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झारखंड: कड़ी टक्कर दे रहा है INDIA, वाम दलों ने भी दिखाई है दमदार उपस्थिति!

पूरे देश में औसत मतदान जहां 60 प्रतिशत से नीचे ही रहा वहीँ झारखंड का मतदान प्रतिशत पिछले सभी चरणों के वोटिंग की तरह अपेक्षाकृत 60 प्रतिशत से अधिक ही रहा।
Jharkhand

“भीषण गर्मी में भी लोगों का झारखंडी अस्मिता के लिए कतारबद्ध होकर मूलवासी-आदिवासियों के प्रति हो रहे अन्याय, संविधान पर हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ जनादेश यह साबित करता है कि हमारा लोकतंत्र कितना मजबूत है।” ये झारखंड मुक्ति मोर्चा महासचिव द्वारा लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मतदान उपरांत राज्य के मतदाताओं के नाम जारी आभार पत्र काफी चर्चा में है।                                             

25 मई को छठे चरण के चुनाव के तहत देश के अन्य हिस्सों की तरह झारखंड के जमशेदपुर, धनबाद, गिरिडीह और राजधानी रांची में मतदान हुआ। पूरे देश में औसत मतदान जहां 60 प्रतिशत से नीचे ही रहा वहीँ झारखंड का मतदान प्रतिशत पिछले सभी चरणों के वोटिंग की भांति अपेक्षाकृत 60 % से अधिक ही रहा। सिंहभूम (कोल्हान क्षेत्र) की दोनों सीटों पूरब और पश्चिम पर तो मतदान प्रतिशत लगभग 66% से भी अधिक रहना दर्शाता है कि यहां के मतदाताओं पर मौसम की गर्मी का असर बेअसर ही रहा। 

इन्हीं अर्थों में छठे चरण के मतदान उपरांत झामुमो महासचिव द्वारा राज्य के मतदाताओं के नाम जारी पत्र की बातें चर्चा का विषय बन रही हैं जिसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में ओड़िशा राज्य के राज्यपाल रघुवर दास द्वारा जमशेदपुर में आकर वोट डालने पर भी सवाल उठाया गया है कि- जब ओड़िशा निवासी देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने अपने गृह क्षेत्र न जाकर राष्ट्र के प्रथम नागरिक होने की राजकीय प्रावधानों का अनुपालन करते हुए दिल्ली में ही वोट डाला।                                                                                                

लेकिन वहीं रघुवर दास जी ने ओड़िशा का प्रथम नागरिक होने के राजकीय दायित्व को धता बताते हुए ओड़िशा में वोट न डालकर जमशेदपुर आकर वोट डाला, जो कि उस प्रदेश की जनता की खुली अवमानना है। इसे विशेष रूप से रेखांकित करते हुए झामुमो महासचिव ने रघुवर दास पर खुला आरोप लगाया है कि- उनका यहां आकर मतदान करना, स्थानीय प्रशासन को प्रभावित कर मतदाताओं को भ्रमित करने का नींदनीय प्रयास है जो हमारे लोकतंत्र और संघीय ढांचे के लिए अशुभ है। 

लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव के मतदान प्रतिशत को लेकर कई विश्लेषकों ने तो यहां कहा है कि- घटता हुआ मतदान प्रतिशत कहीं न कहीं से भाजपा समर्थक मतदाताओं में उनके सर्वोच्च नेता मोदी जी को लेकर गहरी निराशा के कारण ही वोट डालने के प्रति उत्साह नहीं होने का परिचायक है। उलटे जो भी मतदान प्रतिशत सामने आ रहा है, वह मोदी विरोधी मतदाताओं के बढ़ चढ़कर वोट डालने के कारण है।

मौसम की गर्मी से मतदाताओं का घर से बाहर नहीं निकलना, मुख्य कारण नहीं है। क्योंकि इसी विपरीत मौसम में झारखंड प्रदेश के मतदाता घर से निकलकर अपेक्षाकृत अधिक संख्या में मतदान कर रहे हैं। 

