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पहलवानों का प्रदर्शन: खाप, किसान संगठनों ने सरकार को दिया 15 दिन का अल्टीमेटम

3 मई को महिला पहलवानों के साथ दिल्ली पुलिस के बुरे बर्ताव के विरोध में जंतर-मंतर पर लोगों का हुजूम बढ़ता जा रहा है। खाप प्रधानों और किसान संगठनों ने एक अहम बैठक कर सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है।
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रविवार को जंतर-मंतर पर एक नया नारा गूंजा, ये नारा था, ''जय जवान, जय किसान, जय पहलवान''। इस नारे के साथ ही किसान आंदोलन को याद करते हुए कहा गया कि ''तब लड़ाई फसल की थी अब लड़ाई नस्ल की है''। फसल की लड़ाई जीत चुके किसान संगठन एक बार फिर अपनी ताक़त दिखाने दिल्ली पहुंचे।

हर तरफ पीली पगड़ी और पीली ओढ़नी को देखकर एहसास हो रहा था कि बसंत अभी गया नहीं है, रह-रह कर 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लग रहे थे। किसान नेता, मजदूर संगठन के साथ ही दिल्ली की आम जनता भी जंतर-मंतर पहुंची और बृजभूषण की जल्द गिरफ्तारी के नारे लगे। लेकिन इन सबके बीच एक सात-आठ साल की बच्ची ने जैसे ही बोलना शुरू किया कुछ सेकेंड के लिए ख़ामोशी छा गई, एक हाथ में माइक थामे दूसरे हाथ से कभी अपने आंसू पोछते तो कभी रोते हुए लड़खड़ाते लहज़े में इस बच्ची ने कहा कि ''नमस्ते, मैं भी एक एथलीट हूं और हरियाणा से आई हूं, मैं आपको एक बात बताना चाहती हूं अगर किसी के मन में ये वहम है कि ये सिर्फ इन खिलाड़ियों की बात है तो इसे अपने दिल से निकाल दें, ये मेरे जैसी लाखों लड़कियों की बात है और इसी लिए हम यहां बैठे हैं ताकी हमें ये दिन न देखना पड़े, आप ये बात याद रखना कि अगर खिलाड़ी ये लड़ाई हार गए तो कोई भी लड़की रेसलिंग करने नहीं आएगी''

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बच्ची ने जैसे ही अपनी बात ख़त्म की आगे बैठे बुजुर्गों ने उसके सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देना शुरू कर दिया, किसी ने बच्ची को चुप करवाया तो किसी ने पानी पिलाया। इस बच्ची के अलावा एक और बच्ची ने भी कुछ ऐसी ही बात कही। नजफगढ़ से आई भविष्या ने कहा कि ''क्या मुझे इंसाफ मिलेगा? क्या बेटियों को इंसाफ मिलेगा? मैं तब तक यहीं रहूंगी जब तक बृजभूषण जैसे गुंडे गिरफ़्तार नहीं होते।''

हमने भविष्या के पिता से बात की तो उन्होंने बताया कि वे अपने जुड़वा बच्चों भविष्य और भविष्या के साथ नजफगढ़ से आए हैं। उन्होंने बताया कि उनके दोनों बच्चे रेसलिंग सीख रहे हैं। साथ ही वे कहते हैं कि ''जब से इन्होंने धरने की तस्वीर टीवी पर देखी है तभी से जंतर-मंतर पर आने की जिद्द कर रहे थे। कह रहे थे कि हम वहीं पढ़ाई कर लेंगे लेकिन हमें दीदी (महिला पहलवानों) के पास जाना है।''

