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महाराष्ट्र: एक्सप्रेस-वे के नाम पर आदिवासियों की ज़मीन छीनने का आरोप!

“एक्सप्रेस-वे के नाम पर हमारा घर और ज़मीन ले ली, लेकिन कोई मुआवज़ा नहीं दिया। बारिश का वक़्त है, छोटे-छोटे बच्चे हैं, न ही खाने को है, न पैसे हैं। हम कहां जाएंगे।”
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प्रतीकात्मक तस्वीर। फ़ोटो साभार : सबरंग इंडिया

आपको याद होगा जब द्रौपदी मुर्मू को हमारे देश की राष्ट्रपति चुना गया था, तब कैसे केंद्र की सत्ता पर काबिज़ भारतीय जनता पार्टी इसे भुनाने में जुटी थी, चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या गृहमंत्री अमित शाह... या फिर कोई और भाजपा का नेता। हर कोई इस उपलब्धि को अपनी पार्टी के खाते में दर्ज कराने में जुटा था। इसका कारण सीधे तौर पर ये था कि वो आदिवासी समाज से आने वाली महिला हैं। ये बात अलग है कि भाजपा ख़ुद के गुणगान में ये तक कह गई कि जिस गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची, वहां से हमने राष्ट्रपति खोज निकाला। हालांकि विपक्ष मानता है कि सच्चाई वही है, जो भाजपा की सरकार ने अनजाने में कह दिया।

इस बात का ज़िक्र हमने महज़ इसलिए किया, क्योंकि एक ओर जहां देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर एक आदिवासी महिला बैठी हैं, तो दूसरी ओर ये आरोप लग रहे हैं कि आदिवासियों को उनके हक़ से वंचित करने और उनकी ज़मीने छीनने के लिए पुलिस प्रशासन उनके साथ तानाशाही रवैया अपना रहा है।

सबसे पहले आप इस वीडियो को देखिए :

 इस वीडियो को जय आदिवासी युवा शक्ति’’ नाम के ट्वीटर हैंडल से शेयर किया गया है, दावा है कि इसमें पुलिस द्वारा बर्बर तरीके से घसीटे और मारे जारे रहे लोग आदिवासी समाज के हैं। आरोप है कि आदिवासियों से इनके घर और ज़मीनें छीनी जा रही है।

एक दूसरा वीडियो भी देखिए :

इस वीडियो में कुछ महिलाओं को देखा जा सकता है। पुलिस अपना सारा बल इन पर इस्तेमाल कर इन्हें इनके ही घर से निकालने की कोशिश करते नज़र आ रही है। इसमें ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। आपको बता दें कि इन रोते-बिलखते लोगों पर इस कार्रवाई को हुए पांच दिन से ज़्यादा हो चुके हैं, लेकिन दलितों और आदिवासियों के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा या किसी भी विपक्षी नेता को इनकी सुध नहीं हो पा रही है, न ही इनके आंसू दिखाई पड़ रहे हैं।

एक और वीडियो पर नज़र डाल लेते हैं..इसमें कुछ आदिवासी ख़ुद ही अपने घर तोड़ते नज़र आ रहे हैं।

इस ट्वीट में साफ़ दिखाई पड़ रहा है कि कैसे लोग अपने ही घर को उजाड़ने पर मजबूर हैं, क्यों?  क्योंकि शायद इनके चारो ओर पुलिस अपनी तथाकथित 'शक्ति' का प्रदर्शन कर रही है।

वायरल हो रहे इन सभी वीडियोज़ में एक महिला ने ख़ुद का दर्द बयां किया है और आरोप लगाया है कि सरकार इनके साथ ज़बरदस्ती कर रही है।

इस वीडियो में एक पीड़ित आदिवासी महिला कह रही है, "एक्सप्रेस-वे के नाम पर हमारा घर और ज़मीन ले ली, लेकिन कोई मुआवज़ा नहीं दिया। पीड़िता का कहना है कि हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया, अचानक आए और हमें घर से निकालना शुरु कर दिया। बारिश का वक़्त है, छोटे-छोटे बच्चे हैं, न ही खाने को है, न पैसे हैं। हम कहां जाएंगे।"
आदिवासियों पर हुई इस तरह की कार्रवाई की कुछ वीडियोज़ के साथ पीड़ित महिला की ज़ुबानी को हंसराज मीना नाम के ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है।

बता दें कि ये पुलिसिया कार्रवाई महाराष्ट्र के पालघर में स्थित डहाणू इलाके की है, जहां से होकर बड़ौदा-मुंबई एक्सप्रेस-वे गुज़र रहा है। बस यहीं पर आदिवासियों की ज़मीनें और घर हैं और आरोप हैं कि यहां बग़ैर किसी नोटिस और मुआवज़े के तोड़फोड़ की गई।

हालांकि आदिवासी महिलाओं पर हुई इस बर्बर कार्रवाई को लेकर महाराष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्ष रुपाली चाकणकर ने जांच के आदेश दिए हैं। रूपाली चाकणकर ने निर्देश दिया है कि पालघर के ज़िला कलेक्टर घटना की जांच कर रिपोर्ट पेश करें। आरोप लगाया जा रहा है कि मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य से प्रभावित हो रही महिला ग्रामीणों को पुलिस ने बेरहमी से पीटा ताकि उनके घरों को खाली कराया जा सके। घटना के संबंध में रूपाली चाकणकर ने पालघर के ज़िला कलेक्टर को लिखे पत्र में कहा है कि मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेस-वे निर्माण कार्य में परियोजना प्रभावित लोगों को विस्थापित करते समय पुलिस द्वारा पालघर की आदिवासी महिलाओं को पीटने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, ग्रामीणों का आरोप है कि विस्थापितों को पूर्व में कोई सूचना नहीं दी गई थी, रूपाली चाकणकर ने कहा है कि परियोजना से प्रभावित लोगों को विस्थापित करने से पहले प्रशासन को उनके साथ बातचीत करनी चाहिए थी, इसके अलावा उनके कहीं और रहने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।

क्या है वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे?

वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस का एक हिस्सा है। सरकार के मुताबिक़ इस एक्सप्रेस-वे के बन जाने के बाद वडोदरा से मुंबई तक की दूरी महज़ 379 किलोमीटर रह जाएगी। इतनी दूरी तक एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए सरकार की ओर से अनुमानित 44,000 करोड़ रुपये ख़र्च किए जा रहे हैं। मौजूदा वक़्त में जेएनपीटी पोर्ट मुंबई और वडोदरा के बीच की दूरी लगभग 550 किलोमीटर हैजिसे कवर करने में लगभग 10-12 घंटे लगते हैं। हालांकिमुंबई वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे, इस दूरी को न केवल 379 किलोमीटर तक कम कर देगा, बल्कि यात्रा के समय को घटाकर 3.5-05 घंटे कर देगा।

भले ही इस एक्सप्रेस-वे के ज़रिए सफ़र का वक़्त कम हो रहा हो, लेकिन इस एक्सप्रेस-वे को बनाने में न जाने कितने आदिवासियों की ज़मीनें छीनने और उन्हें बेघर करने का आरोप भी लग रहा है। आरोप ये भी है कि कार्रवाई के बदले उन्हें मुआवज़ा भी नहीं दिया जा रहा। वहीं दूसरी ओर इस 'अनैतिक' कार्रवाई पर सरकार कोई भी जवाब देने के लिए तैयार नहीं है।

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