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झारखंड में स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी का विरोध, ज्यां द्रेज ने कहा- ये मनमानी कार्रवाई

रांची में बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एनआईए की ओर से की गई इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया। मौके पर ज्यां द्रेज ने कहा कि, ‘’ये मनमाना है। सरकार जिसके चाहे उठा ले रही है। इतने उम्रदराज व्यक्ति के साथ इस तरह का व्यवहार चिंताजनक है।”
झारखंड
रांची में अलबर्ट एक्का चौक पर फादर स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी के विरोध में प्रदर्शन। फोटो : आनंद दत्त

रांची: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) मुंबई की टीम ने 83 साल के सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी को गुरुवार रात झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम स्थिति उनके घर से गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में हुई है। उनपर राजद्रोह की धारा लगाई गई है और यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई है। आज शुक्रवार सुबह उन्हें विमान से मुंबई ले जाया गया, जहां विशेष एनआईए अदालत ने उन्हें 23 अक्टूबर तक के लिये न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

गिरफ्तारी को लेकर रांची में विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुका है। आज, शुक्रवार शाम चार बजे अलबर्ट एक्का चौक पर बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एनआईए की ओर से की गई इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया। मौके पर ज्यां द्रेज ने कहा कि, ‘’ये मनमाना है। सरकार जिसके चाहे उठा ले रही है। इतने उम्रदराज व्यक्ति के साथ इस तरह का व्यवहार चिंताजनक है। वह कहीं जा नहीं सकते, ऐसे में उनको जेल में रखऩा बहुत ही खतरनाक है। जहां तक यूएपीए की बात है, सरकार इसका बेजा इस्तेमाल कर रही है। किसी के सोशल मीडिया पोस्ट पर यह एक्ट लगा दिया जा रहा है। जो कि संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।’’  

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वहीं दयामनी बारला ने कहा कि, ‘’जिस तरह अर्बन नक्सल के नाम पर देशभर में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया, ये उसी की कड़ी है। स्टेन जब से सामाजिक जीवन में आए हैं, तब से जल-जंगल-जमीन के मुद्दे पर संघर्ष करते रहे हैं। उनके ऊपर गलत तरीके से केस हुआ। 2014 के बाद दलित और पिछड़ों के लिए आवाज उठाने वालों को अर्बन नक्सल बताकर जेल में डाला जा रहा है। इसका अब विरोध नहीं होगा तो कब होगा।’’  

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इधर समर्थन में आए देशभर के दो हजार से अधिक लोग और  सामाजिक संगठनों ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्टेन स्वामी को रिहा करने की अपील की है। सबने एक साथ कहा कि स्टेन की गिरफ्तारी मानवाधिकारों और लोकतांत्रित मूल्यों का व्यापक उल्लंघन है। 

न छापने की शर्त पर मिले एक डॉक्यूमेंट के मुताबिक उनपर आईपीसी की धारा 153 ए, 505(1)(बी), 117, 120(बी), 121, 121(ए), 124(ए) और 34 लगाई गई है। इसके अलावा गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) 1967 एक्ट की धारा 13, 16, 17, 18(बी), 20, 38, 39 और 40 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

झारखंड जनाधिकार महासभा के मुताबिक एनआईए के पास कोई गिरफ्तारी वारंट भी नहीं था। एजेंसी ने उनके साथ बदसलूकी भी की। गिरफ्तारी से पहले एनआईए ने उन्हें पूछताछ के लिए मुंबई बुलाया था। खराब स्वास्थ और कोविड-19 का हवाला देकर स्टेन स्वामी ने जाने से मना किया था।

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हेमंत सोरेन ने साधी चुप्पी, पहले हुई छापेमारी पर जता चुके हैं विरोध

जानकारी के मुताबिक 12 जुलाई 2019 में भी स्टेन स्वामी के घर में छापेमारी की गई थी। उस वक्त लैपटॉप, हार्ड डिस्क जब्त कर ले गई थी। उनके ईमेल और फेसबुक के पासवर्ड बदल दिए थे। वहीं 28 अगस्त 2018 को भी महाराष्ट्र पुलिस ने उनके कमरे की तलाशी ली थी। जिसका विरोध तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने किया था।

