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अमेरिका में महामारी से ज़्यादा ज़रूरी है व्यापार से मिला मुनाफ़ा

व्यक्तिगत लोगों और उनके जोखिम भरे व्यवहार पर महामारी में उछाल की ज़िम्मेदारी थोपना, सरकार द्वारा व्यापार के स्वास्थ्य को नागरिकों के स्वास्थ्य पर वरीयता देने के तथ्य को नज़रअंदाज़ करना है।
अमेरिका में महामारी से ज़्यादा ज़रूरी है व्यापार से मिला मुनाफ़ा

लॉस एंजिल्स को अब अमेरिका में सबसे बदतर कोविड-19 हॉटस्पॉट में से एक माना जाता है। शहर के मेयर एरिक गार्सेट्टी के मुताबिक़, वायरस के चलते हर 6 सेकंड में एक नया व्यक्ति संक्रमित होता है, वहीं हर 10 मिनट में एक शख़्स की मौत होती है। हॉस्पिटल अब मरीज़ों को वापस भेज रहे हैं, वहीं लॉस एंजिल्स काउंटी में स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों पर ऑक्सीजन ख़त्म हो रही है। लेकिन पिछले वसंत के मौसम में, जब पहली बार महामारी की पहचान हुई थी, तब कैलिफोर्निया पहला राज्य था, जिसने लोगों को घरों में रहने के आदेश दिए थे। इससे वायरस के बहुत ज़्यादा प्रसार पर रोक लगी थी। लेकिन उसके बाद क्या हुआ?

इस बात की संभावना है कि महामारी के मामलों में नया उछाल वायरस के नए स्ट्रेन के चलते हो सकता है, जिसकी संक्रमण क्षमता ज़्यादा तेज हो। लेकिन इस उछाल का निश्चित कारण प्रशासन द्वारा सामान्य स्थितियां होने की पहले घोषणा करना समझ आता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शहर के लोग गुस्से और शर्म के साथ एक-दूसरे पर छुट्टियां मनाने और शारीरिक दूरी के नियमों का पालन ना करने का आरोप लगा रहे हैं। बल्कि सच्चाई यह है कि कॉरपोरेट के हितों की रक्षा करने के लिए अधिकारी संक्रमण के विस्फोट की कीमत चुकाने को तैयार हैं।

कैलिफोर्निया ने लोगों को घरों में बंद रहने का जो हालिया आदेश दिया है, वह पिछले से कई मायनों में अलग है। मार्च, 2020 में दिए आदेश में राज्य ने सभी गैर-आवश्यक उद्यमों को बंद करने के आदेश दिए थे। दिंसबर में जब छुट्टियों की खरीददारी का मौसम अपने चरम पर होता है, तब सभी रिटेल स्टोर्स को खोलने की अनुमति दे दी गई। जबकि तब पार्क भी बंद थे। इसलिए कैलिफोर्निया के लोगों में राज्य के दोहरे रवैया पर इतनी नाराजगी छाई कि राज्य के अधिकारियों को पार्कों को दोबारा खोलना पड़ा, लेकिन उन्होंने रिटेल स्टोर्स को बंद करने का विकल्प नहीं चुना।

अनुमान के मुताबिक ही, मॉलों में संक्रमण तेजी से फैला, क्योंकि वहां दुकानदार क्रिश्मस का फायदा उठाने के लिए आतुर थे। आखिर अधिकारियों ने ही तो ऐसे मौके के लिए यह अनुमति दी थी, तो ज़ाहिर है अब लोग सुरक्षित होंगे, सही है ना? इस तरह की भीड़ इकट्ठा ना होने देने के लिए आदेश होने के बजाए, जब ऐसी स्थिति बनी, तो कैलिफोर्निया के कुछ लोगों ने दुकानदारों पर दोष लगाया। बीमारी से डरे हुए लोगों की यह प्रतिक्रिया बिलकुल सही भी थी। यहां तक कि लॉस एंजिल्स काउंटी हेल्थ सर्विस डॉयरेक्टर डॉ क्रिस्टीना घाली ने लॉस एंजिल्स टाइम्स से अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "अगर इन छुट्टियों के लिए आप अपने चहेते लोगों के लिए खरीददारी कर रहे हैं तो आप उस स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं, जिससे LA काउंटी में हॉस्पिटल प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि यह कदम परोपकारी लग सकते हैं, लेकिन यह बेहद जोख़िम भरे हैं।" LA काउंटी पब्लिक हेल्थ डॉयरेक्टर बारबरा फेरर ने लोंगों से "घरों में रहने" के लिए कहा, लेकिन उन्होंने गैर-अवाश्यक उद्यमों को बंद करने के विकल्प पर विचार नहीं किया।

