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लॉकडाउन : सांप्रदायिक खेल में गुम न हो जाए हज़ारों प्रवासी मज़दूरों का जीवन–मरण संकट!

31 मार्च को झारखंड के मुख्यमंत्री ने 1.18 लाख झारखंडियों के बाहर फंसे होने का आंकड़ा जारी किया है। लेकिन इसी बीच एक वर्ग विशेष ने बांग्लादेशी और तबलीग़ी जमात को लेकर राजनीति तेज़ कर दी है। झारखंड से विशेष रिपोर्ट
 प्रवासी मज़दूर

“...मैं झारखंड सरकार से अनुरोध करता हूँ कि हमलोग केरल राज्य में फंसे हुए हैं। हम सभी जामताड़ा ज़िले के रहनेवाले हैं और 23 मार्च को टिकट कन्फ़र्म था लेकिन 22 को लॉकडाउन हो गया। रहने और खाने का बहुत संकट हो गया है हेमंत सोरेन जी रिक्वेस्ट है कि किसी तरह से हमारे जाने की व्यवस्था करें !”

“...हम सारे लोग फंसे हुए हैं, 3-4 दिन से खाना नहीं खाये हैं। काम काज भी बंद पड़ा है और चिंता में सारे लोग बेहाल पड़े हुए हैं, रोने की नौबत आ गयी है। हेमंत जी से बार बार गुजारिश है कि हमें किसी तरह से यहाँ से बाहर निकालने की कोशिश करें !”

...ऐसे कई कई मार्मिक वीडियो पोस्ट लगातार वायरल हो रहें हैं। जिनमें लॉकडाउन के कारण महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, ओडीशा, केरल, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु समेत कई अन्य राज्यों में फंसे हजारों प्रवासी झारखंडी मजदूरों की दुर्दशा गाथा लगातार सामने आ रही है। अपने परिवार के भरण पोषण के लिए रोज़ी रोटी कि तलाश में बाहर गए इन प्रवासी गरीब झारखंडी मजदूरों का संकट कोरोना से जूझने जैसी ही चुनौती बन गयी है। क्योंकि ये सभी दिहाड़ी मजदूर हैं और इस लॉकडाउन में इनके पास न तो पैसे हैं न खाना और न ही रहने का ठिकाना। कई जगहों पर मालिक / ठेकेदारों ने बकाया मजदूरी भी नहीं दी और काम बंद करके जाने को कह दिया है। बेचारगी के आलम में बंद छोटे से एक ही कमरे में दर्जनों लोग भेड़-बकरी की भांति ठूँसे पड़े रहने को मजबूर हैं।

31 मार्च को झारखंड के मुख्यमंत्री ने 1.18 लाख झारखंडियों के बाहर फंसे होने का आंकड़ा जारी किया है। जिसका डाटा राज्य नियंत्रण कक्ष को पूरे देश भर से आए कॉल के आधार पर तैयार किया गया है। हालांकि मीडिया में जारी खबरों के अनुसार बाहर फंसे लोगों कि संख्या 3.42 लाख बताई जा रही है ।

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मुख्यमंत्री ने बाहर फंसे लोगों को संदेश जारी कर कहा है कि - आप चिंतित न हों हम आपसे संपर्क कि कोशिश में लगे हुए हैं। आपतक हर ज़रूरी सहयोग पहुँचाने की कोशिश कर रहें हैं। इसके लिए संबन्धित राज्य कि सरकारों से भी समन्वय बनाने का प्रयास कर रहें हैं। बाहर से आ रही अनेकों शिकायतों में सरकार द्वारा जारी हेल्प लाइन काम नहीं करने और विभिन्न राज्यों में नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों से भी संपर्क नहीं हो पाने की बात भी सामने आ रही है।

हालांकि अभी तक प्रदेश में कोरोना से किसी भी मौत की आधिकारिक सूचना नहीं जारी हुई है। लेकिन संक्रमण से बचाव के लिए राज्य के सभी अस्पतालों की तैयारी की वर्तमान हालत की जानकारी लेने पर भाजपा के कोडरमा सांसद के क्षेत्र के झुमरी तलैया सामाजिक कार्यकर्ता सरदार चरणजीत सिंह ने बताया कि स्थानीय सदर अस्पताल के डॉक्टरों – स्वस्थ्यकर्मियों का रोना है कि अभी तक वायरसरोधी मास्क और ग्लब्स तक नहीं मिलने से काफी भय सता रहा है। ऐसे में जो भी मरीज आ रहें हैं तो हम साधनहीनता में उनका सिर्फ प्राथमिक जांच ही कर पा रहें हैं। उनका मोबाइल नंबर ले लेते हैं और संबन्धित इलाके की टीम को आगे का काम करने की सूचना दे रहे हैं। शेष अस्पतालों की भी लगभग ऐसी ही स्थिति होने की सूचना है। वहीं अभी तक पूरे प्रदेश में रांची, जमशेदपुर और धनबाद में ही कोरोना वायरस के सम्पूर्ण जांच केंद्र विधिवत काम कर रहें हैं। 

केंद्र व राज्य सरकार की ओर से कोरोना महामारी से बचाव, जांच व संभावित इलाज़ को लेकर हर दिन नयी नयी घोषणाएं की जा रही हैं। लेकिन प्राप्त सूचना में जमीनी हक़ीक़त यह भी है कि कोरोना बचाव हेतु बनाई गयी विशेष टीमों में शामिल स्वस्थ्यकर्मी व शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त शिक्षकों ने बिना सुरक्षा किट के विभिन्न इलाकों में दौड़ाए जाने पर हंगामा खड़ा करके जाने से इंकार कर रहे हैं।

