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बनारस: IIT-BHU में दीवार के मुद्दे पर उबाल, हजारों स्टूडेंट्स ने निकाली सद्भावना रैली

बाउंड्री और सुरक्षा के मुद्दे पर BHUके कुलपति प्रो. एसके जैन की 05 नवंबर 2023 को IITके निदेशक प्रो.पीके जैन से लंबी वार्ता हुई। 
BHU

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थिति काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में छात्रा के साथ छेड़छाड़ और बदसलूकी को लेकर हुए जबर्दस्त प्रदर्शन के बाद IIT और BHUके बीच दीवार खड़ा करने के निर्णय के विरोध में हजारों छात्रों ने प्रतिकार मार्च निकाला जिसे सद्भावना रैली नाम दिया गया था। एक तरफ IITके छात्र अपना अलग कैंपस चाहते हैं तो दूसरी ओर BHUके हजारों स्टूडेंट्स इसका विरोध कर रहे हैं। दीवार को लेकर छिड़ी रार ने इस कदर तूल पकड़ लिया है कि सोमवार को विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ने कक्षाओं का बहिष्कार कर रैली में शामिल हुए। हाथों में पोस्टर लिए स्टूडेंट्स ने पीड़िता को न्याय दिलाने और आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार करने के लिए आवाज बुलंद की।

इस बीच बाउंड्री और सुरक्षा के मुद्दे पर BHUके कुलपति प्रो. एसके जैन की 05 नवंबर 2023 को IITके निदेशक प्रो.पीके जैन से लंबी वार्ता हुई। इसके बाद BHUप्रशासन ने साफ तौर पर कह दिया कि IIT-BHUमें बाउंड्री वॉल बनाया जाना संभव नहीं है। बाउंड्री से अनावश्यक विवाद खड़ा होगा। इससे कैंपस में छात्राओं की सुरक्षा संबंधी समस्याओं का निराकरण कतई संभव नहीं है। बाद में BHUके पीआरओ सेल की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया गया कि कैंपस में छात्राओं की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे लेकिन बाउंड्री वाल नहीं बनाई जाएगी। आईआईटी के बीच बाउंड्री वॉल को लेकर BHUके स्टूडेंट्स कई दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर लेकर कैंपस में तनाव है।

BHUऔर IIT बीच दीवार खड़ी करने के विरोध में सोमवार को छात्रों की सद्भावना रैली विश्वनाथ मंदिर से एक बड़े जुलूस की शक्ल में निकली। इस रैली में BHUके छात्रों के अलावा एक पूर्व‌ कुलपति, कई पूर्व प्रोफेसर भी शामिल हुए। आंदोलनकारी छात्र अपने हाथों में "हम BHUके लोग" का बैनकर लेकर चल रहे थे। प्रदर्शनकारी छात्रों में विधि संकाय, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, सामाजिक विज्ञान संकाय, कला संकाय वाणिज्य संकाय के अलावा कृषि संस्थान के स्टूडेंट्स शामिल थे। आक्रोशित छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सद्भावना रैली विश्वनाथ मंदिर से चलकर मालवीय भवन तक पहुंची और वहां सभा में बदल गई।

सद्भावना रैली में शामिल स्टूडेंट्स एवं शिक्षाविदों ने कहा कि BHUऔर IIT के बीच किसी भी कीमत पर दीवार नहीं खड़ी होने दी जाएगी। यह रैली बनारस के लोगों को BHUके बंटवारे के खिलाफ निकाली गई है। महामना की कर्मस्थली को बांटने का अधिकार किसी को नहीं है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय पूरा राष्ट्र है। जिस तरह से भारत का बंटवारा नहीं कर सकते उसी तरह से BHUका बंटवारा भी देश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। बाउंड्री वाल के मुद्दे पर प्रशासन माफी मांगे। BHUमें हर जगह प्रकाश की उत्तम व्यवस्था की जाए। साथ ही सभी जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए जाएं।

आंदोलनकारी छात्रों का कहना है कि IIT-BHUके बीच दीवार खड़ा करना सुरक्षा का स्थायी हल नहीं है। BHUकैंपस पहले से ही चौतरफा ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा है। ऐसे में एक और दीवार खड़ा किया जाना ठीक नहीं है। IIT के साथ BHUकी सभी छात्राओं की सुरक्षा भी जरूरी है। सिर्फ IIT को घेर देने से सभी लड़कियों की सुरक्षा कैसे संभव है? वक्ताओं ने यह भी मांग उठाई की IIT-BHUको काशी हिन्दू विश्वविद्याय के प्रशासनिक नियंत्रण में लाया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में BHUका कोई भी विभाग अलग न हो। BHUपरिसर में रात दस बजे के बाद बाहरी लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए। महिला सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जाए। BHUपरिसर में शराब और मादक पदार्थों का सेवन प्रतिबंधित किया जाए।

