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जेएनयू हमला : डीयू से लेकर आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक विरोध प्रदर्शन

जेएनयू हिंसा के बाद देश की शायद ही कोई यूनिवर्सिटी हो जहां ग़म और गुस्से का इज़हार न किया गया हो। इस घटना ने देश ही नहीं विदेशों में भी छात्रों को हैरान-परेशान किया है और जगह-जगह इसके विरोध में लगातार धरना-प्रदर्शन हो रहे हैं।
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Image courtesy: Indian express

देश की राजधानी दिल्ली में रविवारजनवरी की शाम जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्याल (जेएनयू) पर हमले के विरोध में देश और विदेश में छात्र सड़कों पर उतरे। कई जगह रात में ही प्रदर्शन हुएकैंडल मार्च निकाला गया तो वहीं कई जगह आज जनवरी को प्रदर्शन हो रहे हैं।

कहां-कहां हुए प्रदर्शन?

जेएनयू हिंसा के बाद देश में ही विदेश में आक्रोश का माहौल है। शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर लोग जमकर सवाल उठा रहे हैं। इस हिंसा के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय से लेकर आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों ने अपनी आवाज़ बुलंद की।

जेएनयू के समर्थन में रविवार रात ही दिल्ली यूनिवर्सिटीजामिया मिल्लिया इस्लामिया समेत कई विश्वविद्यालयों के छात्र आटीओ स्थित दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे और पुलिस से एफआईआर दर्ज करने की मांग की।

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सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने जेएनयू में हुई हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। सैकड़ों की संख्या में स्टूडेंट्स ने नार्थ कैंपस होते हुए लेफ्टिनेंट गवर्नर हाउस तक मार्च निकाला और ज्ञापन दिया। 

छात्रों ने दिल्ली में कानून बहाल करने, विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार को सुरक्षित करने और देशभर के कैम्पसों लोकतांत्रिक माहौल को कायम करने की मांग की। प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि समाज या संस्थान पर एक खास विचारधारा को थोपने की कोशिश को आम छात्र बर्दास्त नहीं करेंगे।

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महाराष्ट्र

मुबंई में विभिन्न कॉलेजों के छात्र रविवार देर रात जेएनयू में हुई हिंसा के विरोध में 'गेटवे ऑफ इंडियापर एकत्र हुए। आईआईटी बॉम्बेमुबंई विश्वविद्यालय के छात्रों ने जेएनयू के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मोमबत्ती जलाईं। इस दौरान छात्रों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।

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पुणे के फिल्म और टेलीविजन संस्थान के छात्रों ने आधी रात को हाथों में मशाल लेकर कैंपस में मार्च निकाला और इंकलाब के नारे बुलंद किए। एफटीआईआई में छात्रों के एक वर्ग ने इस हिंसा के लिए एबीवीपी को जिम्मेदार ठहराया है। इस दौरान उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सोमवार दिसंबर को भी इस मुद्दे को लेकर कैंपस में एक छोटी सी सभा का आयोजन हुआ।

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इस संबंध में एफटीआईआई के छात्र नेता आदिथ ने न्यज़क्लिक से बातचीत में कहा, 'जेएनयू कैंपस में हिंसा की हम कड़ी निंदा करते हैं। छात्रों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। हम छात्र सिग्नेचर अभियान के माध्यम से इस हमले का विरोध कर रहे हैं। हम इस संबंध में जी न्यूज़ और रिपब्लिक टीवी जैसे मीडिया संस्थानों की भ्रामक रिपोर्टिंग की भी निंदा करते हैं। जिसने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर एक गलत नैरेटीव पेश करने की कोशिश की है। हम इस संदर्भ में पुलिस और गृहमंत्री की चुप्पी को दुखद मानते हैं, जिसके कारण पूरी स्थिति खराब हुई। सरकार अपने आलोचकों और विरोधियों की आवाज़ हिंसा के जरिए दबाने की कोशिश कर रही है। ये गलत है, हमें इसके खिलाफ एकजुट होना होगा।'

उत्तर प्रदेश

जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों पर हुए हिंसक हमले के विरोध में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी मेंं छात्रों ने सोमवार को मधुबन पार्क में एक प्रतिरोध सभा का आयोजन किया। सभा में छात्रों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। सरकार से सवाल पूछे और गृहमंत्री से इस्तीफे की मांग की।

