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लखीमपुर नरसंहार: न्यायालय ने उप्र सरकार से पूछा क्या आरोपी गिरफ़्तार किए गए हैं?

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमणा, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए वकील को इस बारे में स्थिति रिपोर्ट में जानकारी देने का निर्देश दिया।
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रविवार को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में जिस तरह से किसानों को रौंदा गया, उस मामले पर आज यानि गुरूवार दोपहर में सुप्रीम कोर्ट की फ़टकार और विपक्ष के बढ़ते दबाव में पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया है।

हालांकि मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आज मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्र अभी भी पुलिस की पहुंच से दूर है। जबकि वो घटना के कई दिनों बाद तक मीडिया चैनलों से बात करता रहा था। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि वो नामजद है, उसके बावजूद भी गिरफ़्तारी तो दूर उससे अभी तक पूछताछ भी शुरू नहीं हुई है। 

वहीं दूसरी ओर विपक्ष लगातार सरकार से गंभीर सवाल पूछ रहा है। एक बार समझते हैं कि कोर्ट से लेकर राजनीतिक गलियारों में इस मामले पर क्या-क्या हुआ है–

न्यायालय ने उप्र सरकार से पूछा क्या आरोपी गिरफ़्तार किए गए हैं?

उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से बृहस्पतिवार को यह बताने के लिए कहा कि तीन अक्टूबर की लखीमपुर खीरी हिंसा के सिलसिले में किन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं। इस घटना में आठ लोगों की मौत हो गई थी।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए वकील को इस बारे में स्थिति रिपोर्ट में जानकारी देने का निर्देश दिया।

वकील ने पीठ से कहा कि घटना की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया है और राज्य मामले में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगा।

शीर्ष अदालत ने मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को तय की है।

लखीमपुर खीरी में किसानों के प्रदर्शन के दौरान तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए थे।

इससे पहले, दोपहर में शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह उन दोनों वकीलों का पक्ष जानना चाहती है जिन्होंने लखीमपुर खीरी घटना में सीबीआई को शामिल करते हुए उच्च स्तरीय जांच का अनुरोध किया था।

लखीमपुर मामले में आरोपियों को जेल नहीं भेजा जा रहा क्योंकि मंत्री के ख़िलाफ़ उंगली उठ रही है: अखिलेश

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि लखीमपुर मामले में नामजद आरोपियों को जेल नहीं भेजा जा रहा है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार में गृह राज्य मंत्री के खिलाफ उंगलियां उठ रही हैं।

पीड़ित परिवारों से मिलने लखीमपुर जा रहे अखिलेश ने यहां अपने आवास के बाहर संवाददाताओं से कहा, ''भाजपा सरकार में राज्य मंत्री (अजय मिश्रा) की ओर उंगली उठ रही है, इसलिए लखीमपुर मामले के आरोपियों को जेल नहीं भेजा जा रहा है।''

उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए। सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और मामले की जांच उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश की निगरानी में की जानी चाहिए। चूंकि वह (आरोपी आशीष मिश्रा) गृह राज्य मंत्री के बेटे हैं, इसलिए अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है।"

उन्होंने कहा, "क्या आपको लगता है कि जब तक वह (आरोपी के पिता) केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं, तब तक किसानों को न्याय मिल सकेगा?"

भाजपा के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर उसने कहा  कि विपक्ष इस मामले पर राजनीति कर रहा है। 

लखीमपुर मामले की जांच के लिये एक सदस्यीय जांच आयोग गठित

लखीमपुर खीरी में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है जिन्हें दो महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक बयान के अनुसार, “आयोग के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। आयोग को मामले की जांच के लिए दो महीने का समय दिया गया है। इस मामले की जांच उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) प्रदीप कुमार श्रीवास्तव करेंगे।

उन्होंने कहा कि जांच आयोग अधिनियम, 1952 (1952 की अधिनियम संख्या 60) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राज्यपाल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को आयोग के एकल सदस्य के रूप में नियुक्त किया है।

बयान में बताया गया, “आयोग इस अधिसूचना के जारी होने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर जांच पूरी करेगा। इसके कार्यकाल में कोई भी बदलाव सरकार के आदेश पर होगा।

बीजेपी सांसद वरूण गांधी ने कहा ‘न्याय हो’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से सांसद वरुण गांधी ने लखीमपुर खीरी में हुई घटना का एक कथित वीडियो बृहस्पतिवार को ट्विटर पर पोस्ट किया और कहा कि हत्या के माध्यम से प्रदर्शनकारियों को चुप नहीं कराया जा सकता।