IIT-BHUमें दीवार खड़ी करने का निर्णय तब लिया गया था जब बीटेक द्वितीय वर्ष की एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ और बदसलूकी की वारदात को लेकर घंटों उग्र आंदोलन चला। IIT के छात्र अपना अलग कैंपस चाहते हैं लेकिन BHUके स्टूडेंट्स इस बंटवारे के खिलाफ खड़े हो गए हैं। वाराणसी के कमिश्नर और निदेशक ने छात्रों से वादा किया था कि IIT के बाउंड्री वॉल खड़ी की जाएगी। तभी से BHUके छात्र गुस्से में हैं।

दीवार नहीं, सुरक्षा चाहिए

छात्र नेता मृत्युंजय तिवारी ने ‘न्यूजक्लिक’ से कहा, "काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रशासन को तत्काल स्पष्टीकरण देना चाहिए की वो किस अधिकार पर इस शैक्षणिक संस्था को खंडित करना चाहते हैं। दीवार एक सोच है और जिनकी मानसिकता विभाजनकारी है। हम अखंड भारत की बात करते हैं। हम एक ऐसे BHUमें पढ़ते हैं जहां महामना की परिकल्पना थी कि सभी छात्र एक ही कैंपस के नीचे पढ़ें और देश के कोने-कोने में जाएं और नाम कमाएं। BHUआवासीय विश्विद्यालय है। यहां के प्रशासनिक अफसर अपनी नाकामी को छुपाने के बाद ये दीवार की बात कर रहे हैं। ऐसा हरगिज नहीं होने दिया जाएगा। BHUमालवीय जी के मूल्यों और आदर्शों को सींचता है। यह वसुधैव कुटुंबकम पर चलने वाला विश्वविद्यालय है। विभाजनकारी मानसिकता का हम हमेशा विरोध करते रहेंगे।"

BHUकी एक अन्य छात्रा अदिति मौर्या ने कहा, "BHUके छात्रों ने दीवार को सिरे से नकार दिया है क्योंकि हम सब एक हैं और महामना ने इस बगिया को एक रखने के लिए बनाया था। ऐसे में हम लोगों का जो प्रोटेस्ट है वह मुख्य रूप से दीवार के विरोध में हैं। IIT BHUने दीवार बनाने का सोचा भी कैसे? सुरक्षा तो सभी छात्राओं को चाहिए। दीवार बनाने का निर्णय गलत है। इस मुद्दे को लेकर हमारा विरोध जारी रहेगा।" अदिति के विचारों पर सहमति व्यक्त करते हुए साक्षी सिंह ने कहा, "बात IIT की हो, मेडिकल स्टूडेंट्स की हो अथवा BHUके दूसरे संकायों की सुरक्षा के नाम पर विभाजन बर्दाश्त नहीं होगा। सिर्फ IIT ही नहीं समूचे BHUकी सुरक्षा की जाए। दीवार खड़ा करना महामना जी के मूल्यों पर कुठाराघात होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन विखंडनवादी मानसिकता का परिचय दे रहा है। हमारे संघर्ष में BHUके छात्र ही नहीं सभी कर्मचारी और शिक्षक भी सहयोग दे रहे हैं।"

दीवार का बवाल क्यों

लड़कियों की सुरक्षा के बहाने IIT और BHUके विभाजन का इसलिए भी विरोध किया जा रहा है कि मालवीय जी की मंशा ऐसी नहीं थी। मौजूदा समय में BHUपरिसर में कुल 90 हास्टल हैं जिनमें 20 हजार से अधिक स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं। शिक्षकों और कर्मचारियों की तादाद 600 से अधिक है। इनके परिजनों को मिला दें तो इनकी तादाद पांच हजार से ऊपर चली जाएगी। तर्क यह दिया जा रहा है कि सुरक्षा पूरे BHUकैंपस की होनी चाहिए न कि सिर्फ आईआईटी में दीवार बनवाने की।

IIT BHUपरिसर में दीवार बनाने का निर्णय चुनौती भरा कदम है। साल 2012 में आईटी BHUको IIT का दर्जा मिलने के दौरान जो एक्ट बनाया गया था उसमें ये प्रस्ताव भी शामिल था कि IIT BHUविश्वविद्यालय से अलग नहीं होगा। करीब पांच साल पहले भी IIT BHUपरिसर में दीवार खड़ा करने की कोशिश की गई थी लेकिन नियमों की पेंचीदगियों के चलते कैंपस का बंटवारा नहीं हो सका था।