imageभविष्य और भविष्या

जंतर-मंतर पर पहलवानों के धरने का 15वां दिन बहुत ख़ास रहा। सुबह से ही जंतर-मंतर को एक छावनी में तब्दील कर दिया गया था। इसके साथ ही दिल्ली से लगने वाले बॉर्डर जैसे सिंघु, गाज़ीपुर बॉर्डर पर आने वाले जत्थों को रोकने की कोशिश की गई। बहुत से जत्थों को रोका गया लेकिन कई जत्थे जंतर-मंतर तक पहुंचने में कामयाब हो गए। पंजाब से भारी संख्या में भारतीय किसान यूनियन की महिलाएं, खाप पंचायत से जुड़े लोग, कई दूसरे किसान संगठन, मज़दूर संगठन, छात्र, वकील, भगत सिंह की भतीजी के साथ ही महिला संगठन से जुड़ी कार्यकर्ताओं ने धरने में अपनी बात रखी। जहां एक तरफ मुख्य धरना स्थल पर लोग अपनी बात रख रहे थे वहीं दूसरी तरफ खाप और किसान संगठनों ने आंदोलन के आगे के रुख के लिए एक लंबी बैठक (महापंचायत) की।

15 दिन का 'अल्टीमेटम'

लंबी चली 'महापंचायत' के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई जिसमें बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में बताया गया कि खाप पंचायत के कई लोग यहां (जंतर-मंतर) पर आते रहेंगे। 15 दिन तक आंदोलन जारी रहेगा और 15 दिन के बाद भी अगर सरकार ने न सुनी तो 21 मई को फिर बैठक होगी जिसके बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।

16 तारीख को खापों का पैदल दिल्ली कूच

किसान संगठनों और खापों की 'महापंचायत' से पहले भी एक अहम ऐलान किया गया। खापों की तरफ से कहा गया कि ''सभी खापों से आह्वान किया गया है चाहे वे हरियाणा की है, चाहे वे राजस्थान की है, चाहे वे उत्तर-प्रदेश की है सभी खापें जत्थे के रूप में चलेंगी। 16 तारीख को हरियाणा की सभी खापें बहादुरगढ़ पहुंचेगी पैदल जत्थे लेकर। 16 तारीख़ को ही उत्तर प्रदेश की खापें गाज़ीपुर बॉर्डर पर पहुंचेंगी पैदल जत्थे के साथ, राजस्थान की खापें सारी की सारी मथुरा रोड से होती हुई दिल्ली में एंट्री करेंगी''।

11, 12, 13 मई को पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड में भारतीय किसान यूनियन एकता उग्रहा का मार्च होगा

वहीं भारतीय किसान यूनियन एकता उग्रहा से जुड़ी हरिंदर ने बताया कि उनके आज के इस सफल प्रदर्शन के अलावा 11, 12, 13 मई को पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में भी विशाल मार्च के आयोजन किए जाएंगे। उन्होंने रविवार के मार्च के बारे में बताया कि क़रीब साढ़े चार सौ लोग उनके साथ आए थे जिसमें साढ़े तीन सौ महिलाएं थी। जंतर-मंतर पहुंची इन महिलाओं ने बृजभूषण पर जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की। जाते-जाते इन महिलाओं ने ऐलान किया कि अगर दोबारा दिल्ली आने की ज़रूरत पड़ेगी तो वे फिर आएंगी।

imageजगमति सांगवान (एडवा) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

वहीं भारतीय भीम अवार्डी, अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान ने भी रविवार को जंतर-मंतर पर ज़बरदस्त नारों के साथ अपनी बात शुरू की और उन्होंने कहा कि ''इस देश की खिलाड़ी सिर्फ खेल का बोझ अपने कंधे पर लेकर नहीं खेलती वे अपनी इज्जत की रक्षा का बोझ लेकर भी खेलती हैं। इन महिला खिलाड़ियों के धरने को हम सबको सलाम करना है और सफलता हासिल करनी है, बृजभूषण को तो जेल में चक्की पीसनी ही होगी।''

