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दिल्ली: अपनों को खोने के ग़म के साथ शव के लिए लंबा इंतज़ार

शायद इसे ही दुख का पहाड़ कहते हैं। एक तरफ़ जहां लोगों को अपनों को खोने का गम साल रहा है, वहीं उनके शवों को लेने के लिए उनके रिश्तेदारों को शवगृह के बाहर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है क्योंकि शव सौंपे जाने से पहले उनका पोस्टमार्टम होना है। 
Delhi violence

दिल्ली हिंसा में मरने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। समाचार लिखे जाने तक 37 लोगों की मौत की ख़बर है। एक तरफ़ जहां लोगों को अपनों को खोने का गम साल रहा है, वहीं उनके शवों को लेने के लिए उनके रिश्तेदारों को जीटीबी अस्पताल के शवगृह के बाहर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है क्योंकि शव सौंपे जाने से पहले उनका पोस्टमार्टम होना है। 

इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मृतकों के परिजनों को दस-दस लाख रुपये और घायलों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का ऐलान किया है। कोई भी घायल निजी अस्पताल में इलाज करा सकता है उसका खर्च भी दिल्ली सरकार देगी।

उत्तरपूर्वी दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाकों में दुकानें बंद हैं और फिलहाल शांति है, लेकिन अब भी दहशत का माहौल बरकरार है। इन इलाकों में हिंसा की छिटपुट घटनाएं दर्ज की गई। इस हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह संख्या बुधवार तक 27 थी, जिसमें से 25 लोगों की मौत दिलशाद गार्डन स्थिति जीटीबी अस्पाल में हुई थी। 

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘जीटीबी अस्पताल में पांच और एलएनजेपी में एक और व्यक्ति की मौत हो गई। जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में भी गुरुवार को एक व्यक्ति ने दम तोड़ दिया, जिससे कुल मृतक संख्या 34 तक पहुंच गई।’’

लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में बुधवार को एक व्यक्ति की मौत इलाज के दौरान हो गई थी और एक को वहां लाते ही डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था।

अस्पताल में मौजूद अधिकारियों ने बताया कि एलएनजेपी में हिंसा के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से 50 से अधिक लोगों को लाया गया था।

उत्तर पूर्व दिल्ली में हुई हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

इसके बाद आज भी जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग, गोकुलपुरी और आसपास के इलाकों में शांति रही लेकिन खौफ और दहशत का माहौल अभी बना हुआ। ज्यादातर दुकानें बंद रही और उनके दरवाजों पर हिंसा के निशान साफ देखे जा सकते हैं जिसने पिछले कुछ दिनों से लोगों को खौफजदा कर दिया है। 

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एक दिन पहले इन इलाकों का दौरा किया और लोगों को भी आश्वस्त किया कि सुरक्षा बल उनके साथ खड़े हैं।

रविवार से हो रही हिंसा को रोकने के लिए पुलिस ने फ्लैग मार्च किए और भारी संख्या में सुरक्षा कर्मी उत्तर पूर्वी जिले में तैनात हो गए।

दिल्ली दमकल सेवा के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि दिल्ली दमकल सेवा को दंगाग्रस्त इलाकों से बृहस्पतिवार को आधी रात से सुबह आठ बजे तक 19 फोन मिले।

उन्होंने बताया कि इलाके में 100 से अधिक दमकलकर्मी तैनात हैं और इलाके के सभी चार दमकल केंद्रों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए दमकल की अतिरिक्त गाड़ियां दी गई और वरिष्ठ अधिकारी निगरानी कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि वरिष्ठ अधिकारी दंगा प्रभावित इलाकों में डेरा डाले हुए हैं।

इस बीच दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने हिंसा में कथित भागीदारी को लेकर 106 लोगों को गिरफ्तार किया है और 18 प्राथमिकियां दर्ज की हैं।

10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता: केजरीवाल

मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने गुरुवार को घोषणा की कि दिल्ली सरकार उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन को दस-दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई भी घायल निजी अस्पताल में उपचार कराता है तो उसका सारा खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी।

मुख्यमंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हिंसा में गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को दो-दो लाख रुपये दिए जाएंगे।

इससे पहले उन्होंने हिंसा में शहीद दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल के परिवार के लिए एक करोड़ रूपये के मुआवजे की भी घोषणा की थी।

केजरीवाल ने कहा कि आगजनी में नष्ट हुए आवश्यक दस्तावेज फिर से हासिल करने के वास्ते लोगों के लिए विशेष शिविर लगाए जाएंगे।