दूसरी ओर, झारखंड प्रदेश की राजधानी रांची को कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा मिनी दिल्ली और गुजरात प्रयोगशाला कहे जाने की बात सचमुच में साबित होने लगी है। क्योंकि यहाँ पिछले तीन दिनों से तबलीगी जमात के अनुयायीयों को वायरस संक्रमणकारी घोषित करने के बहाने मुस्लिम समाज को निशाना बनाने की कोशिश हो रही सुनियोजित कवायद से साफ लग रहा है की एक ऐसा वर्ग सक्रिय है जिसे हर मामले को उन्मादी–सांप्रदायिक बनाने के आलवे और कोई काम नहीं है। इस खेल में शामिल मीडिया के ही एक हिस्से के अनुसार देश के विभिन्न राज्यों में फंसे हजारों हज़ार प्रवासी झारखंडी मजदूरों के जीवन मरण का संकट का तात्कालिक समाधान एक फौरी ज़रूरत बन गयी है। साथ ही कोरोना महामारी की जांच व समुचित इलाज़ और राज्य के अनगिनत गरीब परिवारों के दो जून भोजन की उपलब्धता भी एक गंभीर मानवीय चुनौती लगातार बनी हुई है।  

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दिल्ली के निज़ामुद्दीन मामले के सामने आने के कुछ दिन पहले से ही कतिपय भाजपा व कट्टर हिन्दू संगठनों से जुड़े स्थानीय टाइप के नेताओं तथा कुछेक मीडियकर्मी चौकड़ी द्वारा झारखंड में तबलीगी जमात के प्रचारकों के खिलाफ ‘संदिग्ध विदेशियों’ के संदिग्ध रूप से छिपे होने का कुप्रचार विजुवल मीडिया, अखबारों व सोशल मीडिया से चलाया जा रहा था। जो 30 मार्च को रांची के हिंदपीढ़ी मुहल्ला स्थित एक मस्जिद से एक मलेशियाई युवती समेत अन्य 21 लोगों को संदिग्ध करार देकर पुलिस द्वारा हिरासत में लेने के साथ और भी रंग में आ गया।

गिरफ्तार धर्म प्रचारकों को खेलगाँव स्थित कोरोना आइसोलेशन केंद्र में ले जाया गया। सबों की प्रारम्भिक मेडिकल जांच करवा कर मीडिया को जारी खबर में मलेशियाई युवती के कोरोना पॉज़िटिव और शेष 21 को नेगेटिव बताया गया। लेकिन दिल्ली के निज़ामुद्दीन मामले के सामने आते ही इन सबों की दुबारा जांच कराई गयी। रिम्स माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा की गयी जांच की रिपोर्ट में सभी 21 पुरुषों को निगेटिव बताते हुए कहा गया कि मलेशियाई युवती में कोरोना की स्क्रिनिंग जीन का पता चला है।

31 मार्च की  सुबह एनआईवी पुणे से मिले कन्फर्म किट से सैंपल की दुबारा जांच के बाद कहा गया कि – युवती में कोरोना संक्रमण का कोई लक्षण तो नहीं मिला है, लेकिन अभी सबसे ज़्यादा सतर्कता बरतने की ज़रूरत है क्योंकि संक्रमित रोगी की प्रतिरोधी क्षमता के कारण बीमारी के लक्षण तत्काल नहीं मिलते हैं। फिलहाल सबों को क्वरेंटाइन में रखा गया है। ख़बर यह भी है कि इस विशेष केंद्र में काम कर रहीं कई नर्सों को संक्रमण से बचाव के लिए ज़रूरी ग्लब्स और मास्क तक नहीं दिये गए हैं।

एक ओर, प्रदेश के कई दलों के सांसद – विधायक व नेता कोरोना आपदा से निपटने के अभियान में अपने वेतन व निधि राशि देने के साथ साथ क्षेत्र के भयग्रस्त लोगों के बीच जा रहें हैं। बाहर फंसे प्रवासी झारखंडी मजदूरों व अन्य लोगों की खोजख़बर लेकर यथा संभव मदद देने का प्रयास कर रहें हैं।

राज्य के विपक्षी दल भाजपा के नेता – विधायक, जिनके केंद्रीय नेता ‘इस स्थिति से राजनीति नहीं करने’ की बात कर रहें हैं। महामारी विपत्ति का सामना कर रहे परेशान हाल लोगों के बीच न जाकर राज्यपाल के पास जाकर प्रदेश की सरकार के एक मंत्री पर बांग्लादेशी घुसपैठी को देश में घुसाने का आरोप लगा कर बर्खास्त करने की मांग की राजनीति कर रहे हैं। 31 मार्च को प्रदेश भाजपा नेताओं के प्रतिनिधि मण्डल द्वारा राज्यपाल को पत्र देकर झारखंड सरकार के संसदीय कार्य मंत्री को बर्खास्त करने की मांग करना क्या कहा जाएगा। आरोप लगाया गया है कि 24 मार्च को उक्त मंत्री ने लॉकडाउन के दौरान पाकुड़ के रास्ते पूरे देश में संदिग्ध बांग्लदेशियों को घुसाने का काम किया है।

कोरोना से बचाव की वैश्विक जंग जारी है जिसमें हर एक को शामिल होना है। लेकिन इस महाविपत्ति ने हमारे समय के हर सत्ता–शासन की असलियत के साथ साथ सभी बुनियादी सामाजिक और राजनीतिक अंतरविरोधों–विरोधाभासों को खुलकर सामने ला दिया है। साथ ही ‘सामाजिक दूरी’ रखने के नाम पर सभी स्तरों कायम असमानता की खाई को भी उजागर कर दिया है!

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