ऐक्टू से जुड़े सूर्य प्रकाश ने कहा कि '' हिंदुस्तान की ये महिला पहलवान जो ओलंपिक जीत कर आ रही हैं आज इनको आवाज़ उठानी पड़ रही है, गिरफ्तारी के लिए धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है तो सोचिए बाकी जगह क्या हाल होगा। ज्यादातर हमने देखा कि सभी वर्कप्लेस पर महिलाओं के साथ कुछ न कुछ होता है लेकिन इन महिलाओं को मैं क्रांतिकारी सलाम करूंगा कि ये यहां आकर बोल रही हैं।''

दिल्ली के सीमापुरी से जंतर-मंतर पर महिला पहलवानों को समर्थन देने पहुंचे शहाबुद्दीन ने कहा कि ''बेटियों के साथ जो ज्यादती हुई है उसके विरोध में मैं नहीं पूरा भारत इन बेटियों के साथ है। हर जाति, धर्म का आदमी यहां मौजूद है। ये भारत इकट्ठा हुआ था किसान आंदोलन के वक़्त जब रोटी का मसला था और आज भारत फिर से इकठ्ठा हो रहा है बेटी के सम्मान के लिए। और बेटी किसी जाति धर्म की नहीं पूरे भारत की होती है जब ये पूरे विश्व में खेलने जाती हैं तो इनके पीछे 'इंडिया' लिखा होता है वहां जाट, मुसलमान नहीं लिखा होता वे अपने देश के लिए खेल रही होती हैं।''

महिला पहलवानों को इंसाफ मिलने में देरी से नाराज़ रेणु ने कहा कि'' कोई महिला इतना बड़ा आरोप यूं ही किसी पर नहीं लगाती, ये खिलाड़ी अपने खेल को, अपनी ज़िंदगी को, करियर को दांव पर लगाकर यहां बैठी हैं, अगर अब भी न्याय नहीं मिला तो ऐसे समाज का, ऐसे मेडल का क्या फायदा''?

इसे भी पढ़ें : जंतर-मंतर: क्या महिला पहलवानों के आंसू बदल देंगे आंदोलन की दिशा? 

रिटायर फौजी रणवीर मेहरा ने कहा कि ''वे दिन दूर नहीं जब इन बेटियों (महिला पहलवानों) के एक-एक आंसू का बदला लिया जाएगा। क्या बृजभूषण सिंह बीजेपी का रिश्तेदार है जिस पर कोई कार्रवाई नहीं करते उल्टे रात में पुलिस बेटियों के साथ बुरी तरह से पेश आती है उनके बाल खींचती है क्यों?

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रिटायर फौजी, किसान, पहलवान, महिलाएं, छात्र, समाज से जुड़े कई बड़े नाम इस धरने को समर्थन देने पहुंचे। देश की राजधानी में पंजाब से आई कई ऐसी बुज़ुर्ग महिलाएं दिखीं जो इस गर्मी में लंबा सफर तय करके जंतर-मंतर पहुंची थीं। कोई लाठी के सहारे चल रही थीं तो कोई धरना स्थल पर ही लेट कर अपनी कमर सीधी करने की कोशिश करती दिखीं। सुर्ख आंखें उनकी थकान को बयान कर रही थीं, उमस भरे दिन में लगातार बहते पीसने को पोछते हुए एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि ''बेटियां तो सबकी सांझी होती हैं, कल को हमारी बेटी के साथ कुछ हुआ तो, ये भी तो हमारी, देश की बेटियां ही हैं और इस वक़्त इन्हें हमारी ज़रूरत है''।

जंतर मंतर पर की कुछ ख़ास तस्वीरें

imageएक खाप की तरफ से धरने पर बैठी महिला पहलवानों का सम्मान किया गया

imageएक बुजुर्ग साक्षी मलिक और विनेश फोगाट को आशीर्वाद देते हुए

imageशहीद भगत सिंह की भतीजी भी जंतर-मंतर पहुंची

imageलंगर का आयोजन किया गया

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