पीलीभीत के भाजपा सांसद गांधी ने एक वीडियो ट्वीट किया और कहा, "वीडियो बिल्कुल स्पष्ट है। प्रदर्शनकारियों को हत्या के माध्यम से चुप नहीं कराया जा सकता है। निर्दोष किसानों का खून बहा है, इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। अहंकार और क्रूरता का संदेश हर किसान के दिमाग में प्रवेश करे उससे पहले न्याय दिया जाना चाहिए।"

उन्होंने 37 सेकेंड का जो वीडियो पोस्ट किया है उसमें तेज रफ्तार से चल रही ‘थार जीप’ लोगों को पीछे से कुचलते हुये दिखाई दे रही है। थार जीप के पीछे एक काली और दूसरी सफेद रंग की दो एसयूवी आती दिख रही है. वीडियो में लोगों के चिल्लाने और रोने की आवाज सुनाई दे रही है.

सोशल मीडिया पर देखा जा रहा यह वीडियो तीन अक्टूबर का बताया जा रहा है, जिस दिन लखीमपुर खीरी में हिंसा हुई थी।

अगर जांच निष्पक्ष करनी है तो गृह राज्य मंत्री को पद से इस्तीफा देना चाहिए : प्रियंका गांधी वाद्रा

लखीमपुर खीरी मामले की जांच सेवानिवृत्त नहीं बल्कि मौजूदा न्यायाधीश से कराने की मांग करते हुये कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर जांच निष्पक्ष करनी है तो गृह राज्य मंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।

मृतक किसानों के परिजनों से मिलने के लिए बहराइच जाने से पहले प्रियंका गांधी वाद्रा ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मेरे नजरिये में ही नहीं बल्कि परिवारों के नजरिये से भी इस मामले की सेवानिवृत्त न्यायधीश नहीं बल्कि उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायधीश से जांच करवानी चाहिए। मैं जांच पर टिप्पणी नहीं करना चाहती क्योंकि यह अभी शुरू ही नहीं हुई है, लेकिन मैं इतना कह सकती हूं कि अगर जांच निष्पक्ष करनी है तो उस मंत्री (गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा) को इस्तीफा देना पड़ेगा क्योंकि वह गृह (राज्य) मंत्री हैं और यह सब उन्हीं के अन्तर्गत आता है।''

प्रियंका ने कहा, ‘‘कल रात मैं लखीमपुर खीरी गयी, तीनों परिवारों ने एक ही बात कही कि हमें मुआवजे से कोई मतलब नहीं है, हमें न्याय चाहिए, मंत्री (केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा) को बर्खास्त करना चाहिए। जिसने यह किया है उसे गिरफ्तार करना चाहिए।''

उन्होंने कहा, ''पूरी पुलिस फोर्स निकाल दी हमें रोकने के लिये, सिर्फ हमें रोकने के लिये ही नहीं पीड़ित परिवारों के गांव के इर्दगिर्द भी पुलिस लगा दी ताकि कोई उनसे मिलने न आ सके। लेकिन आपने अपराधी के लिये कोई पुलिस फोर्स नहीं निकाली। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन पुलिस कहां थी? क्या पुलिस सिर्फ नेताओं को रोकने के लिये है?''

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ''तीनों परिवारों ने एक ही बात कही कि हमें न्याय चाहिए। क्योंकि जब इस तरह का हादसा होता है तो परिवारों को एक यही राहत होती है कि जिन्होंने गलत किया, कम से कम उनको कुछ दंड तो मिला।''

उन्होंने आरोप लगाया कि पीड़ित परिवारों को जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली है उसमें कुछ पढ़ा ही नहीं जा रहा है। प्रियंका ने कहा कि उन्हें (परिवारों को) फोटोकॉपी की भी फोटोकॉपी दी गयी है।

प्रियंका ने कहा, ''लोकतंत्र है, यहां न्याय आपका अधिकार है और इसके लिये मैं लड़ूंगी जब तक मंत्री (अजय मिश्रा) बर्खास्त नहीं होते, जब तक यह लड़का (मंत्री का बेटा आशीष मिश्रा) गिरफ्तार नहीं होगा और तब तक मैं भी बिल्कुल अडिग रहूंगी क्योंकि मैंने उन परिवारों को वचन दिया है।''

गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में रविवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव के दौरे के विरोध को लेकर भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

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