मध्य प्रदेश: वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर डॉयल 100 के ड्राइवरों की हड़ताल, राजधानी में धरना प्रदर्शन!
मध्य प्रदेश में आपातकालीन सेवा डॉयल 100 के पायलेट (ड्राइवर) वेतन बढ़ोतरी समेत अपनी अन्य मांगों को लेकर आज, सोमवार 24 जुलाई को एक दिवसीय हड़ताल पर रहे। इन कर्मचारियों की संख्या करीब 3000 है, जिन पर प्रदेश की 1000 आपातकालीन गाड़ियों की जिम्मेदारी है। ये सभी गाड़ियां पुलिस विभाग के अंतर्गत सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्यभर में चलाई जाती हैं, इसलिए इन कर्मचारियों का आज धरना प्रदर्शन भी भोपाल पुलिस हेडक्वार्टर के सामने प्रस्तावित था। लेकिन पुलिस अधिकारियों ने इसे आउट सोर्सिंग कंपनी का मामला बताते हुए नीलम पार्क में ही इन लोगों से ज्ञापन लेकर इन्हें वहीं रोक दिया। हालांकि बीते लंबे समय से ये लोग कंपनी के खिलाफ शासन-प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, जिनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही।
बता दें कि डॉयल 100 के ड्राइवर BVG (भारत विकास ग्रुप) इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से पुलिस विभाग में सेवाएं दे रहे हैं। इनका कहना है कि विभाग की ओर से उन्हें 13 हजार पर नियुक्ति मिली थी लेकिन कंपनी उन्हें कई सालों से आठ से नौ हज़ार रुपये ही देती है और ये वेतन भी दो-तीन महीने देरी के बाद ही मिलता है। कर्मचारियों का आरोप है कि उनके पीएफ यानी प्रोविडेंट फंड के पैसों के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश में राज्य स्तरीय डॉयल 100 कंट्रोल रूम की स्थापना भोपाल में की गई है। इसका उद्देश्य पुलिस संबंधित सेवाएं और आपातकालीन स्थिति में संकटग्रस्त लोगों को तुरंत सहायता करना है। जीपीएस प्रणाली से लैस 1000 प्रथम प्रतिक्रिया वाहन (FRV) संकट मे फंसे लोगों की सहायता के लिए तैयार रहते हैं। हालांकि ये विडंबना ही है कि इन ड्राइवरों की सहायता न कंपनी करने को तैयार है और न ही पुलिस महकमा।
मध्य प्रदेश आउटसोर्स एवं ठेका श्रमिक संघ के अध्यक्ष विक्रम लाल राजोरिया ने न्यूज़क्लिक को बताया कि डॉयल 100 के ड्राइवर दिन-रात काम करते हैं लेकिन जब बात तनख्वाह की आती है, तो उन्हें कई-कई महीने इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा बीते आठ सालों से उनके वेतन में भी कोई वृद्धि नहीं हुई है, न ही उन्हें कोई मेडिकल, बीमा आदि की सुविधाएं ही मिल पा रही हैं।
काम से निकाले जाने का संकट
विक्रम राजोरिया की मानें तो, इन ड्राइवरों को न्यूनतम वेतन तक नहीं मिलता। पीएफ और ईएसआई की सुविधा भी इन्हें ठीक से नहीं मिलती न ही दुर्घटना में कोई सहायता। इसके उलट कभी भी बिना उचित कारण काम से निकाले जाने का संकट बरकरार रहता है। गाड़ियों की स्थिति भी खराब है, जिससे किसी भी समय एक्सीडेंट की तलवार लटकती रहती है और इन गाड़ियों का भी बीमा नहीं है, जिससे दुर्घटना होने पर कुछ क्लेम भी किया जा सके।
डॉयल 100 ड्राइवर संजय बताते हैं कि उन्हें जॉइनिंग और ट्रेनिंग के वक्त महीने में चार अवकाश बताए गए थे, लेकिन अब दो भी मुश्किल से मिल पाते हैं। 13,000 सैलरी बताई गई थी, लेकिन अभी तक आठ सालों से आठ हज़ार से ज्यादा नहीं मिली। इस महंगाई के दौर में कई लोगों का घर भी इससे नहीं चल पाता। रहने-खाने का खर्चा, बच्चों की फीस सब बड़ी मुश्किल से मैनेज हो पाता है। यहां सभी से काम बहुत ज्यादा करवाया जाता है, लेकिन पैसे उतने ही कम दिए जाते हैं।
गौरतलब है कि भारत विकास को पुलिस विभाग की ओर से पैसे जारी होते हैं और वो पैसे फिर कर्मचारियों को दिए जाते हैं। इन कर्मचारियों का कहना है कि लेकिन बीते कई महीनों से पुलिस विभाग कह रहा है कि उसके पास इन कर्मचारियों के लिए पर्याप्त फंड है। इधर, कंपनी का कहना है कि उसे आगे से ही पैसे नहीं मिल रहे जिसके चलते वो भुगतान में असमर्थ है। ऐसे में सवाल ये उठता हैै कि डॉयल100 केंद्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना होने के बावजूद कर्मचारियों के शोषण का कारण क्यों बन रही है। क्या शासन-प्रशासन इन कर्मचारियों की अनदेखी कर रहा है या निजी कंपनी अपने स्वार्थी मुनाफे के लिए इनका इस्तेमाल।
बहरहाल, मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं और इस चुनावी समर के बीच सभी कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि डॉयल 100 के कर्मचारियों को अपना हक़ मिलने में अभी और कितना इंतजार करना पड़ता है।
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