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ग्लोबल वार्मिंग के कारण 2028 तक ‘रिकॉर्ड’ गर्मी का प्रकोप सामने आएगा

‘वैश्विक वार्षिक से दशकीय जलवायु अद्यतन’ रिपोर्ट यह चेतावनी देती है कि अगर मनुष्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को ‘‘पूरी तरह शून्य’’ (नेट जीरो) तक कम करने में विफल रहते हैं, तो इस दशक में बदतर गर्मी के रिकॉर्ड टूटेंगे।
heatwave
प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

अगले पांच साल में एक वर्ष लगभग निश्चित रूप से सबसे गर्म होगा और इसी अवधि में इस बात की प्रबल संभावना है कि एक वर्ष 1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग की सीमा को पार कर जाएगा।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की एक नई रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है।

‘वैश्विक वार्षिक से दशकीय जलवायु अद्यतन ’ रिपोर्ट यह चेतावनी देती है कि अगर मनुष्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को ‘‘पूरी तरह शून्य’’ (नेट जीरो) तक कम करने में विफल रहते हैं, तो इस दशक में बदतर गर्मी के रिकॉर्ड टूटेंगे।

आगाह करती इस रिपोर्ट के बाद अगले पांच साल के लिए दृष्टिकोण क्या होगा? जबकि संभावित अल-नीनो वैश्विक तापमान को रिकॉर्ड स्तर पर ले जाएगा।

यदि वैश्विक औसत तापमान अगले पांच वर्षों में से किसी एक वर्ष में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा से अधिक हो जाता है, तो क्या यह माना जाए कि पेरिस समझौता पहले ही विफल हो चुका है। नहीं, लेकिन यह एक बड़ी चेतावनी है कि अगर हम जल्द ही ‘नेट जीरो’ के लक्ष्य को पाने में विफल रहते हैं तो आगे किन चीजों का सामना करना पड़ सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग रिकॉर्ड गर्मी को अपरिहार्य बनाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात की 98 प्रतिशत संभावना है कि अगले पांच सालों में कोई एक साल ऐसा होगा, जब रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की जाएगी। वहीं, इस बात की 66 प्रतिशत संभावना है कि अगले पांच सालों में एक वर्ष 1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग की सीमा को पार कर जाएगा।

इस बात की भी 32 प्रतिशत संभावना है कि अगले पांच वर्षों में औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा से अधिक हो जाएगा। अस्थायी रूप से तापमान के 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना 2015 से लगातार बढ़ी है, जब यह शून्य के करीब थी। वर्ष 2017 और 2021 के बीच के वर्षों के लिए यह संभावना 10 प्रतिशत थी।

मानव जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ने 19वीं शताब्दी के अंत से पहले ही वैश्विक औसत तापमान को 1 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ा दिया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 का औसत वैश्विक तापमान ला-नीना स्थितियों के शीतलन प्रभाव के बावजूद 1850-1900 के औसत से लगभग 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक था। तापमान अब लगभग 0.2 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक बढ़ रहा है।

हम दुनिया को इतनी तेजी से गर्म कर रहे हैं, जिससे विश्व स्तर पर और स्थानीय स्तर पर गर्मी के रिकॉर्ड बन रहे हैं। जलवायु पर मानवीय प्रभावों के कारण तापमान अभूतपूर्व उच्च स्तर पर पहुंच रहा है।

मौसमी घटना ‘अल-नीनो’ की संभावना तापमान के और अधिक बढ़ने की वजह बन सकती है।

वर्तमान रिकॉर्ड वैश्विक औसत तापमान 2016 में सामने आया था। उस वर्ष की शुरुआत में एक प्रमुख अल नीनो घटना ने वैश्विक औसत तापमान को बढ़ा दिया था।

अल-नीनो मौसम की एक घटना है जो तब होती है जब मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र का तापमान सामान्य से ऊपर बढ़ जाता है। ये बढ़ा हुआ तापमान वायुमंडलीय पैटर्न में बदलाव की वजह बनता है। इसकी वजह से भारतीय प्रायद्वीपों में मानसून चक्र कमजोर पड़ता है, जिसकी वजह से बारिश भी कम होती है।

अल-नीनो की स्थिति प्रशांत महासागर क्षेत्र में बनने लगी है और इसके जून और जुलाई में जोर पकड़ने की संभावना बढ़ रही है। यह 2016 के बाद पहली महत्वपूर्ण अल-नीनो घटना हो सकती है।

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