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ग्राउंड रिपोर्ट: बुलडोज़र एक्शन में बेघर हुए लोग अब कहां जाएंगे?

31 जुलाई को नूंह में हुई हिंसा के बाद मेवात में बड़े पैमाने पर बुलडोज़र चला, जिस पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए स्टे लगा दिया, अब बड़ा सवाल ये उठता है कि जिनके घर टूट गए वे कहां जाएंगे? 
Homeless

ध्वस्त कर दी गई इमारतों का मलबा, दीवारों पर चले हथौड़ों के निशान, जली हुई दुकानें के टूटे शीशे, सड़कों पर गाड़ियों के जलने के बाद बने स्याह धब्बे फैल कर सड़क के ही काले रंग में मिलने के क़रीब थे। 31 जुलाई की घटना को भले ही कई दिन बीत चुके थे लेकिन हवा में आज भी दहशत तैर रही थी। नूंह से निकलते-निकलते हमें रात हो चुकी थी और कभी बेहद व्यस्त रहने वाले बाज़ार कर्फ्यू में ख़ामोशी ओढ़े चुपचाप दिखे। 

नूंह की घटना के बाद मेवात में बड़े पैमाने पर बुलडोज़र चला, जबकि इस कार्रवाई से पहले हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि'' जैसे-जैसे केस बनता है उसका इलाज करेंगे और उस इलाज में बुलडोज़र भी एक दवाई है जहां ज़रूरत होगी हम चलाएंगे'' 

31 जुलाई की घटना के बाद जिस तरह से मामले दर्ज हुए, गिरफ़्तारी की गईं और बुलडोज़र एक्शन पर लोगों का क्या कहना है और क्या माहौल है ये हमने जानने के लिए मेवात के कुछ इलाकों का दौरा किया। 
 
फिरोज़पुर झिरका

नूंह के इस इलाके में मेन बाज़ार मंगलवार को खुला, लेकिन बाज़ार में लोगों से ज़्यादा पुलिस और रैपिड एक्शन के जवान दिखाई दिए। अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे इस ख़ूबसूरत गांव में जैसे ही हालात का जायजा लेने के लिए हम आगे बढ़े सड़क पर एक बड़ा काला धब्बा दिखाई दिया, पता चला 31 जुलाई को यहां एक बाइक को आग के हवाले कर दिया गया था। हमने एक स्थानीय वकील यूसुफ़ ख़ान से बात कर इलाके के हालात के बारे में जानने की कोशिश की उन्होंने बताया कि '' फिरोज़पुर झिरका में सिर्फ एक ही FIR दर्ज हुई है जो तीन अगस्त को दर्ज हुई है जबकि घटना 31 तारीख़ की बताई जा रही है, FIR  250 अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है, जिसमें अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है और ना ही किसी की पहचान हुई है।  इस एक FIR की वजह से पूरे इलाके में दहशत का माहौल बन गया है कि पता नहीं कौन से वे ढाई सौ लोग हैं, और पुलिस किस को उठा ले क्योंकि FIR में किसी का नाम नहीं है, इस दहश्त से लोग रात को सो नहीं पाते, कुछ लोग रात को घर से बाहर चले जाते हैं। पूरा इलाका परेशान है''।

जिस जगह बाइक जलाई गई उससे कुछ ही दूरी पर हमने एक घर के आगे बैठी कुछ महिलाओं से बातचीत की हमने पूछा कि क्या आपको घटना के बारे में कोई जानकारी है ? उन्होंने कहा ''हमें दो-तीन दिन बाद पता चला''। 

बाइक जली 31 जुलाई को और मामला दर्ज हुआ तीन अगस्त को, जिसके बाद यहां बुलडोज़र की कार्रवाई भी हुई। जिस जगह बाइक जलाई गई थी उससे कुछ ही दूरी पर दूध की घाटी में प्रशासन का बुलडोज़र चला, हम वहां भी पहुंचे, देखा पेड़ की छाया में एक महिला अपने बच्चे को लिए बैठी थी, बच्चा गर्मी और उमस से बेहाल हो रहा था और मां उसे संभालने की नाकाम सी कोशिश कर रही थी, जबकि पास ही दूसरा बच्चा खेल रहा था बच्चे के हाथ में एक किताब थी और उसपर लिखा था ''हम पंछी उन्मुक्त गगन के''। 
 
महिला जिनके घर पर बुलडोज़र चला 
 
महिला ने बताया कि '' दो घंटे का टाइम दिया, न कोई नोटिस दिया न पहले से कुछ बताया बस आकर जेसीबी चला दी, हमारे बड़े यहां कम से कम 20-25 साल से रह रहे हैं, हमारे पास सारे कागज हैं, हमारी कुछ नहीं सुनी बच्चों के साथ रास्ते पर आ गए  हम, मजदूरी करते हैं किराए का घर लेने की भी सोचें तो किराया कैसे देंगे'' हमने उनसे 31 जुलाई की घटना के बारे में पूछा तो उनका जवाब था '' हमें तो कुछ पता ही नहीं चला, हम तो अपने काम धंधे में लगे थे'' 

