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दिल्ली में पिछले साल मानव तस्करी के मामलों में 73.5% हुई वृद्धिः एनसीआरबी रिपोर्ट

पुलिस का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद जैसे ही हालात सामान्य हुए और काम-धंधे शुरू हुए दलालों और गिरोहों ने मानव तस्करी कर लोगों को बंधुआ मज़दूरी और वैश्यावृत्ति में धकेलना शुरू कर दिया।
दिल्ली में पिछले साल मानव तस्करी के मामलों में 73.5% हुई वृद्धिः एनसीआरबी रिपोर्ट
reuters

मानव तस्करी के मामलों में दिल्ली में पिछले साल 73.5% की वृद्धि दर्ज की गई। इसमें अधिकांश पीड़ितों को जबरन मज़दूरी करने और वेश्यावृत्ति में धकेल दिया गया। ये आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में सामने आए हैं। पुलिस ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से 509 से अधिक लोगों को तस्करी कर दिल्ली लाया गया। आगे पुलिस का कहना है कि वह ग़ैर-सरकारी संगठनों की मदद से अधिकांश पीड़ितों को बचाने और उन्हें घर भेजने में सफल रही।

साल 2020 में 53 मामलों की तुलना में साल 2021 में मानव तस्करी के 93 से अधिक मामले दर्ज किए गए। वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मामलों में वृद्धि कोरोना महामारी को लेकर किए गए लाॉकडाउन समाप्त होने के कारण हुई है। जैसे-जैसे कामकाज फिर से शुरू होने लगे दलालों और गिरोहों ने लोगों की तलाश करना शुरू कर दिया और उन्हें बंधुआ मज़दूरी के लिए मजबूर किया या उनका यौन शोषण किया। कई पीड़ितों को घरेलू काम में धकेल दिया गया और उन्हें रिहायशी इलाकों से रेस्क्यू कर लिया गया।

पिछले महीने, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने 10 उज्बेकिस्तानी महिलाओं का रेस्क्यू कर अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया था। इन महिलाओं को बाइक और कार से नेपाल सीमा के ज़रिए भारत लाया गया था।

आरोपी जुमायेवा अज़ीज़ा (37) और मेरेदोब अहमद (48) तुर्कमेनिस्तान का रहने वाला था वहीं अली शेर तिलदादेव (48) उज़्बेकिस्तान का रहने वाला था। भारत में इनके सहयोगी मोहम्मद अरूप (34), और चंदे साहनी (30) थे जिसे गिरफ्तार कर लिया गया। इन सभी को दक्षिणी दिल्ली के मालवीय नगर से गिरफ्तार किया गया था।

अली शेर इन महिलाओं को भारत में अधिक वेतन वाली नौकरी दिलाने का लालच दिया और उन्हें दिल्ली लाया जहां उसने उन्हें जुमायेवा और मेरेडोब को बेच दिया। जिन महिलाओं को वैश्यावृत्ति में धकेला गया उन पर भी अवैध रूप से देश में प्रवेश करने और रहने के लिए विदेशी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।

साल 2021 में मानव तस्करी के 93 से अधिक मामलों में से 81.3% को चार्जशीट किया गया था। इन मामलों को लेकर एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि, “ऐसे मामलों में शिकायतें देर से आती हैं। आमतौर पर, गैर सरकारी संगठन या श्रम विभाग है जो अभियान चलाता है और हमें शोषण के बारे में जानकारी देता है। फिर हम जांच करते हैं और पीड़ितों से बात करते हैं, जिनमें से कुछ वर्षों से दिल्ली में फंसे हुए हैं। ज़्यादातर पीड़ित झारखंड, असम, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल आदि से हैं।

पुलिस ने कहा कि 509 पीड़ितों में से ज़्यादातर 18 साल से कम उम्र के पुरुष हैं। उन्हें नौकरी देने के बहाने दिल्ली बुलाया जाता है। पुलिस का कहना है कि “कुछ ऐसे एजेंट भी हैं जो पीड़ित को काम का लालच देने के लिए यात्रा, भोजन और रहने सहने के लिए पैसे भी देते हैं। बाद में, ये एजेंट उन्हें घरों या उद्योग में छोड़ देते हैं, जहां इनको बिना पैसे का काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और उनका शोषण किया जाता है।”

आंकड़ों के अनुसार साल 2021 में मानव तस्करी के आरोप में 174 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 13 को चार्जशीट किया गया है लेकिन उनमें से किसी दोषी साबित नहीं किया गया है या बरी नहीं किया गया है। अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में दिल्ली में मानव तस्करी के सबसे ज़्यादा मामले हैं।

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