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दिल्ली: महिला पंचायत में गूंजा एकता और संघर्ष का नारा, मांगें पूरी न होने पर 16 को विरोध दिवस

पहलवानों का संघर्ष अब पूरे देश का संघर्ष बन चुका है और महिला शक्ति इसमें खिलाड़ियों के कदम से कदम मिलाकर चल रही है। साथ ही सरकार को बदलने की चेतावनी भी दे रही है।
Mahila Panchayat

राजधानी के चमचमाते नए संसद भवन से महज़ कुछ कदमों दूरी पर कांस्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आज यानी बुधवार, 14 जून को संघर्षरत पहलवानों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए देशभर के तमाम महिला संगठनों ने महिला पंचायत का आयोजन किया। इस पंचायत का उद्देश्य महिला पहलवानों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के साथ ही सरकार की महिला विरोधी नीतियों के खिलाफ भी आवाज़ बुलंद करना था। पंचायत ने एक स्वर में महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन शोषण और आरोपियों के संरक्षण पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सत्ताधारी पार्टी बाहुबलियों के आगे नतमस्तक हो गई है।

इस पंचायत में हरियाणा, राजस्थान समेत देश के कई अलग-अलग कोनों से आई महिलाओं के साथ ही पूर्व सांसद सुभाषिनी अली, भीम अवार्डी जगमति सांगवान, पॉलिटिशियन और महिला अधिकार कार्यकर्ता एनी राजा, पहलवान साक्षी मलिक की मां सुदेश मलिक, सहित कई महिलाओं ने भागीदारी की। सभी ने एक साथ आरोपी बृजभूषण शरण सिंह और हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ गिरफ्तारी और सख्त कार्यवाही की बात कही।

Mahilaदिल्ली घोषणा पत्र और संकल्प

कार्यक्रम की अध्यक्षता संयुक्त रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिता नारायण,पहलवान साक्षी मलिक की मां सुदेश मलिक और वरिष्ठ पत्रकार राजलक्ष्मी ने की। पंचायत में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा), अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन (ऐपवा), ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन, सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग वूमेन समेत दस महिलावादी संगठनों के सदस्यों और पदाधिकारियों ने अपनी बात रखी। सभी ने एकमत होकर दिल्ली घोषणा पत्र जारी किया, जिसमें यौन शोषण आरोपी बृजभूषण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी, आंतरिक शिकायत समिति के सुचारू रुप से चलने की जवाबदेही, पुलिस और जूडिशरी में जेंडर सेंसटाइजेशन जैसे प्रमुख मुद्दों को संघर्ष की बात कही गई।

महिला पंचायत की शुरुआत करते हुए जगमति सांगवान कहती हैं कि आज की ये महिला पंचायत सरकार को एक जवाब है कि आप चाहे, जो मर्जी कर लें, हमें जेलों में ठूंस दें लेकिन अब महिलाएं रुकने वाली नहीं हैं। वो अपने हक़-हुकूक के लिए सड़क पर उतरकर लंबा संघर्ष करने को भी तैयार हैं। वो पहले कानून को बनवाने के लिए लंबे संघर्ष से गुजरीं और अब उन्हें ही लागू करवाने का लड़ रही हैं। ऐसे में एब सरकार को समझ लेना चाहिए कि उसे नए सेंगोल युग में सबसे पहली चुनौती महिलाओं से ही मिली है और ये महिलाओं की लड़ाई बृजभूषण शरण सिंह और हरियाणा में संदीप सिंह की गिरफ्तारी के बाद ही शांत होगी।

सरकार यौन शोषण आरोपियों को खुलेआम संरक्षण दे रही है!

पंचायत में अपनी बात रखते हुए पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहा कि सालों से न्याय की लड़ाई आसान नहीं रही है, लेकिन इस देश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार यौन शोषण आरोपियों को खुलेआम संरक्षण दे रही है और संघर्ष कर रही पहवानों को आरोपी बनाया जा रहा है। इस देश में ये भी पहली बार हो रहा है कि लाल किले से प्रधानमंत्री महिला सुरक्षा और सम्मान की बातें करते हैं और ठीक उसी समय बिलकीस के अपराधियों को उन्हीं की सरकार छोड़ देती है।

सुभाषिनी आगे कहती हैं कि ये सरकार देश के संविधान को खत्म कर मनुवाद लागू करना चाहती है। लेकिन ये इस देश की महिलाओं की चुनौती है सत्ता को, मोदी सरकार को कि अब महिलाएं चुप नहीं बैठेंगी, एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगी और आने वाले चुनावों में महिला विरोधी सरकार बदल देंगी।

महिला संगठन NFIW की महासचिव एनी राजा ने स्पष्ट शब्दों में सरकार को चेताते हुए कहा कि महिला पहलवान अपने संघर्ष में अकेली नहीं हैं, सभी महिला संगठन उनके साथ हैं और अगर सरकार ने जल्द ही बृजभूषण को गिरफ्तार नहीं किया, तो महिलाएं अपने आंदोलन को और तेज़ कर देंगी। क्योंकि महिलाओं की सुरक्षा के जो कानून बने हैं, वो महिला आंदोलन के लंबे संघर्ष का नतीजा हैं और इन्हें सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। और अगर सरकार अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकती तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए। और अगर फिर भी सरकार नहीं मानती तो हम महिलाएं उसे उखाड़ फेकेंगी।

