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झारखंड में बढ़ता शाहीन बाग़ का कारवां : हर तरफ़ प्रतिवाद का सिलसिला

वासेपुर (धनबाद), शिवलीबाड़ी (कुमारधुबी) तथा कोडरमा स्थित झुमरी तिलैया के असनाबाग में सैकड़ों महिलाओं के नेतृत्व में लगातार अनिश्चितकालीन धरना जारी है।
CAA Protest

“हम 15 दिन तो क्या 15 महीने भी लगातार ऐसे ही धरने पर बैठी रहेंगी , जबतक केंद्र की सरकार अपना काला कानून वापस नहीं ले लेती .... ” ये ऐलानिया स्वर है झारखंड की राजधानी रांची के कडरू स्थित हजहाउस परिसर के समीप पिछले 20 जनवरी से सीएए – एनआरसी – एनपीआर की वापसी की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना दे रहीं सैकड़ों महिलाओं का। सनद हो कि इन दिनों दिल्ली के शाहीन बाग़ अवामी आंदोलन से प्रेरित होकर झारखंड में भी कई स्थानों पर शाहीन बाग़ की तर्ज़ पर प्रतिवाद कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं।

वासेपुर (धनबाद), शिवलीबाड़ी (कुमारधुबी ) तथा कोडरमा स्थित झुमरी तिलैया के असनाबाग में सैकड़ों महिलाओं के नेतृत्व में लगातार अनिश्चितकालीन धरना जारी है। इसके अलावा कई अन्य स्थानों पर भी भाकपा माले, सीपीएम व अन्य वामपंथी संगठनों समेत कई मुस्लिम सामाजिक संगठनों द्वारा प्रतिवाद कार्यक्रम हो रहें हैं तथा कई जगहों पर इसकी तैयारी की सूचना है ।

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शाहीन बाग़ की तर्ज़ पर रांची स्थित कडरू में चल रहे मुस्लिम महिलाओं के “हम भारत के लोग” अभियान के तहत हो रहे अनिश्चितकालीन धरना कार्यक्रम में दिन रात का कार्यक्रम चल रहा है । जिनमें शामिल होनेवाली महिलाओं की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है । यहाँ भी कार्यक्रम संचालन से लेकर आंतरिक व्यवस्था चलाने की अहम जिम्मेदारी खुद महिलाएं ही संभाल रहीं हैं। जबकि बाहरी सुरक्षा और यातायात व्यवस्था जैसे कार्य में कई सामाजिक संगठनों के युवाओं की टोली भी दिनरात मिहनत करती हुई दीख जाएगी। शाहीन बाग की तर्ज़ पर इसे कडरू शाहीन बाग का नाम दिया गया है। वामपंथी व अन्य जनसंगठनों के अलावा कई आदिवासी और दलित संगठनों के नेता - प्रतिनिधि हर दिन कार्यक्रम में शामिल होकर आंदोलनकारी महिलाओं के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित कर रहें हैं।

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इसके अलावा काफी संख्या में नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के अलावा जन संस्कृति मंच के कार्यकारी अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार रविभूषण जैसे वरिष्ठ बुद्धिजीवी , आदिवासी बुद्धिजीवी व सामाजिक – मानवाधिकार कार्यकर्त्ता शामिल हो रहें हैं। 26 जनवरी को इस अभियान के समर्थन में विभिन्न सामाजिक – सांस्कृतिक जनसंगठनों द्वारा ‘ एक शाम संविधान के नाम ’ का सांस्कृतिक आयोजन भी किया गया।

कोयला राजधानी कहे जानेवाले धनबाद के चर्चित वासेपुर में 2 जनवरी से जारी अनिश्चितकालीन प्रतिवाद अभियान की शुरुआत ही काफी चर्चित हो गयी जब इसके तहत निकाले गए विशाल मार्च के आयोजकों व हजारों लोगों पर स्थानीय पुलिस ने ‘ राजद्रोह ’ का मुकदमा दर्ज कर दिया । इसपर त्वरित संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्यमंत्री ने मुकदमा दर्ज करनेवाले पुलिस अधिकारी पर कारवाई करने का निर्देश देकर मुकदमा हटाने का आदेश जारी कर दिया ।

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धनबाद से ही सटे कुमारधुबी स्थित शिवलीबाड़ी में पिछले 27 जनवरी से महिलाओं व नागरिकों का अनिश्चितकालीन धरना निरंतर जारी है । वहीं 4 फरवरी से कोडरमा के झुमरीतिलैया स्थित असनाबाग में भी प्रतिवाद धरना कार्यक्रम में काफी संख्या में मुस्लिम महिलाओं के अलावे वामपंथी दलों व विभिन्न सामाजिक जन संगठनों के लोग शामिल हो रहें हैं ।

