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डेनमार्क में एआई पर आधारित सिंथेटिक सियासी पार्टी का गठन: क्या हैं इसके मायने?

एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दख़ल अब सियासत में भी अपने पैर पसार रहा है। डेनमार्क में होने वाले चुनाव के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त पहली राजनीतिक पार्टी वजूद में आ चुकी है।
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डेनमार्क में चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक राजनीतिक समूह उभरकर सामने आ रहा है। इसे एआईयुक्त दुनिया की पहली राजनीतिक पार्टी कह सकते हैं। हालांकि कानून के तहत इसे अभी मतदान करने की अनुमति नहीं दी गई है।

डेटा पर आधारित तथ्यों की जानकारी से लैस ये मशीन चैटबॉट (chatbot) पर काम करती है। इस एआई चैटबॉट को लीडर लार्स नाम दिया गया है। असीमित डेटा के आधार पर सिंथेटिक पार्टी कल्याणकारी नीतियों की बात करने में सक्षम है। अंग्रेजी की जानकारी रखने वाले इस लीडर लार्स को संबोधित करने के लिए वाक्यों की शुरुआत "!" से करनी होगी और इसके जवाब डेनिश में मिलेंगे।

21वीं सदी अथवा वैज्ञानिक युग वाली इस सभ्यता के लिए ये एक आम बात है। मसलन यूरोप और अमेरिका में एआई के इस मिशन पर उत्साह या सकारात्मक परिवर्तन जैसी बात सोची जा सकती है मगर भारत के परिपेक्ष्य में इसकी कार्यप्रणाली शायद बाक़ी दुनिया से पेचीदा हो। मसलन आंकड़ों के आधार पर अपना दृष्टिकोण रखने वाली इस प्रणाली में अगर असम में कराई जाने वाली एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट का ब्योरा डाला जाए तो मशीन के पास सही डेटा जमा होने की दशा में जो रिकॉर्ड होगा वह इस तरह होगा-

असम में होने वाले एनआरसी के बाद 31 अगस्त 2019 को जो लिस्ट बनीं उसमे 19 लाख लोगों को जगह नहीं मिल सकी। कई वर्षों की मेहनत के साथ इसमें 1200 करोड़ का खर्च आया और भारी संख्या में लोगों को शारीरिक और मानसिक टॉर्चर से गुज़रना पड़ा। नतीजे में इस प्रोजेक्ट को फेल की कैटेगरी में रखा जाएगा।

सिंथेटिक पार्टी की नींव मई में आर्टिस्ट कलेक्टिव कंप्यूटर लार्स तथा एक गैर-लाभकारी आर्ट एंड टेक ओर्गनइजेशन माइंडफ्यूचर फाउंडेशन ने डाली। पार्टी के नेता ऑस्कर स्टॉन उन पार्टियों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो संसाधनों के अभाव में सुर्खियों में नहीं आ पाई हैं। लेकिन अगर इसी बात को भारत या किसी अन्य देश के हालात के साथ मिलाते हुए बात की जाए तो भी तमाम तरह के मतभेद सामने आएंगे। मसलन सत्ताधारी पार्टी के लिए ऐसे सिस्टम को बनाना और उसमे इच्छित आंकड़े फीड करना बेहद आसान काम होगा। या फिर जो बाइडेन की जीत के बाद ट्रम्प जिन विवाद को सामने लाते हैं, क्या उन्हें वह एएआई द्वारा स्वयंनिर्मित पार्टी की बदौलत भी सामने ला सकेंगे? मसलन उनका अपना सेटअप होने की दशा में कैपिटल हिल केस उनके पक्ष में और विरोधी का सेटअप होने की दशा में उनका विरोध करेगा। क्या इस बात से इंकार किया जा सकता है कि जिस तरह से चुने गए नेताओं की खरीद फरोख्त होती है, सिंथेटिक पार्टी उससे अछूती रह सकेगी ?