IIT और BHUके बीच दीवार खड़ा कर पाना आसान नहीं है। इसके लिए BHUके नियम और उसके प्रावधानों में बदलाव करना होगा। पंडित मदन मोहन मालवीय ने BHUकी स्थापना के तीन साल बाद साल 1919 में इंजीनियरिंग का कोर्स शुरू कराया था। बाद में इसका नाम बदलकर IT BHUकर दिया गया। छात्रों की डिमांड बढ़ने पर साल 2012 में इसे IIT का दर्जा दे दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, " IIT में पहले ज्वाइंट चीफ प्रॉक्टर होते थे। BHUचीफ प्रॉक्टर की टीम यहां भी सुरक्षा इंतजाम करती थी। पिछले साल IIT ने खुद चीफ प्रॉक्टर की तैनाती शुरू कर दी। बिजली, पानी और स्वास्थ सुविधाएं पहले की तरह ही IIT हासिल कर रहा है। सर सुंदर लाल अस्पताल में IIT के स्टूडेंट्स का इलाज भी मुफ्त में होता है।"

ऐसी सुरक्षा से क्या फायदा

आईआईटी और BHUमें 1200 सुरक्षा कर्मी है। इसमें खुद का एलआईयू इंटेलीजेंस, पेट्रोलिंग गाड़ियां, सीसी कैमरे लगे हैं। फिर भी अपराध जारी हैं। बाहरियों का प्रवेश परिसर में प्रतिबंधित है तो शोहदे सारी रात बाइक लेकर कैसे घूमते रहते हैं। प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने जगह-जगह सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की है लेकिन वो हमेशा ऊंघते रहते हैं। BHUका चालीस फीसदी इलाका ऐसा है जहां न तो कोई सुरक्षाकर्मी है न ही सीसीटीवी कैमरे हैं। BHUकैंपस में हर दिन बाहर से भी करीब 40 हजार लोग आते हैं जिनमें करीब 15 हजार सरसुंदर लाल अस्पताल में मरीज व तीमारदार होते हैं। विश्वनाथ मंदिर में भी रोजना 25 हजार लोग दर्शन करने आते हैं। सभी लोगों की जांच अथवा पूछताछ मुमकिन नहीं है। मंदिर में तो रात में बंद होने के बाद कोई आता-जाता नहीं लेकिन अस्पताल परिसर में तो 24 घंटे लोगों की आवाजाही रहती है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में चाक-चौबंद सुरक्षा इंतजाम करने की कवायद कई सालों से चल रही है। BHUके कुछ प्रशासनिक अफसरों और चुनिंदा चौराहों को छोड़ कहीं भी चौकसी नजर नहीं आती। BHUके छात्र नेता रहे प्रदीप श्रीवास्तव इन दिनों एक दैनिक अखबार के कार्यकारी संपादक हैं। वह कहते हैं, "काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को खंड-खड़ करने की साजिश की जा रही है। काफी दिनों से ये कोशिशें चल रही थी कि IIT-BHUको अलग कर दिया जाए। ताजा घटनाक्रम को आड़ बनाते हुए IIT प्रशासन की पुरानी इच्छा को अमलीजामा पहनाने की कोशिश की जा रही है। इसमें सफलता मिली तो वह दिन दूर नहीं जब मेडिकल इंस्टीट्यूट को भी BHUसे अलग कर दिया जाएगा। विश्वविद्यालय के नाम पर सिर्फ कला, कामर्स, इतिहास, लाॅ, संगीत संकाय वगैरह रह जाएंगे। यह महामना सपनों का कत्ल करने की साजिश है। महामना की परिकल्पना थी कि एक ही कैंपस में सभी कुछ हो। देश भर में ऐसा कहीं नहीं है। यह इस BHUको एक खास दर्जा दिलाता है। दीवार से कोई सुरक्षा नहीं होती है। इससे सिर्फ दिलों का बंटवारा होता है। लड़कियों के साथ आए दिन होने वाली छेड़छाड़ की वारदातें विश्वविद्यालय प्रशासन की नाकामी दर्शती है।"

