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JEE Main 2023 : परीक्षा की तारीख़ और नंबरों की अनिवार्यता से छात्र परेशान, सोशल मीडिया पर जता रहे विरोध

जेईई मेन 2023 का पहला सत्र 24 से 31 जनवरी के बीच होना है, ऐसे में सीबीएसई बोर्ड समेत कई अन्य बोर्ड्स की 12 वीं की परीक्षाएं भी फरवरी से आयोजित की जानी है, जो छात्रों के चिंता का कारण है।
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ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) मेन 2023 को लेकर जारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए की नई नोटिफिकेशन का विरोध हो रहा है। इस नोटिफिकेशन में परीक्षा की तारीख से लेकर 12वीं बोर्ड में 75 फीसदी मार्क्स को फिर से अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा एनटीए ने सभी कैंडिडेट्स के लिए एग्जाम की रजिस्ट्रेशन फीस भी बढ़ा दी है। छात्र जेईई मेन परीक्षा के महज़ एक महीने पहले मिली इस जानकारी से परेशान हैं, तो वहीं उनके अभिभावकों को भी बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है।

बता दें कि जेईई-मेन एनआईटी, आईआईटी और अन्य केंद्रीय वित्तपोषित प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा अन्य सहभागी राज्य सरकारों द्वारा वित्तपोषित या मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग संस्थानों में अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए आयोजित की जाती है। यह जेईई एडवांस के लिए क्वालीफाइंग परीक्षा भी है जो आईआईटी में प्रवेश के लिए करायी जाती है।

क्या है पूरा मामला?

हाल ही में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जेईई मेन 2023 की परीक्षाओं को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया। इस नोटिफिकेशन के मुताबिक जेईई मेन 2023 का एग्जाम दो सेशन में होगा। पहला अटेंप्ट 24 से 31 जनवरी और दूसरा 6 से 12 अप्रैल के बीच आयोजित होगा। इस एग्जाम के लिए छात्रों को 12वीं के सभी विषयों में पास होना भी जरूरी है। इसके अलावा एनआईटी, आईआईटी आदि में बीई, बीटेक, बीआर्क, बी प्लानिंग जैसे कोर्स में ऑल इंडिया रैंक (जेईई) के आधार पर सीट मिलेगी। लेकिन कैंडिडेट के लिए 12वीं बोर्ड में 75 फीसदी मार्क्स लाना अनिवार्य होगा। एससी/एसटी छात्रों के लिए क्वालीफाइंग मार्क्स 65 फीसदी होगा।

नोटिफिकेशन में एग्जाम की रजिस्ट्रेशन फीस जनरल कैटेगरी के छात्रों (पुरुष) की रजिस्ट्रेशन फीस 650 रुपये से बढ़कर एक हजार कर दी गई है। वहीं फीमेल कैंडिडेट की फीस 325 रुपये से बढ़कर 800 रुपये हो गई है। जबकि एससी/एसटी/पीडब्ल्यूडी और थर्ड जेंडर उम्मीदवारों को 325 रुपये के बदले 500 रुपये देने होंगे।

छात्रों और अभिभावकों का मुख्य विरोध परीक्षा की तारीख और 12 वीं बोर्ड में 75 फीसदी मार्क्स की अनिवार्यता को लेकर है। क्योंकि सीबीएसई बोर्ड समेत कई अन्य बोर्ड के कक्षा 12 की परीक्षाएं फरवरी, 2023 से आयोजित की जानी हैं, और प्रैक्टिकल परीक्षाएं जनवरी में आयोजित होनी है। ऐसे में छात्रों का कहना है कि उन्हें तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाएगा। छात्र लगातार सोशल मीडिया पर हैशटैग “पोस्टपोनजेईईमेन्स” के जरिये शिक्षा मंत्रालय और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के समक्ष गुहार लगा रहे हैं।

लाखों छात्रों और उनके परिवार वालों के सपनों से खिलवाड़

बिहार बोर्ड के छात्र मयंक जो, कि इस साल 12 वीं की परीक्षा के साथ ही जेईई की तैयारी भी कर रहे हैं, उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि बिहार बोर्ड की परीक्षाएं 1 फरवरी से होनी है, ऐसे में उनके लिए एक दिन पहले जेईई के पेपर के लिए तैयार होना और अगले दिन बोर्ड की परीक्षा के लिए बैठना बहुत मुश्किल है। मयंक के मुताबिक एनटीए ने छात्रों के बारे में बिना-सोचे ये जनवरी की तारीख का ऐलान कर दिया है। ये लाखों छात्रों और उनके परिवार वालों के सपनों से खिलवाड़ है।

