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पड़ताल: केरल स्टोरी के नफ़रती प्रोपेगेंडा का पर्दाफ़ाश

भाजपा दावा कर रही है कि ये फ़िल्म आतंकवादी गतिविधियों और साज़िश को बेपर्दा करती है। क्या ये सच है या फिर ये कोरी कपोल कल्पना है? केरल की सच्चाई क्या है? आइये, पड़ताल करते हैं।
The Kerala Story

इन दिनों 'द केरल स्टोरी' फ़िल्म के बारे में चर्चा है। फ़िल्म को सबसे ज्यादा तूल भाजपा दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से लेकर बीजेपी के तमाम मंत्री, नेता और आईटी सेल फ़िल्म का प्रचार कर रहे हैं। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने इस फ़िल्म को अपने राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया है, तो पश्चिम बंगाल में फ़िल्म को बैन भी कर दिया गया है। गौरतलब है कि इसी तरह से कश्मीर फाइल फ़िल्म का प्रचार भाजपा के द्वारा किया गया था।

इससे पता चलता है कि भाजपा नफरती प्रोपेगेंडा का जोर-शोर से प्रचार करती है। खुद प्रधानमंत्री इस तरह की फ़िल्मों को प्रोमोट करते हैं। भाजपा दावा कर रही है कि ये फ़िल्म आतंकवादी गतिविधियों और साज़िश को बेपर्दा करती है। क्या ये सच है या फिर ये कोरी कपोल कल्पना है? केरल की सच्चाई क्या है? क्या सचमुच ये कोई मुद्दा है या फिर एक फ़र्ज़ी नैरेटिव गढ़कर इसे जबरन मुद्दा बनाया जा रहा है? आइये, पड़ताल करते हैं।

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फ़िल्म के तथ्यों की पड़ताल

द केरल स्टोरी का ट्रेलर पहले 2 नवंबर 2022 को यूट्यूब पर अपलोड किय गया था। ट्रेलर के डिस्क्रिपश्न में लिखा था कि ये केरल की 32,000 महिलाओं की कहानी है। यानी दावा था कि केरल से 32,000 महिलाएं इस्लामिक स्टेट और आतंकवादी गतिविधियों में शरीक हुई हैं।

फ़िल्म निर्देशक सुदिप्तो सेन ने दावा किया था कि मैंगलुरु और केरल से वर्ष 2009 से लेकर अब तक 32,000 इसाई और हिंदू लड़कियों को इस्लाम में कंवर्ट किया गया और उन्हें सीरिया और अफगानिस्तान जैसे इलाकों में ISIS में भेजा गया। फ़िल्म निर्देशक ने कहा कि इस बारे में शोध किया गया है जिसके आधार पर वे ये दावा कर रहे हैं।

फ़िल्म के इस दावे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और फ़िल्मकार अपने दावे की प्रमाणिकता साबित नहीं कर पाए। परिणामस्वरूप उस ट्रेलर को यूट्यूब से हटाना पड़ा और 26 अप्रैल 2023 को दोबारा नये डिस्क्रिप्शन के साथ नया ट्रेलर अपलोड किया गया। इस बार 32,000 का आंकड़ा घटकर 3 पर आ गया। 32,000 और 3 में दिन-रात का अंतर है। इससे फ़िल्म की प्रामाणिकता और तथ्यपरकता पर गंभीर सवाल खड़े होते है। आखिर फ़िल्मकार किस आधार पर ये दावा कर रहे थे कि केरल से 32,000 महिलाओं ने इस्लामिक स्टेट आतंकवादी गतिविधियों में हिस्सा लिया है। फ़िल्मकार जानबूझकर इस तथ्यविहीन झूठ को फैला रहे थे। ये अकेली घटना साबित करती है कि फ़िल्म एक झूठे नफरती एजेंडा से प्रेरित है।

केरल में धर्म-परिवर्तन की सच्चाई

दूसरा दावा किया गया है कि हज़ारों मासूम लड़कियों का सिस्टेमेटिक ढंग से धर्म-परिवर्तन कराया गया और उन्हें आतंकवाद की तरफ धकेल दिया गया। अब इस दावे की पड़ताल करते हैं। देखते हैं कि केरल में धर्म-परिवर्तन की क्या स्थितियां हैं? क्या सचमुच हिंदू धर्म ख़तरे में आ गया है?

