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करनाल पुलिसिया हिंसा: एक किसान की मौत, खट्टर सरकार पर उठ रहे सवाल

किसानों ने जानकारी दी है कि एक किसान सुशील काजल की मौत हो गई है। किसानों ने दावा किया है कि वो शनिवार के विरोध में शामिल थे, पुलिस ने उन्हें लाठियों से मारा, जिसके बाद वे घर गए  और रात में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।
करनाल पुलिसिया हिंसा: एक किसान की मौत, खट्टर सरकार पर उठ रहे सवाल
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

हरियाणा के करनाल शहर में शनिवार को बीजेपी के कार्यक्रम का विरोध करने जा रहे किसानों पर पुलिस ने बर्बर लाठीचार्च किया था। जिसमे कई किसानों को गंभीर चोटे आईं थीं। रविवार सुबह किसानों ने जानकारी दी कि एक किसान सुशील काजल की मौत भी हो गई है। किसानों ने जानकारी दी है कि एक किसान सुशील काजल की मौत हो गई है। किसानों ने दावा किया है कि वो शनिवार के विरोध में शामिल थे, पुलिस ने उन्हें लाठियों से मारा, जिसके बाद वे घर गए  और रात में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।

किसान संगठनो के मुताबिक़ एक युवा किसान जिसका नाम गुरजंत सिंह है। उनकी पुलिस की लाठी से नाक टूट गई और अब उसकी आँखे भी काम नहीं कर रही हैं। जबकि हरियाणा पुलिस ने अपने आधिकारिक बयान में लाठीचार्ज से किसी भी किसान की मौत को नकारा है। उन्होंने कहा कि जब आंदोलनकारी उग्र हुए तो उन्हें रोकने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया। जिसमें चार किसान घायल हुए और दस पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं।

हालाँकि हरियाणा के एक प्रशासनिक अधिकारी और उस समय वहां के ड्यूटी मजिस्ट्रेट और करनाल के एसडीएम आयुश सिन्हा का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें वो साफ़तौर पर दिख रहे हैं और वो वहां मौजूद पुलिस को कह रहे हैं कि “उठा-उठाकर मारना पीछे सबको। हम उन्हें सुरक्षा घेरे को लांघने नहीं देंगे। हमारे पास पर्याप्त सुरक्षा बल है। हम दो दिनों से सोए नहीं हैं। पर आप लोग यहां थोड़ी नींद लेकर आए हैं, मेरे पास एक भी बंदा निकलकर नहीं आना चाहिए। अगर कोई आए, तो सर फूटा हुआ होना चाहिए उसका। क्लियर है न आपको?”

इस बयान के बाद किसानों को पुलिस ने किस तरह से पीटा उसकी तस्वीर पूरी दुनिया देख चुकी है। इसलिए पुलिस का ये कहना कि उन्होंने हल्का लाठीचार्ज किया उसे पचा पाना मुश्किल है। हालाँकि सरकार ने भी इस अधिकारी से जबाब मांगा है और सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री उनके जबाब से संतुष्ट भी हैं।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए SDM ने सफ़ाई दी ही और कहा है कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो चल रहा है उसमें संबोधन का एक हिस्सा ही दिखाया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा “मैं उन्हें प्रक्रिया के बारे में (सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुसार एक चेकलिस्ट) बता रहा था। मैंने उन्हें बताया कि वे प्रदर्शनकारियों को चेताएं, जिसके बाद उन पर वॉटर कैनन का प्रयोग करें। फिर टियर गैस छोड़ें और उसके बाद अगर जरूरत पड़े तब लाठीचार्ज करें।” साथ ही उन्होंने ये भी कहा जहाँ लाठीचार्ज हुआ वो उससे दूर थे।

हालाँकि अगर हम उनकी बात मानें तो भी हरियाणा पुलिस ने क्रूरता ही की है। क्योंकि उनके मुताबिक भी पहले प्रदर्शनकारियों को चेताना था, जिसके बाद उन पर वॉटर कैनन का प्रयोग करना था, फिर टियर गैस छोड़ना और उसके बाद अगर जरूरत पड़ने पर लाठीचार्ज होना चाहिए था। लेकिन शनिवार को हमने देखा पुलिस ने औपचारिक चेतवानी के बाद ही शांति से बैठे किसानों पर हमला कर दिया।