दंगों में आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन की कथित संलिप्तता के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा कि कोई भी दंगाई, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो, बख्शा नहीं जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि दंगों में शामिल लोगों का संबंध आम आदमी पार्टी से पाया जाता है तो उन्हें दोगुनी सजा दीजिए।’’

शव लेने के लिए शवगृह के बाहर इंतजार में रिश्तेदार

उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा में जहां लोगों को अपनों को खोने का गम साल रहा है, वहीं उनके शवों को लेने के लिए उनके रिश्तेदारों को जीटीबी अस्पताल के शवगृह के बाहर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है क्योंकि शव सौंपे जाने से पहले उनका पोस्टमार्टम होना है।

हिंसा भड़कने के बाद से लापता चल रहे लोगों के परिजन अस्पताल अधिकारियों से यह पता करने को कह रहे हैं कि कहीं शवों में उनके अपनों का शव तो नहीं है या कहीं अस्पताल में उनका इलाज तो नहीं चल रहा है।

जीटीबी अस्पताल के शवगृह के बाहर इंतजार कर रहे 35 वर्षीय मुदस्सिर खान के रिश्तेदारों ने कहा कि वे अब तक सदमे से उबर नहीं पाए हैं।

उनके भतीजे अरबाज खान ने कहा, ‘‘हम यहां पिछले दो दिन से आ रहे हैं। कल प्रभारी जांच अधिकारी ने कहा कि फाइलें तैयार हैं और

पोस्टमॉर्टम किये जाएंगे। आज हम सुबह आठ बजे से ही प्रतीक्षा कर रहे हैं और पोस्टमॉर्टम चल रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि शव जल्द मिल जाएगा। हमलोग आज ही अंतिम संस्कार करेंगे।’’

अपने क्षेत्र मुस्तफाबाद में हालात के बारे में अरबाज ने कहा कि हालात सामान्य हो रहे हैं लेकिन लोगों में अब भी डर कायम है।

उसने कहा, ‘‘कोई चैन से नहीं सो पा रहा है। अब भी डर बना हुआ है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, हर व्यक्ति घरों के अंदर ही रहना मुनासिब समझ रहा है। यहां तक कि हमलोग भी यात्रा के लिए अपने वाहनों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। इन तीन दिनों में जो भी हुआ उससे हमलोग सदमे में हैं।’’

करदमपुरी में सोमवार को मुदस्सिर जब अपने घर के बाहर थे तभी भीड़ ने उनपर हमला कर दिया। उनके परिवार ने कहा कि मुदस्सिर के सिर में गोली लगी थी और जीटीबी अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

दंगा प्रभावित पीड़ितों के कई रिश्तेदार और दोस्त अपनों की खबर के लिए बेसब्री से अस्पताल के बाहर इंतजार कर रहे हैं।

सीबीएसई ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में 28-29 फरवरी को होने वाली परीक्षाएं टाली

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने हिंसा प्रभावित उत्तर पूर्वी दिल्ली एवं पूर्वी दिल्ली के इलाकों में 28 फरवरी और 29 फरवरी को होने वाली परीक्षाएं टाल दी हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

सांप्रदायिक हिंसा के चलते सीबीएसई ने इस सप्ताह तीसरी बार परीक्षा स्थगित करने की घोषणा की है। 

सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार से मिले अनुरोध को देखते हुए और छात्रों, कर्मियों एवं अभिभावकों को असुविधा से बचाने के लिए उत्तर पूर्वी दिल्ली तथा अन्य प्रभावित इलाकों में 28 फरवरी और 29 फरवरी को होने वाली परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। प्रभावित छात्रों के लिए परीक्षा की अगली तिथि जल्द अधिसूचित की जाएगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘समूची दिल्ली के सभी केंद्रों पर सारी परीक्षाएं दो मार्च से तय कार्यक्रम के तहत ही होंगी।’’

बोर्ड ने यह भी घोषणा की कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा के चलते राष्ट्रीय राजधानी के अन्य हिस्सों में परीक्षा नहीं दे पाए छात्रों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित करेगा। उसने शहर में मौजूदा स्थिति के कारण परीक्षा नहीं दे पाए छात्रों की विस्तृत जानकारी मांगी है।

त्रिपाठी ने कहा, ‘‘बोर्ड सभी स्कूलों विशेषकर प्रभावित क्षेत्रों के स्कूलों के प्रधानाचार्यों के साथ संपर्क में है और उसे पता चला है कि मौजूदा स्थिति के कारण प्रभावित इलाकों में रहने वाले कुछ छात्र क्षेत्र से बाहर के इलाकों में आयोजित परीक्षाओं में नहीं बैठ पा रहे हैं।’’