हालांकि धर्म-परिवर्तन को लेकर व्यवस्थित आंकड़ों का अभाव है लेकिन फिर भी कुछ जानकारियां उपलब्ध हैं।

2 अप्रैल 2021 को केरल में धर्म परिवर्तन के बारे में इंडियन एक्सप्रेस में एक रिपोर्ट छपी है जिसमें केरल में धर्म-परिवर्तन के आंकड़े भी दिए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार कुल धर्म-परिवर्तन करने वालों में से 47% व्यक्तियों ने अन्य धर्म छोड़कर हिंदू धर्म को अपनाया है। सबसे ज्यादा लोग हिंदू धर्म में कंवर्ट हुए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में 222 लोगों ने हिंदू धर्म छोड़ा है जबकि अन्य धर्मों से 241 लोगों ने हिंदू धर्म अपनाया है। 242 लोगों ने इसाई धर्म छोड़ा है जबकि अन्य धर्म के 119 लोगों ने इसाई धर्म अपनाया है। इसी प्रकार 40 लोगों ने इस्लाम छोड़ा है और अन्य धर्म के 144 लोगों ने इस्लाम अपनाया है। 111 हिंदुओं ने इसाई धर्म अपनाया है जबकि इसाई धर्म से हिंदू धर्म में आने वाले लोगों की संख्या 209 है। जिनमें 101 पुरुष और 108 महिलाएं हैं। हिंदू धर्म से 111 लोगों ने इस्लाम अपनाया है और इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म में 32 लोग शामिल हुए हैं।

भाजपा ऐसा माहौल बना रही है कि बड़ी संख्या में हिंदुओं को जबरन अन्य धर्मों में कंवर्ट किया जा रहा है। जबकि आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि सबसे ज्यादा लोग हिंदू धर्म में कंवर्ट हुए हैं। कश्मीर फाइल फ़िल्म की तर्ज़ पर भाजपा नफरती एजेंडा को प्रोमोट कर रही है और केरल की छवि को ख़राब करने की कोशिश की जा रही है।

केरल से ज्यादा लड़कियां मध्य प्रदेश में लापता होती है

पहले कहा गया कि 32,000 लड़कियां केरल से लापता हुई हैं और उन्होंने ISIS ज्वाइन किया है। अब तर्क दिया जा रहा है कि केरल से 6,000 लड़कियां लापता हुई हैं। इसे इस तरह से पेश किया जा रहा है कि जैसे लापता होने वाली केरल की हर लड़की ISIS ज्वाइन करती है। ये तर्क एकदम बेतुका है। अगर लापता लड़कियों के आंकड़े की भी बात करें तो वो राज्य टॉप में हैं जहां भाजपा की सरकारें हैं न कि केरल।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार केरल में वर्ष 2021 में 6,183 लड़कियां लापता हुई हैं। लड़कियों की गुमशुदगी के मामले में पहले नंबर महाराष्ट्र है, जहां लड़कियों की गुमशुदगी के 37,278 मामले दर्ज किए गए हैं।

मध्य प्रदेश इस मामले में देश में दूसरे नंबर पर है जहां 35,638 लड़कियां लापता हुई हैं।

तीसरे नंबर पश्चिम बंगाल है जहां 30,611 मामले दर्ज़ किए गए हैं।

भाजपा शासित राज्य इस मामले में केरल से कहीं आगे हैं। गुजरात में 9,812 और कर्नाटक से 10,962 लड़कियां लापता हुई हैं।

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लड़कियों का लापता होना चिंता का विषय है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि लापता होने वाली सभी लड़कियां ISIS ज्वाइन कर रही है। ये लापता लड़कियां मानव तस्करी का शिकार हो सकती हैं, इन्हें भीख मांगने से लेकर वेश्यावृत्ति तक में धकेला जा सकता है। इसके अलावा भी गुमशुदगी के और कारण होते हैं।

कुल मिलाकर केरल स्टोरी तथ्यों और सच्चाई से परे है और एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी को प्रमोट कर रही है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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