Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण 14,000 से अधिक स्कूली छात्र हुए विस्थापित

मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण 14,000 से अधिक स्कूली बच्चे विस्थापित हुए हैं। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा में दी।
Education

मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण 14,000 से अधिक स्कूली बच्चे विस्थापित हुए हैं। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा में दी।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इन विस्थापित बच्चों में से 93 प्रतिशत से अधिक का निकटतम स्कूल में दाखिला कराया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर की मौजूदा स्थिति के कारण स्कूल जाने वाले कुल 14,763 बच्चे विस्थापित हुए हैं। विस्थापित छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रत्येक राहत शिविर के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।’’

मंत्री ने कहा कि 93.5 प्रतिशत विस्थापित छात्रों का निकटतम संभव स्कूल में निशुल्क दाखिला कराया गया है।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 

राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

बता दें कि मिजोरम के शिक्षा निदेशक ने कहा कि बच्चों की स्थिति पर विचार करते हुए उन्हें आवश्यक दस्तावेज न होने के बावजूद स्कूलों में दाखिला लेने की अनुमति दी गयी। हिंसाग्रस्त मणिपुर से अपने परिवारों के साथ आए 1,500 से अधिक बच्चों ने मिजोरम के विभिन्न स्कूलों में दाखिला लिया है। 

मिजोरम के शिक्षा निदेशक लालसंगलियाना ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि विस्थापित बच्चों को सरकारी स्कूलों में निशुल्क दाखिला दिया गया है।

उन्होंने कहा कि बच्चों की स्थिति पर विचार करते हुए उन्हें आवश्यक दस्तावेज न होने के बावजूद स्कूलों में दाखिला लेने की अनुमति दी गयी।
मणिपुर यूनिवर्सिटी की स्थापना 1980 में हुई थी जिसे 2005 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला था।

सिर्फ यूनिवर्सिटी के छात्र ही नहीं बल्कि विस्थापित हुए स्कूल जाने वाले छात्रों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इंटरनेट बंद होने की वजह ने छात्रों की परेशानी और बढ़ गई है। ऐसे में बहुत से ऐसे परिवार हैं जिन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए दिल्ली का भी रुख किया है। 

इंडियन एक्सप्रेस में  छपी ख़बर के मुताबिक दिल्ली शिक्षा विभाग के मुताबिक 138 मणिपुरी बच्चों ने दिल्ली के स्कूलों में दाखिला लिया है। जबकि 290 एप्लीकेशन अभी प्रक्रिया में हैं। 

जान बचाकर निकले ये परिवार फिलहाल दिल्ली में अपने रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं। हमने छात्रों की शिक्षा के लिए दिल्ली में हो रही कोशिश के बारे में जानने के लिए कुकी-ज़ो वीमेंस फोरम से जुड़ी Nu Jacinta Simte से बातचीत की हमने उनसे पूछा कि हिंसा, विस्थापन का बच्चों की शिक्षा पर क्या असर पड़ रहा है? उन्होंने कहा कि '' जो हमारे साथ हो रहा है उसके लिए असर शब्द बहुत छोटा है, हम उसे शब्दों में बयां नहीं कर पाएंगे''  वे आगे बताती हैं कि '' कुकी-ज़ो लोग वैली में नहीं जा पा रहे हैं, और सभी तरह से संस्थान वैली में ही हैं, फिर चाहे वे मणिपुर यूनिवर्सिटी हो या फिर कोई और शिक्षा का संस्थान। रही बात हालात की तो वे ठीक नहीं हैं।''

(न्‍यूज एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest