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संभावित लॉकडाउन के ख़तरे के बीच बिहार-यूपी लौटने लगे प्रवासी श्रमिक !

घर लौटने को लेकर मुंबई में अफरातफरी का माहौल सामने आया है। मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर इन श्रमिकों की भीड़ देखी गई। घर पहुंचने के लिए बिहार-उत्तरप्रदेश के इन श्रमिकों को ट्रेन में जगह नहीं मिल रही है।
संभावित लॉकडाउन के ख़तरे के बीच बिहार-यूपी लौटने लगे प्रवासी श्रमिक !
प्रतीकात्मक तस्वीर, एएनआई

तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों और सरकारों की तरफ से पाबंदियों में धीरे-धीरे बढ़ाई जा रही सख्तियों के बीच मुंबई जैसे महानगरों से बिहार-यूपी के प्रवासी श्रमिक अपने-अपने गांव की ओर लौटने लगे हैं। उन्हें पूर्ण लॉकडाउन के संभावित खतरे का डर सताने लगा है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक घर लौटने को लेकर मुंबई में अफरातफरी का माहौल सामने आया है। मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर इन श्रमिकों की भीड़ देखी गई। स्टेशन पर श्रमिकों की भीड़ और अफरातफरी को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे इस परेशानी की घड़ी में इन महानगरों में अपने परिवार से दूर रहकर फिर से बड़ा जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के डर से घर पहुंचने के लिए बिहार-उत्तरप्रदेश के इन श्रमिकों को ट्रेन में जगह नहीं मिल रही। यदि कोरोना के मामले बढ़ते रहे तो अन्य महानगरों से श्रमिक घर लौटने को मजबूर हो जाएंगे।

हमलोगों ने देखा है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान अचानक पूर्ण लॉकडाउन की हुई घोषणा के बाद महानगरों में रहने वाले मजदूर बेरोजगार हो गए थें और उनके सामने आजीविका का बड़ा संकट पैदा हो गया था। वे बेबस होकर घर लौटने को मजबूर हो गए थे। दिल्ली, मुबंई समेत छोटे-बड़े शहरों से ये श्रमिक पैदल ही रोड और रेलवे ट्रैक से होकर घर लौटने लगे थे। इस दौरान महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेलवे ट्रैक पर एक बड़ा हादसा सामने आया था जब मालगाड़ी से करीब 16 श्रमिकों की कट कर मौत हो गई थी। ये श्रमिक लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश स्थित अपने घर लौट रहे थे। श्रमिक रेलवे ट्रैक से होकर घर लौटते हुए थक गए थें और वे उसी ट्रैक पर सो गए थें। रेलवे ने अपने बयान में कहा था कि कुछ लोग बदनापुर और करमाड स्टेशन के बीच पटरी पर सो रहे थे तभी वहां से मालगाड़ी गुजरी। पटरी पर सो रहे लोग इसकी चपेट में आ गए जिससे 14 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई जबकि दो लोगों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। ये हादसा 8 मई को सुबह 5 बजकर 22 मिनट पर हुआ था।

लॉकडाउन के दौरान ट्रेन और बस की आवाजाही बंद होने के कारण जब प्रवासी मजदूर पैदल या ट्रकों पर अपने-अपने घरों की ओर लौट रहे थे तब हर दिन कोई न कोई हादसा सामने आता रहता था। इन हादसों में प्रवासी श्रमिकों की लगातार जान जाने खबरें सामने आती रहती थी। ये श्रमिक भूखे-प्यासे अपने-अपने परिवार के साथ गांव की ओर लौट रहे थे। उनके साथ बच्चे भी होते थे।

महाराष्ट्र की घटना के करीब एक ही हफ्ते बाद 16 मई को उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में हाईवे पर खड़ी एक ट्रक कंटेनर को पीछे से आ रही एक गाड़ी ने टक्कर मार दिया था। इस कंटेनर में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के करीब 80 प्रवासी श्रमिक सवार थे। ये सभी दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान से अपने घरों की तरफ जा रहे थें। इस भीषण टक्कर में 25 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी जबकि बड़ी संख्या में श्रमिक घायल हो गए थें।