"पिछले कुछ सालों से स्टूडेंट्स में असंतोष काफी बढ़ा है। चाहे छात्रावास की समस्या हो, मेस की हो, चाहे शुल्क वृद्धि की, सभी मसलों पर स्टूडेंट्स की शिकायतों की लंबी-चौड़ी फेहरिश्त रही है। वो इन्हें समय-समय पर उठाते भी रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ज्वलंत समस्याओं की अनदेखी करता रहा है जिसके चलते कैंपस आज इस स्थिति में आकर खड़ा हो गया है जहां शोहदे आसानी से छात्राओं का चीरहरण कर रहे हैं। ऐसी अराजकता तो शायद ही किसी शैक्षणिक संस्था में देखने को मिलेगी।"

प्रदीप कहते हैं, "हाल के दिनों में छेड़खानी को लेकर स्टूडेंट्स सड़कों पर उतरे तो BHUमें छिपी तमाम दकियानूसी परंपराएं और पाबंदियां भी सामने आ गईं। छात्राओं को आज भी रात में सेट्रल लाइब्रेरी जाने की आजादी नहीं है। साथ ही वो आज़ादी उन्हें मयस्सर नहीं है जो विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले लड़कों को हासिल हैं। छेड़छाड़ की घटनाओं से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा लगातार धूमिल होती जा रही है। अब BHUमें वो माहौल नहीं रहा जैसा कि पहले रहता था। मौजूदा समय में BHUकी स्थिति ठीक नहीं है। विश्वविद्यालय प्रशासन लापरवाह, गैर-जिम्मेदार और निरंकुश हो गया है। उसके इस गलत रवैये से ही कैंपस में तमाम तरह की गड़बड़ियां पैदा हो रही है।"

महामना के सपनों की हत्या

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव कहते हैं, "IIT-BHUमें दीवार बनाने से पहले एक्ट में बदलाव करना होगा। ऐसे में सिर्फ छात्र ही नहीं, शिक्षक भी नाराज हो सकते हैं। BHUप्रशासन को राजनीतिक दबाव अलग से झेलना पड़ सकता है। हमें याद है कि जब IT से IIT बनाया गया था तब दोनों संस्थानों के बीच सुरक्षा, जल, विद्युत के साथ ही स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की केंद्रीयकृत व्यवस्था रखने पर करार हुआ था। पिछले कुछ सालों से  IIT प्रशासन बारी-बारी से अपनी व्यवस्था अलग करता जा रहा है। यह स्थिति ठीक नहीं है।"

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्र रहे अजय राय कहते हैं, "BHUकैंपस में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी होगी। कैंपस में दीवार बनवाने का निर्णय समझ से परे है। बैरीकेडिंग, नाइट पेट्रोलिंग, प्रकाश व सीसीटीवी कैंमरों की मदद से छेड़छाड़ की घटनाओं पर आसानी से अंकुश लगाया जा सकता है। चिंता की बात यह कि BHUमें प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों की बड़ी फौज है लेकिन उनसे कुछ होता ही नहीं है। IIT की बाउंड्री महामना की आत्मा पर दीवार बनवाने जैसी होगी। आईआईटी जब BHUका हिस्सा नहीं रहा तो दान की जमीन पर भी उसका कोई हक नहीं है।"

BHUछात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव इस बात से आहत हैं कि छात्राओं को सुरक्षा देने के बजाय IIT-BHUको बांटने की कवायद हो रही है। BHUकी बाकी लड़कियों की हिफाजत कौन करेंगा? महामना मदन मोहन मालवीय ने भीख मांगकर BHUकैंपस बनवाया था। उनकी भावना यह रही कि कैंपस एक परिवार की तरह रहे। विद्यार्थी, शिक्षक, कर्मचारी एक साथ रहेंगे।

 विश्वविद्यालय परिवार का बंटवारा किया जा रहा है और मालवीय जी की भावनाओं और उनके सपनों की हत्या की जा रही है। BHUप्रशासन अगल आईआईटी में दीवार खड़ी करेगा तो पूर्व छात्र सड़क पर उतरेंगे। बड़ी लड़ाई छिड़ेगी। बनारस की जनता सड़क पर उतरेगी। BHUमें किसी तरह की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। BHUप्रशासन को चाहिए कि वह पीड़िता से अमानवीय व्यवहार करने वाले शोहदों को पकड़ने के लिए प्रयास करे। आपनी सुरक्षा व्यवस्था स्ट्रांग करें।"