बीएचयू के शोध विद्यार्थी विकास सिंह ने इस संबंध में कहा, ‘देश की राजधानी के विश्वविद्यालय परिसर में हुआ ये हमला इस दौर की सबसे शर्मनाक घटना है। नकाबपोशों का गर्ल्स हॉस्टल में घुसना, छात्रों और शिक्षकों पर हमला करना निंदनीय है। ये हमला सिर्फ जेएनयू पर नहीं, पूरे देश के छात्रों पर हमला है। इसे किसी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। छात्र अगर विश्वविद्यालय में सुरक्षित नही है, तो इस देश में कोई सुरक्षित नहीं है। जेएनयू के वाइस चांसलर को बर्खास्त किया जा जाना चाहिए और देश के गृहमंत्री को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। जो राजधानी में स्थित विश्वविद्यालय को नहीं संभाल सकता वो देश को क्या संभालेगा।'

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भी छात्र जेएनयू की एकजुटता में नज़र आए। छात्रों ने विश्वविद्यालय यूनियन हॉल के सामने प्रदर्शन किया साथ ही गृहमंत्री अमितशाह से इस्तीफे की मांग की। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि संस्थानों पर हमला कर अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की साजिश की जा रही है। छात्र सरकार की आंखों में खटकने लगे हैं।

विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने इस संबंध में बताया, ‘जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष और टीचर्स पर यूनिवर्सिटी के अंदर घुसकर लाठी-डंडो से हमला इस दौर की भयावहता की हद है। आइशी घोष पर हमले का हिसाब देना होगा। गृहमंत्री को तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।'

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी छात्रों ने प्रदर्शन किया, विरोध मार्च निकाला। एएमयू टीचर्स एसोसिएशन ने जेएनयू में हुई हिंसा की कड़ी निंदा की।

इस संबंध में एमयू के प्रदर्शनकारी छात्रों के प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि जेएनयू में नकाबपोश हथियारबंद बदमाशों द्वारा छात्रों के साथ मारपीट किए जाने की घटना में पीड़ित छात्रों के साथ समर्थन जताने के लिए एएमयू में विरोध मार्च किया गया। ये घटना निंदनीय है।

राजधानी लखनऊ में भी तमाम छात्र संगठनों ने दोपहर को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद समाजवादी छात्र सभा ने भी केंद्र सरकार को घेरते हुए जमकर प्रदर्शन किया और जेएनयू में हुई हिंसा की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की।

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छात्र नेता पूजा शुक्ला ने कहा कि जेएनयू के छात्रों पर हमला पुलिस की मिलीभगत से किया गया है। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (माले) ने भी गांधी प्रतिमा पर आकर दिल्ली पुलिस और गृह मंत्री अमित शाह के विरोध प्रदर्शन किया। ऑल इंडिया स्टूडेंट यूनियन (अइसा) के प्रदेश उपाध्यक्ष नितिन राज ने कहा की सस्ती और उच्च शिक्षा सभी भारतीय छात्रों का अधिकार है।उन्होंने कहा कि अगर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छात्रों और अध्यापकों पर हो रही बर्बरता को नहीं रोक सकते हैं। तो उनको तुरंत अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए था।

लखनऊ में ही पुलिस द्वारा आम आदमी पार्टी के बंस लाल दुबे को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पुतला फूंकते समय हिरासत में ले लिया गया। हालांकि पुलिस ने अभी यह नहीं बताया है की उनको किस आरोप में हिरासत में लिया गया है।

स्थानीय पत्रकार रवि नीरज ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘प्रदर्शनों को देखते हुए उत्तर प्रदेश में अलर्ट जारी हो गया है। जेएनयू की घटना को लेकर लखनऊ के सभी विश्वविद्यालयों की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई है। लखनऊ विश्वविद्यालय, नदवा के बाद अब अम्बेडकर विश्ववविद्यालय के गेट पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।'

बिहार

पटना विश्वविद्यालय के मुख्यद्वार पर भी छात्र और नागरिक समाज के लोग एकत्र हुए और उन्होंने एक स्वर में जेएनयू में हुई हिंसा के विरोध किया। सरकार से शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा की मांग की, पुलिस के रवैये पर सवाल खड़ा किया।

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समाजिक कार्यकर्ता शैलेश यादव ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, ‘हम जेएनयू छात्रों और शिक्षकों पर हुए हमले की निंदा करते हैं। केंद्र सरकार हिंसा रोकने में नाकाम रही है। जब विश्वविद्यालय में छात्र सुरक्षित नहीं, तो हम अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं। आइशी घोष और सतीश यादव पर हमले की जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

