Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

ग्राउंड रिपोर्ट: बनभूलपुरा की 50 हजार आबादी अतिक्रमणकारी या गुजरात प्रयोग की नई पाठशाला

हल्द्वानी की इस बस्ती का सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हर तरह के राजस्व और टैक्स जमा कर रही यह पूरी बस्ती एकाएक अवैध घोषित क्यों की गयी और उजाड़ने के लिए सिर्फ एक सप्ताह का ही समय क्यों मिला?
ग्राउंड रिपोर्ट: बनभूलपुरा की 50 हजार आबादी अतिक्रमणकारी या गुजरात प्रयोग की नई पाठशाला

बनभूलपुरा से लौटकर 
 

हिंदी सिनेमा का वह गाना आपने सुना तो होगा, अब है नींद किसे, अब है चैन कहां... हमारे बनभूलपुरा की हालत भी 20 दिसंबर के बाद से वही है, लेकिन किसी की मोहब्बत में नहीं, बल्कि नफरत की सियासत और सियासतदानों की आपसी रंजिशों और बड़ा नेता बनने की महत्वाकांक्षाओं ने हम 50 हजार लोगों की जिंदगी को यहां ला पटका है, जिनकी सांस की डोर अदालतों की सुनवाइयों में अटक कर रह गयी है।’

यह कहते हुए हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास मूंगफली बेच रहे इदरीश की आंखें नम हो जाती हैं और उनकी पत्नी उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहती हैं, ‘हम अकेले तो हैं नहीं, यहां पूरा 3 किलोमीटर से ज्यादा का इलाका है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि रेलवे की जमीन है। अल्लाह पर भरोसा रखो, वह सब ठीक कर देगा। हमारे सिर से छत नहीं छिनने देगा।’

उत्तराखंड के हल्द्वानी क्षेत्र के बनभूलपुरा इलाके की तकरीबन 50 हजार आबादी पिछले साल 20 दिसंबर 2022 को आए नैनीताल हाईकोर्ट एक फैसले के बाद से दहशत, खौफ और बेचैनी में जी रहा है। बेचैनी और निराशा की स्थिति ऐसी है कि बच्चे से लेकर बूढ़े और मर्दों से लेकर औरतें तक सभी की चिंता एक सी बन गयी है, जीवन बचाने के लक्ष्य सबके समान हो गए हैं। सबकी जुबान पर एक ही बात है, ‘या अल्लाह अब हमारा क्या होगा...?’ सबसे बड़ी बात ये है कि ऐसी हालत में एकाध परिवार नहीं हैं, बल्कि पूरी 50 हजार आबादी इस खौफनाक मंजर को एक साथ देख, सुन और महसूस कर रही है, जिसे अपने कल का भरोसा उस सुप्रीम कोर्ट की याचिका पर है, जिसे 11 लोगों ने मिलकर दाखिल किया है और उसकी सुनवाई 5 जनवरी को होने वाली है।

उजाड़े जाने वाले 50 हजार परिवारों में 4 हजार से अधिक आबादी हिंदू समाज के लोगों की भी है। इंदिरा नगर में रह रहे गुलाब साहू सवाल करते हैं, ‘मैं पंचर की दुकान चलाकर मुश्किल से परिवार का गुजारा करता हूं। छोटे-छोटे बच्चे-बच्चियों को लेकर हम लोग कहां जाएंगे, क्या करेंगे।’

पीड़ित रईस खान बताते हैं, जब नैनीताल हाईकोर्ट का फैसला आया है तबसे भरपेट निवाला मुंह में नहीं गया। 100 साल से ज्यादा हो गए यहां रहते हुए। यह मिट्टी हमारी मां है, मां के बिना हम सबको अभागा करने की साजिश कोई सरकार अपनी जनता के खिलाफ कैसे कर सकती है।’