दूसरे शब्दों में कहें तो अधिकारियों ने रिटेल स्टोर्स को खुला रखा, लेकिन लोगों को खरीददारी करने के लिए हतोत्साहित करने वाले सजा के प्रावधान किए। इससे मिलने वाले संदेश की दो व्याख्याएं हो सकती हैं। अगर अधिकारी सभी उद्यमों को खोलने की अनुमति देते हैं, तो निश्चित तौर पर ऐसा करना सुरक्षित होता होगा। या फिर अधिकारी वित्तीय वज़हों से प्रभावित हैं, उन्हें जनस्वास्थ्य की चिंता नहीं है, इसलिए निश्चित तौर पर उनपर विश्वास नहीं किया जा सकता।

हॉलीवुड का चलना भी एक विरोधाभास है? पिछले साल जहां नई फिल्मों और टीवी शोज़ को जरूरी उद्यम नहीं समझा गया था, लेकिन अब इनका निर्माण चालू कर दिया गया है। ऐसा क्यों है? सीधे शब्दों में अगर एक टीवी निर्माता के शब्दों में कहें तो "इस चीज में काफ़ी ज़्यादा पैसा दांव पर लगा हुआ है"। राज्य और स्थानीय अधिकारियों के पास जनस्वास्थ्य के हित में इनके निर्माण को रोकने की ताकत है, लेकिन इसका इस्तेमाल करने के बजाए, प्रशासन ने निर्माता कंपनियों से टीवी शोज और फिल्मों के प्रोजेक्ट को रोकने की अपील की है। चूंकि अब वायरस इतनी दूर तक फैला चुका है और इतनी ज़्यादा तकलीफ पहुंचा चुका है, इतनी ज़्यादा मौतें इससे हो चुकी हैं, तो हॉलीवुड ने भी यह मान लिया है कि फिलहाल फिल्म बनाना अच्छा विचार नहीं है। लेकिन क्या अब इसमें बहुत देर नहीं हो चुकी है?

अमेरिकी समाज हर चीज के ऊपर व्यापार से पैसा बनाने के अधिकार को रखता है। बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों को बंद करने और CARES कानून को पारित करने वाले कदमों से 2020 के कुछ महीनों में हमें लगा कि हमने जनस्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखा है। लेकिन यह ज़्यादा लंबा नहीं चला। महामारी के मामलों में बेतहाशा वृद्धि और भयंकर मौतें इस बात की गवाह हैं कि अधिकारियों ने कॉरपोरेट मुनाफ़े के हितों के लिए इंसानी जिंदगी की कुर्बानी देना तय किया है। उनके तर्क के मुताबिक़, अगर किसी को दोषी ठहराना है तो यह व्यक्तिगत अमेरिकी है, जिसने गलत विकल्पों को चुनकर बीमारी को खुद तक आमंत्रित किया। यही अमेरिकी तरीका है।

एक कुलीन किराना चेन होल फू्ड्स के CEO जॉन मैक्के को ही ले लीजिए। मैक्के के मुताबिक़, स्वास्थ्य सुविधा-सेवाओं की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने हाल में एक इंटरव्यू में कहा, "सबसे बेहतर समाधान यह है कि लोगों के खाने का तरीका, उनके रहने का तरीका, उनका जिंदगी जीने का तरीका, उनकी खुराक बदली जाए। लोगों के अस्वस्थ्य होने या उनका लंबा जीवनकाल ना होने की कोई वज़ह ही नहीं है। कुछ दवाईयां इसे बदलने वाले नहीं है।" किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को यह बात कहिए, जिसे कैंसर जैसी कोई बीमारी हो गई हो और वह कीमोथैरेपी की दवाईयों की मदद ले रहा हो। जाहिर तौर पर इससे कैंसर की समस्या के समाधान में मदद मिलती है।

मैक्की का तर्क, कैलिफोर्निया राज्य के उद्यम समर्थित "घरों में बंद" रहने के आदेश की तरह ही है, जिससे यह संदेश गया है कि अगर आप संक्रमित होते हैं, तो यह आपकी गलती है, ना कि किसी मॉल की, जिसे खुले रहने की अनुमति दी गई थी।