साल 2020 में ही केंद्रीय श्रम मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार संसद सत्र के दौरान एक सवाल के लिखित जवाब में कहा था कि उनके मंत्रालय के पास लॉकडाउन के दौरान घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों की मौत संबंधी कोई डेटा नहीं है।

कोरोना की पहली लहर के दौरान हुए लॉकडाउन के चलते देश के विभिन्न हिस्सों में बिहार के प्रवासी श्रमिक फंसे हुए थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिहार के इन प्रवासी श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए 1 मई 2020 से स्थिति सामान्य होने तक कुल 1584 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलीं। इससे कुल 22,86,300 श्रमिक बिहार स्थित अपने घर लौट पाए।

जिस प्रकार इस बार कोरोना के बढ़ते मामलों को देखकर राज्य सरकारों ने पाबंदियां शुरू कर दी और प्रवासी श्रमिक अपने-अपने घरों की ओर लौटने लगे ठीक इसी तरह पिछले साल भी यानी दूसरी लहर की शुरूआत में ही प्रवासी श्रमिक लॉकडाउन से पहले पैदल और ट्रकों तथा अन्य साधनों से अपने-अपने घरों की ओर लौटने लगे थें। ज्ञात हो कि कोरोना की पहली लहर के दौरान पीएम मोदी ने 24 मार्च 2020 से देश भर पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी। बाद में स्थिति सामान्य होने पर लॉकडाउन में ढ़ील दिया जाने लगा था।

उधर इस बार कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए बिहार में भी कई तरह की पाबंदिया लगा दी गई हैं और इसको लेकर राज्य सरकार अलर्ट है। दो दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपदा प्रबंध टीम के साथ बैठक के बाद कई अहम निर्णय लिए। राज्य में आठवीं तक के स्कूल को पूरी तरह बंद कर दिया गया है जबकि आठवीं से ऊपर की क्लास में पचास फीसदी बच्चे ही उपस्थित हो सकेंगे। कोचिंग संस्थानों पर भी यही नियम लागू होंगे जबकि शॉपिंग मॉल, स्विमिंग पूल, जिम, सिनेमा हॉल बंद रखने का एलान किया गया है। राज्य में दुकानें रात आठ बजे तक खोली जा सकेंगी। वहीं रात दस बजे से सुबह पांच बजे तक नाइट कर्फ्यू की घोषणा की गई है। नाइट कर्फ्यू 21 जनवरी तक लगा रहेगा। धार्मिक स्थल भी बंद रहेंगे। उसमें केवल पुजारी ही पूजा कर सकेंगे। बाहर से किसी व्यक्ति के पूजा स्थल में आने की अनुमति नहीं है। वहीं रेस्टोरेंट और ढ़ाबा में पचास फीसदी लोग ही बैठ सकेंगे। कोरोना की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार बाद में अपने निर्णयों में बदलाव कर सकती है।

टोल फ्री नंबर के लिए बिहार के श्रम संसाधन विभाग द्वारा बीएसएनएल को आवेदन दिया गया है। इस नंबर के सोमवार या मंगलवार से चालू होने की संभावना है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यदि जरूरत पड़ी तो पिछली बार की तरह जगह-जगह क्वारेंटाइन सेंटर बनेंगे जहां बाहर से आने वालों को रखा जाएगा।

बिहार में गत शुक्रवार को 3048 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। वहीं गुरुवार को 2379 नए संक्रमित मरीज मिले थे। राज्य में सबसे अधिक 1314 संक्रमित पटना में मिले हैं जबकि दूसरे स्थान पर गया है जहां 293 नए संक्रमित पाए गए हैं। तीसरी लहर के दौरान 24 दिसंबर, 2021 से 7 जनवरी, 2022 के बीच 9447 नए संक्रमितों की पहचान हो चुकी है। 24 दिसंबर को राज्य में 78 मरीज मिले थें।

महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति विस्फोटक हो गई है। यहां में 40,925 नए मामले मिले हैं। अकेले मुंबई में ही 20,971 मामले सामने आए हैं। शुक्रवार देर रात तक देश भर में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1,31,305 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 263 और लोगों की मौत सामने आई है वहीं सक्रिय मामलों की संख्या करीब साढ़े चार लाख को पार कर गई है। उधर कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका आंकड़ा बढ़कर 3 हजार के आंकड़े को पार कर गया है।

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