दिल्ली में स्थिति ‘‘सामान्य हो रही है’’: राजनाथ सिंह

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि हिंसा प्रभावित दिल्ली में अब हालात सामान्य हो रहे हैं। यहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के एक कार्यक्रम से हटकर पत्रकारों से सिंह ने कहा, ‘‘दिल्ली में स्थिति अब सामान्य हो रही है।’’

रक्षा मंत्री ने हालांकि दिल्ली में सामान्य हालात बहाल करने के लिए सेना बुलाए जाने की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मांग पर पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया।

केजरीवाल ने बुधवार को कहा था कि तमाम प्रयासों के बावजूद उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा पर पुलिस नियंत्रण नहीं कर पा रही है इसलिए अब सेना को बुलाया जाना चाहिए।

दिल्ली में ‘‘गुजरात मॉडल’’ दोहराया गया, शाह को इस्तीफा देना चाहिए : राकांपा

मुम्बई : राकांपा ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि दिल्ली में ‘‘गुजरात मॉडल’’ की पुनरावृत्ति की गई है जहां सीएए को लेकर बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई। पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफा भी मांगा है।

दिल्ली में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्रालय की है।

महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने जांच की मांग की कि क्या गृह मंत्री राष्ट्रीय राजधानी में स्थिति को संभाल नहीं पाए या उन्होंने कथित तौर पर पुलिस को निर्देश दिए थे कि त्वरित प्रतिक्रिया नहीं दे।

विपक्षी दलों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय राजधानी में दंगों के दौरान वह मूकदर्शक बनी रही। 

कांग्रेस शाह का इस्तीफा पहले ही मांग चुकी है।

मलिक ने कहा कि दिल्ली में गुजरात मॉडल की पुनरावृत्ति हुई है। उनका इशारा 2002 के गुजरात दंगों की ओर था।

मलिक ने कहा कि क्या गृह मंत्री दिल्ली में स्थिति को नहीं संभाल सके या उन्होंने खुद ही पुलिस को निर्देश दिए थे, इसकी जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।

दिल्ली दंगों के लिये भाजपा जिम्मेदार : अखिलेश

सीतापुर : समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने गुरुवार को दिल्ली दंगों के लिये भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यही उसका गुजरात मॉडल है।

वह जिला जेल में सपा नेता आजम खान से गुरुवार को मिलने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। अखिलेश से जब दिल्ली दंगों के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ''भाजपा दंगों के लिये जिम्मेदार है और यह उनका गुजरात माडल है, जो नफरत फैलाने का काम करता है ।''

उन्होंने कहा, ''जब अमेरिकी राष्ट्रपति वहां आये हुये थे और एक लाख से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे तब दंगा कैसे हो गया। अगर सरकार और पुलिस चाहती तो कभी दंगे नहीं होते। यह उनकी नाकामी है कि वह दिल्ली में दंगों पर नियंत्रण नहीं कर पाये।''

योगी आदित्यनाथ के बारे में अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री में राजनीतिक मर्यादा नहीं है, वह जो भाषा बोलते हैं, वह लोकतंत्र में किसी चुने हुये प्रतिनिधि की नहीं हो सकती है। 

दिल्ली हिंसा की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में उच्च स्तरीय जांच हो: मायावती

दिल्ली : बसपा प्रमुख मायावती ने बृहस्पतिवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा को 1984 जैसी हिंसा करार दिया और कहा कि इसकी उच्चतम न्यायालय की निगरानी में उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी की कानून-व्यवस्था में सुधार के लिए पुलिस को फ्री-हैंड देने की मांग की और कहा कि पीड़ितों की पूरी मदद की जाए।

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘देश की राजधानी के कुछ इलाकों में 1984 के भीषण सिख दंगों की तरह हुये दंगों ने दिल्ली सहित पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। यह बहुत दुखद और निन्दनीय भी है।’’

मायावती ने कहा, ‘‘ज्यादा चिंता की बात यह है कि दंगों की आड़ में जो अब घिनौनी राजनीति की जा रही है, जिसे पूरा देश देख रहा है, उससे यहां की सभी राजनीतिक पार्टियों को जरूर बचना चाहिये।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली दंगों की माननीय उच्चतम न्यायालय की निगरानी में उच्च-स्तरीय जांच हो। साथ ही, इन दंगों में हुये जान-माल के नुकसान की केन्द्र व दिल्ली सरकार मिलकर पूरी भरपाई करे। इस मामले में माननीय राष्ट्रपति जी को भी जल्द ही चिट्ठी भी लिखी जायेगी।’’

अल्पसंख्यकों की रक्षा में दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता 1984 की याद दिलाती है: नरेश गुजराल

