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केरल: ‘के-फोन’ के ज़रिए केरल सरकार 14 हज़ार परिवारों को देगी मुफ़्त ब्रॉडबैंड सेवा

भाषा |
‘के-फोन’ के प्रबंध निदेशक संतोष बाबू ने बताया कि सरकार का लक्ष्य केरल में आर्थिक रूप से पिछड़े 20 लाख लोगों को मुफ़्त ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराना है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर।

तिरुवनंतपुरम: इंटरनेट को मौलिक अधिकार घोषित करने वाली केरल सरकार अपने स्वामित्व में इंटरनेट सेवा ‘के-फोन’ नाम से शुरू करने जा रही है जिसके ज़रिए ग़रीबों को मुफ़्त और अन्य को सस्ती ब्राडबैंड इंटरनेट सेवा मुहैया कराई जाएगी।

यह बहुप्रतिक्षित योजना पांच जून को शुरू करने से पहले ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में के-फोन के प्रबंध निदेशक और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी संतोष बाबू ने बताया कि सरकार का लक्ष्य केरल में आर्थिक रूप से पिछड़े 20 लाख लोगों को मुफ़्त ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराना है।

उन्होंने बताया कि के-फोन राज्य की मौजूदा दूरसंचार पारिस्थितिकी के साथ-साथ काम करेगी और इसके तहत शुरुआती चरण में स्थानीय स्व सरकार विभाग ने राज्य के 140 विधानसभा क्षेत्रों के 14 हज़ार परिवारों को चुना है जिन्हें मुफ़्त इंटरनेट सेवा प्रदान की जाएगी।

संतोष बाबू ने कहा कि केरल फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क (के-फोन) केरल की वाम सरकार की पहल है और उम्मीद की जा रही है कि इससे समाज के सशक्त और हाशिये पर गए वर्गों के बीच व्याप्त डिजिटल खाई को पाटने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य के-फोन के ज़रिए डिजिटल क्रांति लाना, परिवर्तनकारी बदलाव लाना और आर्थिक व सामाजिक विकास के नए द्वार खोलना है।

परियोजना के बारे में संतोष बाबू ने बताया कि मुफ़्त इंटरनेट कनेक्शन पहले ही केरल के 17,280 सरकारी कार्यालयों तक पहुंचाया जा चुका है। वहीं राज्य सचिवालय और 10 जिला कलेक्ट्रेट के-फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि शुरुआती चरण में के-फोन की योजना पूरे राज्य में 30 हज़ार सरकारी कार्यालयों में इंटरनेट कनेक्शन देना और आर्थिक रूप से पिछड़े 14 हज़ार परिवारों को मुफ़्त ब्रॉडबैंड कनेक्शन मुहैया कराना है।

संतोष बाबू ने कहा कि के-फोन, केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) के तहत सरकार द्वारा वित्तपोषित परियोजना है और ‘‘ यह अन्य प्रतिद्वंद्वियों से कीमत को लेकर प्रतिस्पर्धा करने के लिए नहीं है। ’’

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