दबाव के जरिए महिला पंचायत को रोकने की कोशिश

अनहद की शबनम हाशमी ने कहा कि सरकार आज की महिला पंचायत को रोकना चाहती थी, इसके लिए कांस्टिट्यूशन क्लब पर दबाव भी बनाया गया लेकिन फिर भी आज हमारी पंचायत हो रही है क्योंकि हम सरकार को ये कहना चाहते हैं कि वो हमारी आवाज़ नहीं दबा सकती, न ही गुजरात मॉडल को पूरे देश में लागू कर सकती है, जहां आपको विरोध आयोजनों के लिए हॉल आसानी से नहीं मिलते।

पंचायत में हरियाणा के बहुचर्चित मरुचिका गिरहोत्रा मामले का भी जिक्र हुआ। साथ ही रूचिका के माता-पिता का आस्ट्रेलिया से पहलवानों के समर्थन में भेजा गया संदेश भी पढ़ा गया। जिसमें उन्होंने मौजूदा समय की चुनौतियों और महिला सुरक्षा को लेकर सरकार की नीयत और नीति में विरोधाभास को व्यक्त किया। उन्होंने पहलवानों की इस लड़ाई में तन, मन और धन से शामिल होने की बात कही, साथ ही महिला संघर्ष के लिए महिलाओं को एक साथ आने और एकजुट होकर आगे बढ़ने का भी आह्वान किया।

Mahilaसरकार को महिलाओं की चुनौती

महिला पंचायत के मंच से कई बार 28 मई के उस दिन को भी याद किया गया, जिसमें एक ओर प्रधानमंत्री सेंगोल के साथ नए संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे, तो वहीं दूसरी ओर महिला पहलवानों को सड़कों पर घसीटा जा रहा था। इस पंचायत में बड़ी संख्या में वो महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्हें 28 तारीख को हिरासत में लेकर पुलिस ने घंटों थाने में बैठाकर रखा था। सभी महिलाओं ने एक साथ सरकार के इस व्यवहार की आलोचना करते हुए मोदी राज के नए भारत मॉडल को खारिज कर दिया।

गौरतलब है कि खेल महासंघों में आंतरिक शिकायत समिति की खस्ता हालत के लिए शासन-प्रशासन को जिम्मेदार बताते हुए महिलाओं ने भंवरी देवी से लेकर विशाखा गाइडलाइंस और फिर महिलाओं के साथ वर्किंग प्लेस पर हुए उत्पीड़न के कानून यानी POSH एक्ट 2013 तक के सफर और संघर्ष को भी याद किया। साथ ही महिलाओं को सम्मान से जीने और संविधान से मिले बराबरी के अधिकार के लिए हर लड़ाई लड़ने को तैयार बताया। इस संघर्ष की मशाल को कभी न बुझने देने का भी संकल्प किया।

इस मौके पर पूर्व सांसद और एडवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पी के श्रीमथी ने कहा कि सरकार का महिला सशक्तिकरण और लोकतंत्र को मजबूत करने का हर एक दावा झूठा है। संसद की नई बिल्डिंग में उद्घाटन के समय पर वहां मौजूद बृजभूषण हमारे लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि उस दिन सड़क पर संघर्ष करती महिलाएं हमारे लोकतंत्र की असली तस्वीर हैं। ये सिर्फ मोदी काल में ही हो सकता है कि यौन शोषण आरोपी खुलेआम शक्ति प्रदर्शन करता है, रैलियां करता है और उसके खिलाफ आवाज उठाने वाले मुसीबत झेलते हैं।

पंचायत में सरकार की पहलवानों को दी 15 तारीख की डेडलाइन पर भी चर्चा हुई, साथ ही इसके आगे की रणनीति तैयार करने पर भी सहमति बनी। सभी महिलाओं ने क्रांतिकारी गीतों से पंचायत का समापन किया और हमेशा एकजुट रहने और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया। पंचायत में महिला आंदोलनों को याद करने के साथ ही आगे की चुनौतियों पर भी संज्ञान लिया गया। ये कार्यक्रम महिलाओं का सरकार को करारा जवाब था, जिसके कई परिणाम भविष्य में भी देखने को मिलेंगे।

महिला पंचायत से उठी मांगें

·    बृजभूषण सिंह की तत्काल गिरफ़्तारी

·    यौन उत्पीड़न के गंभीर मामलों में विफल कार्यवाही के लिए केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर का इस्तीफ़ा

·    प्राथमिकी दर्ज करने और PCSO, PoSH और IPC के प्रावधानों का पालन करने में विफल पुलिस अधिकारियों पर IPC की धारा 166 A के तहत सख़्त कार्रवाई।

·    सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच

·    अन्य सभी संघर्ष कर रही महिला खिलाड़ियों के मामले की जांच और कार्रवाई

·    कुश्ती महासंघ की नई अध्यक्ष महिला हों।

महिला पंचायत ने मोदी सरकार में शामिल महिला नेताओं और राष्ट्रीय महिला आयोग की चुप्पी की भी निंदा की साथ ही पंचायत ने फैसला किया है कि यदि सरकार महिला पहलवानों से किए वादे पूरा नहीं करता तो 16 जून को देश भर में विरोध दिवस मनाया जाएगा।

 

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