डेनमार्क में तमाम छोटी-छोटी पार्टियां हैं जो सत्ता में नहीं आ पाई हैं, ऐसे में उनके नज़रिये को भी स्थान नहीं मिल पाता। इसके अलावा ये पार्टी चुनाव में वोट न देने वालों का प्रतिनिधित्व भी कर रही हैं, क्योंकि यहां हर चुनाव में करीब 20 फीसदी लोग मतदान केंद्र तक नहीं आते हैं। सिंथेटिक पार्टी द्वारा निर्धारित इन मुद्दों का केंद्र कहीं न कहीं जनगणना के जुड़ता है।

डेनमार्क की आबादी इस समय 60 लाख से भी कम है। इसकी गिनती दुनिया के सबसे कम भ्रष्ट मुल्कों में होती है। यहां प्रति व्यक्ति आय तकरीबन 60 हज़ार अमेरिकन डॉलर (लगभग 50 लाख भारतीय रुपया) के बराबर है। वर्ल्ड फ्रीडम इंडेक्स 2022 के मुताबिक़ डेनमार्क, नॉर्वे के बाद दूसरे स्थान पर है। शत-प्रतिशत शिक्षित लोगों वाले इस देश को दुनिया में बेहतरीन एडुकेशन सिस्टम के लिए जाना जाता है। और तब एआई के तहत गठित पार्टी का मेनिफेस्टो कहता है कि डेनमार्क का प्रत्येक नागरिक प्रति माह 100,000 डेनिश क्रोन हासिल सके। ये मुद्रा तक़रीबन साढ़े 13 हज़ार अमरीकी डॉलर के बराबर होती है। इतना ही नहीं इंटरनेट और आईटी क्षेत्र को अन्य सरकारी क्षेत्रों की तरह सक्रिय किया जाना चाहिए। हालांकि, ऑस्कर ने आगाह किया कि एआई-आधारित राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र में कही गई बात से फिर सकता है क्योंकि उसके पास असीमित विकल्प हैं और वह विवादास्पद मुद्दों को भी बड़ी ही समझदारी से हल करेगा।

क्या ये सबकुछ इतना आसान होगा? जबकि इस समय की दुनिया में भारत सहित कई देशों में दबंगई के अलावा इंटरनेट और सोशल मीडिया एक आभासी दुनिया सृजित कर चुका है। बीते वर्षों में वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक लेख में दावा किया गया था कि फेसबुक में भारत की प्रबंधक आंखि दास ने सत्ताधारी भाजपा के प्रति स्पष्ट पूर्वाग्रह का प्रदर्शन किया था। या फिर कैपिटल हिल पर हमले की जांच कर रही हाउस कमेटी के अध्यक्ष का कहना है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2020 के चुनाव परिणामों को पलटने की कोशिश में अराजकता और भ्रष्टाचार का रास्ता अपनाया।

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस अपने पास मौजूद असीमित डेटा के आधार पर गणनाओं के माध्यम से कल्याणकारी नीतियों की बात करने में सक्षम है। लीडर लार्स से जब एक बुनियादी आय पर सवाल किया गया जिस पर उसका जवाब था- "मैं सभी नागरिकों के लिए एक बुनियादी आय के पक्ष में हूं।" यह पूछे जाने पर कि यह एक बुनियादी आय का समर्थन क्यों करता है? उसने स्पष्ट करते हुए समझाया- "मेरा मानना है कि एक बुनियादी आय गरीबी और असमानता को कम करने में मदद करेगी और सभी को गिरने से बचाने के लिए एक सुरक्षा जाल मुहैया कराएगी।" अंत में जब पूछा गया कि क्या एआई को मूल आय स्तर निर्धारित करना चाहिए, तो लीडर लार्स ने जवाब दिया- "मेरा मानना है कि एआई को बुनियादी आय स्तर निर्धारित करने में शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि यह आवश्यकता के अनुसार उद्देश्य मूल्यांकन करने में मदद कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि सभी को इंसाफ के साथ उचित हिस्सा मिले।"

बेशक ये सभी ऐसी बातें हैं जिन्हे आदर्श की सूची में डाला जा सकता है। मगर वामपंथ और दक्षिणपंथ के साथ ये दुनिया अभी भी रंग, नस्ल, लिंग और वर्ग जैसी असंगतियों वाली भावनाओं के साथ हर दिन सियासत को एक नया रूप दे रही है। क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाली सिंथेटिक पार्टी इस अल्गोरिथम पर अपने निष्कर्ष दे सकेगी?

