जीडीपी ग्रोथ घटने और महंगाई दर बढ़ने का अनुमान
आरबीआई ने इस बार उम्मीदों के विपरीत रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। यानी लोन अभी और सस्ते नहीं होंगे। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सभी 6 सदस्यों ने ब्याज दरें स्थिर रखने के पक्ष में वोट दिया। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान घटाकर 5% कर दिया है। पिछला अनुमान 6.1% का था। आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा के लिए तीन दिन चली बैठक के बाद गुरुवार को फैसलों की जानकारी दी।
हकीकत यह है कि पिछली छह तिमाही से आर्थिक वृद्धि की दर में लगातार गिरावट हो रही है। यह 8 फीसदी से गिरकर 7 फीसदी हुई, 7 फीसदी से गिरकर 6.6 फीसदी हुई, 6.6 फीसदी से गिरकर 5.8 फीसदी हुई और 5.8 फीसदी से गिरकर 5 फीसदी हुई और 5 फीसदी से गिरकर अभी यह तकरीबन 4.5 फीसदी पर पहुँच चुकी है।
आरबीआई ने दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में रिटेल महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 4.7-5.1% किया है। पिछली बार 3.5% से 3.7% का अनुमान था।
पिछली 5 बैठकों में आरबीआई ने रेपो रेट में हर बार कमी करते हुए कुल 1.35% कटौती की थी। अर्थशास्त्री इस बार भी 0.25% कटौती की उम्मीद कर रहे थे। माना जा रहा था कि आर्थिक विकास दर को रफ्तार देने के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) रेपो रेट में और कटौती का फैसला ले सकती है। जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 4.5% रह गई। यह पिछले 6 साल में सबसे कम है।
आरबीआई ने अब तक रेपो रेट जितना घटाया बैंकों ने ग्राहकों को उतना फायदा नहीं दिया। इसलिए केंद्रीय बैंक ने अक्टूबर से ब्याज दरों को रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जोड़ना अनिवार्य किया था। एसबीआई समेत प्रमुख बैंकों ने ब्याज दरों को रेपो रेट से लिंक करने का विकल्प चुना था।
(भाषा के इनपुट के साथ )
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।