मयंक के जैसे ही जेईई की तैयारी कर रही सृष्टी बताती हैं कि वो कोटा के एक कोचिंग संस्थान से इस परीक्षा के लिए तैयारी कर रही हैं, लेकिन लगभग सभी संस्थानों में सिलेबस का शुरुआती हिस्सा ही पूरा हुआ है, ऐसे में महज़ एक महीने बाद होने वाले इस पेपर में छात्र कैसे पूरा सिलेबस कवर करेंगे। ऊपर से बोर्ड की परीक्षाओं का प्रेशर भी अलग से है। सृष्टि के अनुसार एनटीए के नोटिफिकेशन के बाद छात्र तनाव में हैं और उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा। क्योंकि जेईई-मेंस का एक भी मौका कोई गंवाना नहीं चाहता।

ड्रॉपर्स के लिए अंकों की समस्या

यहां समस्या ड्रॉपर्स यानी उन छात्रों की भी है, जिन्होंने बीते साल 12वीं की परीक्षा 75 प्रतिशत से कम अंकों के साथ पास की और किन्हीं वजहों से जेईई की परीक्षा नहीं दी, एग्जाम क्वालीफाई नहीं कर पाए या सुधार के चलते कॉलेज में एडमिशन नहीं लिया और इस साल वो दोबारा एग्जाम देने जा रहे हैं। एनटीए ने अब तक ऐसे छात्रों के लिए अलग से कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। ऐसे में इन छात्रों का क्या होगा ये भी सोशल मीडिया पर एनटीए से पूछ रहे हैं।

लखनऊ के रचित कहते हैं कि उन्हें बीते साल एनआईटी में एडमिशन मिल गया था, लेकिन उन्होंने अपने मनपसंद विषय और रैंक में सुधार के लिए एक साल ड्राप कर दिया लेकिन अब इस साल सरकार सबकुछ गोल-मोल कर के सामने आई है। उन्हें यही नहीं पता कि उनका अब परीक्षा में बैठना सार्थक भी है कि नहीं, क्योंकि उनके 12वीं में 75 प्रतिशत से कम अंक हैं।

रचित के अनुसार पिछले साल अक्तूबर तक तो काउंसलिंग का प्रोसेस ही चला, ऐसे में अब छात्रों ने फिर से सिलेबस को पलटना शुरू किया है और फिर कुछ महीनों में ही दोबारा परीक्षा की तारीख बिल्कुल भी प्रैक्टिकल नहीं है, हज़ारों का भविष्य लटक जाएगा। रचित12 वीं के अंकों को लेकर बीते साल वालों को कुछ रियायत देने की मांग एनटीए से करते हैं, उनके मुताबिक जब विश्वविद्यालयों में एडमिशन के लिए 12 वीं के मेरिट को छोड़कर कॉमन एंट्रेंस टेस्ट को वरीयता दी जा रही है, ऐसे में जेईई में 12 वीं के नंबरों को इस तरह अहमियत देना कहां तक जायज है। ये सब तैयारी करने वाले बच्चों के लिए बिल्कुल आसान नहीं है।

गौरतलब है कि हमारे देश में इंजीनियरिंग करना और इंजीनियर बनना लाखों विद्यार्थियों का सपना होता है और इस परीक्षा से उनके माता-पिता और शिक्षकों की भावनाएं जुड़ी होती हैं। लेकिन इस बार समय से पहले तारीखों की घोषणा और एग्जाम के लिए 12वीं में 75 फीसदी मार्क्स की अनिवार्यता ने कई लोगों  के सपने तोड़ दिए हैं। जेईई मेंस को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम पोस्ट देखने को मिल रहे हैं और अगर छात्रों को एनटीए की ओर से कोई जल्द कोई राहत नहीं मिली तो हो सकता है, आने वाले दिनों में छात्रों का बड़ा प्रदर्शन देखने को मिल सकता है।

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