पंजाब

चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय में भी छात्रों ने इस हमले का विरोध किया। छात्रों ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसे हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानी चंद गुप्ता ने संबोधित किया। इस दौरान दो छात्र गुटों में आपसी झड़प की भी खबरें सामने आईं, जिसके बाद परिसर में भारी पुलिस बल की तैनात कर दिया गया है।

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पीयू स्टूडेंट काउंसिल की पूर्व प्रेसिडेंट कनुप्रिया ने कहावह जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष पर हुए हमले की कड़ी निंदा करती हैं। ये हमला प्रायोजित था और छात्रों की आवाज दबाने के लिए किया गया है। आज जेएनयू निशाने पर हैकल कोई भी हो सकता है।'

कोलकाता

पंश्चिम बंगाल की जादवपुर युनिवर्सिटी में भी छात्रों ने जेएनयू के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाई और प्रदर्शन किया।

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इस संबंध में विश्वविद्यालय के छात्र समनव्य ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘जो कल जेएनयू में हुआ, वो बहुत निंदनीय है। ये सही मायनों में फासीवादी हमला है। बीजेपी सरकार एक इंच भी आगे नहीं जाएगी। ये हमला हमें कतई स्वीकार नहीं है।'

जम्मू-कश्मीर

जम्मू और कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने भी जेएनयू में हुई हिंसा की निंदा की है। साथ ही आरोपियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने की मांग भी की है।

एसोसिएशन के प्रवक्ता नासिर खूहामी ने एक बयान में कहा, बिना किसी कारण के छात्रों की पिटाई करना निंदनीय है। जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष की बेरहमी से पिटाई की तस्वीरें सामने आई हैं, यह पूरी तरह से भयानक है। प्रोफेसरों और छात्रों पर जघन्य नकाबपोश हमला "चौंकाने वाला और भयावह है"।

उन्होंने कहा किपुलिस ने परिसर में जाने वाले कई रास्तों को भी बंद कर दिया हैजबकि गुंडे परिसर में घूम रहे हैंस्वतंत्र रूप से छात्रों और शिक्षकों की जान और सुरक्षा को खतरा है। जेएनयू प्रशासन ने बेशर्मी से इस हमले के लिए आंदोलनकारी वाम और लोकतांत्रिक संगठनों को दोषी ठहराया है जो नाजी जर्मनी के रेइचस्टाग फायर की घटना की याद दिलाते हैं। यह सीएएएनआरसीऔर एनपीआर के खिलाफ लोगों के प्रतिरोध की लहर को आतंकित करने का प्रयास हैजिसका नेतृत्व पूरे भारत में छात्र समुदाय कर रहा है।

जेएनयू के समर्थन में पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय, बेंगलुरु विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय, चेन्नई, जोरहाट, रांची, रायपुर, जयपुर, भोपाल, कोच्ची, अहमदाबाद के छात्र और नागरिक समाज के लोग भी शामिल हुए। सभी ने इस घटना को दुखद बताते हुए कानून व्यवस्था पर कई अहम सवाल खड़े किए।

पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय की छात्रा रायजा ने कहा, ‘ आज वह हैं कल हम हो सकते हैं। हिंसा किसी भी रूप में निंदनीय है। हम जेएनयू में अपने दोस्तों के साथ खड़े हैं।’

ऑक्सफोर्ड और कोलंबिया विश्वविद्यालय में भी छात्रों ने एकजुटता दिखाते हुए मार्च किया और परिसर में छात्रों की सुरक्षा की मांग की ।

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गौरतलब है कि जेएनयू में हुई हिंसा में छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष सहित कई घायलों को एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था। हालांकि सभी 34 छात्रों को सोमवार सुबह अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। जेएनयू छात्र संगठन ने इस संबंध में एक बयान जारी किया कर इस हिंसा के लिए एबीवीपी को जिम्मेदार ठहाराया है। इसके मुताबिक, तीन हॉस्टलों- साबरमती, माही मांडवी और पेरियार हॉस्टल को निशाना बनाया गया। उधर एबीवीपी इन इल्ज़ामों से इनकार कर रही है। उनका कहना है कि लेफ्ट संगठनों ने हमला किया था, जिसमें उनके लोगों को निशाना बनाया गया है।हालांकि आमतौर पर एबीवीपी के इस तर्क को एक बचाव की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है,क्योंकि इस घटना को उसके ऊपर सीधे आरोप लगे हैं। 

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