दिल्ली : शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में अल्पसंख्यकों के जानमाल की रक्षा करने में दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता 1984 के सिख विरोधी दंगों की याद दिलाती है। भाजपा की गठबंधन सहयोगी शिअद के सांसद ने कहा कि कोई भी 1984 की पुनरावृत्ति नहीं चाहता।

दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को पत्र लिखने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के पुत्र नरेश गुजराल ने पीटीआई से कहा कि शहर के कुछ हिस्सों में अल्पसंख्यक ‘‘दहशत’’ में हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस ने चूंकि उनके (अल्पसंख्यकों) जान माल की रक्षा नहीं की तो यह ठीक वैसा ही है जो हमने 1984 में देखा था।’’

सांसद ने अपनी शिकायत पर कथित तौर पर कार्रवाई न होने को लेकर दिल्ली पुलिस की निन्दा की। शिकायत में उन्होंने पुलिस से अल्पसंख्यक समुदाय के 16 लोगों की मदद के लिए आने का आग्रह किया था।

गुजराल ने कहा, ‘‘जब एक सांसद की शिकायत पर कार्रवाई नहीं होती तो अंदाज लगाया जा सकता है कि आम आदमी के साथ क्या होता होगा? कोई भी सभ्य भारतीय 1984 की पुनरावृत्ति नहीं चाहता।’’

वाम ने भी घेरा

इससे पहले माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को कहा कि दिल्ली हिंसा ने 2002 के गुजरात दंगों की ‘‘याद’’ दिला दी। येचुरी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए भाकपा महासचिव डी राजा ने आरोप लगाया कि यह स्पष्ट है कि दिल्ली में हिंसा पुलिस और उसे नियंत्रित करने वाली शक्तियों की मिलीभगत से हुई है । 

दिल्ली हिंसा में हुई मौत से संयुक्त राष्ट्र प्रमुख दुखी

संयुक्त राष्ट्र :संशोधित नागरिकता कानून को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्व इलाके में सांप्रदायिक हिंसा में अनेक लोगों के हताहत होने से संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ‘‘बहुत दुखी’’ हैं और हिंसा के मामले में अधिकतम संयत बरतने की अपील की है । गुतारेस के प्रवक्ता ने यहां इसकी जानकारी दी ।

दुजारिक से यह सवाल पूछा गया था कि संशोधित नागरिकता कानून को लेकर नई दिल्ली के कुछ हिस्सों में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर महासचिव कोई टिप्पणी करेंगे और क्या भारत सरकार से इस बारे में उनकी कोई बातचीत हुई है ।

इसे पहले दुजारिक ने कहा था कि नयी दिल्ली की स्थिति पर गुतारेस नजदीक से नजर रखे हुए हैं और इस बात पर जोर दिया कि प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाजत दी जानी चाहिए और सुरक्षा बलों को संयम बरतना चाहिए ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरूवार को कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां हिंसा रोकने, विश्वास बहाली तथा सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए जमीन पर काम कर रहीं है।

कुमार ने कहा, ‘‘सरकार के वरिष्ठ प्रतिनिधि उस प्रक्रिया में शामिल रहे हैं । प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से शांति और भाईचारे की अपील की है। हम आग्रह करेंगे कि इस संवेदनशील समय पर किसी तरह की गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी न की जाए ।’’

यूएससीआईआरएफ ने चिंता जताई, भारत ने ‘‘गैर जिम्मेदाराना’’ बयान से बचने को कहा

वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों संबंधी अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने दिल्ली में हिंसा पर चिंता जताते हुए भारत सरकार से अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने की अपील की है।

यूएससीआईआरएफ के अध्यक्ष टोनी पर्किंस ने बुधवार दोपहर को जारी एक बयान में कहा, ‘‘ हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह भीड़ हिंसा का शिकार बने मुसलमानों और अन्य समूहों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए गंभीर प्रयास करे।’’
वहीं अमेरिका में राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स ने भी इस पर चिंता जताई थी। 

हिंसा के मुद्दे पर सैंडर्स ने बुधवार को ट्वीट किया था, ‘‘ 20 करोड़ से अधिक मुसलमान भारत को अपना घर कहते हैं। व्यापक पैमाने पर मुस्लिम विरोधी भीड़ की हिंसा में कम से कम 27 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। ट्रम्प ने यह कहकर जवाब दिया कि ‘यह भारत का मामला है। यह मानवाधिकारों पर नेतृत्व की नाकामी है।’’

यूएससीआईआरएफ आयुक्त अरुणिमा भार्गव ने भी कहा कि दिल्ली में ‘‘नृशंस एवं अनियंत्रित हिंसा’’ के खिलाफ सरकार को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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