‘हम भारत के लोग’ और ‘संविधान बचाओ’ बैनर के तहत पूरे देश में चल रहे अभियान को झारखंड में भी विस्तार और गति देने के लिए हाल ही में राजधानी रांची में “ हम भारत के लोग नागरिक मुहिम , रांची ” का गठन किया गया है । जिसमें झारखंड आदिवासी मोर्चा , आदिवासी बुद्धिजीवी मंच , ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम झारखंड इकाई , एसटी – एससी कोर्डिनेशन कमिटी , हौफमैन लॉ एसोसिएट , बाल्मीकी समाज व इंडियन लॉयर यूनियन की झारखंड इकाई के अलावा कई वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ताओं और नागरिक आंदोलन के प्रबुद्ध जन शामिल हैं।

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जिसके द्वारा समाज के अन्य वर्गों के लोगों को उक्त काले कानून के खिलाफ सामाजिक तौर पर सक्रिय बनाने और सत्ता प्रायोजित सामाजिक विभाजन रोकने के लिए राजधानी में 15 फरवरी को ‘ पीपुल्स कन्वेन्शन’ का आयोजन किया गया है । इस मुहिम के प्रतिनिधियों द्वारा गत 29 जनवरी को प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री रामेश्वर उरांव को ज्ञापन देकर 17 जनवरी को लोहरदगा में एनआरसी सार्थन की आड़ में उन्मादी जुलूस निकालकर दंगे की स्थिति पैदा करनेवाले दोषियों को सज़ा देने व पीड़ितों को सुरक्षा – मदद देने की भी मांग की गयी ।

लोकतान्त्रिक प्रतिवाद के नए प्रतीक बन गए शाहीनबाग की तर्ज़ पर जारी रांची कडरू – शाहीनबाग आंदोलन में शामिल महिलाओं से एकजुटता जाहिर करने 4 फरवरी को सीपीएम की वरिष्ठ नेता वृंदा करात भी पहुँचीं । इसके पूर्व वरिष्ठ सामाजिक आंदोलन नेता योगेन्द्र यादव ने भी यहाँ पहुँचकर अनिश्चितकालीन धरना में शामिल आंदोलनकारियों की हौसालाअफजाई की।

प्रदेश की राजनीतिक सत्ता बदल जाने के बावजूद प्रशासन में बैठे कतिपय संघी सोच के अधिकारियों व पुलिसवालों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। जिसका उदाहरण आए दिन खुली आँखों के सामने दीख रहा है। पिछले 27 जनवरी को पलामू के पांकी में भाकपा माले द्वारा आयोजित सीएए – एनआरसी विरोध कार्यक्रम की प्रशासन को पूर्व सूचना दिये जाने के बावजूद स्थानीय पुलिस ने कार्यक्रम पर रोक लगाकर आइसा झारखंड प्रदेश सचिव समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।

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4 फरवरी की शाम रांची के कडरू शहीनबाग कार्यक्रम स्थल पर स्कूटी पर सवार दो युवा पत्थरबाजी कर फरार हो गए । कुछ शरारती तत्वों ने व्हाट्सअप से कार्यक्र्म स्थल पर सीएए समर्थकों के जुलूस आने की अफवाह उड़ाकर वहाँ अफरा तफरी करनी चाहिए लेकिन लोगों ने संयम का परिचय देते हुए शांति बनाए रखा । वहीं झुमरी तिलैया समेत कई स्थानों पर चल रहे प्रतिवाद कार्यक्रम को ‘ विधि व्यवस्था की समस्या ’ बताकर स्थानीय प्रशासन अनुमति देने में बहाने बना रहा है । जिसके जवाब में लोग भी अपनी जिम्मेवारी पर प्रतिवाद अभियान जारी रखने पर अडिग हैं ।

उक्त सभी शाहीनबाग – प्रतिवाद कार्यक्रमों में शामिल महिलाओं और छात्राओं से बात करने पर प्राय: सबने ही एकस्वर से यही कहा – हम ज़िंदगी में पहली बार इस तरह से सड़कों पर आयीं हैं... ये वतन और संविधान हमारा भी है.... इससे खिलवाड़ करने और हमसे हमारी पहचान मांगने का हक़ किसी सरकार और उसके नेता को नहीं है ... सीएए – एनआरसी – एनपीआर काले कानून की वापस लेने की मांग को लेकर हमारा विरोध जारी रहेगा ..... !

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