कई जानकारों का स्पष्ट मानना है कि हेमंत सोरेन को जेल में डालने के मामले को लेकर पूरे राज्य की जनता में काफी क्षोभ बढ़ा रहा है। यह मुद्दा इस क़दर सियासी रंग ले रहा है कि खुद राहुल गांधी तक ने अपने संबोधन में सवाल उठा दिया कि- दो मुख्यमंत्री गिरफ्तार हुए एक को तो छोड़ दिया गया लेकिन हेमंत सोरेन को नहीं छोड़ा गया। ये दो तरह का व्यवहार क्यों, क्या इसीलिए कि हेमंत सोरेन आदिवासी है? राहुल गांधी जी का बयान तो एक स्तर की अभिव्यक्ति है, लेकिन झारखंड में संपन्न हुए अभी तक के सभी चरण के चुनाव में विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में 60% से भी अधिक का मतदान प्रतिशत भी दर्शाता है कि हेमंत सोरेन की “राजनीति प्रेरित गिरफ़्तारी” भाजपा के लिए बहुत नुकसानदेह हो रहा है। जिसका परिणाम लोगों के भाजपा विरोधी वोटिंग रूप में खुलकर सामने आ रहा है।        

इसीलिए मीडिया और सोशल मीडिया तक में ये खूब वायरल हो रहा है कि अबकी बार “झारखंड के मतदाताओं ने भी परिवर्तन का मूड बना लिया है।”

यह सनद रखने का मामला है कि झारखंड प्रदेश में लाल झंडे की राजनीति व पार्टियों की अरसे से एक प्रभावकारी मौजूदगी रही है। वो चाहे झारखंड अलग राज्य गठन का आंदोलन हो अथवा इस क्षेत्र में कोयला-स्टील क्षेत्र से लेकर मजदूरों व विस्थापित आदिवासियों के कई बड़े बड़े जनांदोलन लाल झंडे के नेतृत्व में संचालित हुए हैं।  

‘लाल-हरे की एकता” के प्रवक्ता और प्रख्यात मार्क्सवादी सिद्धांतकार रहे, कामगारों व आदिवासियों के सवालों पर जनांदोलनों के प्रणेता कॉमरेड ए के राय आज भी लाल झंडे के प्रतीक व्यक्तित्व के रूप में याद किये जाते हैं। धनबाद संसदीय सीट से तीन बार सांसद रहे कॉमरेड राय जी को ‘झारखंड मुक्ति मोर्चा’ के गठन का भी मुख्य सिद्धांतकार-सूत्रधार माना जाता है। जिसकी चर्चा खुद शिबू सोरेन भी हमेशा करते हैं।

दूसरे प्रतीक वामपंथी नेता और गिरिडीह के बगोदर क्षेत्र से चार बार भाकपा माले विधायक रहे जननायक महेंद्र सिंह जिन्हें सड़क से लेकर सदन तक में जनता और विपक्ष की बुलंद आवाज़ की सर्व मान्यता मिली। उनकी आंदोलनकारी वाम परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी बगोदर विधान सभा सीट से भाकपा माले युवा विधायक विनोद सिंह लगातार चार बार से जीत हासिल किये हुए है।
इसी तरह से हज़ारीबाग संसदीय सीट से सीपीआई के वरिष्ठ नेता भुवनेश्वर महतो भी एक बार जीत दर्ज़ कर प्रदेश की वाम राजनीति के प्रभाव स्थापित करने में सफल रहे हैं।  

झारखंड में वामपंथी राजनीति की एक लंबी और मजबूत परंपरा होने के बावजूद चुनाव जैसे अवसरों पर मीडिया-गोदी मीडिया द्वारा वाम राजनीति की सामान्य चर्चा तक नहीं किया जाना, गंभीर सवाल खड़ा करता है।