उन्होंने कहा था कि, “भाजपा सरकार सभी असहमति की आवाजों को दबा रही है। स्टेन स्वामी आदिवासी अधिकारों और कल्याण के एक प्रमुख आवाज रहे हैं। मैं उनके आवास पर जबरदस्ती किए गए बेबुनियाद छापे की कड़ी निंदा करता हूं।’’  

हालांकि अब मुख्यमंत्री होने के बावजूद फिलहाल उन्होंने चुप्पी साध रखी है। इधर गिरफ्तारी का विरोध करनेवालों ने हेमंत सोरेन से अपील की है कि वह इसको लेकर विरोध जताएं। साथ ही केंद्र सरकार से मांग करें कि स्टेन को रिहा करें और इस मामले को बंद करें। हेमंत की इस चुप्पी पर ज्यां द्रेज ने कहा कि ‘’अभी भी समय है, हेमंत सोरेन को इस मामले पर बोलना चाहिए।’’

गिरफ्तारी से दो दिन पहले जारी एक संदेश में स्टेन स्वामी ने कहा था कि, ‘’मुझसे एनआईए ने पांच दिनों (27-30 जुलाई व 6 अगस्त) में कुल 15 घंटे पूछताछ की। मेरे सामने उन्होंने मेरे बायोडेटा और कुछ तथ्यात्मक जानकारी के अलावा अनेक दस्तावेज़ व जानकारी रखी जो कथित तौर पर मेरे कंप्यूटर से मिली। जो कथित तौर पर माओवादियों के साथ मेरे जुड़ाव का खुलासा करते हैं। मैंने उन्हें स्पष्ट कहा कि ये छल-रचना है एवं ऐसी दस्तावेज़ और जानकारी चोरी से मेरे कंप्यूटर में डाले गए हैं। इन्हें मैं अस्वीकृत करता हूँ।’’

उन्होंने यह भी कहा था कि ‘’मेरा सिर्फ इतना कहना है कि जो आज मेरे साथ हो रहा है वैसा कई और लोगों के साथ भी हो रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, लेखक, पत्रकार, छात्र नेता, कवि, बुद्धिजीवी और अन्य अनेक लोग, जो आदिवासियों, दलितों और वंचितों के लिए आवाज उठाते हैं और देश की वर्तमान सत्तारुढ़ ताकतों की विचारधाराओं से असहमति जताते हैं, उन्हें विभिन्न तरीकों से परेशान किया जा रहा है।’’

इस मामले में अब तक प्रसिद्ध कवि वरवरा राव, सुरेंद्र गाडलिंग, सुधीर धावले, महेश राउत, शोमा सेन, रोना विल्सन, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, गोंजाल्विस, गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया जा चुका है। स्टेन स्वामी इस मामले में गिरफ्तार किये गये 16वें व्यक्ति हैं।

उल्लेखनीय है कि पुणे के पास भीमा कोरेगांव में एक युद्ध स्मारक के पास एक जनवरी 2018 को हिंसा भड़क गई थी। इसके एक दिन पहले ही पुणे शहर में एल्गार परिषद का सम्मेलन हुआ था। एनआईए का आरोप है कि इसी दौरान उकसाने वाले भाषण दिये गये थे, जिसके बाद हिंसा भड़की।

एनआईए अधिकारियों का दावा है कि जांच में यह स्थापित हुआ है कि स्वामी भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों में सक्रिय रूप से संलिप्त थे।

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कौन हैं फादर स्टेन स्वामी

स्टेन झारखंड के जाने–माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह बीते कई दशक से राज्य के आदिवासियों-वंचितों के लिए काम करते रहे हैं। मूल रूप से तमिलनाडु के रहनेवाले स्टेन शुरूआत में पादरी थे। बाद में आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई के क्रम में पादरी का काम छोड़ दिया। इस दौरान उन्होंने संविधान के पांचवी अनुसूची के सही से काम न करने, पेसा कानून, वनाधिकार कानून को सही से लागू करवाने को लेकर लंबी लड़ाई लड़ी।  

इसके साथ ही झारखंड के जेलों में बंद दस हजार से अधिक विचाराधीन कैदियों को लेकर सर्वे तैयार किया। फिर इसे लेकर कोर्ट गए। राज्यभर में हुए विस्थापनों के खिलाफ लगातार आंदोलन करते रहे। इनके ऊपर पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान भी मुकदमा दर्ज किया गया था।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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