बिखरा मलबा, तेज़ धूप में पसीने से भीगे लोग मलबे पर ही बैठे हैं वे उस जगह से हटने को तैयार नहीं उनके मुताबिक वो ज़मीन उनकी है।  बिखरे सामान और मलबे के बीच दो बुजुर्ग दिखे, वे हमें देखते ही सुबक-सुबक के रोने लगे, हमीद जहां चल नहीं सकते वहीं उनकी पत्नी नसीबन मुश्किल से थोड़ा बहुत चल पाती हैं, वे बताते हैं कि अकेले ही रहते हैं, आस-पड़ोस के लोग उनकी मदद कर दिया करते हैं, चलने से लाचार इन लोगों के घर पर बुलडोज़र चला दिया गया और अब ये कहां जाएंगे इन्हें ख़ुद ही नहीं पता, ज़ार-ज़ार रोते हमीद ने कहा '' आधार, कार्ड, वोटर कार्ड सब है लेकिन अब हम जाएं कहां? सब तोड़ दिया, हम ख़ूब रोए, जब बुलडोज़र चला तो हमें उठाकर बाहर फेंक दिया'' बात करते करते कभी रोते, कभी आंसू पोछते, तो कभी सोच में डूब जाते हमीद कहते हैं कि ''कोई नोटिस नहीं दिया, कहां जाएं हम, नाजायज हमारा घर तोड़ा गया, हमने कहा कि हमारे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है, क्या पता हमें किस बात की सज़ा दी गई, अपना कोई नहीं दिख रहा है, हमारी किसी से कोई लड़ाई नहीं, हम तो बड़े-बुजुर्ग हैं कहीं आ जा नहीं सकते हमने क्या किया? 

बेघर हुए ये दोनों अब कहां जाएंगे इन्हें ख़ुद भी नहीं पता, दोनों का रो-रोकर बुरा हाल है, आस-पास के लोगों से पता चला कि दोनों के दो बेटे हैं लेकिन एक बेटा बहुत पहले ही यहां से जा चुका है जबकि दूसरा बेटा नशे में डूबा रहता है, ये दोनों पड़ोसियों के आसरे किसी तरह जिंदगी काट रहे थे। 

बेघर हुए बुजुर्ग 
 
लोगों के मुताबिक यहां क़रीब दो सौ से ढाई सौ घर थे जिनमें से 80 घरों पर बुलडोज़र चला है। बेघर हुए ऐसे ही एक और परिवार के मुखिया याकूब से हमने बात की वे बताते हैं कि जहां उनका घर टूटा वहां वे 25-26 साल से रह रहे थे लेकिन पुलिस ने बगैर नोटिस के बुलडोज़र चला दिया वे कहते हैं कि ''हम आराम से रह रहे थे लेकिन अचानक ही आकर उन्होंने कहा कि बुलडोज़र चलेगा, बिजली के मीटर लगे हैं, वोटर कार्ड है लेकिन पता नहीं क्यों ये कार्रवाई की गई,  वो भी बिना किसी नोटिस के'' हमने याकूब से पूछा कि क्या उन्हें पता है कि ये बुलडोज़र कार्रवाई क्यों की गई है उनका जवाब था '' हमें लगता है कि ये जो झगड़ा दंगा हुआ है नूंह में उसकी वजह से मुसलमानों को तंग किया जा रहा है'', वे हैरानी जताते हुए कहते हैं कि ''हमने तो बीजेपी को वोट दिया था, जब हमने उनसे मदद मांगी तो उन्होंने साफ कह दिया कि हमारी कुछ नहीं चल रही।'' 

बुलडोज़र कार्रवाई के बाद कई परिवार यूं ही खुले में रहने को मजबूर हैं, आगे वे क्या करेंगे किसी को नहीं पता। हमने इलाके के एक सामाजिक कार्यों में शामिल रहने वाले शख़्स से बातचीत की उन्होंने इस कार्रवाई की टाइमिंग पर सवाल उठाए उन्होंने भी माना कि अगर अतिक्रमण कर घर बनाए गए थे तो ये कार्रवाई पहले क्यों नहीं की गई? 

मेवात का हालात जानने के लिए मजदूर आवास संघर्ष समिति के संयोजक निर्मल अग्नि भी यहां पहुंचे थे,  उन्होंने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए मांग की कि बेघर हुए लोगों के लिए तत्काल आश्रय और मुआवजे का इंतजाम किया जाना चाहिए, इसके अलावा उन्होंने इस कार्रवाई को गैर कानूनी बताया और कोर्ट के संज्ञान का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने कहा कि '' कोर्ट को बेघर हुए लोगों के पुनर्वास के लिए गहन विचार करना चाहिए'' ।

(इन सबके बीच हाईकोर्ट के आदेश की उस कॉपी को भी ज़रूर देखना चाहिए जिसमें कोर्ट ने सख्त टिप्पणी के साथ स्टे लगाया, इसके बारे में हमने  स्थानीय वकील यूसुफ़ ख़ान से पूछा तो उन्होंने बताया कि '' पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जो संज्ञान लिया है वो बहुत ही अच्छा है। Discriminated Communities के हक में है।  इसमें कहा गया है कि किसी को भी आप इस तरह से बिना नोटिस दिए, बिना कानून का पालन किए उसके मकान को डेमोलिश नहीं कर सकते। स्टेट गवर्नमेंट को सख्त डायरेक्शन देते हुए तुरंत स्टे के लिए कहा है''। 
 
image 1                Image 2                      कोर्ट ऑर्डर की कॉपी 
आज तक पर छपी ख़बर के मुताबिक प्रशासन ने 37 जगहों पर कार्रवाई कर 57.5 एकड़ ज़मीन खाली कराई है, इनमें 162 स्थाई और 591 अस्थायी निर्माण गिराए गए, नूंह के अलावा पुन्हाना, नगीना, फिरोज़पुर झिरका जैसे इलाकों में भी अतिक्रमण हटाए गए । 

फिरोजपुर झिरका से निकल कर हम नगीना पहुंचे जहां कई BPL कार्ड धारकों के घर ध्वस्त कर दिए गए यहां हमें एक ऐसा परिवार मिला जिन्हें सरकारी योजना के तहत घर मिला था लेकिन इस कार्रवाई के दौरान उस घर पर भी बुलडोज़र चला दिया गया। 

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