उस पर से देश के गृहमंत्री से लेकर भाजपा के सभी आला नेताओं के साथ साथ मीडिया-गोदी मीडिया द्वारा  “माओवादी राजनीति” की नकारात्मक चर्चा को पूरे वामपंथी राजनीति का पर्याय बना देना, बताता है कि “मामला गड़बड़ है।

इस बार के लोकसभा चुनाव में INDIA गठबंधन द्वारा वामपंथी दलों में सिर्फ भाकपा माले को ही एक सीट कोडरमा दी गयी। सीपीएम और सीपीआई को एक भी सीट नहीं दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा। प्रदेश की तीसरी वामपंथी पार्टी, कॉमरेड ए के राय स्थापित मार्क्सवादी समन्वय समिति ने इस बार INDIA गठबंधन के लिए धनबाद सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं दिया है। 

INDIA गठबंधन से भाकपा माले उम्मीदवार और प्रदेश के चर्चित विनोद सिंह द्वारा कोडरमा संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी और मोदी सरकार की केन्द्रीय मंत्री को कड़ी टक्कर दी है। 20 मई को संपन्न हुए इस सीट के वोटिंग में उन्हें मिले व्यापक जन समर्थन के कारण ही “गोदी मीडिया” को भाजपा की जीत का दावा छोड़ “कांटे का मुकाबला” लिखना पड़ रहा है। 

गौरतलब है कि कोडरमा की सीट पर माले प्रत्याशी की जीत के लिए आयोजित विशाल जन सभा में क्षेत्र के हजारों हज़ार की जोशपूर्ण उपस्थिति में माले माहासचिव दीपंकर भट्टाचार्य के साथ साथ  INDIA गठबंधन के लोकप्रिय नेता तेजस्वी यादव और झारखंड की चर्चित नेता कल्पना सोरेन का संबोधन काफी चर्चाओं में रहा। 

यहां के चुनावी अभियान में माले प्रत्याशी के पक्ष में झारखंड के मुख्यमंत्री, कई मंत्री और विधायकों के साथ साथ राज्य गठबंधन के कई नामचीन राजनेताओं ने भी कई स्थानों पर बड़ी बड़ी जन सभायें की हैं। कई स्थानों पर झारखंड INDIA गठबंधन के विधायकों ने भी स्वतंत्र ढंग से सघन जनसंपर्क अभियान चलाया है।  

इसके अलावा राजमहल एसटी सुरक्षित सीट से सीपीआईएम् ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया है। यहां का मतदान 1 जून को होना है। पार्टी ने अपने दम पर पूरा चुनावी अभियान संचालित कर रखा है। देश की चर्चित वामपंथी नेता वृंदा करात जी कई स्थानों पर नुक्कड़ मीटिंग व जनसभाओं के माध्यम से वाम प्रत्याशी के लिए जनता से समर्थन मांग रहीं हैं। इस सीट से INDIA गठबंधन ने भी अपना प्रत्याशी दिया है। 
20 मई को हज़ारीबाग संसदीय सीट पर मतदान हो चुका है और सीपीआई झारखंड के वरिष्ठ नेता भुवनेश्वर मेहता इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां भी पार्टी ने अपने बूते चुनावी अभियान चलाया है। क्योंकि इस सीट से INDIA गठबंधन के तहत कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव में खड़ा है। 
बहरहाल, झारखंड प्रदेश में संपन्न हुए पिछले छः चरण के चुनाव की भांति 1 जून को होनेवाले अंतिम चरण के चुनाव को भी “कांटे की टक्कर” वाला चुनाव बताया जा रहा है। जिसके लिए INDIA गठबंधन 40 सीटों में शेष बची हुई सीटों पर जीत के लिए अपना पूरा दमखम लगा रखा है। राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का चुनावी अभियानों में जन सैलाब का उमड़ना दिखलाता है कि वास्तव में इस बार झारखंड की जनता ‘परिवर्तन के मूड’ में है। 

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