पुलिसिया लाठीचार्ज में कई किसानों के सिर फूटे, खून बहा और कई किसानों की हड्डी टूटी हैं। वहीं पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए किसान खेतों में भाग गए, लेकिन हरियाणा सरकार की पुलिस ने किसानों पर कोई रहम नहीं किया और दौड़ा दौड़ा कर पीटा, यही नहीं पुलिस ने वहां खड़ी किसानों की गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की है।

इस पूरी घटना के बाद से देशभर में किसानों में बीजेपी और हरियाणा की खट्टर सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है। यहाँ तक कि इस घटना को लेकर बीजेपी के नेता और पूर्व नेता भी सवाल उठा रहे है। हालाँकि अधिकांश टीवी और समाचार पत्रों ने सरकार के प्रति अपना व्यवहार नरम ही रखा। दिल्ली के समाचार पत्रों ने खुलेआम लाठी भांजते पुलिस और खून से लथपथ किसानों की तस्वीर के बाद भी इसे कथित लाठीचार्ज ही लिखा। परन्तु सोशल मीडिया पर बीजेपी और हरियाणा सरकार की ख़ूब आलोचना हो रही है। 

किसानों ने इस घटना के तुरंत बाद ही पूरे हरियाणा में चक्का जाम किया था। हालाँकि शनिवार देर शाम ही इसे गिरफ़्तार किसानो की रिहाई के बाद हटा लिया गया। लेकिन कल रविवार को पूरे पंजाब में किसान संगठनो ने इस हिंसा के खिलाफ़ दो घंटे दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक चक्का जाम किया, जबकि हरियाणा में जिला और उप जिला मुख्यालयों पर किसानों ने अपना विरोध जताया। इसके साथ ही मेवात क्षेत्र के नूहं में एक बड़ी किसान पंचायत हुई, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के कई नेता शामिल हुए और उन्होंने दोषी अधिकारियो पर कार्रवाई करने को कहा। इसके बाद आज यानी सोमवार को किसानों ने आगे रणनीति के लिए करनाल शहर की अनाज मंडी में एक जनसभा का आयोजन किया है।

युवा किसान नेता और अखिल भरतीय किसान सभा हरियाणा के सचिव सुमित ने बताया कि शनिवार को बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसान अपना शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए एकत्रित हुए थे जिसपर पुलिस द्वारा बर्बर लाठीचार्ज किया गया, जिसमे रविवार किसान सुनील काजल की शहादत हो गई। किसान आंदोलनकारी की मौत के लिए लाठीचार्च करने वाले डयूटी मजिस्ट्रेट व प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार जिम्मेदार है। जिसकी जांच की जाए व दोषी अधिकारी पर मुकदमा दर्ज करते हुए बर्खास्त किया जाए।

उन्होंने आगे कहा “पहले से ही हरियाणा में भाजपा-जजपा सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं के सामाजिक बहिष्कार का आह्वान किया हुआ है। इसके तहत शांतिपूर्ण तरीके से काले झंडे दिखाने का कार्यक्रम था, ऐसा करते हुए 28 अगस्त को करनाल के बसताड़ा टोल प्लाजा पर पुलिस ने जो भीषण लाठीचार्ज किया, वह कोई साधारण पुलिस कारवाई नहीं है! 

सुमित ने कहा “बिना किसी हिंसक उकसावे के निर्मम ढंग से इतने लोगों को गंभीर चोटें मारे जाने के पीछे जो सोची समझी साज़िश थी वह इस मामले के ड्यूटी मेजिस्ट्रेट आयुश सिन्हा के उस विडियो के वायरल होने से सामने आ चुकी है. यह आई.ए.एस. अधिकारी पुलिस को सरेआम आदेश देते सुना व देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों के सिर फोड़ने हैं। परिणाम सामने है ही कि अंधाधुंध ढंग से मारी गई लाठियों से अनेक किसानों को गंभीर चोटें आई हैं कई लोगों की आंख और कानों पर गहरे ज़ख्म हैं और फ़्रेक्चर भी आए हैं।