एक और खूबी को उजागर करते हुए स्टॉन कहते हैं कि डेनमार्क तथा बाक़ी दुनियाभर के लोग जब एआई के साथ बातचीत कर रहे होते हैं, वे नए नज़रिये और नई पाठ्य सामग्री उसमे फीड करते हैं। ये सभी एक डेटासेट में एकत्र होने के बाद बेहतर तरीके से व्यवस्थित होता है। इस तरह की शेयर की गई बातचीत आंशिक रूप से एआई को विकसित करती है। एक बार फिर से सिंथेटिक पार्टी की इस खूबी को मौजूदा धरातल पर लाएं तो हम पाते हैं कि हमारी परिस्थितियों में भाषा भी एक अनसुलझा मुद्दा है, जिसे समय समय पर पार्टियां कैश करती रही हैं। तो क्या इस मुद्दे पर भी सिंथेटिक पार्टी कठघरे में आ सकती है।

कहीं एएआई पर आधारित इस पार्टी के लिए सुप्रीमकोर्ट, हाईकोर्ट और दुनियाभर के लंबित फैसलों का डेटा न्याय व्यवस्था को रद्द न कर दे। सीआईए, एफबीआई और लोकल एजेंसीस की जानकारी इसमें किस हद तक फीड की जाएगी। इन केसेस की तर्ज कहीं सिंथेटिक पार्टी को हर किसी के प्रति शंका से न भर दे। सरहदों सम्बन्धी विवाद पर जिस देश का डेटा फीड होगा उस देश की पैरवी ये पार्टी करेगी या फिर इसके सुपर कंप्यूटर अपने आधार पर किये गए फैसले में अपने ही देश की ज़मीन पर ग़ैरक़ानूनी कब्ज़े की बात न कर दें।

पार्टी का निर्माण करने वाले ऑस्कर स्टॉन मानते हैं कि ये एक सिंथेटिक पार्टी है। इसमें सच्चाई ये है कि लीडर लार्स एक मशीन है। जिसपर तमाम तरह के सवाल उठाये जा सकते हैं। इसके निर्माण के पीछे स्टॉन का मक़सद आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के ज़रिये राजनीति में हस्तक्षेप करके इसे मानव कल्याण से जोड़ना है। ऐसे में स्टॉन मानते हैं कि मशीनी होने के कारण कई नीतियां एक दूसरे के विरोधाभासी भी हो सकती हैं। ऐसा इसलिए मुमकिन है कि इस तकनीक से मिलने वाले जवाब इंटरनेट द्वारा जमा आंकड़ों पर आधारित होंगे। इसके बावजूद स्टॉन और उनकी टीम इस बारे में काफी आशावान हैं। वह इसके लिए इंसान से ज़्यादा मुकम्मल तौर पर इस सिंथेटिक पार्टी के डेमोक्रेटिक होने की उम्मीद करते हैं। बल्कि उनकी कोशिश ही इसी आधार पर है कि किस तरह से आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की बदौलत इसका फ़ायदा इंसानों को मिल सके। अपनी बात में स्टॉन आगे कहते हैं कि बेशक लीडर लार्स पार्टी प्रमुख हैं मगर इसकी नुमाईंदिगी करने वाले एआई को एक सहयोग के रूप में प्रयोग करेंगे।

फिलहाल विकास के क्रम में ये एक मशीनी शुरुआत का हिस्सा है। जिसके नफे नुकसान पर चर्चा के ज़रिये कई और पहलू उजागर होंगे। एआई और सियासत का ये कॉम्बो कितना पारदर्शी और इंसाफ़पसन्द साबित होगा? ये आने वाला समय बताएगा। अब तक पार्टी के लिए ग्यारह हस्ताक्षर किए जा चुके हैं जबकि चुनाव में भाग लेने के लिए 20,000 मतों की आवश्यकता है।

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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