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केरल स्थानीय निकाय चुनावों में वाम मोर्चे को बड़ी कामयाबी मिली

पिछले 20 वर्षों में पहली बार सत्तारूढ़ मोर्चा ने राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों में भारी जीत हासिल की है।
केरल

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने केरल में हाल ही में संपन्न स्थानीय निकाय चुनावों में प्रचंड जीत दर्ज की है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के रूप में माने जाने वाले इस स्थानीय चुनावों में एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच कांटे का मुकाबला देखा गया।

सत्तारूढ़ एलडीएफ का राज्य निर्वाचन आयोग के नवीनतम अपडेट के अनुसार कुल 941 में से 514 ग्राम पंचायतों में मजबूत स्थिति में है। यूडीएफ 376 ग्राम पंचायतों में आगे है। भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पूरे राज्य में केवल 22 ग्राम पंचायतों में आगे है।

इसी तरह, ब्लॉक पंचायतों, जिला पंचायतों और निगमों में एलडीएफ को स्पष्ट बढ़त है, जबकि, यूडीएफ को राज्य भर की नगरपालिकाओं में बढ़त मिली है। छह निगमों, 941 ग्राम पंचायतों, 14 जिला पंचायतों और 87 नगर पालिकाओं सहित 1,200 स्थानीय स्व-शासन निकायों में कुल 21,893 वार्ड हैं जहां 8, 10 और 14 दिसंबर को तीन चरणों में चुनावों में हुए थे।

2020 और 2015 के चुनाव परिणामों की तुलना से पता चलता है कि एलडीएफ अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखने में सफल रहा है। केरल में हर वैकल्पिक चुनावों में यूडीएफ और एलडीएफ का चयन करने का इतिहास है, चाहे वह स्थानीय निकाय चुनाव हों या विधानसभा चुनाव। एलडीएफ सत्तारूढ़ पार्टी होने के साथ यूडीएफ 2020 के चुनावों में सत्ता-विरोधी कारणों के साथ स्पष्ट बढ़त की उम्मीद कर रहा था। हालांकि, पिछले 20 वर्षों में पहली बार सत्तारूढ़ मोर्चे ने राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों में भारी जीत हासिल की है।

स्थानीय निकाय चुनाव परिणाम 2020 और 2015 की तुलना, स्रोत: राज्य चुनाव आयोग

परिणामों के वार्ड-वार आंकड़ों से पता चलता है कि एलडीएफ ने कुल 15,962 में से 7,258 ग्राम पंचायत वार्ड जीते हैं। यूडीएफ ने 5,848 वार्ड सुरक्षित किए, एनडीए ने 1,175 वार्ड जीते और अन्य को 1,603 मिले।


वार्ड / डिविजन के अनुसार परिणाम

एनडीए और यूडीएफ के चुनाव अभियानों ने इस बार तिरुवनंतपुरम गोल्ड स्मगलिंग मामले पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि, एलडीएफ ने राज्य में अपने विकास कार्यों पर ध्यान दिया था। यूडीएफ और एनडीए ने राज्य सरकार की कई विकासात्मक परियोजनाओं को पटरी से उतारने का प्रयास किया, जिसमें बहुत महत्वाकांक्षी हाउसिंग प्रोजेक्ट लाइफ मिशन भी शामिल है, जिसका उद्देश्य सभी के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करना है।

तिरुवनंतपुरम गोल्ड तस्करी मामले के बाद केंद्रीय जांच एजेंसियां राज्य सरकार को परेशान करने की कोशिश करती रही हैं। यूडीएफ और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए दोनों ने इसे पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को नुकसान पहुंचाने के लिए एक सुनहरा अवसर के रूप में लिया है। हालांकि, चुनाव परिणाम बताते हैं कि भाजपा राज्य में आगे नहीं बढ़ सकी।

तिरुवनंतपुरम निगम में जहां मतदान से पहले एलडीएफ, यूडीएफ और एनडीए के बीच एक करीबी त्रिकोणीय लड़ाई सामने आई थी वहां वाम मोर्चा ने स्पष्ट जीत दर्ज हासिल की है। तिरुवनंतपुरम निगम में 100 डिवीजनों में से एलडीएफ ने 51 सीटें हासिल की हैं, एनडीए ने 34 डिवीजन, यूडीएफ ने 10 और अन्य ने 5 सीटें हासिल की हैं। 2015 में, एलडीएफ ने तिरुवनंतपुरम निगम में 42 वार्ड जीते थे। बीजेपी गठबंधन ने तब भी 34 सीटें जीती थीं।

2020 के स्थानीय चुनावों में एलडीएफ को यूडीएफ से मजबूत स्थिति में देखा गया है। पाला नगर पालिका, जो अपने गठन के बाद से यूडीएफ का समर्थन करती है, वहां वाम मोर्चे ने 26 वार्डों में से 17 सीटों पर जीत हासिल की है। यूडीएफ आठ सीटें जीतने में कामयाब रहा और एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार को मिली। पाला को केरल कांग्रेस (मणि) के गढ़ के रूप में जाना जाता है। हालांकि, चुनावों से पहले, केरल कांग्रेस (मणि) के जोस के मणि गुट ने राजनीतिक विवाद के बाद एलडीएफ के साथ गठबंधन किया था।

इस बीच, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन का गढ़ भी लाल हो गया है। कोझिकोड जिले के उनके ब्लॉक पंचायत डिवीजन कल्लामाला को सीपीआई (एम) के एडवोकेट आशीष ने हासिल किया है। कोट्टायम में पल्पली पंचायत जिसे कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के गढ़ के रूप में जाना जाता है, उसने भी इस बार एलडीएफ उम्मीदवार का समर्थन किया है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। 

Left Front Bags Massive Victory in Local Body Polls in Kerala

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