक्ष छूटे ना लेकिन अगर हम डर गए तो फिर हम आर्टिस्ट क्या हुए वैसे भी कला समाज का दर्पण है और ये सिर्फ हमारी प्रॉब्लम ही तो नहीं है इससे जितना हम प्रभावित हैं उतना ही नेता भी''   

''someone using art for social awareness''

इस Spoof song के बोल जितने शानदार तरीके से लिखे गए हैं उतने ही दिलचस्प कमेंट भी इस गाने पर किए जा रहे हैं। कुछ लोगों ने वासु और निर्भय से इस 1 मिनट 19 सेकंड के गाने के फुल वर्जन की मांग कर डाली तो किसी ने लिखा  ''someone using art for social awareness''  जिस पर ये दोनों कहते हैं कि '' ये एक तरह से मैसेज है उन लोगों के लिए जो अच्छा काम करना चाहते हैं, सोसाइटी में बदलाव लाना चाहते हैं, ये दिखाता है कि ऐसे लोग हैं जिन्हें view मिल रहे हैं, सोशल मीडिया सपोर्ट कर रहा है, algorithm सपोर्ट कर रहा है ''  

''पराली की समस्या दूर होनी चाहिए''

चूंकि गाने में पराली का भी जिक्र हुआ है तो उसपर ये दोनों कहते हैं कि '' हम हरियाणा से आते हैं और हम दोनों के ही परिवार किसानी से जुड़े हैं, पराली जलाने की मजबूरी हमने भी देखी है, पराली शब्द का जो हमने इस्तेमाल किया है उसको कतई ये ना समझा जाए कि किसानों के खिलाफ है हमारा मकसद था कि सरकार तक ये बात पहुंचे की हमारा किसान इतना मजबूर है कि उसको पराली जलानी पड़ रही है तो इस समस्या का निवारण होना चाहिए''

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समाज की समस्या पर कलाकार अपनी ही तरह से रिएक्ट करता है, सरकार अपनी तरह से क्योंकि समस्या का सही तरह से समाधान तलाश करना बेहद ज़रूरी है, वर्ना पता चले दिल्ली वालों को भी ग़ालिब के नाम पर चस्पां इस शेरनुमा दो मिसरों को गुनगुना पड़े ''उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी आईना साफ़ करता रहा''

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