अगर व्यापार में पैसा बनाना है, तो उसे जारी रखना जरूरी है। लेकिन बड़े कॉरपोरेशन ने रिपब्लिकन पार्टी के करों में छूट के ज़रिए बहुत ज़्यादा संपदा इकट्ठा कर ली है। यह इतनी संपदा है कि इससे गैर-आवश्यक उद्यमों में लगे लोग, अपने उद्यम को बंद किए बिना एक या दो साल के लिए जिंदा रह सकते हैं।

बहुत कम पैसे की जगह लेकर चलने वाले छोटे धंधों के लिए स्थिति काफ़ी अलग है। अगर उन्हें लगातार बंद रखा जाता है, तो वे आसानी से कुछ ही महीनों में कंगाल हो सकते हैं। लेकिन इतना निश्चित है कि दुनिया की सबसे अमीर सरकार इन उद्यमों को बंद रहने के दौरान पैसा दे सकती है, ताकि ख़तरा टलने के बाद वे दोबारा शुरू कर सकें। यूरोपीय देशों ने कामग़ारों को घरों पर रहने का पैसा दिया है। घरों पर रहना वायरस को रोकने का एक स्वाभाविक तरीका है।

एनबीसी न्यूज़ के एक लेख में अमेरिकी प्रतिक्रिया की दूसरे देशों के साथ तुलना की गई थी। इसमें कहा गया, "पश्चिमी यूरोप या कनाडा से उलट, अमेरिका लोगों से बिना किसी सरकारी वित्तीय मदद के कोविड-19 का सामना करने के लिए कह रहा है।" एक एपिडेमियोलॉजिस्ट ने मीडिया संस्थान से कहा, "मैं जानता हूं कि कई व्यापारिक उद्यम गवर्नरों के सामने खुद के प्रतिष्ठानों को खोलने के लिए दबाव बना रहे हैं, क्योंकि इनके बंद रहने का मतलब व्यापार के मालिकों और कर्मचारियों के लिए बड़ा वित्तीय नुकसान होगा, भले ही इनका बंद रहना जनस्वास्थ्य के नज़रिए से सबसे बेहतर चीज होगी।"

बल्कि कर राजस्व में गंभीर कमी आने और महामारी से हुए नुकसान को पूरा करने में संघीय मदद मिलने के चलते कैलिफोर्निया ने व्यापारिक प्रतिष्ठानों को अलग-अलग हिस्सों में खुले रहने की अनुमति दी है। एक बार फिर यहां भी अधिकारियों ने व्यापार और जनस्वास्थ्य के प्रति "तैरने या डूबने देने" की रणनीति अपनाई है। आखिर क्यों लोगों को घरों पर रुकने और सुरक्षित रहने के लिए पैसा चुकाया जाए, जबकि यह लोग मुनाफ़े की सेवा में अपनी जिंदगी जोख़िम में डालने के लिए उपलब्ध हैं? आखिर यही तो वह तर्क है, जिससे महामारी के पहले आर्थिक तौर पर कमजोर अमेरिकियों के लिए उपलब्ध सुरक्षा कार्यक्रमों में लगातार कटौती की गई।

कोरोना के प्रभाव के लिए व्यक्तिगत तौर पर लोगों को दोष देने, उनकी तरफ इशारा करने और उन्हें लज्जित करने का काम बहुत किया गया है। कोरोना क्यों इतनी जिंदगियां ले रहा है, इस पर अभी जनता में बहुत उलझन है। लेकिन मौत के लगातार बढ़ते आंकड़ों के पीछे की असली वज़ह समझने के लिए बहुत पीछे जाने की जरूरत नहीं है, सिर्फ़ अमेरिका का वह तरीका देख लीजिए, जिसमें पूंजीवाद की सेवा में नागरिकों को इस बुरे काल में सिर्फ उन्हीं के भरोसा छोड़ दिया गया है।

लेखक के बारे में: सोनाली कोल्हातकर एक टेलीविजन और रेडियो शो "राइज़िंग अप विथ सोनाली" की फ़ाउंडर, होस्ट और एक्ज़ीक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं। यह शो फ्री स्पीच टीवी और पैसिफ़िक स्टेशन पर चलता है।

इस लेख को इकनॉमी फ़ॉर ऑल ने उत्पादित किया था, जो इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट का एक प्रोजेक्ट है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

In America, Business Profits Come First Over the Pandemic

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