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दुष्यंत कुमार: मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिये

जनता के शायर दुष्यंत कुमार की आज 90वीं सालगिरह है। वह 1 सितंबर 1933 को बिजनौर ज़िले का नवादा गांव में पैदा हुए थे। जन्मदिन के मौके पर उनकी एक मशहूर ग़ज़ल आपके लिए
Dushyant kumar

ग़ज़ल


कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये

कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये


यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है

चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिये


न हो क़मीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे

ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिये


ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही

कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिये


वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता

मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिये


जियें तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले

मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिये

- दुष्यंत कुमार

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