अनिल यह भी कहते हैं,"छात्रसंघ को भंग कर देना और फिर उसे बहाल न करना ही BHUके पतन के लिए ज़िम्मेदार है। जब छात्रसंघ था तो स्टूडेंट्स अपने प्रतिनिधि चुनते थे और संसद के अनुकरण पर छात्रसंघ की प्रक्रिया चलती थी। एक स्पीकर होता था और साल में एक या दो बार बजट पेश किया जाता था। कर्मचारी संघ था, अध्यापक संघ था। इन संगठनों के ज़रिए स्वस्थ राजनीति भी होती थी और सभी को अपनी बात को रखने का एक मंच मिलता था जिससे कुलपति, प्रशासनिक अधिकारी या फिर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोग मनमानी नहीं कर पाते थे कैंपस में छिछोरेबाजी नहीं होती थी। कोई गंदी हरकत करने की हिम्मत नहीं करता था। पूरी रात BHUकी सड़कें गुलजार रहा करती थीं। बाद में इन छात्रसंघों पर अराजकता का आरोप लगाकर इन्हें भंग कर दिया गया। आज छात्रों के पास कोई ऐसा फ़ोरम या संगठन नहीं है जहां वो अपनी बात रख सकें। उन्हें अपनी बात सीधे चीफ़ प्रॉक्टर या कुलपति के पास ही ले जानी पड़ेगी और इसका कमोबेश वही हश्र होगा जैसा पिछले दिनों छेड़छाड़ से पीड़ित लड़की का हुआ। BHUके स्टूडेंट्स को सुरक्षा देने में सिर्फ विश्वविद्यालय प्रशासन ही नहीं, डबल इंजन की सरकार भी नाकाम साबित हो रही है।"

नहीं पकड़े जा सके शोहदे 

IIT-BHUकी छात्रा से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी अभी तक नहीं पकड़े जा सके हैं। BHUपरिसर में एक नवंबर की रात तीन शोहदों ने एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ करने के बाद नग्न हालत में उसकी वीडियो भी बनाई थी। छात्र संसद के उपाध्यक्ष प्रणव किशोर के मुताबिक इस घटना से एक दिन पहले भी यहां छेड़छाड़ की वारदात हुई थी। लंका थाना पुलिस अभियुक्तों की गिरफ्तारी तो दूर, अभी तक उन्हें चिन्हित भी नहीं कर सकी है। कुछ रोज पहले पुलिस ने आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लिया था लेकिन पूछताछ से कोई नतीजा नहीं निकला। अब तक 215 से ज्यादा सीसी कैमरों की फुटेज खंगाले गए हैं। सर्विलांस का भी सहारा लिया जा रहा है। मुखबिरों से भी टोह ली जा रही है। अभी तक पुलिस यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि यौन हिंसा करने वाले तीनों अभियुक्त कौन हैं? पुलिस ने कुछ शोहदों की तस्वीरें पीड़ित छात्रा को दिखाई, लेकिन उसने वारदात में उनकी संलिप्तता से इनकार कर दिया।

पुलिस के मुताबिक, सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पता चला है कि बाइक सवार तीनों बदमाश हैदराबाद गेट से बाएं तरफ निकले। बाद में वो बाईपास की ओर गए। इसके आगे कोई जानकारी नहीं मिल पाई। घटना रात के समय की थी, इसलिए सीसीटीवी के फुटेज स्पष्ट नहीं दिख रहे हैं। वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के डीसीपी काशी जोन आरएस गौतम ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि छात्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाले शोहदों को गिरफ्तार करने के लिए पांच टीमें गठित की गई हैं। BHUके सभी सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। जल्द ही अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।*

कितना सुरक्षित है BHU?

* नौ जनवरी 2023 को कैंपस में एमएससी की छात्रा से छेड़खानी हुई। लंका थाने में शिकायत दर्ज पर शोहदे नहीं पकड़े गए।
* 25 जनवरी 2023 को मनचलों ने दिव्यांग छात्रा से छेड़खानी की वारदात को अंजाम दिया। आंदोलन हुआ लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
* 22 फरवरी 2023 को मधुवन के पास छात्रा से अभद्रता और छेड़खानी।
* 24 जुलाई 2023 को भी सेंट्रल लाइब्रेरी से हॉस्टल जा रही स्टूडेंट्स को मनचलों ने छेड़ा।
* 31 अगस्त 2023 को महिला प्रोफेसर से छेड़खानी और मानसिक उत्पीड़न। महिला प्रोफेसर जब मीडिया के सामने आई तब विश्वविद्यालय प्रशासन सख्त हुआ।
* 17अक्टूबर 2023 को आईआईटी BHUकी दो छात्रा से देर रात चार मनचलों ने छेड़खानी की।
* 1 नवंबर 2023 की रात आईआईटी छात्रा के साथ सनसनीखेज घटना सामने आई।

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
 

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