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शामली से ग्राउंड रिपोर्ट : 'भारत जोड़ो यात्रा' एक उम्मीद भरी कोशिश

''पहली बार कांग्रेस पार्टी विचारधारा की लड़ाई में उतरी है, अभी तक हम चुनाव लड़ रहे हैं और हमने राजनीति को अब तक चुनावी चश्मे से देखा है।"
bharat jodo yatra

बेहद घने कोहरे के बीच सरसों के पीले फूल किसी उम्मीद की मानिंद लग रहे थे। दिल्ली-यूपी में मौसम के सबसे सर्द दिन दर्ज हो रहे थे। सरसों और गन्ने के खेतों से गुज़रती पगडंडी नुमा सड़क पर राहुल गांधी बेहद गर्मजोशी के साथ तेज़ क़दमों से चल रहे थे। सफ़ेद कोहरे की झीनी चादर के बीच में कभी दिखते कभी ओझल हो जाते लहराते हुए तिरंगे देशभक्ति के माहौल में डूबे बेहद दिलकश लग रहे थे। और इनके बीच ''जोड़ो जोड़ो भारत जोड़ो'' का नारा गर्माहट पैदा कर रहा था।

भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी गुरुवार, 5 जनवरी को यूपी के शामली की एक सड़क से गुज़र रहे थे। चारों तरफ़ खेत ही खेत थे और इन खेतों में सरसों फूल रही थी। भारत के गांव की ये एक ख़ूबसूरत तस्वीर थी। शामली के 'एलम' गांव से सुबह 6 बजे निकले राहुल गांधी का अगला पड़ाव 'ऊंचागांव' था। इतनी सर्द सुबह होने के बावजूद सड़क पर उतरे किसी नेता के पीछे ऐसा हुजूम पिछली बार कब देखा था याद नहीं आ रहा था। गर्म चादर में लिपटे ज़्यादातर किसान राहुल गांधी की एक झलक के लिए बेताब दिखाई दिए।

सुरक्षा के भारी बंदोबस्त के बीच राहुल की एक झलक भी मिलना मुश्किल लग रही थी इसलिए। राह में पड़ने वाली किसी भी इमारत ( और कुछ एक लोग पेड़ पर भी चढ़े दिखाई दिए) पर लोगों को जहाँ जगह मिली चढ़े दिखाई दे रहे थे।

शामली के ऊंचागांव में राहुल और भारत जोड़ों यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था की गई थी। ये शिविर अपने आप में ही कमाल की जगह दिखाई दी यहाँ यात्रा में पहले ही दिन ( 7 सितंबर 2022) से जुड़े केरल के यात्रियों से लेकर दिल्ली, मेरठ, बिहार, झारखंड के यात्री थे। कुल मिलाकर एक छोटे से कैंप में बसा ये एक भारत दिख लग रहा था।

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जैसे ही हमने शिविर में झांक कर देखा कांग्रेस नेता जयराम रमेश और कुछ और कांग्रेस नेता अपनी बातों में मशग़ूल दिखाई दिए। जयराम रमेश से हमने भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े कुछ सवाल पूछे एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ''ये एक लंबी चलने वाली जंग है ये एक लंबा चलने वाला आंदोलन है, हमने शुरुआत कर दी है''। वो आगे कहते हैं कि ''पहली बार कांग्रेस पार्टी विचारधारा की लड़ाई में उतरी है, अभी तक हम चुनाव लड़ रहे हैं और हमने राजनीति को अब तक चुनावी चश्मे से देखा है , लेकिन ये चश्मा सिर्फ़ चुनाव देखने के लिए नहीं है, हमें विचारधारा को भी देखना है, और आज देश में दो विचारधाराओं के बीच टक्कर है, एक RSS, BJP की विचारधारा है और एक कांग्रेस की विचारधारा है। इसमें पांच, दस साल लगेंगे लेकिन इसमें हमें कूद पड़ना है।"

उनके इसी जवाब से जुड़ा अगला सवाल पूछा गया कि विचारधाराओं की इस जंग में अब तो उस विचारधारा के लिए लोग भी राहुल गांधी की यात्रा की तारीफ़ कर रहे हैं जिन पर राहुल गाधी अक्सर निशाना साधते रहते हैं। इसपर मुस्कुराते हुए जयराम रमेश का जवाब था - ''व्यक्तिगत तौर पर की गई तारीफ़ का हम भी स्वागत करते हैं लेकिन हमारी और उनकी विचारधारा में ज़मीन आसमान का अंतर है। हो सकता है कुछ लोगों ने भारत जोड़ो यात्रा की तारीफ़ की हो लेकिन मैं नहीं समझता कि RSS के सिद्धांत बदले हैं भारत जोड़ों यात्रा के बाद''