वहीं वेल्डर का काम करने वाले मुस्लिम युवक जैबेर रजा अपनी तकलीफ साझा करते हुए कहते हैं, ‘हमारी जिंदगी रुक गयी है। किसी काम में मन नहीं लग रहा। शादी-ब्याह, नौकरी और काम-धंधा सब पर आफत आ गयी है। यहां हजारों लोग हैं और लाखों लोग पूरे राज्य और दूसरे राज्यों से यहां के काम-धंधों से जुड़े हैं, क्या यह सब बर्बाद करके मोदी सरकार और उनकी राज्य सरकार रेलवे का विकास कर पायेगी? हजारों लोगों को भुखमरी में धकेलकर और हमारा आशियाना छीनकर यह विकास करना हुआ या एक गरीबों का विनाश।’



क्या है नैनीताल हाईकोर्ट का 20 दिसंबर का फैसला

उत्तराखंड के ही हल्द्वानी शहर के रविशंकर जोशी की याचिका 30/2022 पर सुनवाई करते हुए 20 दिसंबर को आरसी खुलबे और शरद शर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने फैसला दिया कि बनभूलपुरा की 29 एकड़ की जमीन को एक सप्ताह के भीतर खाली करा दिया जाए। पीड़ित लोगों की ओर से पेश वकील ने जब यह जानना चाहा कि पुनर्वास योजना के बारे में अदालत ने क्या सोचा है तो कोर्ट ने कहा कि पहले अतिक्रमण हटाएं फिर पुनर्वास की बात करें।

मोहम्मद आसिफ बताते हैं, ‘अदालत का यह फैसला तब आया है, जबकि पहले से रेलवे की अदालत में इस मामले में 400 से 500 अपीलें लंबित हैं, जिला न्यायालय में भी 400 के करीब अपीलें लंबित हैं और खुद दर्जनभर से ज्यादा मामलों में नैनीताल हाईकोर्ट सुनवाई खुद सुनवाई कर रहा है या फिर पुन: जांच के आदेश दिए हैं। आखिर इन सुनवाइयों को दरकिनार करके रविशंकर जोशी की याचिका पर फैसला क्यों आया?’ यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हर तरह के राजस्व और टैक्स जमा कर रही यह पूरी बस्ती एकाएक अवैध घोषित क्यों की गयी और उजाड़ने के लिए सिर्फ एक सप्ताह का ही समय क्यों मिला?

उत्तराखंड उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद राजसंपदा अधिकारी की ओर से पूर्वोत्तर रेलवे ने 31 दिसंबर को अखबार में विज्ञापन प्रकाशित में कराया और कहा कि ‘अगर 7 दिसंबर तक 2.2 किलोमीटर के परिक्षेत्र में अतिक्रमण अवैध कब्जेदारों ने नहीं खाली किया तो न्यायालय के आदेश का अनुपालन करते में अवैध निर्माण को ध्वस्त कर अतिक्रमण खाली कराया जाएगा और इस पर आए खर्च को भी अनाधिकृत कब्जेदारों से वसूला जाएगा।’

रेलवे के इस विज्ञापन के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री मजहर नईम नवाब ने न्यूज़क्लिक के लिए की गई बातचीत में कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है और मांग की है कि इस मामले में स्टैंडिंग कमेटी गठित की जाए। दर्जा प्राप्त मंत्री ने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है कि इस प्रकरण में स्क्रटनी हो और फ्रीहोल्ड, पट्टेधारकों, स्कूल, अस्पताल, बिजलीघर, पानी की टंकी, मंदिर, मस्जिद आदि इसकी जद से बाहर किया जाए।

पत्रांक संख्या 8/3/2 में मजहर नईम नवाब ने बनभूलपुरा के पीड़ितों की संख्या 25 हजार लिखी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ गए 11 याचिकाकर्ताओं में से एक तसलीम अंसारी बताते हैं, ‘प्रभावित हो रहे लोगों की संख्या 50 हजार से अधिक है और हम लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय की याचिका में भी यही जानकारी दी है।’

इस मामले को पिछले एक वर्ष लगातार उठा रहे स्थानीय पत्रकार सरताज आलम कहते हैं, ‘न्यायालय द्वारा अतिक्रमणकारी कहे जा रहे दायरे में 5 वार्ड हैं। एक वार्ड में 4 से 4800 के बीच केवल वोट हैं। प्रभावित हो रहे क्षेत्रों की बात करें तो इंदिरा नगर, छोटी रोड, बड़ी रोड, नई बस्ती, ढोलक बस्ती, लाइन नंबर 17, गफूर बस्ती शामिल हैं। इन वार्डों में वोट ही सिर्फ 25 हजार के आसपास हैं तो आबादी आखिर 25 हजार किस गणना के आधार पर हो जायेगी?

