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दिवाली के दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंची

पड़ोसी शहरों गाजियाबाद (301), नोएडा (303), ग्रेटर नोएडा (270), गुरुग्राम (325) और फरीदाबाद (256) में वायु गुणवत्ता खराब से बहुत खराब श्रेणी में रही।
air pollution
फ़ोटो साभार: पीटीआई

नयी दिल्ली: दिल्ली की वायु गुणवत्ता सोमवार दिवाली के दिन ‘‘बहुत खराब’’ श्रेणी में पहुंच गयी। प्रतिकूल मौसम के कारण प्रदूषकों के एकत्र होने में मदद मिली, जबकि पटाखों और पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन ने हालात और बिगाड़ दिए।

स्विट्जरलैंड के संगठन आईएयर के अनुसार, दिवाली के दिन दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जिसके बाद पाकिस्तान में लाहौर था।

हालांकि, दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 312 है, जो सात साल में दिवाली के दिन के लिए दूसरा सबसे अच्छा है। इससे पहले, शहर में 2018 में दिवाली पर 281 का एक्यूआई दर्ज किया गया था।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में पिछले साल दिवाली पर एक्यूआई 382 दर्ज किया गया था, 2020 में 414; 2019 में 337; 2017 में 319 और 2016 में 431 दर्ज किया गया था।

पड़ोसी शहरों गाजियाबाद (301), नोएडा (303), ग्रेटर नोएडा (270), गुरुग्राम (325) और फरीदाबाद (256) में वायु गुणवत्ता खराब से बहुत खराब श्रेणी में रही।

शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 200 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है।

अपेक्षाकृत बेहतर हवा का मतलब अच्छी हवा नहीं है। राष्ट्रीय राजधानी में 25 निगरानी स्टेशनों पर पीएम2.5 का स्तर शाम 4 बजे 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के राष्ट्रीय मानक से पांच से छह गुना अधिक था।

पीएम 2.5 महीन कण होते हैं, जो 2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास के होते हैं और श्वसन नली में गहराई तक जा सकते हैं, फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं।

रविवार शाम को, शहर में 24 घंटे का औसत एक्यूआई 259 दर्ज किया गया, जो दिवाली से एक दिन पहले सात साल में सबसे कम था।

तापमान में गिरावट और हवा की गति के बीच रात में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया, क्योंकि लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में पटाखे फोड़े और पूरे पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलायी गई।

हवा की मध्यम गति और गर्म परिस्थितियों के कारण दिन के दौरान हवा की गुणवत्ता की स्थिति काफी हद तक स्थिर रही। हालांकि, कम तापमान, शांत हवाएं और रात में पटाखों से निकलने वाले धुएं के चलते मंगलवार की सुबह तक हवा की गुणवत्ता "बहुत खराब" श्रेणी या यहां तक कि "गंभीर" श्रेणी में जा सकती है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज के चेयर प्रोफेसर गुफरान बेग ने कहा, "दिल्ली की हवा में पीएम2.5 की हिस्सेदारी बढ़ी है, जो पटाखों और पराली जलाने से योगदान का संकेत है। हालांकि, आग लगाये जाने के सक्रिय स्थान दोगुने हो गए हैं, हवा की दिशा उत्तर पश्चिम है और हवा की गति मध्यम है (खेत में पराली जलाये से निकलने वाले धुएं के परिवहन के लिए बहुत अनुकूल नहीं है)। इसलिए पराली जलाने का योगदान बहुत महत्वपूर्ण नहीं है।’’

बेग ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता मंगलवार तड़के "गंभीर" श्रेणी में जा सकती है, लेकिन हवा की गति में सुधार और दिन के दौरान गर्म स्थिति प्रदूषकों को तितर-बितर करने में मदद करेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मंगलवार को ही हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में जाने की संभावना है।’’

वैज्ञानिक ने कहा कि मंगलवार को दिल्ली के पीएम2.5 प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी 12 से 15 प्रतिशत होने की संभावना है।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने सोमवार शाम को पंजाब में 1019, हरियाणा में 250 और उत्तर प्रदेश में 215 जगह खेतों में पराली जलाये जाने की सूचना दी।

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली पूर्वानुमान एजेंसी ‘वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान अनुसंधान प्रणाली’ (सफर) ने पहले अनुमान जताया था कि अगर पटाखे नहीं फोड़े गए तो दिल्ली में हवा की गुणवत्ता "बहुत खराब" श्रेणी में दर्ज की जाएगी। सफर ने पूर्वानुमान जताया था यदि पिछले साल की तरह पटाखे फोड़े जाते हैं, तो दिवाली की रात ही हवा की गुणवत्ता "गंभीर" स्तर तक गिर सकती है।

दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध की धज्जियां उड़ाते हुए लोगों ने सोमवार तड़के दिल्ली के कई हिस्सों में पटाखे फोड़ने शुरू कर दिये।

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पहले कहा था कि दिवाली पर शहर में पटाखे जलाने पर छह महीने तक की कैद और 200 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

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