किसान सभा के रोहतक जिला प्रधान प्रीत सिंह ने कहा कि इस प्रकार के गैरकानूनी और निहायत गैर जिम्मेदाराना आदेश देने वाले किसी उच्च अधिकारी को किसी भी कार्यकारी पद पर रखा जाना किसी भी दृष्टि से स्वीकार्य नहीं हो सकता. आज प्रदेश की सरकार प्रदेश के किसानों के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार कर रही है किसान शांतिपूर्ण ढंग से अपनी खेती बाड़ी को बचाने का आंदोलन चला रहे हैं और सरकार जबरन किसानों से जमीन हथिया कर पूंजीपतियों के हवाले करने पर तुली है।

किसान सभा के नेताओं ने कहा कि किसान किसी भी कीमत पर अपनी खेती को बचाने की लड़ाई नही हारेंगे। चाहे कितनी ही शहादत क्यों न देनी पड़े किसान पीछे नही हटेंगे।

किसानों ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि भाजपा-जजपा के किसी भी प्रकार का कार्यक्रम नही होने दिया जाएगा, अगर यहां कोई कार्यक्रम होता है तो उसके लिए सरकार और प्रशासन जिम्मेदार होगा।

इसको लेकर विपक्षी दल कांग्रेस सहित तमाम दल अपना विरोध जता चुके हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने किसानों पर हुई लाठीचार्ज की घटना की निंदा करते हुए शनिवार को कहा कि इसने ‘जनरल डायर’ की याद दिला दी और किसानों पर पड़ी लाठी भाजपा सरकार के ताबूत में कील साबित होगी।

यही नहीं बीजेपी के क़द्दावर नेता और वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी एक निजी चैनल से बात करते हुए इस पूरी घटना को लेकर नाराजगी ज़ाहिर की और दोषी अधिकारी को तुरंत कार्रवाई करने को कहा और साथ ही मुख्यमंत्री खट्टर पर आंदोलनकारियों को जानबूझकर उकसाने का आरोप भी लगाया। साथ ही उन्होंने कहा सरकार को किसानों पर बल प्रयोग नहीं करना चाहिए था।

इसी तरह बीजेपी के उत्तर प्रदेश से सांसद इंदिरा के पोते और केंद्रीय मंत्री मेनिका गाँधी के बेटे वरुण गाँधी ने भी ट्विटर पर इस घटना को लेकर लिखा कि वो उम्मीद करते हैं कि ये वीडियो एडिट हो और एसडीएम ने न कहा हो.... अन्यथा ये अस्वीकार होगा कि लोकतंत्रिक भारत में अपने ही नागरिको पर ऐसा किया जाए।

हरियाणा सरकार में सहयोगी और उपमुख्यमंत्री ने भी अपने ही अधिकारी पर सवाल उठाए। शनिवार को करनाल में हुए लाठीचार्ज के एक दिन बाद, रविवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई जरूर होगी। एक अधिकारी द्वारा ऐसी शब्दावली का प्रयोग करना निंदनीय है। SDM का व्यवहार एक आईएएस अधिकारी की ट्रेनिंग के भी विपरीत है। गौरतलब है कि CM मनोहर लाल पहले ही इस मामले की जांच कराने की बात कह चुके हैं।

वहीं किसानों ने भी रविवार को नुहुँ में एक पंचायत रखी थी। जिसमें संयुक्त मोर्चा के कई नेता- राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, इंद्रजीत जोगिंदर सिंह उग्राहां समेत कई नेता पहुंचें।

करनाल के एसडीएम पर हमला बोलते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि "सरकार ने उन्हें खालिस्तानी कहा, क्या हम खालिस्तानी हैं? अगर हम खालिस्तानी हैं तो यहां सरकारी तालिबानियों का देश पर कब्जा हो चुका है। उनका पहला कमांडर आईएस के रूप में देश में मिल गया है।”

गौरतलब है कि शनिवार को करनाल शहर में भाजपा की संगठनात्मक बैठक थी, जिसमें मुख्यमंत्री समेत प्रदेश के नेता शामिल होने थे। जिसके चलते करनाल पुलिस और प्रशासन ने शहर में एंट्री के सभी प्वॉइंट बंद कर रखे हैं। इसलिए किसान मीटिंग और भाजपा नेताओं का विरोध करने के लिए शहर के अंदर नहीं घुस पाए। किसान रेलवे रोड नहीं पहुंच पाए और उन्होंने नेशनल हाईवे 44 पर बसताड़ा टोल प्लाजा पर जाम लगा दिया। इसके बाद दोपहर में  पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिसमें कुछ किसान घायल हो गए।

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