क्यों कहा जा रहा है बनभूलपुरा को गुजरात प्रयोग

बनभूलपुरा के 5 वार्डों में जाने पर जनता हर तरफ से बोल रही है कि यह भाजपा नेता जोगेंद्र रौतेला की साजिश है और वही चाहते हैं कि मुस्लिमों को यहां से उजाड़ दिया जाए। एक लोकतांत्रिक देश में सत्ताधारी दल पर इतने गंभीर आरोप कोई एक दो लोग नहीं, बल्कि जनता के बड़े हिस्से से लग रहे हैं।

हालांकि यह एक तरह का दुष्प्रचार भी हो सकता है, लेकिन नैनीताल जिले के जमातुल हिंद संगठन के अध्यक्ष मौलाना मुकीम कासमी इसे सही मानते हैं। वह बताते हैं, ‘मुस्लिमों की इतनी बड़ी आबादी सिर्फ इसलिए उजाड़ी जा रही है क्योंकि परिसीमन समेत तमाम तरह के प्रयोग कर लेने के बाद भी यहां से लगातार दूसरी बार भाजपा नेता जागेंद्र रौतेला हार रहे हैं। उन्हें लगता है कि मुस्लिम नहीं रहेंगे तो हमें यानी भाजपा को यहां से कोई हरा नहीं पाएगा।

इस बात को समझने के लिए पहले हमें हल्द्वानी विधानसभा के चुनावी अंकगणित को समझना होगा। हल्द्वानी में दो बार से लगातार कांग्रेस के विधायक जीत रहे हैं। 2017 में पूर्व मंत्री और प्रदेश की वरिष्ठ कांग्रेस नेता इंदिरा हृदयेश जीतीं और फिर उनकी असामयिक मृृत्यु के बाद उनके बेटे सुमित हृृदयेश 2022 में यहां से जीते। दोनों बार इस सीट से भाजपा के नेता हारे उनका नाम है जोगेंद्र रौतेला। वर्तमान में वह इस हल्द्वानी नगर निगम के मेयर हैं।

बनभूलपुरा के प्रबुद्ध लोगों में शामिल जीमल भाई कहते हैं, ‘50 हजार लोग जिस जमीन पर बसी है वह नजूल की है और उसकी प्रबंधकीय जिम्मेदारी मेयर जोगेंद्र रौतेला की है। आप इस विवाद का इतिहास देखें तो रेलवे बनाम अतिक्रमणकारी तो वर्ष 2004 से शुरू होता है, जो 2007, 2011-2012 और 2014 और अब 2022 तक का सफर तय करता है, मगर एक बार भी शहर का मेयर होने के नाते न तो जोगेंद्र रौतेला का नगर निगम और न ही प्रदेश की भाजपा सरकार कभी किसी अदालत में अपनी जनता की जमीन और जायदाद बचाने के लिए सक्रिय दिखी। कभी कहीं गए ही नहीं, बस मौनी बाबा बने रहे और तमाशा देखते रहे, आखिर क्यों?’