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हमारी बातचीत अभी ख़त्म ही हुई थी कि बाहर से एक ट्राइबल म्यूज़िक की दिलचस्प आवाज़ कानों में घुलने लगी। ये झारखंड के पूर्व मंत्री बंधु तिर्की थे जो ताना भगत की एक टोली के साथ यहां पहुंचे थे जिनके यहां पहुंचते ही माहौल रंगारंग हो गया। बातचीत में बंधु तिर्की ने बताया कि वो इस पारपंरिक संगीत के साथ इस आंदोलन का आह्वान करने आए हैं। इन ताना भगत लोगों की टोली में से एक से बातचीत करने पर गजब का उत्साह दिखाई दिया और उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा की हम वही हैं जिन्होंने कभी महात्मा गांधी का साथ दिया था और आज राहुल गांधी का साथ देने पहुंचे हैं। बहुत ही रंगबिरंगे इन लोगों माहौल बहुत ही ख़ुशनुमा और यादगार बना दिया। इस यात्रा में शामिल हुए लोगों के पास बहुत कुछ बताने, बहुत कुछ कहने को था।

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इस यात्रा में हमारी मुलाक़ात एक नासा वैज्ञानिक सुनीति से हुई जो राहुल गांधी से बेहद प्रभावित दिखीं। सुनीति कुछ दिनों के लिए मुंबई अपनी माँ के पास आई थीं लेकिन उन चंद दिनों में से एक दिन उन्होंने किसी तरह निकाल और मुंबई से अकेले ही निकल पड़ीं इस यात्रा में शामिल होने के लिए। वो यात्रा में शामिल तो हो गई लेकिन वापस दिल्ली लौटने ( जहां वो रुकी थीं ) के लिए काफी रात हो चुकी थी ऐसे में सुनीति की मुलाक़ात एक भारत जोड़ो यात्री से हो गई और हालात कुछ ऐसे बने की राहुल गांधी से भी उनकी मुलाक़ात हो गई। वो राहुल गांधी से बेहद प्रभावित दिखीं सुनीति राहुल के नफ़रत के ख़िलाफ़ मोहब्बत के पैगाम से इतनी मुतासिर थीं कि उन्होंने कहा कि वो इस यात्रा में राहुल गांधी के लिए नहीं बल्कि ख़ुद के लिए शामिल हुई हैं साथ ही उन्होंने कहा कि वो इस यात्रा में इसलिए शामिल हुई हैं ताक़ि वो आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्यारे भारत को छोड़ कर जाने की कोशिश में शामिल हो सकें।

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में कोई नंगे पैर चल रहा है तो कोई राहुल गांधी की ही तरह कम कपड़ों में जब मैंने पूछा आप ऐसा क्यों कर रहे हैं तो जवाब मिला हम भी उस एहसास को महसूस करना चाहते हैं। इस यात्रा में महिलाओं का एक ऐसा ग्रुप मिला जो अपने बच्चों, घर को छोड़कर इस यात्रा में पहले दिन से जुड़ी हैं। जब उनसे पूछा गया कि परेशानी नहीं हो रहीं? तो बहुत ही प्यारा जवाब मिला ''महिलाओं का तो दूसरा नाम ही संघर्ष है''।

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इस यात्रा में शामिल हुए लोगों की बहुत सी कहानियां हैं। हाड़ कपा देने वाली इस सर्दी में कई उम्रदराज लोग भी दिखे मैंने पूछा परेशानी नहीं हो रही तो जवाब था कि कल को आने वाली पीढ़ी जब पूछेगी कि आपने हमारे लिए क्या किया तो हमारा जवाब होगा कि हम कम से कम भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए।

राहुल गांधी अपने भारत जोड़ो यात्रियों के साथ आगे बढ़ गए, उनका कारवाँ आगे बढ़ गया और पीछे एक धूल का गुबार था और उस धुंध और धुल भरी हवा में जो हमें दिखा वो सिर्फ़ लहराता हुआ तिरंगा। और एक उम्मीद भरी कोशिश।

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