अखलाक खान की राय में, ‘कांग्रेस के सुमित हृदयेश को 50 हजार वोट मिले, जबकि विधानसभा में जोगेंद्र रौतेला को 42 हजार। एक अनुमान के अनुसार सुमित को मिले वोट में 20 हजार हिंदू वोट थे, जबकि 30 हजार मुस्लिम। वहीं भाजपा नेता को मिले 42 हजार वोट सिर्फ हिंदुओं के थे। ऐसे में भाजपा को लगता है न मुस्लिम रहेंगे, न भाजपा हारेगी।’

मगर सवाल यह भी है कि आखिर एक सीट से भाजपा पर ऐसा क्या फर्क पड़ रहा है, जो इतनी बड़ी राजनीतिक साजिश रची जायेगी। इस बारे में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी कहते हैं, ‘बीजेपी को गुजरात में 156 सीटें क्यों चाहिए थी, जबकि उसे हिमाचल हारने को कोई गम नहीं है। बीजेपी हमेशा राजनीतिक संदेशों पर बहुत जोर देती है और उसके लिए हल्द्धानी भी उसी तरह की सीट है, जहां से उसे देश को संदेश देना है। अन्यथा 100 साल से रह रहे बाशिंदों को कोई बिना पुनर्वास की योजना के कैसे खदेड़ सकता है, इस पर एक सरकार कोई प्रतिक्रिया दिए बिना तमाशबीन कैसे बन सकती है?'

उत्तराखंड समाजवादी लोकमंच के संयोजक मुनीष कुमार भाजपा सरकार की इसी निष्क्रियता को गुजरात प्रयोग के तर्जुमे के तौर पर देख रहे हैं। वह कहते हैं, ‘उत्तराखंड के मुस्लिमों पर बीजेपी और संघ अदालत के जरिए एक बड़ा हमला कर रहा है और यह हमला देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय को राजनीतिक रूप से शून्य कर देने वाला है। हमारे राज्य में गिनकर चार सीटें नहीं हैं, जो मुस्लिम प्रभाव वाली हों, लेकिन उन्हें यह भी बर्दाश्त नहीं है। अगर मोदी का मकसद ‘सबका विकास और सबका साथ’ है, फिर यह सांप्रदायिक हमला किस राजनीतिक स्वार्थ के लिए किया जा रहा है।’

जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला और उनकी पार्टी पर बनभूलपुरा मामले में लग रहे गंभीर आरोपों पर उनका पक्ष जानने की लिए फोन करने पर उनसे संपर्क नहीं हो पाया। इस संबंध में उत्तराखंड समाजवादी पार्टी प्रभारी अब्दुल मतीन सिद्दकी ने एक प्रतिनिधि मंडल के साथ नैनीताल सांसद और बीजेपी नेता अजय भट्ट जोकि केंद्र में मंत्री भी हैं, से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल को अजय भट्ट ने आश्वासन दिया है कि वह इस बारे में क्या कर सकते हैं, देखेंगे।

सांसद अजय भट्ट की इस प्रतिक्रिया पर स्थानीय निवासी अखलाक खान कहते हैं, ‘सांसद महोदय ऐसे बात कर हैं जैसे यह जनता उनके क्षेत्र की है ही नहीं। उन्हें क्या मालूम नहीं होना चाहिए कि उनके संसदीय इलाके से 50 हजार से ज्यादा लोग उजाड़े जा रहे हैं, सत्ता में उनकी पार्टी है और वह कहते हैं - आने में देर कर दी। भाजपा नेताओं का यही रवैया बताता है कि मुस्लिम समुदाय के प्रति उन लोगों का नजरिया क्या है।’

स्थानीय विधायक सुमित हृदयेश का आरोपों पर जवाब

भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने शुरू से ही रेलवे अतिक्रमण की भूमि को लेकर राजनीतिक रोटियां सेकीं और वोट बैंक के लिए स्थानीय जनता को गुमराह किया। इस सवाल पर सुमित हृदयेश कहते हैं, ‘नजूल की भूमि पर नगर निगम मौन है, क्या वहां कांग्रेस है। सबसे पहले हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कौन गया। अभी 11 लोगों की याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद साहब ही गए हैं। हमारा और पार्टी का काम बोलता है, झूठा प्रचार नहीं। लोगों की जिंदगी बचाने के लिए विधायक होने के नाते मैं आखिरी दम तक लडूंगा।’

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और जनज्वार वेबसाइट के संपादक हैं। )

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest